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आज की यादगार घटनाएं:28 अगस्त, 1963 की तारीख अमेरिकी इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गई। इस दिन, डॉ. मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने वाशिंगटन, डी.सी. में लिंकन मेमोरियल की सीढ़ियों से लाखों लोगों की भीड़ के सामने अपना अमर भाषण "आई हैव ए ड्रीम" (I Have a Dream) दिया।
यह भाषण न केवल अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना बल्कि इसने दुनियाभर में समानता और न्याय के लिए चल रहे संघर्षों को भी एक नई दिशा दी। आइए जानें इसके पीछे के इतिहास के बारे में...
ब्लैक कम्युनिटी की कहानी
इस भाषण को समझने के लिए हमें उस समय के अमेरिका की सोशल और पोलिटिकल सिचुएशन को समझना होगा। अमेरिकन हिस्ट्री के मुताबिक, 1960 के दशक में अमेरिका में अश्वेत लोगों (African Americans) के साथ नस्लीय भेदभाव और अलगाव अपनी चरम सीमा पर था।
भले ही गुलामी को दशकों पहले समाप्त कर दिया गया था लेकिन अश्वेत लोगों को अभी भी नागरिक अधिकारों से वंचित रखा जा रहा था। उन्हें स्कूलों, सार्वजनिक परिवहन, रेस्तरां और यहां तक कि वोट देने के अधिकार से भी दूर रखा जाता था। यह एक ऐसा समय था जब ब्लैक कम्युनिटी के पास कोई रियल फ्रीडम नहीं थी।
मार्टिन लूथर के स्पीच का बैकग्राउंड
डॉ. मार्टिन लूथर किंग जूनियर की "आई हैव ए ड्रीम" भाषण 'मार्च ऑन वाशिंगटन फॉर जॉब्स एंड फ्रीडम' (March on Washington for Jobs and Freedom) नामक एक विशाल विरोध प्रदर्शन का हिस्सा था।
इस मार्च का आयोजन कई नागरिक अधिकार संगठनों ने मिलकर किया था, जिसका उद्देश्य अश्वेत समुदाय के लिए रोजगार और नागरिक अधिकारों की मांग करना था।
जानकारी के मुताबिक 2 लाख 50 हजार से अधिक लोग, जिनमें श्वेत और अश्वेत दोनों शामिल थे वाशिंगटन डी.सी. में इकट्ठा हुए थे। इस विशाल जनसमूह ने लिंकन मेमोरियल की ओर मार्च किया जो अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन (Abraham Lincoln) को समर्पित है।
अब्राहम लिंकन वही थे जिन्होंने 100 साल पहले गुलामी को समाप्त करने की घोषणा की थी। इस ऐतिहासिक मार्च के दौरान, कई प्रसिद्ध नेताओं और कलाकारों ने भाषण दिए लेकिन डॉ. किंग का भाषण सबसे यादगार बन गया। उनका भाषण 16 मिनट लंबा था और इसे तुरंत ही दुनिया भर में सराहा गया।
भाषण का मुख्य संदेश और उद्देश्य
डॉ. किंग का भाषण मुख्य रूप से नस्लीय न्याय और समानता पर केंद्रित था। उन्होंने 1863 की मुक्ति उद्घोषणा (Emancipation Proclamation) का जिक्र करते हुए कहा कि 100 साल बाद भी अश्वेत लोग स्वतंत्र नहीं हैं।
उन्होंने इसे "प्रॉमिसरी नोट" (Promissory Note) कहा जिसे अमेरिका ने अपने सभी नागरिकों को समानता और न्याय की गारंटी देने का वादा किया था लेकिन अश्वेत लोगों के लिए यह वादा पूरा नहीं किया गया।
उन्होंने अपने भाषण में बार-बार 'मैं सपना देखता हूं' (I have a dream) फ्रेज का यूज किया। यह फ्रेज एक उम्मीद और आशा का प्रतीक बन गया। उनके कुछ फ्रेज हैं-
"I have a dream that one day this nation will rise up and live out the true meaning of its creed: 'We hold these truths to be self-evident, that all men are created equal.'"
- मेरा एक सपना है कि एक दिन यह देश उठेगा और अपने वास्तविक आदर्श को जीएगा: 'हम इन सच्चाइयों को स्वयं सिद्ध मानते हैं, कि सभी मनुष्य समान बनाए गए हैं।'
"I have a dream that my four little children will one day live in a nation where they will not be judged by the color of their skin but by the content of their character."
- मेरा एक सपना है कि मेरे चार छोटे बच्चे एक दिन ऐसे राष्ट्र में रहेंगे, जहाँ उन्हें उनकी चमड़ी के रंग से नहीं, बल्कि उनके चरित्र की गुणवत्ता से आंका जाएगा।
"I have a dream that one day on the red hills of Georgia, the sons of former slaves and the sons of former slave owners will be able to sit down together at the table of brotherhood."
- मेरा एक सपना है कि एक दिन जॉर्जिया की लाल पहाड़ियों पर, पूर्व दासों के बेटे और पूर्व दास मालिकों के बेटे भाईचारे की मेज पर एक साथ बैठ सकेंगे।
ये शक्तिशाली शब्द डॉ. किंग के अहिंसक दृष्टिकोण और एक ऐसे भविष्य की उनकी कल्पना को दर्शाते थे जहां नस्लवाद का कोई स्थान नहीं होगा।
उन्होंने भीड़ को हिंसा से दूर रहने और शांतिपूर्ण विरोध जारी रखने का आग्रह किया। उनका मानना था कि केवल अहिंसा के माध्यम से ही सच्ची जीत हासिल की जा सकती है।
भाषण का इम्पैक्ट और लिगेसी
"आई हैव ए ड्रीम" भाषण ने अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन को एक नई ऊर्जा दी। इस भाषण को टेलीविजन और रेडियो पर व्यापक रूप से प्रसारित किया गया, जिससे इसका संदेश देश भर के लाखों लोगों तक पहुंचा। इसने अमेरिका के लोगों की अंतरात्मा को झकझोर दिया और नस्लीय समानता के लिए जन समर्थन को मजबूत किया।
इस भाषण के एक साल बाद, 1964 का नागरिक अधिकार अधिनियम (Civil Rights Act of 1964) पास किया गया। इस अधिनियम ने नस्ल, रंग, धर्म, लिंग या राष्ट्रीय मूल के आधार पर भेदभाव को अवैध बना दिया।
इसके अलावा, 1965 में वोटिंग अधिकार अधिनियम (Voting Rights Act) भी पास किया गया, जिसने अश्वेत लोगों के वोट देने के अधिकार को सुरक्षित किया।
यह भाषण केवल अमेरिका तक ही सीमित नहीं था, बल्कि इसने दुनियाभर में मानवाधिकारों के लिए चल रहे आंदोलनों को भी प्रेरित किया। नेल्सन मंडेला से लेकर दलाई लामा तक, कई विश्व नेताओं ने डॉ. किंग के इस भाषण को प्रेरणा का स्रोत बताया।
कौन थे डॉ. मार्टिन लूथर
डॉ. मार्टिन लूथर किंग जूनियर एक अमेरिकी पास्टर और एक्टिविस्ट थे, जो अमेरिका में नागरिक अधिकार आंदोलन (Civil Rights Movement) के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं।
उनका जन्म 15 जनवरी, 1929 को जॉर्जिया के अटलांटा में हुआ था। उन्होंने अश्वेत लोगों के लिए समानता और न्याय की लड़ाई लड़ी। उनकी सोच महात्मा गांधी के अहिंसक प्रतिरोध (non-violent resistance) से प्रेरित थी।
किंग का सबसे फेमस भाषण "आई हैव ए ड्रीम" है, जो उन्होंने 1963 में दिया था। इसमें उन्होंने एक ऐसे अमेरिका का सपना देखा था, जहां लोगों को उनके रंग से नहीं, बल्कि उनके करैक्टर से जज किया जाए।
उनके प्रयासों से 1964 का नागरिक अधिकार अधिनियम (Civil Rights Act) और 1965 का वोटिंग अधिकार अधिनियम (Voting Rights Act) पास हुआ।
1964 में उन्हें शांति का नोबेल पुरस्कार भी मिला था। 4 अप्रैल, 1968 को उनकी हत्या कर दी गई, लेकिन उनकी विरासत आज भी दुनिया भर में समानता और न्याय के लिए लोगों को इंस्पायर करती है।
आज की तारीख का इतिहास
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क्यों याद रखा जाना चाहिए 28 अगस्त का दिन
विश्व के नजरिए से
मार्टिन लूथर किंग जूनियर का ऐतिहासिक भाषण: 1963 में मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने वाशिंगटन डीसी में एक ऐतिहासिक भाषण दिया, जिसे "आई हैव ए ड्रीम" के नाम से जाना जाता है, जिसमें उन्होंने नस्लीय समानता और न्याय की मांग की।
हैलीकॉम्टर दुर्घटना और रैमस्टीन एयर शो आपदा: 1988 में जर्मनी के रैमस्टीन एयरबेस पर एक एयर शो के दौरान तीन इतालवी विमानों की टक्कर में 70 लोग मारे गए थे।
हैरीटेज पॉवर ब्लैकआउट: 2003 में लंदन में एक बड़ा पॉवर ब्लैकआउट हुआ, जिससे 500,000 से अधिक लोग प्रभावित हुए
भारत के नजरिए से
भारतीय महिला ग्रैंडमास्टर: 1986 में भाग्यश्री साठे भारत की पहली महिला ग्रैंडमास्टर बनीं।
करनवीर बोहरा का जन्मदिन: 1982 में भारतीय अभिनेता और निर्माता करनवीर बोहरा का जन्म हुआ था।
फिराक गोरखपुरी का जन्मदिन: 1896 में प्रसिद्ध उर्दू कवि फिराक गोरखपुरी का जन्म हुआ था।
Reference Link:
- National Archives (US)- https://www.archives.gov
- American Rhetoric- https://www.americanrhetoric.com
- The King Center- https://www.thekingcenter.org
- History.com- https://www.history.com
- Martin Luther King Jr. Papers Project- https://kinginstitute.stanford.edu