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11 सितंबर 1948 की सुबह एक ऐसी खबर आई, जिसने पूरे इंडियन सबकॉन्टिनेंट को हिला दिया। पाकिस्तान के फाउंडर और कायद-ए-आजम, मोहम्मद अली जिन्ना का निधन हो गया था। इस खबर ने न केवल पाकिस्तान को बल्कि भारत को भी अपनी रणनीति पर फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया।
उस समय हैदराबाद रियासत के लिए यह एक नाजुक और ऐतिहासिक क्षण था। हैदराबाद के निजाम, मीर उस्मान अली खान अपनी रियासत को भारत से स्वतंत्र रखना चाहते थे। उनकी यह महत्वाकांक्षा भारत के तत्कालीन गृह मंत्री, सरदार वल्लभभाई पटेल के लिए एक बड़ी चुनौती थी। सरदार पटेल जो भारत की सभी रियासतों को एक करने के लौह पुरुष के रूप में जाने जाते थे हैदराबाद को भारत का अभिन्न अंग बनाना चाहते थे।
आजादी के बाद हैदराबाद की स्थिति
1947 में जब भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ तब हैदराबाद एक बड़ी और शक्तिशाली रियासत थी, जो दक्कन प्लेटो पर लगभग 82 हजार वर्ग मील में फैली हुई थी। यह रियासत आर्थिक रूप से भी समृद्ध थी। निजाम, मीर उस्मान अली खान, दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक थे। निजाम का कहना था कि वह अपनी रियासत को न तो भारत में मिलाएंगे और न ही पाकिस्तान में।
उन्होंने भारत के साथ एक स्टैंडस्टिल एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए, जिसका उद्देश्य भारत और हैदराबाद के बीच यथास्थिति बनाए रखना था। लेकिन यह समझौता जल्द ही तनाव में बदल गया। निजाम के शासन के खिलाफ हैदराबाद में एक आंदोलन भी चल रहा था जिसका नेतृत्व आर्य समाज और हैदराबाद स्टेट कांग्रेस कर रही थी।
वे हैदराबाद को भारत का हिस्सा बनाना चाहते थे। इस बीच, एक उग्रवादी संगठन, इत्तेहादुल मुस्लिमीन जो रजाकारों के नाम से जाना जाता था ने निजाम का समर्थन किया। रजाकारों का नेतृत्व कासिम रजवी कर रहा था और ये हिंदू-विरोधी गतिविधियों और हिंसा के लिए बदनाम थे।
सरदार पटेल की स्ट्रेटेजी
भारत के गृह मंत्री, सरदार वल्लभभाई पटेल, जिन्हें भारत के बिस्मार्क भी कहा जाता था। वह चाहते थे कि हैदराबाद भारत का हिस्सा बने। वे जानते थे कि अगर हैदराबाद अलग रहता है, तो यह भारत की एकता और सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। हैदराबाद के निाम ने भारत के साथ एक स्टैंडस्टिल एग्रीमेंट पर दस्तखत किए, जिसका मतलब था कि जब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकलता तब तक दोनों पक्ष मौजूदा स्थिति बनाए रखेंगे।
जैसे-जैसे हैदराबाद में स्थिति बिगड़ती गई, सरदार पटेल और भारतीय सेना ने एक सैन्य कार्रवाई की योजना बनाई। इस ऑपरेशन को ऑपरेशन पोलो नाम दिया गया। इसका उद्देश्य हैदराबाद को सैन्य बल के जरिए भारत में मिलाना था। सरदार पटेल का मानना था कि अगर हैदराबाद एक स्वतंत्र देश बना रहता है तो यह भारत की सुरक्षा के लिए खतरा होगा, क्योंकि यह भारत के हृदय में एक 'विदेशी' एन्क्लेव जैसा होगा।
12 सितंबर 1948 को मोहम्मद अली जिन्ना के निधन के एक दिन बाद, भारतीय सेना ने हैदराबाद की सीमाओं में प्रवेश करना शुरू कर दिया। जिन्ना की मृत्यु ने पाकिस्तान को एक कमजोर स्थिति में ला दिया था जिससे भारत को यह कार्रवाई करने का मौका मिला। भारतीय सेना के लिए यह एक तीव्र और निर्णायक कदम था।
ऑपरेशन पोलो की सैन्य कार्रवाई
ऑपरेशन पोलो की शुरुआत 13 सितंबर 1948 को हुई। भारतीय सेना ने पांच दिशाओं से हैदराबाद में प्रवेश किया।
उत्तर से: सोलापुर की तरफ से।
पूर्व से: विजयवाड़ा की तरफ से।
दक्षिण से: मैसूर की तरफ से।
पश्चिम से: औरंगाबाद की तरफ से।
मध्य से: बंबई और पुणे की तरफ से।
भारतीय सेना के प्रमुख जनरल जयंत नाथ चौधरी,इस ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे थे। भारतीय सेना के पास अत्याधुनिक हथियार और नियमित रणनीति थी। इसके विपरीत हैदराबाद की सेना, जो रजाकारों पर निर्भर थी भारतीय सेना का मुकाबला नहीं कर पाई।
रजाकारों ने कुछ जगहों पर भारतीय सेना का विरोध करने की कोशिश की, लेकिन वे प्रशिक्षित सेना के सामने टिक नहीं पाए। भारतीय सेना ने जल्दी ही बड़े शहरों और रणनीतिक स्थानों पर नियंत्रण कर लिया।
17 सितंबर 1948 को सिर्फ पांच दिनों के भीतर निजाम की सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया। निजाम, मीर उस्मान अली खान, ने भारतीय संघ में अपनी रियासत के विलय की घोषणा की। कासिम रजवी को गिरफ्तार कर लिया गया और रजाकारों की सेना को भंग कर दिया गया।
यह ऑपरेशन इसलिए सफल रहा क्योंकि भारतीय सेना ने इसे बहुत कम समय में पूरा किया और इसमें बहुत कम खून-खराबा हुआ। इसके बाद, हैदराबाद को भारत का हिस्सा बना लिया गया और निजाम को राजप्रमुख का पद दिया गया।
ऑपरेशन पोलो के परिणाम
ऑपरेशन पोलो भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है। इसने सरदार पटेल के रियासतों के एकीकरण के मिशन को पूरा किया। यह दिखाया कि भारत अपनी सुरक्षा और अखंडता को बनाए रखने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। हालांकि, इस ऑपरेशन के बाद कई विवाद भी उठे।
कुछ इतिहासकारों का कहना है कि सैन्य कार्रवाई के दौरान कुछ जगहों पर अल्पसंख्यकों पर हिंसा हुई, जिसे सुंदरलाल कमेटी की रिपोर्ट में भी दर्ज किया गया था। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हिंसा के दौरान कई लोग मारे गए थे। फिर भी, ऑपरेशन पोलो ने एक ऐसे खतरे को समाप्त कर दिया था, जो भारत के दिल में अस्थिरता पैदा कर सकता था।
यह एक ऐसा कदम था जिसने भारत को एक मजबूत और एकीकृत राष्ट्र बनाने में मदद की। यह कहानी एक शक्तिशाली नेता, सरदार पटेल के दृढ़ संकल्प, और एक ऐसे राज्य के संघर्ष को दर्शाती है, जिसे अंततः भारत के विशाल परिवार का हिस्सा बनना पड़ा।
Rreference:
'पटेल: अ लाइफ' - राजमोहन गांधी द्वारा लिखित।
'हैदराबाद: एकीकरण की कहानी'** - डॉ. एन.के. मुरलीधरन द्वारा लिखित।
भारतीय सेना के अभिलेखागार (Indian Army Archives) और राष्ट्रीय अभिलेखागार (National Archives of India) में उपलब्ध आधिकारिक दस्तावेज।
12 सितंबर का इतिहास
हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 12 सितंबर का दिन भी इतिहास (आज की यादगार घटनाएं) में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है।
इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 12 सितंबर को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।
विश्व की महत्वपूर्ण घटनाएं
1217: फ्रांस के सम्राट लुई ने ब्रिटेन के महाराज हेनरी तृतीय के साथ शांति समझौता किया।
1309: स्पेन की एक सेना ने ग्रेनेडा से जिब्राल्टर पर कब्ज़ा कर लिया, हालांकि वे 24 साल बाद इसे खो देंगे।
1398: तैमूर लंग, जो तैमूरी राजवंश का शासक था, सिंधु नदी के किनारे पहुंचा।
1609: अंग्रेजी नाविक हेनरी हडसन ने हडसन नदी की खोज की, जिसने न्यूयॉर्क के उपनिवेश की नींव रखी।
1635: स्वीडन और पोलैंड ने आपस में युद्ध रोकने के लिए एक संधि पर साइन किए।
1683: जॉन तृतीय सोबस्की की पोलिश सेना ने वियना की लड़ाई में ओटोमन साम्राज्य को हरा दिया।
1703: स्पेनिश विरासत से सम्राट लियोपोल्ड को हटा दिया गया।
1720: डच लोगों ने होउनेबीक के ईसाक को अपना सलाहकार चुना।
1722: रूसी सैनिकों ने फारसी शहरों बाकू और डर्बेन्ट पर कब्ज़ा कर लिया।
1758: फ्रांसीसी खगोलशास्त्री चार्ल्स मेसियर ने गलती से क्रैब नेबुला की पहचान करते हुए अपना 'मेसियर कैटलॉग' बनाना शुरू किया।
1814: 1812 के युद्ध के दौरान, बाल्टीमोर के पास नॉर्थ प्वाइंट की लड़ाई हुई।
1848: स्विट्ज़रलैंड एक संघीय राज्य बन गया और उसने एक नया संविधान अपनाया।
1873: पहला प्रैक्टिकल टाइपराइटर ग्राहकों को बेचा गया।
1909: जर्मन वैज्ञानिक फ्रिट्ज़ हॉफमैन ने सिंथेटिक रबर का पेटेंट हासिल किया।
1910: गुस्ताव महलर की सिम्फनी नंबर 8 का पहला प्रदर्शन म्यूनिख में हुआ।
1922: फिनलैंड के धावक पावो नुरमी ने 5000 मीटर दौड़ का विश्व रिकॉर्ड बनाया।
1928: फ्लोरिडा में आए एक भयानक तूफान से 6000 लोगों की मौत हो गई।
1930: लॉस एंजिल्स में ईस्टर्न कोलंबिया बिल्डिंग का उद्घाटन किया गया।
1933: हंगेरियन-अमेरिकी वैज्ञानिक लेओ स्ज़ीलार्ड ने परमाणु श्रृंखला प्रतिक्रिया (nuclear chain reaction) की विचारधारा सोची।
1942: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, जापानी सेना ने ग्वाडलकाल पर हेंडरसन फील्ड को फिर से लेने की कोशिश की।
1944: अमेरिकी सेना पहली बार जर्मनी में दाखिल हुई।
1948: अमेरिका के कई राज्यों में पोलियो का प्रकोप बढ़ रहा था, जिससे स्कूल बंद कर दिए गए।
1959: सोवियत संघ का रॉकेट 'लूना-2' चांद पर पहुंचा।
1968: अल्बानिया ने खुद को वारसा संधि से अलग कर लिया।
1974: इथियोपिया के सम्राट हैले सेलासी I को सेना ने हटा दिया।
1977: रंगभेद विरोधी नेता स्टीव बाइको की पुलिस हिरासत में मौत हो गई।
1983: अमेरिका में एक गुप्त समूह ने 7 मिलियन डॉलर की चोरी की, जो उस समय की सबसे बड़ी नकद चोरी थी।
1987: इथियोपिया ने अपना संविधान अपनाया।
1990: कई दुर्घटनाओं के बाद ऑस्ट्रेलिया में बंजी जंपिंग पर बैन लगा दिया गया।
2000: अमेरिकी डॉलर ने पाउंड स्टर्लिंग और यूरो के मुकाबले अपनी मजबूती जारी रखी।
2005: कोलंबिया में एक हवाई जहाज अपहरणकर्ता ने अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
2007: रूस ने दुनिया का सबसे बड़ा गैर-परमाणु (non-nuclear) वैक्यूम बम का परीक्षण किया।
2008: यूनाइटेड किंगडम की तीसरी सबसे बड़ी टूर ऑपरेटर कंपनी बंद हो गई, जिससे 85,000 से ज्यादा ब्रिटिश यात्री विदेशों में फंस गए।
2010: 27वें एमटीवी वीडियो म्यूजिक अवॉर्ड्स में लेडी गागा और एमिनेम ने पुरस्कार जीते।
2011: यूरोजोन में चल रहे कर्ज संकट के कारण एशियाई बाजारों में शेयर तेजी से गिर गए।
2012: पाकिस्तान के कराची और लाहौर में फैक्ट्री में आग लगने से 314 लोग मारे गए।
2012: एप्पल ने आईफोन-5 और आईओएस-6 लॉन्च किया।
2013: नासा का वोएजर 1 अंतरिक्ष यान सौरमंडल से बाहर निकलकर इंटरस्टेलर स्पेस में पहुंचने वाला पहला मानव-निर्मित यान बना।
2015: ब्रिटेन में जेरेमी कॉर्बिन लेबर पार्टी के नेता चुने गए।
भारत की महत्वपूर्ण घटनाएं
1786: लॉर्ड कॉर्नवॉलिस भारत का गवर्नर जनरल बना।
1966: भारतीय तैराक मिहिर सेन ने डार्डानेलेस जलडमरूमध्य को तैरकर पार किया।