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आजकल की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में जहां हम अपनी फिजिकल हेल्थ का बहुत ध्यान रखते हैं, वहीं एक चीज अक्सर पीछे छूट जाती है। वो है हमारी मानसिक स्वास्थ्य यानी मेंटल हेल्थ। हम अक्सर शरीर की चोट तो देख लेते हैं लेकिन मन पर लगे घाव को नजरअंदाज कर देते हैं।
इसी अनदेखी और चुप्पी को तोड़ने के लिए हर साल 10 अक्टूबर को दुनियाभर में एक खास दिन मनाया जाता है: विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (World Mental Health Day)। यह सिर्फ एक तारीख नहीं है बल्कि एक ग्लोबल आंदोलन है, एक आवाज है जो हमें याद दिलाती है कि हमारा मन भी उतना ही जरूरी है जितना हमारा शरीर।
सफर की शुरुआत: 1992 की एक छोटी पहल
यह कहानी शुरू होती है 1992 से। उस समय, मानसिक बीमारी के बारे में बात करना एक बहुत बड़ा टैबू माना जाता था। लोग डरते थे, शर्मिंदा होते थे और इसी वजह से जिन्हें मदद की जरूरत थी, वे चुपचाप सफर करते रहते थे। तभी, वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ ने एक बड़ा कदम उठाया।
यह एक ग्लोबल मानसिक स्वास्थ्य संगठन है, जिसके दुनियाभर के 150 से ज्यादा देशों में सदस्य हैं। WFMH के तत्कालीन उप-महासचिव रिचर्ड हंटर की पहल पर, 10 अक्टूबर 1992 को पहला विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया गया।
शुरुआत के दो साल तक, इस दिन का कोई खास थीम नहीं होता था; इसका मकसद बस लोगों के बीच जागरूकता फैलाना था। फिर 1994 में, तत्कालीन महासचिव यूजीन ब्रॉडी के सुझाव पर, पहली बार एक थीम रखी गई: "Improving the Quality of Mental Health Services throughout the World" (दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार)।
तब से हर साल यह दिन एक नई थीम के साथ मनाया जाता है और इसका मकसद यही है कि मानसिक स्वास्थ्य को एक ग्लोबल प्रायोरिटी बनाया जा सके।
भारत में मानसिक स्वास्थ्य का कड़वा सच
भारत जैसे बड़े और तेजी से बढ़ते देश के लिए मानसिक स्वास्थ्य का मुद्दा और भी गंभीर है। हमें अक्सर लगता है कि ये सब वेस्टर्न प्रॉब्लम है पर WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) और हमारे राष्ट्रीय अध्ययन कुछ और ही कहानी बताते हैं। डब्ल्यूएचओ (WHO) और राष्ट्रीय रिपोर्ट से आंकड़े कहती है कि,
बड़ी आबादी पर असर:
राष्ट्रीय अध्ययनों के मुताबिक, भारत की लगभग 15% वयस्क आबादी को किसी न किसी तरह के मानसिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप (Mental Health Intervention) की जरूरत है। 2017 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में लगभग 19.73 करोड़ लोग मानसिक विकार से पीड़ित थे।
इलाज में भारी गैप (Treatment Gap):
ये सबसे दुःख की बात है। जागरूकता की कमी, सामाजिक कलंक और प्रोफेशनल्स की भारी कमी के कारण मानसिक विकार वाले 70% से 92% लोगों को सही इलाज मिल ही नहीं पाता।
मनोचिकित्सकों की कमी:
WHO प्रति एक लाख लोगों पर कम से कम 3 मनोचिकित्सकों की सिफारिश करता है, लेकिन भारत में यह आंकड़ा केवल 0.75 प्रति 100,000 है। यानी, डॉक्टर और मरीज के बीच जमीन-आसमान का फासला है।
आर्थिक नुकसान:
मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के कारण भारत को 2012 से 2030 के बीच 1.03 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुमानित आर्थिक नुकसान होने का खतरा है।
ये आंकड़े बताते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य सिर्फ एक पर्सनल प्रॉब्लम नहीं है, बल्कि एक गंभीर राष्ट्रीय संकट है जिस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है।
डिजिटल दुनिया का तनाव
अगर किसी पीढ़ी को मानसिक स्वास्थ्य संकट ने सबसे ज्यादा घेरा है, तो वह है Gen Z (जो 1997 से 2012 के बीच पैदा हुए)। ये वो बच्चे हैं जो दुनिया में आंख खोलते ही एक ऐसी दुनिया में आ गए जहां इंटरनेट, सोशल मीडिया और ग्लोबल इवेंट्स का शोर चौबीस घंटे है। साइकोलोजिस्ट के मुताबिक, Gen Z आज कई नई और गहरी चुनौतियों से जूझ रहा है:
सोशल मीडिया का प्रेशर
Gen Z के लिए, सोशल मीडिया सिर्फ एक मज़ा नहीं, बल्कि एक कंपेरिजन कल्चर बन गया है।
परफेक्शन का बोझ:
हर कोई अपनी "Perfect Life" की हाईलाइट रील दिखाता है। जब Gen Z उसे देखते हैं, तो उन्हें लगता है कि उनकी अपनी जिंदगी फेलियर है। यह लगातार तुलना उन्हें लो-सेल्फ-एस्टीम और एंजायटी देती है।
ऑनलाइन हैरेसमेंट:
साइबरबुलीइंग स्कूल की घंटी बजने के बाद खत्म नहीं होती। ऑनलाइन बदमाशी 24/7 चल सकती है, जिसकी वजह से तनाव और अकेलापन बहुत बढ़ जाता है।
करियर और आर्थिक चिंता
Gen Z एक अस्थिर आर्थिक माहौल में बड़े हुए हैं। उन्हें लगता है कि उन्हें बाकी पीढ़ियों से ज़्यादा मेहनत करनी पड़ेगी, लेकिन रिजल्ट कम मिलेंगे।
ओवर-अचीवमेंट का डर:
उन्हें लगता है कि अगर उन्होंने टॉप कॉलेज या हाई-पेइंग जॉब हासिल नहीं की, तो वे फेल हो जाएंग। यह हायर एक्सपेक्टेशन्स, हायर स्ट्रेस का चक्र उन्हें बर्नआउट की ओर ले जाता है।
इम्पोस्टर सिंड्रोम:
यह महसूस करना कि आप अपनी सफलता के लायक नहीं हैं, इसे इम्पोस्टर सिंड्रोम कहते हैं। डिजिटल दुनिया की वजह से यह फीलिंग बहुत कॉमन हो गई है।
- रियल-लाइफ डिस्कनेक्ट
Gen Z भले ही सबसे ज्यादा कनेक्टेड पीढ़ी हो, लेकिन कंट्राडिक्शन यह है कि वे सबसे ज्यादा अकेलापन महसूस करते हैं। फोन पर चैट करना, असली इंसान से बात करने का मजा नहीं दे सकता। असली,कंट्राडिक्शन की कमी उन्हें इमोशनली कमजोर बनाती है।
एक्सपर्ट की राय से मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाएं
अगर हम इस संकट से बाहर निकलना चाहते हैं, तो हमें बड़े और छोटे, दोनों लेवल पर काम करना होगा। भारत में मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रहे एक्सपर्ट्स के हिसाब से ये कुछ ठोस उपाय हैं:
जागरूकता बढ़ाना और कलंक मिटाना
सबसे पहला कदम है मानसिक बीमारी से जुड़ी शर्म और डर को खत्म करना।
स्कूलों में शिक्षा:
स्कूलों और कॉलेजों में मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा को सिलेबस का हिस्सा बनाना चाहिए, जैसे हम गणित या विज्ञान पढ़ाते हैं।
खुली बातचीत:
परिवार, दोस्तों और कार्यस्थलों पर खुलकर बात करने का माहौल बनाना। अगर कोई कहे कि वह उदास है, तो उसे मजाक में न उड़ाएं, बल्कि सहानुभूति दिखाएं।
सेवाओं को सुलभ बनाना
जब किसी को मदद की जरूरत हो, तो उसे मिलनी चाहिए, चाहे वह शहर में हो या गांव में।
टेली-मानस को मजबूत करना:
सरकार की ओर से शुरू की गई टेली-मानस जैसी हेल्पलाइन सेवाओं को और ज्यादा प्रचारित और मजबूत करना चाहिए ताकि ग्रामीण इलाकों तक भी मदद पहुंच सके।
Gen Z के लिए डिजिटल डिटॉक्स
Gen Z को उनकी डिजिटल दुनिया में ही सुरक्षित महसूस करवाना होगा.
सोशल मीडिया ब्रेक:
उन्हें रोजाना डिजिटल डिटॉक्स लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। सोने से पहले फोन को दूर रखना एक छोटी पर असरदार शुरुआत हो सकती है।
असल कनेक्शन:
उन्हें ऐसे हॉबी या एक्टिविटीज में शामिल होने के लिए प्रेरित करना, जहां वे फिजिकली दूसरे लोगों से मिल सकें और असल रिश्ते बना सकें।
तो विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस हमें हर साल एक मौका देता है कि हम रुककर अपने मन की आवाज सुनें। 1992 से शुरू हुआ यह सफर आज एक बड़ी लड़ाई बन चुका है।
हमें मिलकर ये सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी बच्चे को या किसी भी नागरिक को अपने मन की तकलीफ में अकेला महसूस न हो। मानसिक स्वास्थ्य को अब सिर्फ एक विषय नहीं, बल्कि जीवन की सबसे बड़ी प्राथमिकता बनाना होगा।
Reference Links
https://www.drishtiias.com/hindi/daily-updates/daily-news-analysis/world-mental-health-day-2-1
https://hiwiki.iiit.ac.in/index.php/
https://www.who.int/india/health-topics/mental-health
https://hindi.downtoearth.org.in/health/world-mental-health-day-is-being-celebrated-across-the-world-today-why-is-it-important
https://timesofindia.indiatimes.com/city/delhi/all-is-not-well-anxiety-bogs-down-nearly-70-students/articleshow/124296825.cms
10 अक्टूबर की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं
हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 10 अक्टूबर का दिन भी इतिहास (आज की यादगार घटनाएं) में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है।
इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 10 अक्टूबर को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।
विश्व में महत्वपूर्ण घटनाएं
1720: फ्रांसीसी सरकार ने नोटों पर हड़ताल की घोषणा की।
1731: प्रसिद्ध ब्रिटिश वैज्ञानिक हेनरी कैवेन्डिश का जन्म हुआ, जिन्होंने हाइड्रोजन गैस की खोज की थी।
1733: फ्रांस सम्राट ने चार्ल्स VI से युद्ध की घोषणा की।
1780: कैरिबियन सागर में रिकॉर्ड पर सबसे घातक अटलांटिक तूफान में से एक आया, जिसमें कम से कम 22,000 लोगों की मौत हो गई।
1846: अंग्रेजी खगोलशास्त्री विलियम लासेल ने नेपच्यून ग्रह के सबसे बड़े चंद्रमा ट्राइटन की खोज की।
1865: जॉन वेल्से हयात ने बिलियर्ड बॉल का पेटेंट हासिल किया।
1893: पहली कार नंबर प्लेट पेरिस, फ्रांस में दिखाई दी।
1897: जर्मन रसायनज्ञ फेलिक्स हॉफमैन ने एसिटाइलसैलिसिलिक एसिड (एस्पिरिन) को संश्लेषित करने का एक बेहतर तरीका खोजा।
1911: सिन्हाई क्रांति की शुरुआत वुचांग विद्रोह के साथ हुई, जो किंग राजवंश के पतन और चीन गणराज्य की स्थापना की शुरुआत थी।
1913: पनामा नहर ने औपचारिक रूप से अटलांटिक महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ा।
1928: च्ययांग काई-शेक चीन की राष्ट्रीय सरकार के अध्यक्ष बने।
1943: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, केम्पिटाई ने ऑपरेशन सर्जक के संदेह में 50 से अधिक नागरिकों को गिरफ्तार किया।
1956: ग्रीष्मकालीन ओलंपिक मेलबोर्न, ऑस्ट्रेलिया में शुरू हुआ।
1963: जेम्स बॉन्ड की दूसरी फिल्म "रूस से प्यार" को लंदन में परदे पर दिखाया गया।
1964: 1964 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक का उद्घाटन समारोह टोक्यो में हुआ, जो पहली बार उपग्रह के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित हुआ।
1967: आउटर स्पेस ट्रीटी प्रभावी हुई, जो अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष कानून का आधार बनती है।
1970: फ़िजी को ब्रिटेन से स्वतंत्रता मिली और यह दिन राष्ट्रीय दिवस घोषित हुआ।
1973: संयुक्त राज्य के उपराष्ट्रपति स्पाइरो एग्न्यू ने कर चोरी के आरोप के बाद इस्तीफा दे दिया।
1978: डैनियल अराप मोई को केन्या का राष्ट्रपति चुना गया।
1981: जासूस इंस्पेक्टर एलेक्जेंड्रा ड्रेक के माता-पिता लंदन में एक कार विस्फोट में मारे गए।
1982: मैक्सिमिलियन कोल्बे (जिन्होंने ऑशविट्ज़ में एक अजनबी की मृत्यु के लिए स्वेच्छा से मरना स्वीकार किया) को कैथोलिक चर्च द्वारा संत घोषित किया गया।
1986: सैन सल्वाडोर में 7.5 तीव्रता वाले भूकंप में 1,500 लोगों की मौत हुई।
1990: अमेरिका का 67वां मानव अंतरिक्ष मिशन डिस्कवरी 11 अंतरिक्ष से लौटा।
1992: विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस
2005: एंजेला मार्केल जर्मनी की पहली महिला चांसलर बनीं।
2006: नाइजीरिया के बेएलासा राज्य में एक नौसैनिक अड्डे और तेल की सुविधा सुसज्जित हमलावरों द्वारा ले ली गई।
2008: ऑक्सफैम के अनुसार, इथियोपिया में खाद्य सहायता की आवश्यकता 6.4 मिलियन तक बढ़ गई है।
2009: इंग्लैंड के मैनचेस्टर में इस्लाम विरोधी और नस्लवाद विरोधी प्रदर्शनों के बीच संघर्ष के बाद लगभग 40 लोगों को हिरासत में लिया गया।
2011: बेल्जियम और फ्रांस ने बेल्जियम के सबसे बड़े बैंक डेक्सिया को तोड़ने और आंशिक रूप से राष्ट्रीयकरण करने पर सहमति व्यक्त की।
2012: ईएसओ खगोलविदों को कार्बन स्टार आर स्कल्पोरिस के आसपास एक आश्चर्यजनक सर्पिल संरचना मिली।
2013: बुध 7 के अंतरिक्ष यात्री स्कॉट कारपेंटर (पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले दूसरे अमेरिकी) का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
2014: माली के तीन लोगों को इबोला के खिलाफ एक प्रायोगिक टीका लगाया गया, जो अफ्रीका में अपनी तरह का पहला परीक्षण था।
2015: तुर्की के अंकारा में एक शांति रैली में बम विस्फोट से कम से कम 95 लोग मारे गए और 200 घायल हुए।
680: मुहम्मद के पोते हुसैन इब्न अली, यज़ीद I की सेनाओं द्वारा युद्ध के मैदान कर्बला में मारे गए थे।
भारत में महत्वपूर्ण घटनाएं
1910: वाराणसी में मदन मोहन मालवीय की अध्यक्षता में प्रथम अखिल भारतीय हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
1954: भारतीय फिल्मो की प्रसिद्ध अभिनेत्री रेखा का जन्म हुआ।
1990: हैदराबाद-अलीगढ़ में एक हिंदू-मुस्लिम उथल-पुथल हुई, जिससे 140 लोगों की मौत हो गई।
1991: भारत ने विश्व कैरम प्रतियोगिता का टीम खिताब जीता।
2010: भारत के बिहार में गंगा नदी में एक नाव के पलट जाने से लगभग 36 लोगों की मौत हो गई।
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