11 दिसंबर का इतिहास: आज ही के दिन 1946 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद बने संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष

11 दिसंबर 1946 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष चुना गया, जो उनके ज्ञान और निष्पक्षता का प्रमाण था। उनके नेतृत्व में ही 2 साल, 11 महीने और 18 दिन में दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान तैयार हुआ।

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Kaushiki
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आज के दिन की कहानी: बात है साल 1946 की, जब भारत आजादी की दहलीज पर खड़ा था। देश का भविष्य कैसा होगा ये तय करने के लिए एक मजबूत संविधान की जरूरत थी।इसीलिए, कैबिनेट मिशन योजना के तहत संविधान सभा का गठन किया गया।

इस सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को नई दिल्ली में हुई थी। ये बैठक भारत के इतिहास में एक नया अध्याय लिखने वाली थी। शुरुआत में, डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को सभा का अस्थायी अध्यक्ष चुना गया था।

ये परंपरा फ्रांस की संविधान सभा से ली गई थी जिसमें सबसे बुजुर्ग सदस्य को अध्यक्ष चुना जाता है। लेकिन ये व्यवस्था सिर्फ दो दिन के लिए ही थी। सभी सदस्य एक ऐसे अनुभवी, निष्पक्ष और सम्मानित व्यक्ति को अध्यक्ष बनाना चाहते थे जो इस विशाल कार्य का नेतृत्व कर सके।

आज ही के दिन नेहरू के कड़े विरोध के बावजूद डॉ राजेंद्र प्रसाद देश के पहले  राष्ट्रपति चुन लिए गए थे

11 दिसंबर 1946: डॉ. राजेंद्र प्रसाद का इलेक्शन

फिर आया वो ऐतिहासिक दिन, 11 दिसंबर 1946। संविधान सभा के सदस्यों ने सर्वसम्मति से बिहार के गांधी कहे जाने वाले डॉ. राजेंद्र प्रसाद को सभा का स्थायी अध्यक्ष चुन लिया। उनका चुनाव सिर्फ एक फॉर्मल प्रोसेस नहीं थी। बल्कि यह उनके ज्ञान, सादगी और देश के प्रति समर्पण का प्रमाण था।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता थे। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया था। उनके इस चुनाव से देश के बुद्धिजीवियों और आम जनता में एक पॉजिटिव मैसेज गया। लोगों को विश्वास हो गया कि संविधान निर्माण का काम अब सही और मजबूत हाथों में है।

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डॉ. राजेंद्र प्रसाद: भारतीय संविधान के शिल्पकार

डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान नेता और स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति थे। उनका जन्म बिहार में हुआ था। वे अपनी सादगी, ज्ञान और अटूट ईमानदारी के लिए जाने जाते थे।

11 दिसंबर 1946 को उन्हें संविधान सभा का परमानेंट प्रेजिडेंट चुना गया। यहां उन्होंने भारत का संविधान बनाने में निर्णायक भूमिका निभाई। उन्होंने निष्पक्षता के साथ सभा का नेतृत्व किया। ये सुनिश्चित किया कि देश का सर्वोच्च कानून हर वर्ग के हितों को समाहित करे। वे भारत रत्न से भी सम्मानित थे और उन्हें 'देश रत्न' कहा जाता है।

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संविधान निर्माण की यात्रा और चुनौतियां

अध्यक्ष चुने जाने के बाद, राजेंद्र प्रसाद पर एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी आ गई। उनका काम सिर्फ बैठकों की अध्यक्षता करना नहीं था। बल्कि विभिन्न विचारों और समुदायों के बीच संतुलन बनाए रखना भी था।

भारतीय संविधान को बनाने में पूरे 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का लंबा समय लगा। इस दौरान कई बड़ी चुनौतियां सामने आईं। देश में अलग-अलग भाषाएं थीं, कई धर्म थे और अलग-अलग रियासतें थीं। हर वर्ग के हितों की रक्षा करना जरूरी था।

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डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने अपनी पीसफुल नेचर और मजबूत नेतृत्व क्षमता से सभा को एकजुट रखा। उन्होंने सुनिश्चित किया कि हर सदस्य को अपनी बात रखने का पूरा मौका मिले।

BR Ambedkar की अध्यक्षता वाली प्रारूप समिति (Drafting Committee) ने संविधान का मसौदा तैयार किया। डॉ. प्रसाद ने उसे अंतिम रूप देने में निर्णायक भूमिका निभाई।

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डॉ. प्रसाद का योगदान

राजेंद्र प्रसाद का सबसे बड़ा योगदान उनकी निष्पक्षता थी। उन्होंने किसी भी राजनीतिक विचारधारा को संविधान पर हावी नहीं होने दिया। उन्होंने हमेशा यही सुनिश्चित किया कि संविधान भारत के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को दर्शाता हो।

जब 26 जनवरी 1950 को संविधान (भारतीय संविधान का महत्व) लागू हुआ, तो वो न सिर्फ संविधान सभा के अध्यक्ष थे। बल्कि जल्द ही वे स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति भी बने।

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उनका ये सफर दिखाता है कि कैसे एक विनम्र और समर्पित व्यक्ति ने देश की सबसे महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेज की नींव रखी। आज जो मजबूत भारतीय लोकतंत्र हम देखते हैं, उसकी मजबूत नींव रखने में 11 दिसंबर 1946 के इस फैसले का अत्यधिक महत्व है।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जीवन सादगी और सार्वजनिक सेवा का प्रतीक था। उन्होंने संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान तैयार कराने में कई जरूरी भूमिका निभाई, जिससे देश में समानता और न्याय सुनिश्चित हुआ।

Reference:

  • Constituent Assembly of India Debates (Official Records)
  • Biography of Dr. Rajendra Prasad and his role in the Constitution
  • Historical Timeline of Indian Constitution Making
  • Role of Drafting Committee and Dr. Prasad

11 दिसंबर की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं

हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 11 दिसंबर का दिन भी इतिहास (आज की यादगार घटनाएं) में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है।

इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 11 दिसंबर (आज की तारीख का इतिहास) को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।

विश्व इतिहास की प्रमुख घटनाएं

  • 1618: रूस और पोलैंड के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

  • 1789: संयुक्त राज्य अमेरिका में उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय की स्थापना हुई।

  • 1845: प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध के दौरान सिख सेना ने सतलज नदी पार की।

  • 1886: लंदन स्थित फुटबॉल क्लब आर्सेनल (तब डायलस्क्वेयर) ने अपना पहला मैच खेला।

  • 1907: आग से न्यूजीलैंड की संसद की इमारत पूरी तरह से नष्ट हो गई।

  • 1920: आयरिश युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना ने कॉर्क शहर की कई इमारतों को जला दिया।

  • 1936: बर्लिन ओलंपिक खेलों को अमेरिकी यहूदी कांग्रेस के विरोध का सामना करना पड़ा।

  • 1944: टोरंटो शहर में अब तक की सबसे भारी बर्फबारी हुई, जिससे 21 लोग मारे गए।

  • 1964: संयुक्त राष्ट्र के बाल कोष संगठन युनिसेफ (UNICEF) की स्थापना हुई।

  • 1972: अपोलो 17, जो अंतिम अपोलो चंद्रमा मिशन था, चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरा।

  • 1994: रूसी सेना ने रूस के दक्षिण पश्चिमी गणराज्य चेचन्या पर आक्रमण शुरू किया।

  • 1997: जापान के क्योटो में 50 देशों द्वारा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को नियंत्रित करने पर सहमति बनी।

  • 2007: उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच लगभग 50 वर्ष बाद रेल सेवा दोबारा शुरू हुई।

  • 2008: अमेरिकी स्टॉक ब्रोकर बर्नार्ड मैडॉफ को $50 बिलियन की पोंज़ी स्कीम के आरोप में गिरफ्तार किया गया।

भारत की महत्वपूर्ण घटनाएं

  • 1967: पश्चिम भारत में 6.5 की तीव्रता वाले भूकंप से 170 लोगों की जान चली गई।

  • 2011: भारत रत्न से सम्मानित मशहूर सितार वादक पंडित रविशंकर का निधन हुआ।

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