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आज के दिन की कहानी:यह कहानी सिर्फ एक देश की आजादी की नहीं, बल्कि लाखों लोगों की आशा और भारत के अटल समर्थन की है। साल 1971 में, जब पूर्वी पाकिस्तान में अत्याचारों की इंतहा हो गई, तब भारत ने मानवता की आवाज सुनी। 3 दिसंबर को शुरू हुए युद्ध के बीच, 6 दिसंबर 1971 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एक साहसिक फैसला लिया।
उन्होंने बांग्लादेश को संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता देकर दुनिया को साफ बता दिया कि भारत लोकतंत्र और मानवीय मूल्यों के साथ खड़ा है। यह ऐतिहासिक घोषणा केवल एक राजनयिक मुहर नहीं थी। बल्कि भारत-बांग्लादेश मैत्री की नींव थी, जिसने 16 दिसंबर को जीत का रास्ता खोल दिया।
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के सीनियर फेलो सुशांत सरीन भी इस बात से सहमत थे। पाकिस्तान कभी भी स्वीकार नहीं करना चाहता कि बांग्लादेश का बनना उसके अत्याचार की कहानी है। आइए जानें...
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मुक्ति संग्राम की बैकग्राउंड और मानवीय संकट
1971 में जिसे हम आज बांग्लादेश कहते हैं वह पाकिस्तान का ही एक हिस्सा था। इसे पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था। सत्ता और शक्ति का केंद्र पश्चिमी पाकिस्तान में था। इसके कारण पूर्वी पाकिस्तान के लोगों को लगातार भेदभाव और दमन झेलना पड़ रहा था। शेख मुजीब-उर रहमान के नेतृत्व में उनकी पार्टी अवामी लीग ने 1970 के चुनावों में बहुमत हासिल किया। लेकिन, पश्चिमी पाकिस्तान की सैन्य सरकार ने उन्हें सत्ता सौंपने से इनकार कर दिया।
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इसके जवाब में, पूर्वी पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। 25 मार्च 1971 को पाकिस्तानी सेना ने ऑपरेशन सर्चलाइट (Operation Searchlight) शुरू किया। ये इतिहास के सबसे क्रूर नरसंहारों में से एक था। लाखों लोग मारे गए और लगभग एक करोड़ शरणार्थी जान बचाकर भारत के पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और मेघालय जैसे राज्यों में आ गए। यह शरणार्थी संकट भारत के लिए असहनीय आर्थिक और सामाजिक बोझ बन चुका था। इसके साथ ही, सुरक्षा का खतरा भी लगातार बढ़ रहा था।
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युद्ध की शुरुआत और निर्णायक कदम
भारत ने शुरू से ही पूर्वी पाकिस्तान के लोगों के न्याय के लिए आवाज उठाई। भारतीय सेना ने मुक्ति वाहिनी को प्रशिक्षण और हथियार देकर समर्थन देना शुरू कर दिया था। 3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान ने पश्चिमी सीमा पर भारतीय हवाई अड्डों पर अचानक हमला कर दिया। इस हमले के साथ ही भारत-पाकिस्तान युद्ध (Indo-Pak War) की औपचारिक शुरुआत हो गई।
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भारत ने तुरंत युद्ध का जवाब दिया और पूर्वी तथा पश्चिमी दोनों मोर्चों पर जवाबी कार्रवाई शुरू की। जब युद्ध शुरू हुआ, तब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तत्काल निर्णय लिया। 6 दिसंबर 1971 को भारतीय संसद में यह ऐतिहासिक घोषणा की गई कि भारत अब बांग्लादेश को एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता देता है।
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अंतर्राष्ट्रीय मंच पर मान्यता का प्रभाव
भारत की यह मान्यता सिर्फ एक घोषणा नहीं थी, बल्कि यह बांग्लादेश के संघर्ष के लिए एक बड़ा मोड़ था। इस घोषणा से मुक्ति वाहिनी और बांग्लादेशी लोगों का आत्मविश्वास चरम पर पहुंच गया। भारत के इस साहसी कदम ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पर भी दबाव बनाया। सोवियत संघ (Soviet Union) ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) में भारत के पक्ष में वीटो का इस्तेमाल किया।
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यह मान्यता मिलने के बाद, भारतीय सेना ने ढाका की ओर तेजी से कदम बढ़ाए। भारतीय सेना और मुक्ति वाहिनी के संयुक्त प्रयास के सामने पाकिस्तानी सेना टिक नहीं पाई। अंततः 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना के प्रमुख ने 93,000 सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण किया। यह बांग्लादेश के जन्म का ऐतिहासिक क्षण था, जिसकी नींव 6 दिसंबर को भारत ने रखी थी।
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भारत-बांग्लादेश मैत्री का मजबूत स्तंभ
6 दिसंबर का दिन अब बांग्लादेश में 'मैत्री दिवस' (Maitri Diwas) के रूप में मनाया जाता है। यह भारत और बांग्लादेश के बीच खून के रिश्ते का प्रतीक है। भारत की मान्यता ने बांग्लादेश को वैश्विक मानचित्र पर एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई।
यह ऐतिहासिक कदम बताता है कि भारत हमेशा लोकतंत्र, न्याय और मानवीय गरिमा के सिद्धांतों के पक्ष में खड़ा रहा है। आज भी भारत और बांग्लादेश के द्विपक्षीय संबंध (Bilateral Relations) मजबूत हैं, जिसकी नींव इसी ऐतिहासिक तारीख को पड़ी थी।
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नया राष्ट्र, नई सुबह
6 दिसंबर 1971 को भारत ने आधिकारिक तौर पर बांग्लादेश को एक संप्रभु और स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता प्रदान की थी। यह मान्यता उस समय दी गई जब 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध चल रहा था। यह कदम बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम को अंतर्राष्ट्रीय समर्थन देने की दिशा में एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ। इस कदम के बाद भारत पहला देश बन गया था जिसने बांग्लादेश को मान्यता दी। सिर्फ 13 दिनों तक चला ये युद्ध इतिहास के सबसे छोटे युद्धों में से एक था।
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16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल नियाजी ने ढाका में भारतीय सेना और मुक्ति वाहिनी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इस ऐतिहासिक दिन के साथ ही बांग्लादेश का जन्म हुआ। भारत का यह फैसला लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए एक बड़ी जीत थी। भारत ने सिर्फ एक पड़ोसी को आजाद कराने में मदद नहीं की। बल्कि उसने अपने देश की अखंडता और सुरक्षा को भी सुनिश्चित किया। बांग्लादेश और भारत के संबंध आज भी गहरे और मैत्रीपूर्ण हैं, जिसकी नींव इसी ऐतिहासिक घटना ने रखी थी।
Reference Links
- India Ministry of External Affairs: 1974 Tripartite Agreement
- BBC News: Bangladesh-India Relations and 1971 War
- Organization of Islamic Cooperation (OIC) Records on 1974 Lahore Summit
06 दिसंबर की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं
हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 06 दिसंबर का दिन भी इतिहास (आज की यादगार घटनाएं) में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है।
इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 06 दिसंबर (आज की तारीख का इतिहास) को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।
1060: बेला प्रथम चैंपियन को हंगरी का राजा घोषित किया गया था।
1723: सम्राट कैरेल ने छठी व्यावहारिक संविधान की घोषणा की थी।
1724: लंदन में कॉली सिब्बेर के नाटक "सीज़र इन मिस्र" का प्रीमियर हुआ।
1768: एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका का पहला संस्करण प्रकाशित किया गया।
1774: ऑस्ट्रिया राजकीय शिक्षा व्यवस्था लागू करने वाला पहला देश बना।
1848: फ्रांज श्लिक के नेतृत्व में ऑस्ट्रियाई सेना ने हंगरी पर हमला किया।
1865: अमेरिकी संविधान में तेरहवें संशोधन की पुष्टि के बाद दासता को आधिकारिक रूप से समाप्त कर दिया गया।
1877: पहली बार मनुष्य की आवाज रिकॉर्ड हुई, थॉमस एडिसन ने 'मैरी हैड अ लिटिल लैम्ब' कहा।
1897: लंदन दुनिया का पहला लाइसेंस प्राप्त टैक्सीकैब की मेजबानी करने वाला शहर बना।
1907: अमेरिका के मोनोंगह शहर में एक कोयला खदान विस्फोट में 362 कर्मचारी मारे गए।
1917: हेलीफैक्स हार्बर, कनाडा में जहाजों की टक्कर से इतिहास का दूसरा सबसे बड़ा मानव निर्मित विस्फोट हुआ।
1917: फिनलैंड की सीनेट ने आधिकारिक तौर पर रूस से देश की आजादी की घोषणा की।
1921: एंग्लो-आयरिश संधि पर हस्ताक्षर हुए, जिससे आयरिश फ्री स्टेट की स्थापना हुई।
1928: कोलम्बियाई सेना ने संयुक्त फल कंपनी के हड़ताली कर्मचारियों को दबा दिया।
1953: व्लादिमीर नाबोकोव ने अपना विवादास्पद उपन्यास 'लोलिता' पूरा किया।
1958: इटली में विश्व की सबसे लम्बी और महत्वपूर्ण सुरंग बनाने का काम आरंभ हुआ।
1978: स्पेन के लोगों ने जनमत संग्रह में एक नए संविधान को मंजूरी देकर लोकतंत्र की स्थापना की।
1988: ऑस्ट्रेलियाई राजधानी क्षेत्र को स्व-शासन प्रदान किया गया।
1989: मॉन्ट्रियल के इकोले पॉलिटेक्निक में 25 वर्षीय मार्क लेपाइन ने चौदह महिलाओं की हत्या कर आत्महत्या कर ली।
1998: ह्यूगो शावेज वेनेजुएला के राष्ट्रपति चुने गए थे।
2006: नासा द्वारा सामने आई तस्वीरों से साबित हुआ कि मंगल ग्रह पर पिछले 7 सालों में पानी बहा है।
2012: मिस्र में विरोध प्रदर्शन के दौरान सात लोग मारे गए और 770 घायल हुए।
भारत की प्रमुख घटनाएं
1907: भारत के स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित डकैती की पहली घटना चिंगरीपोटा रेलवे स्टेशन पर हुई।
1987: मिग 29 भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ, इसे 'बाज' नया नाम दिया गया।
2011: भारतीय रिजर्व बैंक ने बढ़ते वैश्विक आर्थिक संकट के कारण ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कमी की।
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