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आज के दिन की कहानी:आज हम उस महान शख्सियत की कहानी जानेंगे, जिन्हें हम सब 'लौह पुरुष' और 'राष्ट्रीय एकता के शिल्पकार' के तौर पर जानते हैं। हम बात कर रहे हैं सरदार वल्लभ भाई पटेल की, जिनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता झावेरभाई पटेल थे और माता लाडबाई थीं।
पटेल साहब का शुरुआती जीवन बहुत ही संघर्ष भरा था। वह बचपन से ही साहसी और मेहनती थे। उन्होंने अपनी पढ़ाई में भी खूब लगन दिखाई। वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने गोधरा, बोरसद और आणंद में सफल वकालत की। अपनी तेज बुद्धि और न्यायप्रिय स्वभाव के कारण उनकी गिनती बहुत जल्द बड़े वकीलों में होने लगी।
1910 में, वह वकालत की आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए और 1913 में भारत लौटे। लेकिन, उनकी नियति सिर्फ एक सफल वकील बनना नहीं थी, बल्कि वह भारत के स्वतंत्रता संग्राम की एक मजबूत नींव बनने वाले थे।
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सत्याग्रह से सरदार तक
पटेल साहब की लाइफ में टर्न अराउंड तब आया, जब वह महात्मा गांधी से जुड़े। गांधी जी के विचारों और आदर्शों ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि उन्होंने अपनी चलती-फिरती शानदार वकालत छोड़कर खुद को देश की आजादी के लिए समर्पित कर दिया।
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खेड़ा सत्याग्रह (1918): पहली बड़ी लीडरशिप
सरदार पटेल की लीडरशिप का पहला बड़ा टेस्ट खेड़ा सत्याग्रह में हुआ। गुजरात में फसल खराब होने के बावजूद ब्रिटिश सरकार किसानों से टैक्स वसूल रही थी। पटेल साहब ने गांधी जी के मार्गदर्शन में किसानों को अहिंसक विरोध के लिए संगठित किया। उनकी मजबूत इच्छाशक्ति और संगठन क्षमता के आगे ब्रिटिश सरकार को झुकना पड़ा और टैक्स वसूलने का फैसला वापस लेना पड़ा।
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बारडोली सत्याग्रह (1928): जब वे सरदार बने
वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel birth anniversary) की पहचान को 'सरदार' की उपाधि दिलाने वाला आंदोलन था बारडोली सत्याग्रह। सूरत जिले के बारडोली तालुका में ब्रिटिश सरकार ने किसानों पर अवैध तरीके से लगान बढ़ा दिया था।
पटेल साहब ने किसानों को इस अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए एकजुट किया। उनका संगठन कौशल और रणनीति इतनी दमदार थी कि आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा। बारडोली की महिलाओं ने उनकी अद्वितीय नेतृत्व क्षमता से प्रभावित होकर उन्हें 'सरदार' की उपाधि दी। तभी से वल्लभ भाई पटेल, सरदार वल्लभ भाई पटेल कहलाने लगे।
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आजाद भारत की सबसे बड़ी चुनौती
15 अगस्त 1947 को भारत को आज़ादी तो मिली, लेकिन उसके सामने एक बहुत बड़ी चुनौती खड़ी थी। लगभग 565 देसी रियासतों को भारतीय संघ में शामिल करना। इनमें से कई रियासतें खुद को आज़ाद रखना चाहती थीं। यह काम किसी साधारण नेता के बस का नहीं था। यहां काम आई सरदार पटेल की दृढ़ता, दूरदर्शिता और कूटनीति।
नीति और दृढ़ता:
सरदार पटेल, जो उस समय भारत के पहले उप प्रधानमंत्री (First Deputy Prime Minister of India) और गृह मंत्री थे। रियासतों के सामने "गाजर और छड़ी" की नीति रखी। उन्होंने 'इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन' के जरिए अधिकतर रियासतों को राजी कर लिया।
विलय के मास्टर:
उन्होंने प्यार से, बातचीत से और ज़रूरत पड़ने पर मजबूती से काम लिया। जूनागढ़, हैदराबाद और जम्मू और कश्मीर जैसी मुश्किल रियासतों को भी उन्होंने भारत में शामिल करवाया। जूनागढ़ को जनमत संग्रह से और हैदराबाद को पुलिस एक्शन (ऑपरेशन पोलो) के जरिए भारत का हिस्सा बनाया गया।
राष्ट्रीय एकता के प्रतीक:
उनकी इसी अद्वितीय सफलता के कारण, सरदार पटेल को राष्ट्रीय एकता और अखंडता का महान प्रतीक माना जाता है। अगर पटेल साहब नहीं होते, तो आज भारत का नक्शा कुछ और ही होता।
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सरदार पटेल की विरासत
सरदार वल्लभ भाई पटेल सिर्फ एक स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे, बल्कि वह एक महान प्रशासक भी थे। उन्होंने सिविल सेवाओं के महत्व को समझा और उन्हें "स्टील फ्रेम ऑफ इंडिया" कहा। पटेल साहब की विरासत आज भी हमें राष्ट्रीय एकता दिवस, जो उनके जन्मदिवस (31 अक्टूबर) पर मनाया जाता है, के रूप में याद दिलाई जाती है।
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गुजरात में बनी 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' उनकी विराट शख्सियत (सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती) और योगदान को समर्पित है, जो आज दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है। उनका जीवन हमें सिखाता है कि दृढ़ इच्छाशक्ति, मेहनत और देश के प्रति समर्पण ही किसी भी लक्ष्य को हासिल करने की असली चाभी है। उन्होंने "एक भारत, श्रेष्ठ भारत" का जो सपना देखा था, वह आज भी हर भारतीय के लिए एक प्रेरणा है।
References (स्रोत):
- Constituent Assembly Debates
- India Wins Freedom by Abul Kalam Azad
- The Story of the Integration of the Indian States by V. P. Menon
- Sardar Patel: The Man Who United India by Hindol Sengupta
31 अक्टूबर की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं
हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 31 अक्टूबर का दिन भी इतिहास (आज की यादगार घटनाएं) में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है।
इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 31 अक्टूबर (आज की तारीख का इतिहास) को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।
विश्व इतिहास की प्रमुख घटनाएं
1517: मार्टिन लूथर ने प्रोटेस्टेंट सुधार की शुरुआत करते हुए, जर्मनी के विटेनबर्ग में कैसल चर्च के दरवाज़े पर अपनी नब्बे-पंच थीसिस लगाई.
1759: फिलिस्तीन के साफेद में आए भूकंप से लगभग 100 लोगों की मौत हो गई थी.
1822: पहले मैक्सिकन साम्राज्य के सम्राट अगस्टिन डी इटर्बाइड ने मैक्सिकन कांग्रेस को भंग कर दिया था.
1914: प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन और फ्रांस ने तुर्की के खिलाफ युद्ध की घोषणा की.
1917: प्रथम विश्व युद्ध में मित्र देशों की सेना ने बेर्शेबा की लड़ाई में तुर्की सैनिकों को हराया, इसे 'इतिहास में अंतिम सफल घुड़सवार सेना' के रूप में जाना जाता है.
1941: अमेरिका में माउंट रशमोर पर जॉर्ज वॉशिंगटन, थॉमस जेफरसन, थियोडोर रूजवेल्ट और एब्राहम लिंकन के 60 फुट (18 मीटर) के बस्ट को पूरा किया गया.
1956: स्वेज नहर को फिर से खोलने के लिए ब्रिटेन और फ्रांस ने मिस्र पर बमबारी शुरू कर दी.
1973: प्रोविजनल आयरिश रिपब्लिकन आर्मी के तीन सदस्य हेलीकॉप्टर से जेल के यार्ड में उतरकर मौमोजा जेल से फरार हो गए थे.
1989: तुर्गत ओजल को तुर्की का राष्ट्रपति चुना गया.
1996: रासायनिक अस्त्र प्रतिबंध संधि को लागू करने के लिए आवश्यक 65 देशों की मंजूरी मिल गई.
1999: अटलांटिक महासागर में मिस्र के एएएआर फ्लाइट 990 के दुर्घटनाग्रस्त होने से विमान में सवार सभी 217 लोगों की मौत हो गई.
2003: मलेशियाई प्रधानमंत्री महाथिर मुहम्मद का 22 वर्ष लंबा शासन समाप्त हुआ.
2011: संयुक्त राष्ट्र ने घोषणा की कि दुनिया की आबादी अब सात अरब हो गई है.
2013: रासायनिक हथियारों के निषेध संगठन ने घोषणा की कि सीरिया ने 23 ज्ञात रासायनिक हथियारों की सुविधाओं में से 21 को नष्ट कर दिया है.
2015: रूसी एयरलाइन कोगलीमाविया का विमान 9268 उत्तरी सिनाई में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें सवार सभी 224 लोगों की मौत हो गई थी.
भारत की प्रमुख घटनाएं
1875: देश के पहले उप प्रधानमंत्री, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और लौह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म हुआ.
1943: भारतीय वैज्ञानिक और इसरो (ISRO) के भूतपूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नायर का जन्म हुआ.
1966: भारत के मशहूर तैराक मिहिर सेन ने पनामा नहर को तैरकर पार करके इतिहास रच दिया.
1984: भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके दो सिख सुरक्षा गार्डों ने उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी थी.
1984: इंदिरा गांधी की हत्या के बाद नई दिल्ली और देश के अन्य शहरों में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे, जिनमें लगभग 10,000 सिख मारे गए थे.
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