/sootr/media/media_files/2025/12/02/bhopal-gas-tragedy-2025-12-02-17-11-27.jpg)
आज के दिन की कहानी: ये कहानी है 1984 की सर्द रात की। इसने मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल को हमेशा के लिए बदल दिया। 2 दिसंबर की रात और 3 दिसंबर की सुबह के बीच, भोपाल के लोग गहरी नींद में सो रहे थे। शहर के बीचों-बीच स्थित यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (UCIL) का कीटनाशक संयंत्र भी शांत था।
इस फैक्टरी में सेविन नाम का एक पॉपुलर कीटनाशक बनाया जाता था। लेकिन, किसी को अंदाजा नहीं था कि इस शांति के पीछे एक भयंकर हादसा इंतजार कर रहा है। आधी रात के बाद, लगभग 12:30 बजे फैक्टरी में रखे एक विशाल टैंक E610 में हलचल शुरू हुई।
/filters:format(webp)/sootr/media/media_files/2025/12/02/bhopal-gas-kand-2025-12-02-11-50-20.jpg)
जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट
इस टैंक में बेहद जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट (Methyl Isocyanate) भरी हुई थी। इसका इस्तेमाल कीटनाशक बनाने में होता था। टैंक के अंदर दबाव अचानक बहुत बढ़ गया। टैंक का तापमान 5 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए था। लेकिन वो बढ़कर 200 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा हो गया था। शायद किसी ने ये सोचा भी नहीं था कि ये प्लांट लापरवाही और मिस मैनेजमेंट के चलते एक दिन तबाही का कारण बनेगा। आइए आगे जानते हैं इस त्रासदी की पूरी कहानी...
/sootr/media/post_attachments/media/2019/12/35-years-of-bhopal-gas-tragedy-disastrous-history-victims-government-photos1_730X365-392563.jpg)
गैस लीक के बाद दिखा तबाही का मंजर
फैक्टरी के अंदर लगातार हो रही लापरवाही और सुरक्षा नियमों की अनदेखी ने इस भयानक हादसे को जन्म दिया। टैंक के अत्यधिक गर्म होने और दबाव बढ़ने से, MIC गैस वॉल्व टूट गया। पलक झपकते ही, लगभग 40 टन से ज्यादा जहरीली गैस का रिसाव हवा में होने लगा। ये गैस हवा से हल्की थी इसलिए वह तेजी से आस-पास के घनी आबादी वाले इलाकों की तरफ फैल गई।
/sootr/media/post_attachments/aajtak/images/story/202507/68634abd95b0a-bhopal-gas-tragedy-014055914-16x9-749563.jpg?size=1200:675)
गहरी नींद में सोए लोगों की आंखों और गले में तेज जलन होने लगी। उन्हें लगा जैसे उनकी सांस रुक रही हो। लोग खांसते हुए और आंखें मलते हुए घरों से बाहर भागे। चारों तरफ जहरीले धुएं का कोहरा छाया हुआ था। लोगों को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। वे बस जान बचाने के लिए भाग रहे थे। यह मंजर इंसानी इतिहास की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी (World's Largest Industrial Disaster) का था।
/bansal-news/media/post_attachments/PRD_BansalNews/bhopaldisater.webp)
मानवीय नुकसान और लॉन्ग टर्म इफेक्ट
इस त्रासदी ने भोपाल को कब्रिस्तान में बदल दिया। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, कुछ ही घंटों में 3 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। लेकिन गैर-सरकारी स्रोतों का दावा है कि पहले कुछ ही दिनों में 15 हजार से 20 हजार लोगों ने अपनी जान गंवाई। लाखों लोग जिनमें बच्चे भी शामिल थे, गंभीर रूप से घायल हुए।
इस जहरीली गैस का असर आज तक खत्म नहीं हुआ है। आज भी कई लोग सांस की गंभीर बीमारियों, आंखों की रोशनी खोने और कैंसर जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। सबसे दुखद बात ये है कि गैस प्रभावित क्षेत्रों में विकलांग बच्चों का जन्म आज भी हो रहा है। कंपनी की लापरवाही और पर्यावरण में छोड़ा गया जहर अभी भी भूमिगत जल को प्रदूषित कर रहा है।
/sootr/media/post_attachments/2018/08/bhopal-gas-tragedy-200010.jpg?w=440)
कानूनी लड़ाई और इंसाफ का संघर्ष
इस हादसे के बाद एक लंबी और जटिल कानूनी लड़ाई शुरू हुई। मुख्य मुद्दा था कि इस आपदा के लिए जिम्मेदार कौन है? भारत सरकार ने यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन (UCC) और उसके अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दायर किया। 1989 में सरकार और UCC के बीच एक समझौता हुआ। इसके तहत कंपनी ने पीड़ितों को 470 मिलियन डॉलर (लगभग 47 करोड़ डॉलर) का मुआवजा देने पर सहमति जताई।
/filters:format(webp)/sootr/media/media_files/2025/12/02/bhopal-gas-kand-2025-12-02-13-44-11.jpg)
कई लोगों ने इस राशि को अपर्याप्त बताया। UCC के तत्कालीन चेयरमैन वॉरेन एंडरसन को मुख्य आरोपी बनाया गया। लेकिन वो कभी भारत नहीं लौटे। उनके भारत से बच निकलने को आज भी एक बड़ी विफलता माना जाता है। पीड़ितों को न्याय दिलाने का संघर्ष आज भी जारी है।
भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) हमेशा औद्योगिक सुरक्षा और कॉर्पोरेट जिम्मेदारी के मामले में एक डरावनी चेतावनी बनी रहेगी। आज भी भोपाल में उस जहरीले प्लांट का कचरा मौजूद है, जो भूजल को दूषित कर रहा है। इससे लोगों की मुश्किलें और बढ़ रही हैं।
References
- Government Records: Official reports from the Government of India and Madhya Pradesh on casualty and relief efforts.
- Amnesty International Reports: Reports highlighting the ongoing environmental and human rights issues related to the disaster.
- UCIL Documents: Technical documents and inquiry reports detailing the tank failure and safety lapses.
- Bhopal Gas Case, Peedit Mahila Udyog Sangathan: Testimonies and documentation from the victim support groups.bhopal gas tragedy 1984 (bhopal gas disaster)
03 दिसंबर की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं
हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 03 दिसंबर का दिन भी इतिहास (आज की यादगार घटनाएं) में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है।
इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 03 दिसंबर (आज की तारीख का इतिहास) को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।
विश्व इतिहास की प्रमुख घटनाएं
1469: इटली के विख्यात राजनेता और इतिहासकार निकोलो मैक्यावेले का फ़लोरेन्स नगर में जन्म हुआ।
1730:कोले सिब्बर को जॉर्ज द्वितीय के तहत ब्रिटिश कवि पुरस्कार विजेता नियुक्त किया गया।
1792:जॉर्ज वॉशिंगटन संयुक्त राज्य अमेरिका के पहले राष्ट्रपति चुने गए।
1800: जनरल जीन मोरे के नेतृत्व में फ्रांसीसी सेनाओं ने ऑस्ट्रियाई और बवेरियन सेनाओं को हराकर, ऑस्ट्रियाई लोगों को एक हथियार पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया।
1818:इलिनोइस को 21वें अमेरिकी राज्य के रूप में स्वीकार किया गया।
1828:एंड्रयू जैक्सन अमेरिका के सातवें राष्ट्रपति चुने गए।
1834:ज़ोलवेरिन जर्मनी में पहली बार नियमित जनगणना स्थापित की गई।
1854: ऑस्ट्रेलिया के बल्लारत में यूरेका स्टॉकडे में माइनरिंग पर हिंसक झड़पों में कम से कम 22 लोग मारे गए।
1904: बृहस्पति के सबसे बड़े अनियमित उपग्रह हिमालिया की खोज खगोलशास्त्री चार्ल्स डिलन पेरिन ने की थी।
1910: फ्रांसीसी भौतिकशास्त्री जॉर्जेज क्लाउड द्वारा विकसित विश्व के पहले नियॉन लैम्प का पहली बार पेरिस मोटर शो में प्रदर्शन हुआ।
1915: भूटान और अरुणाचल प्रदेश में 6.5 तीव्रता वाले भूकंप से 170 लोगों की जान गयी।
1927: कॉमेडी जोड़ी लॉरेल और हार्डी की विशेषता वाली पहली आधिकारिक फिल्म रिलीज़ हुई।
1948: पूर्वी चीन सागर में चीनी शरणार्थी जहाज कियांग्या में विस्फोट होने से 1,100 लोगों की मौत हुई।
1951:लेबनान विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी।
1959:सिंगापुर के वर्तमान ध्वज को अपनाया गया।
1960: प्रसिद्ध म्यूजिकल कैमलॉट ब्रॉडवे पर खुला, जो जॉन एफ कैनेडी की प्रेजिडेंसी से जुड़ा।
1967: कार्डियक सर्जन क्रिस्टियान बर्नार्ड ने दक्षिण अफ्रीका में पहला मानव हृदय प्रत्यारोपण किया।
1967: इंडोनेशिया के पूर्व राष्ट्रपति सुकर्णो नजरबंद किये गए।
1976:पैट्रिक हिलेरी आयरलैंड के 6वें राष्ट्रपति के रूप में निर्विरोध चुने गए।
1979: दो दिवसीय जनमत संग्रह के परिणामों के अनुसार, इस्लामी गणतंत्र ईरान के वर्तमान संविधान को अपनाया गया।
1992: तेल टैंकर एजियन सियरन गैलिसिया, स्पेन के तट पर घिर गया, जिससे 67,000 टन कच्चा तेल फैल गया।
1997: 121 देशों के प्रतिनिधियों ने ओटावा संधि पर हस्ताक्षर करके एंटी-पर्सनल लैंडमाइन (भूमि खदानों) के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया।
1999: नासा ने मार्स पोलर लैंडर के साथ संपर्क खो दिया था।
2005: पाकिस्तान ने दावा किया कि उन्होंने अफगानिस्तान की सीमा पर लड़ाई में अल-कायदा के कमांडर अबू हमजा राबिया की हत्या कर दी है।
2012: फिलीपींस में 'भूफा' तूफान से कम से कम 475 लोगों की मौत हुई।
2014:ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने भ्रष्टाचार परिकल्पना जारी की, जिसमें डेनमार्क ने सबसे ऊपर की रैंकिंग हासिल की।
भारत की महत्वपूर्ण घटनाएं
1751: भारत में आर्नी की लड़ाई (दूसरा कर्नाटक युद्ध) में रॉबर्ट क्लाईव की ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने फ्रैंको-भारतीय सेना को हराया।
1884: भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद का जन्म बिहार के जीरादेई में हुआ।
1971: भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू।
1984: भारत के भोपाल में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड कीटनाशक संयंत्र से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस लीक हुई, जिससे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदा हुई (भोपाल गैस त्रासदी)।
2004: भारत और पाकिस्तान मुनाबाव और खोखरापार के बीच रेल संपर्क फिर से बहाल करने पर सहमत हुए।
आज का इतिहास से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें...
आज का इतिहास: कैसे खड़ी हुई थी दुनिया की सबसे बड़ी आजादी की मशाल Statue of Liberty
आज का इतिहास : 30 हजार राजपूतों की शहादत की तारीख है 26 अगस्त
आज का इतिहास: Cuban Missile Crisis 1962, जब दुनिया परमाणु युद्ध से सिर्फ एक कदम दूर थी
/sootr/media/agency_attachments/dJb27ZM6lvzNPboAXq48.png)
Follow Us