31 दिसंबर का इतिहास : भारत पर राज करने वाली ईस्ट इंडिया कंपनी की कहानी

31 दिसंबर 1600 को एलिजाबेथ प्रथम के हस्ताक्षरित रॉयल चार्टर ने ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत के साथ व्यापार की अनुमति दी थी। ये आगे चलकर भारत की गुलामी का आधार बना।

author-image
Kaushiki
New Update
east india company formation
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

आज के दिन की कहानी: आज से ठीक 425 साल पहले लंदन के राजमहल में एक ऐसा कागज साइन हुआ था। इस छोटे से कागज ने पूरी दुनिया के नक्शे और भारत की किस्मत बदल दी। तारीख थी 31 दिसंबर 1600। तब साल खत्म होने वाला था और नया युग शुरू था। इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने एक बहुत ही खास 'रॉयल चार्टर' पर दस्तखत किए।

ये फरमान लंदन के कुछ व्यापारियों के एक समूह को व्यापार करने की इजाजत देता था। इन व्यापारियों ने मिलकर एक कंपनी बनाई थी जिसे हम ईस्ट इंडिया कंपनी कहते हैं। उस समय किसी ने नहीं सोचा था कि यह कंपनी भारत पर राज करेगी।

महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने इस कंपनी को पूर्वी देशों के साथ व्यापार का हक दिया। कंपनी का असली नाम 'गवर्नर एंड कंपनी ऑफ मर्चेंट्स ऑफ लंदन ट्रेडिंग' रखा गया था।

शुरुआत में इसे केवल 15 सालों के लिए व्यापार करने का एकाधिकार मिला था। ब्रिटिश व्यापारियों की नजर भारत के मसालों, रेशम और कीमती कपड़ों के व्यापार पर थी। वे डच और पुर्तगाली व्यापारियों को कड़ी टक्कर देकर मुनाफा कमाना चाहते थे।

भारत पर राज करने वाली ईस्ट इंडिया कंपनी की कहानी - BBC News हिंदी

व्यापार के बहाने साम्राज्य की नींव

इतिहास की शुरुआत 1600 में हुई जब क्वीन एलिजाबेथ ने 200 व्यापारियों को भारत के साथ बिजनेस का एकाधिकार दिया। साल 1608 में कैप्टन विलियम हॉकिन्स अपने जहाज 'हेक्टर' के साथ सूरत के बंदरगाह पर उतरे।

वो कंपनी का भारत में पहला बड़ा ऑफिशियल कदम था। उस समय भारत में बादशाह जहांगीर का शासन था। वे अपनी विलासिता और न्याय की जंजीर के लिए मशहूर थे। हॉकिन्स तो जहांगीर को ज्यादा प्रभावित नहीं कर पाए।

भारत पर राज करने वाली ईस्ट इंडिया कंपनी की कहानी - BBC News हिंदी

लेकिन 1615 में आए सर थॉमस रो ने अपनी चालाकी और महंगे तोहफों से मुगलों का दिल जीत लिया। अंततः अंग्रेजों को भारत के हर बंदरगाह पर व्यापार करने और अपनी कोठियां खोलने की शाही इजाजत मिल गई। ये भविष्य में गुलामी का कारण बनी।

भारत पर राज करने वाली ईस्ट इंडिया कंपनी की कहानी - BBC News हिंदी

ईस्ट इंडिया कंपनी का गठन

इतिहासकार मानते हैं कि, ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Compony) की शुरुआत बहुत ही छोटे स्तर पर व्यापार के लिए हुई थी। लंदन के कुछ अमीर व्यापारियों ने मिलकर इस कंपनी में अपना पैसा लगाया था। शुरुआत में कंपनी को केवल 15 साल के लिए व्यापार का अधिकार मिला।

ब्रिटिश क्वीन एलिजाबेथ ने कंपनी को पूर्व के देशों के साथ व्यापार की खुली छूट दी। कंपनी के जहाज पहली बार इंडोनेशिया और फिर धीरे-धीरे भारत की ओर मुड़े। उस समय भारत अपनी दौलत और मसालों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर था।

भारत पर राज करने वाली ईस्ट इंडिया कंपनी की कहानी - BBC News हिंदी

भारत के बंदरगाहों पर कदम रखते ही अंग्रेजों ने अपनी कूटनीति शुरू की। उन्होंने सबसे पहले मुगल बादशाह जहांगीर के दरबार में अपनी पैठ बनाई थी। कैप्टन हॉकिंस और सर थॉमस रो ने सूरत में फैक्ट्री खोलने की इजाजत ली।

व्यापार के बहाने धीरे-धीरे उन्होंने भारत की राजनीति में भी हस्तक्षेप शुरू किया। उनके पास आधुनिक हथियार थे और फूट डालो राज करो वाली गहरी नीति थी। देखते ही देखते छोटे से व्यापारी भारत के असली भाग्य विधाता बन बैठे।

जिस ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत पर किया था राज, उसे भारतीय ने खरीदा, बना दिया  प्रीमियम लग्जरी ब्रांड

यूरोप के बाजारों में भारतीय मसालों की भारी मांग

इतिहासकारों का मानना हैं कि, उस दौर में मसालों का व्यापार सोने के व्यापार से भी ज्यादा कीमती माना जाता था। यूरोप के बाजारों में भारतीय काली मिर्च और दालचीनी की बहुत भारी मांग रहती थी। पुर्तगाली व्यापारी पहले से ही समुद्री रास्तों पर अपना कब्जा जमा कर बैठे हुए थे।

लंदन के व्यापारियों को डर था कि वे इस बड़े मुनाफे से पीछे न रह जाएं। इसीलिए 217 व्यापारियों ने मिलकर अपना पैसा एक साथ इस कंपनी में लगाया था। वे सब मिलकर भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में अपनी धाक जमाना चाहते थे।

भारत पर राज करने वाली ईस्ट इंडिया कंपनी की कहानी | Story of the East India  Company that ruled India - Hindi Oneindia

महारानी एलिजाबेथ ने इस कंपनी को अपना पूरा समर्थन और कानूनी सुरक्षा प्रदान की थी। शाही फरमान मिलते ही कंपनी ने अपने जहाजों को समंदर में उतारने की तैयारी की। पहले मिशन के लिए जेम्स लैंकेस्टर के नेतृत्व में चार बड़े जहाज रवाना किए गए।

इन जहाजों का मकसद भारत के तटों तक पहुंचने का रास्ता तलाश करना मात्र था। कंपनी का शुरुआती ढांचा एक छोटे से ऑफिस और कुछ क्लर्क जैसा ही था। लेकिन उनके इरादे और योजनाएं पूरी दुनिया पर राज करने जैसी बहुत विशाल थी।

भारत पर राज करने वाली ईस्ट इंडिया कंपनी की कहानी - BBC News हिंदी

मुगलों से टकराव और बंगाल की लूट

शुरुआत में अंग्रेज मुगलों के सामने कमजोर थे। औरंगजेब के समय तो उन्हें बुरी तरह हारकर माफी तक मांगनी पड़ी थी। लेकिन 1707 में औरंगजेब की मौत के बाद जब मुगल साम्राज्य कमजोर हुआ, तो कंपनी ने अपनी 'निजी सेना' के दम पर भारत को लूटना शुरू किया।

1757 के प्लासी युद्ध में मीर जाफर की गद्दारी ने बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को हरा दिया। इससे अंग्रेजों के लिए लूट के दरवाजे खुल गए। कंपनी ने अफीम की तस्करी और भारी लगान के जरिए भारतीय किसानों और व्यापारियों को कंगाल कर दिया।

इससे बंगाल में भीषण अकाल पड़ा। जिस सोने की चिड़िया वाले भारत के पास दुनिया की 25% दौलत थी, उसे कंपनी ने धीरे-धीरे अपनी बंदूकों और चालाकी से एक ब्रिटिश कॉलोनी में तब्दील कर दिया।

ईस्ट इंडिया कंपनी... कभी भारत गुलाम था, अब उसका मालिक है ये भारतीय - News18  हिंदी

चार्टर एक्ट 1600 और कॉलोनियलिज्म की शुरुआत

कंपनी के जहाज जब पहली बार भारत पहुंचे तो उनका मकसद केवल व्यापार करना था। सर थॉमस रो और विलियम हॉकिन्स जैसे लोग मुगल दरबार में फरियाद लेकर पहुंचे। मुगल बादशाह जहांगीर के दरबार में उन्होंने व्यापारिक कोठियां खोलने की अनुमति मांगी थी।

धीरे-धीरे उन्होंने सूरत, मद्रास, बॉम्बे और कलकत्ता में अपने मजबूत व्यापारिक केंद्र बना लिए। व्यापार की सुरक्षा के नाम पर उन्होंने धीरे-धीरे अपनी निजी सेना भी तैयार की। प्लासी और बक्सर के युद्ध के बाद कंपनी एक राजनीतिक ताकत बन गई थी।

अब क्या करती है भारत पर 200 साल तक राज करने वाली East India Company? यह  इंडियन है मालिक | DNA HINDI

ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन भारत के लिए बहुत ही दर्दनाक और शोषणकारी रहा था। कंपनी ने किसानों पर भारी लगान थोपा और भारतीय उद्योगों को पूरी तरह उजाड़ दिया।

जो कंपनी व्यापार करने आई थी, वह अब करोड़ों लोगों के भाग्य का फैसला थी। 1857 की क्रांति के बाद ही कंपनी का शासन समाप्त होकर ब्रिटिश क्राउन को मिला। 

लेकिन 31 दिसंबर 1600 का वह फरमान हमेशा गुलामी की शुरुआत के रूप में याद रहेगा। आज इतिहासकार इसे दुनिया की सबसे ताकतवर प्राइवेट कंपनी का उदय भी मानते हैं।

Reference Link

31 दिसंबर की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं

आज का इतिहास में हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है। 31 दिसंबर का दिन भी इतिहास (आज की यादगार घटनाएं) में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है। इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी।

आइए जानते हैं 31 दिसंबर (आज की तारीख का इतिहास) को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं-

विश्व इतिहास की प्रमुख घटनाएं...

  • 1225: ली चिउ होआंग वियतनाम की एकमात्र साम्राज्ञी बनीं और राजवंश की शुरुआत हुई।

  • 1492: इटली के सिसली क्षेत्र से लगभग 1,00,000 यहूदियों को बाहर निकाला गया।

  • 1514: मशहूर बेल्जियम शल्य चिकित्सक वोज़ैलियस का ब्रसेल्स में जन्म हुआ।

  • 1711: जॉन चर्चिल ने अंग्रेजी सेना को वापस लौटने का ऐतिहासिक आदेश दिया।

  • 1744: खगोल विज्ञानी जेम्स ब्रैडली ने पृथ्वी की 'नटेशन गति' (Nutation motion) की खोज की।

  • 1756: रूस औपचारिक रूप से वर्साय के गठबंधन में शामिल हुआ।

  • 1758: ब्रिटिश सेना ने सेनेगल के 'गोरे' क्षेत्र पर अपना कब्जा जमाया।

  • 1759: ऑर्थर गिनीज ने डबलिन में प्रसिद्ध जेम्स ब्रेवरीज के निर्माण के लिए 9,000 साल के पट्टे पर हस्ताक्षर किए।

  • 1775: अमेरिकी क्रांतिकारी युद्ध के दौरान क्यूबेक की लड़ाई में ब्रिटिश सेना ने अमेरिकी हमले को रोका।

  • 1781: अमेरिका का सबसे पहला बैंक 'बैंक ऑफ नॉर्थ अमेरिका' फिलाडेल्फिया में खुला।

  • 1827: ब्रिटेन के जॉन वाकर ने आधुनिक 'माचिस' का आविष्कार किया।

  • 1831: न्यूयॉर्क शहर में ग्रामरसी पार्क का हस्तांतरण (transfer) किया गया।

  • 1857: रानी विक्टोरिया ने ओटावा को कनाडा की स्थायी राजधानी के रूप में चुना।

  • 1862: अमेरिकी गृहयुद्ध के दौरान टेनेसी में 'बैटल ऑफ स्टोन्स रिवर' की शुरुआत हुई।

  • 1907: न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में पहली बार 'बॉल ड्रॉप' के साथ नए साल का जश्न मनाया गया।

  • 1911: महान वैज्ञानिक मैरी क्यूरी को रसायन विज्ञान में अपना दूसरा नोबेल पुरस्कार मिला।

  • 1916: डगलस हैग को ब्रिटिश सेना के फील्ड मार्शल के पद पर प्रमोट किया गया।

  • 1925: प्रसिद्ध हिंदी व्यंग्य लेखक श्रीलाल शुक्ल का जन्म हुआ।

  • 1949: दुनिया के 18 देशों ने मिलकर इंडोनेशिया की स्वतंत्रता को मान्यता दी।

  • 1962: नीदरलैंड ने दक्षिण-पश्चिम प्रशांत महासागर के न्यू गिनी द्वीप को छोड़ा।

  • 1963: सेंट्रल अफ्रीकन फेडरेशन आधिकारिक रूप से जाम्बिया, मलावी और रोडेशिया में बंट गया।

  • 1964: डोनाल्ड कैम्पबेल ने अपनी जेट नाव से पानी पर सबसे तेज गति का विश्व रिकॉर्ड बनाया।

  • 1965: मध्य अफ्रीकी गणराज्य में जीन-बेदेल बोकासा ने तख्तापलट कर सत्ता हासिल की।

  • 1972: भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए जा रहे मशहूर बेसबॉल खिलाड़ी रॉबर्टो क्लेमेंटे की प्लेन क्रैश में मृत्यु हुई।

  • 1983: मेजर-जनरल मुहम्मदू बुहारी ने नाइजीरिया में सैन्य तख्तापलट कर सत्ता संभाली।

  • 1983: यूनाइटेड किंगडम ने ब्रुनेई को पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान की।

  • 1986: प्यूर्टो रिको के ड्यूपॉंट प्लाजा होटल में भीषण आग लगने से 98 लोगों की जान गई।

  • 1993: अमेरिकी ट्रांस मैन ब्रैंडन टेना की हत्या हुई, जिससे अमेरिका में घृणा अपराध (Hate Crimes) कानूनों की मांग बढ़ी।

  • 1998: यूरोज़ोन में मुद्राओं की वैल्यू फ्रीज की गई और 'यूरो' को मान्यता देने का आधार बना।

  • 1999: बोरिस येल्तसिन ने रूसी राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया और व्लादिमीर पुतिन कार्यवाहक राष्ट्रपति बने।

  • 1999: पनामा ने आधिकारिक तौर पर पनामा नहर क्षेत्र का पूरा नियंत्रण अमेरिका से वापस ले लिया।

  • 2004: अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में एक नाइट क्लब में आग लगने से 175 लोगों की मौत हुई।

  • 2004: ताइवान में दुनिया की तत्कालीन सबसे ऊंची इमारत 'ताइपे 101' को खोला गया।

  • 2010: इटली ने पर्यावरण सुरक्षा के लिए प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया।

  • 2011: किम जोंग-उन को उत्तर कोरिया की सेना का सर्वोच्च कमांडर (Supreme Commander) नियुक्त किया गया।

  • 2012: एक रिसर्च में खुलासा हुआ कि अंतरिक्ष विकिरण अल्जाइमर रोग के खतरे को बढ़ा सकता है।

  • 2013: राष्ट्रपति पुतिन ने परंपरा तोड़ते हुए बाढ़ पीड़ितों के सम्मान में दो अलग-अलग नए साल के भाषण दिए।

  • 2014: चीन के शंघाई में नए साल के जश्न के दौरान मची भगदड़ में 36 लोग मारे गए।

  • 2014: इतालवी राष्ट्रपति जियोर्जियो नेपोलिटानो ने अपने कार्यकाल के बीच में ही इस्तीफे की घोषणा की।

आज का इतिहास से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें...

आज का इतिहास: सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर जानें उनके वल्लभ से सरदार बनने तक का सफर

आज का इतिहास: कैसे खड़ी हुई थी दुनिया की सबसे बड़ी आजादी की मशाल Statue of Liberty

आज का इतिहास: Cuban Missile Crisis 1962, जब दुनिया परमाणु युद्ध से सिर्फ एक कदम दूर थी

आज का इतिहास: भारत को पहला ओलंपिक मुक्केबाजी पदक दिलाने वाले विजेंदर सिंह का हुआ जन्म

आज का इतिहास ब्रिटिश क्वीन एलिजाबेथ East India Compony ईस्ट इंडिया कंपनी आज की तारीख का इतिहास आज की यादगार घटनाएं आज के दिन की कहानी
Advertisment