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आज की तारीख का इतिहास, Hindi Diwas special:कल्पना कीजिए 1947 का भारत, जब देश एक नई सुबह के लिए तैयार था। संविधान सभा में यह सवाल उठा कि पूरे देश को एक सूत्र में कैसे पिरोया जाए? कई नेताओं ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने का समर्थन किया क्योंकि यह जनता की भाषा थी।
लेकिन, देश के दक्षिणी हिस्से में एक गहरी चिंता थी। उन्हें लगा कि हिन्दी उन पर थोपी जा रही है, जिससे उनकी अपनी भाषा और संस्कृति खतरे में पड़ जाएगी। आइए जानें 14 सितंबर हिंदी दिवस पर विशेष....
राष्ट्रभाषा नहीं बल्कि राजभाषा
इस टकराव को खत्म करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौता हुआ। हिन्दी को राष्ट्रभाषा नहीं बल्कि राजभाषा (ऑफिसियल लैंग्वेज) का दर्जा दिया गया।
यह एक ऐसा फैसला था जिसने हिन्दी को सरकारी कामकाज की जिम्मेदारी तो दी पर 'राष्ट्रभाषा' की भावना से दूर कर दिया। आज हिन्दी ने एक लंबा सफर तय किया है।
यह सिर्फ सरकारी कागजों तक सीमित नहीं है बल्कि बॉलीवुड, इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से एक नई, आधुनिक पहचान बना रही है। आज की हिन्दी में अंग्रेजी के शब्द घुल-मिल गए हैं और यह एक लचीली, विकासशील भाषा बन गई है।
यह हिन्दी उस अधूरे सपने की याद दिलाती है, लेकिन साथ ही यह भी बताती है कि एक भाषा को सिर्फ आधिकारिक दर्जा ही नहीं बल्कि लोगों के दिलों में जगह मिलनी चाहिए। आइए, इस पूरी कहानी को एक सरल और आसान भाषा में समझते हैं।
हिन्दी का राष्ट्रभाषा बनने का सपना
आजादी की लड़ाई के दौरान हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने का सपना देखा गया। इसका कारण साफ था कि यह उस समय भारत में सबसे ज्यादा बोली और समझी जाने वाली भाषा थी।
महात्मा गांधी ने भी हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने का खुलकर समर्थन किया था। वे मानते थे कि हिन्दी ही वह भाषा है जो उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूर्व से लेकर पश्चिम तक, पूरे देश को जोड़ सकती है।
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हिन्दी का इस्तेमाल एक शक्तिशाली हथियार के रूप में किया गया, जिसने लोगों को एक साथ लाया और देशभक्ति की भावना जगाई। इस समय हिन्दी को "जनता की भाषा" कहा जाता था क्योंकि यह आम लोगों के बीच बोली जाती थी।
इसे संस्कृत, उर्दू, फारसी और यहां तक कि लोकल भाषाओं के शब्दों को मिलाकर एक सरल रूप दिया गया था जिसे हिंदुस्तानी कहा जाता था।
वो 14 सितंबर 1949 की बहस
आजादी के बाद जब भारत का संविधान लिखा जा रहा था, तब राष्ट्रभाषा का मुद्दा सबसे अहम और संवेदनशील बन गया। संविधान सभा में इस पर घंटों लंबी बहस चली।
एक तरफ वो लोग थे जो हिन्दी को तुरंत राष्ट्रभाषा बनाना चाहते थे तो दूसरी तरफ वे लोग थे, खासकर दक्षिण भारत से, जो इस बात से असहमत थे।
दक्षिण भारतीय प्रतिनिधियों को डर था कि अगर हिन्दी को राष्ट्रभाषा बना दिया गया, तो उनकी अपनी भाषाएं और संस्कृति पीछे छूट जाएंगी। उन्हें लगा कि हिन्दी को उन पर थोपा जा रहा है।
तमिलनाडु के एक प्रतिनिधि ने कहा कि हिन्दी का वर्चस्व तमिल और तेलुगु जैसी सदियों पुरानी भाषाओं के लिए खतरा बन जाएगा। इससे देश में भाषाई आधार पर विभाजन का खतरा बढ़ गया था।
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, एक बीच का रास्ता निकाला गया। 14 सितंबर, 1949 को यह फैसला लिया गया कि हिन्दी को भारत की राजभाषा (Official Language) बनाया जाएगा, राष्ट्रभाषा नहीं।
इसका मतलब यह था कि हिन्दी सरकारी कामों और प्रशासन की भाषा होगी, लेकिन इसे किसी पर थोपा नहीं जाएगा। साथ ही, अगले 15 सालों के लिए (यानी 1965 तक) अंग्रेजी का इस्तेमाल भी सरकारी कामों के लिए जारी रहेगा।
इस फैसले ने हिन्दी को राजभाषा का दर्जा तो दिया, लेकिन राष्ट्रभाषा का नहीं। भारत के संविधान में किसी भी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिया गया है। भारत की कोई राष्ट्रभाषा नहीं है, लेकिन 22 भाषाओं को आधिकारिक भाषाओं का दर्जा दिया गया है, जिनमें हिन्दी और अंग्रेजी भी शामिल हैं।
जब हिन्दी बनी राजभाषा
इस तीखे विवाद को खत्म करने के लिए, एक समझौते का रास्ता अपनाया गया। 14 सितंबर 1949 को, संविधान सभा ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया (पहली बार कब मनाया हिंदी दिवस)। हिन्दी को राष्ट्रभाषा नहीं बल्कि भारत संघ की राजभाषा का दर्जा दिया गया।
इसके साथ ही, यह भी तय किया गया कि अगले 15 सालों तक (यानी 1965 तक) अंग्रेजी का इस्तेमाल भी सरकारी कामकाज के लिए जारी रहेगा। यह एक अस्थायी व्यवस्था थी, जिससे गैर-हिन्दी भाषी राज्यों को हिन्दी सीखने और अपनाने के लिए पर्याप्त समय मिल सके।
संविधान के अनुच्छेद 343(1) में यह साफ-साफ लिखा गया है: "संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी।" इस तरह, हिन्दी को संवैधानिक रूप से एक आधिकारिक भाषा का दर्जा तो मिल गया, लेकिन इसे कभी भी 'राष्ट्रभाषा' नहीं कहा गया, क्योंकि इसके लिए किसी भी भाषा को संविधान में यह दर्जा देने का प्रावधान नहीं है।
1965 का आंदोलन
1965 की समय सीमा जैसे-जैसे करीब आ रही थी, हिन्दी को एकमात्र राजभाषा बनाने की मांग फिर से जोर पकड़ने लगी। लेकिन, दक्षिण भारत, खासकर तमिलनाडु में, अंग्रेजी के इस्तेमाल को जारी रखने के लिए एक बड़ा और हिंसक आंदोलन शुरू हो गया।
इस आंदोलन का नेतृत्व द्रविड़ मुनेत्र कड़गम जैसी पार्टियों ने किया। वे हिन्दी के वर्चस्व से अपनी संस्कृति और भाषा को बचाना चाहते थे। सरकार ने इस विरोध को देखते हुए राजभाषा अधिनियम, 1963 (Official Languages Act, 1963) में संशोधन किया।
इस संशोधन के बाद, अंग्रेजी का इस्तेमाल सरकारी कामकाज के लिए अनिश्चित काल तक जारी रखने का फैसला लिया गया, जब तक कि गैर-हिन्दी भाषी राज्य खुद इसके लिए राजी न हों। इस तरह, हिन्दी के राष्ट्रभाषा बनने का सपना वहीं रुक गया और भारत की दो राजभाषाएं हो गईं: हिन्दी और अंग्रेजी।
राष्ट्रभाषा और राजभाषा में अंतर
अक्सर लोग इस दिन राष्ट्रभाषा और राजभाषा के बीच के अंतर को लेकर असमंजस में रहते हैं। यह जानना जरूरी है कि हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं, बल्कि राजभाषा है।
राष्ट्रभाषा (National Language)
राष्ट्रभाषा वह भाषा होती है जो किसी राष्ट्र की सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का प्रतीक मानी जाती है। यह पूरे देश के अधिकांश लोगों द्वारा बोली और समझी जाती है। भारत में, संविधान ने किसी भी भाषा को 'राष्ट्रभाषा' का दर्जा नहीं दिया है।
राजभाषा (Official Language)
राजभाषा वह भाषा है जिसका उपयोग सरकारी कामकाज, प्रशासन, संसद और न्यायपालिका में होता है। यह सरकारी दस्तावेजों, कानूनों और संवाद की आधिकारिक भाषा होती है।
14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने एक लंबी बहस के बाद हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया। संविधान के अनुच्छेद 343(1) के मुताबिक, "संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी।" इसके साथ ही, अगले 15 सालों के लिए अंग्रेजी को भी राजभाषा के रूप में जारी रखने का प्रावधान किया गया था।
भारत की कोई राष्ट्रभाषा नहीं है, लेकिन हिन्दी हमारी राजभाषा है। यह हमारे देश की भाषाई विविधता का सम्मान करते हुए, सरकारी कार्यों के लिए एक साझा भाषा के रूप में काम करती है।
पहले और अब की हिन्दी
हिन्दी हमेशा से एक जैसी नहीं रही। समय के साथ इसमें बहुत बदलाव आए हैं।
पहले की हिन्दी (आजादी से पहले और तुरंत बाद)
आजादी के समय की हिन्दी काफी हद तक हिंदुस्तानी थी। यह सरल, लचीली और आम लोगों की भाषा थी। इसमें संस्कृत, उर्दू, फारसी और लोकल भाषाओं के शब्द बड़ी आसानी से मिल जाते थे।
उस समय की फिल्में और गाने भी इसी हिंदुस्तानी भाषा में होते थे, जिन्हें पूरा देश समझता था। उदाहरण: "इंसान", "अमल", "तारीख", "खुदा" जैसे शब्द आम बोलचाल में इस्तेमाल होते थे।
आज की हिन्दी
आज की हिन्दी पहले से काफी अलग हो गई है। इसका सबसे बड़ा कारण है वैश्वीकरण और डिजिटल क्रांति।
अंग्रेजी का प्रभाव: आज की हिन्दी में अंग्रेजी के शब्द बहुत ज्यादा घुल-मिल गए हैं। हम रोजमर्रा की जिंदगी में "मोबाइल", "लैपटॉप", "टेक्नोलॉजी", "इंटरनेट" जैसे शब्दों का धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं। इसे हिंग्लिश कहा जाता है। यह खास तौर पर युवाओं के बीच बहुत पॉपुलर है।
टेक्निकल और साइंटिफिक शब्द: पहले साइंस और टेक्नोलॉजी से जुड़े ज्यादातर शब्द अंग्रेजी में होते थे, लेकिन अब हिन्दी में भी इनके लिए शब्द बनाए जा रहे हैं। फिर भी, लोग अक्सर अंग्रेजी शब्दों का इस्तेमाल करना ही आसान समझते हैं।
सरल और व्यावहारिक: आज की हिन्दी ज्यादा प्रैक्टिकल हो गई है। व्याकरण के नियमों पर कम ध्यान दिया जाता है और बात को सीधे और सरल तरीके से कहने पर जोर होता है।
क्षेत्रीय भाषाओं का प्रभाव: भारत के अलग-अलग हिस्सों में बोली जाने वाली हिन्दी पर वहां की क्षेत्रीय भाषाओं का असर साफ दिखता है। जैसे, मुंबई में बोली जाने वाली हिन्दी में मराठी का प्रभाव होता है, जबकि दिल्ली में पंजाबी और हरियाणवी का।
हिन्दी का भविष्य: चुनौतियां और अवसर
हिन्दी के सामने आज कई चुनौतियां हैं। अंग्रेजी का बढ़ता प्रभुत्व और क्षेत्रीय भाषाओं से प्रतिस्पर्धा इसके लिए सबसे बड़ी चुनौती है। कई लोग मानते हैं कि करियर और ग्रोथ के लिए अंग्रेजी सीखना ज्यादा जरूरी है, जिससे हिन्दी थोड़ी पीछे छूट रही है।
लेकिन, दूसरी तरफ हिन्दी के लिए कई नए अवसर भी हैं। इंटरनेट और सोशल मीडिया पर हिन्दी का इस्तेमाल बहुत तेजी से बढ़ रहा है। YouTube, Instagram, Facebook और दूसरे प्लेटफॉर्म पर हिन्दी कंटेंट की डिमांड बहुत ज्यादा है। आज हिन्दी में ब्लॉग, पॉडकास्ट, फिल्में और वेब सीरीज बन रही हैं, जो न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में देखी जा रही हैं।
हिन्दी की यह कहानी हमें सिखाती है कि भाषाएं जिंदा रहने के लिए बदलती रहती हैं। हिन्दी ने अपनी पहचान बनाए रखी है, भले ही इसे राष्ट्रभाषा का दर्जा न मिला हो।
यह आज भी करोड़ों लोगों की जुबान पर है, दिलों में बसी है और भारतीय संस्कृति की एक मजबूत कड़ी है। इस विषय पर और अधिक जानकारी के लिए, आप इन सरकारी और शैक्षिक वेबसाइट्स को देख सकते हैं:
References:
Official Website of the Ministry of Home Affairs, Government of India: Official Languages related information
Constitution of India (Part XVII): Articles 343-351
Official Website of the Central Hindi Directorate: Hindi Language and its evolution
Indian Constitution website: https://www.india.gov.in/hindi/official-languages
Department of Official Language, Ministry of Home Affairs: https://rajbhasha.nic.in/hi
- Sahitya Academy: https://sahitya-akademi.gov.in/
14 सितंबर का इतिहास
हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 14 सितंबर का दिन भी इतिहास (आज की यादगार घटनाएं) में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है।
इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 14 सितंबर को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।
14 सितंबर: विश्व में महत्वपूर्ण घटनाएं
1723 ग्रैंड मास्टर एंटोनियो मैनोल डी विलने ने माल्टा में फोर्ट मैनोल का उद्घाटन किया।
1752 ब्रिटेन और उसके उपनिवेशों ने जूलियन कैलेंडर को छोड़कर ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया, जिसके तहत 2 सितंबर के बाद सीधे 14 सितंबर की तारीख आई।
1763 पोंटियाक के विद्रोह के दौरान लगभग 300 सेनेका योद्धाओं ने ब्रिटिश सेना की टुकड़ी पर हमला किया, जिसमें 81 सैनिक मारे गए।
1770 डेनमार्क में प्रेस की स्वतंत्रता को मान्यता मिली।
1803 ब्रिटिश जनरल लॉर्ड लेक ने द्वितीय एंग्लो-मराठा युद्ध के दौरान दिल्ली पर कब्जा किया।
1812 रूस पर फ्रांसीसी आक्रमण के दौरान, नेपोलियन के सैनिक मास्को में दाखिल हुए, जिसे रूसी सैनिकों ने जानबूझकर आग लगा दिया था।
1829 एड्रियानोपेल शांति समझौते के बाद रूसी-तुर्की युद्ध समाप्त हुआ।
1891 एम्पायर स्टेट एक्सप्रेस ट्रेन ने न्यूयॉर्क सिटी से बफेलो तक 702 किलोमीटर की दूरी 7 घंटे 6 मिनट में पूरी की, जो उस समय की एक हाई-स्पीड ट्रेन थी।
1901 अमेरिकी राष्ट्रपति विलियम मैकिनले की एक हत्यारे, लियोन कोज़ोलगोज़, ने गोली मारकर हत्या कर दी।
1901 विलियम मैकिनले की हत्या के बाद, थिओडोर रूजवेल्ट 42 साल की उम्र में संयुक्त राज्य अमेरिका के सबसे कम उम्र के राष्ट्रपति बने।
1911 रूस के प्रधान मंत्री प्योत्र स्टोलिपिन की कीव ओपेरा हाउस में हत्या कर दी गई थी।
1914 रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी की पहली पनडुब्बी, HMAS AE1, समुद्र में लापता हो गई; इसका मलबा कभी नहीं मिला।
1917 रूस को आधिकारिक तौर पर एक गणराज्य घोषित किया गया।
1926 प्रथम विश्व युद्ध के बाद, लोकार्नो संधि पर हस्ताक्षर करने वाले देशों द्वारा इसकी पुष्टि की गई थी।
1927 फ्रांस में एक कार दुर्घटना में नर्तकी इसडोरा डंकन की मौत हो गई, जब उनका दुपट्टा कार के पहिये में फंस गया था।
1951 पर्ड्यू विश्वविद्यालय में एक बीज रहित तरबूज विकसित किया गया, जो गोल और लगभग 8 से 10 पाउंड का था।
1954 एक शीर्ष गुप्त परमाणु परीक्षण में, सोवियत संघ ने 40 किलोटन के परमाणु बम का विस्फोट किया, जिससे सैनिकों और नागरिकों पर परमाणु प्रभाव पड़ा।
1959 तत्कालीन सोवियत संघ का अंतरिक्ष यान लूना-2 चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला पहला मानव निर्मित यान बना।
1964 लंदन डेली हेराल्ड का प्रकाशन बंद हो गया और उसकी जगह द सन ने ले ली।
1966 न्यूनतम वेतन $1.40 प्रति घंटे की नई दर पर तय किया गया, जिसमें सार्वजनिक स्कूलों, नर्सिंग होम और निर्माण क्षेत्र के कर्मचारी शामिल थे।
1972 पश्चिम जर्मनी और पोलैंड ने राजनयिक संबंधों पर समझौता किया।
1975 एलिजाबेथ एन सेटन को पहली अमेरिकी नागरिक के रूप में संत घोषित किया गया।
1979 अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति नूर मुहम्मद तारकी की हत्या कर दी गई, और उनकी जगह हाफ़िज़ुल्लाह अमीन ने ली।
1982 लेबनान के राष्ट्रपति-चुनाव बशीर गेमायाल की बेरुत मुख्यालय में बम विस्फोट में हत्या कर दी गई थी।
1982 हॉलीवुड अभिनेत्री और मोनाको की राजकुमारी ग्रेस केली की मॉन्टे कार्लो में एक कार दुर्घटना में मौत हो गई।
1985 सोवियत संघ ने 25 ब्रितानी राजनयिकों को जासूसी के आरोप में देश छोड़ने का आदेश दिया।
1998 माइक्रोसॉफ्ट महज 23 साल बाद दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बन गई, जिसका मूल्यांकन न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में 261 बिलियन डॉलर आँका गया।
1999 किरिबाती, नाउरु और टोंगा संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में शामिल हुए।
2003 एस्टोनिया ने एक जनमत संग्रह में यूरोपीय संघ में शामिल होने की मंजूरी दी।
2003 गिनी-बिसाऊ के राष्ट्रपति कुंभा इल्ला को तख्तापलट के बाद पद से हटा दिया गया था।
2006 अफ्रीकी संघ ने सोमालिया में IGAD शांति स्थापना अभियान (IGASOM) का समर्थन किया।
2007 जापान ने अपनी पहली चंद्र जांच, सेलीन, सफलतापूर्वक शुरू की।
2007 वित्तीय संकट के दौरान, उत्तरी रॉक बैंक को बैंक ऑफ इंग्लैंड से विशिष्ट सहायता मिली, जिससे यूनाइटेड किंगडम का पहला बैंकरन शुरू हुआ।
2008 एयरोफ्लोट फ्लाइट 821 रूस के पर्म क्राई में दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिससे विमान में सवार सभी 88 लोगों की मौत हो गई।
2009 129वें अमेरिकी ओपन पुरुष एकल फाइनल में जुआन मार्टिन डेल पोत्रो ने रोजर फेडरर को हराया।
2012 पत्रिका 'क्लोजर' द्वारा डचेस ऑफ कैम्ब्रिज की टॉपलेस तस्वीरें प्रकाशित करने के बाद, ड्यूक और डचेस ऑफ कैम्ब्रिज ने कानूनी कार्रवाई शुरू की।
2013 जापान ने किफायती एप्सिलॉन स्पेस रॉकेट लॉन्च किया, जो पिछले रॉकेटों के आकार का आधा था।
786 हारून अल-रशीद अपने भाई अल-हादी की मौत के बाद अब्बासिद ख़लीफ़ा बने।
81 डोमिनिटियन रोम के अंतिम फ़्लेवियन सम्राट बने।
14 सितंबर: भारत की प्रमुख घटनाएं
1949 संविधान सभा ने हिन्दी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया। इसी उपलक्ष्य में, 1953 से हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
2011 भारत के तमिलनाडु में एक यात्री ट्रेन की स्थिर ट्रेन से टक्कर होने के कारण दस लोगों की मौत हो गई और सत्तर घायल हो गए