/sootr/media/media_files/2025/12/14/s-vijayalakshmi-pandit-2025-12-14-16-04-26.jpg)
आज के दिन की कहानी:साल 1953 की बात है, जब भारत को आजाद हुए कुछ ही साल हुए थे। पूरी दुनिया बड़ी उम्मीद से नए स्वतंत्र देशों की तरफ देख रही थी। इसी ऐतिहासिक दौर में, भारत की एक तेजस्वी बेटी, एस. विजयलक्ष्मी पंडित ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा के आठवें सत्र की अध्यक्ष बनकर एक ऐसा रिकॉर्ड सेट किया, जिसे दुनिया आज भी सलाम करती है। वह न केवल पहली भारतीय थीं बल्कि इस सुप्रीम इंटरनेशनल फोरम की अध्यक्षता करने वाली दुनिया की पहली महिला भी थीं।
उनका यह चुनाव केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया भर की महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए एक बहुत बड़ा कदम था एस. विजयलक्ष्मी पंडित 1953 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly) के आठवें सत्र की अध्यक्ष चुनी गई थीं। आइए जानें...
/sootr/media/post_attachments/static/c1e/client/79965/uploaded/b80f107de8cc58b276f8d9d9da2d5880-568158.jpg?width=730&height=480&resizemode=4)
बचपन से ही थी लीडरशिप की झलक
विजयलक्ष्मी पंडित का जन्म 18 अगस्त 1900 को एक प्रमुख राजनीतिक परिवार में हुआ था। वह भारत के पहले प्रधानमंत्री, पंडित जवाहरलाल नेहरू की छोटी बहन थीं। इससे उन्हें बचपन से ही राजनीति और वैश्विक समझ का माहौल मिला।
उनकी शुरुआती शिक्षा काफी अच्छी हुई लेकिन बाद में उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपनी पूरी ताकत झोंक दी। 1937 में, उन्हें संयुक्त प्रांत की प्रोविंशियल असेंबली के लिए चुना गया। यहां उन्होंने लोकल सेल्फ गवर्नमेंट मिनिस्टर के रूप में काम किया।
वह स्वतंत्र भारत की आजादी के लिए कई बार जेल भी गईं। इससे उनका संघर्ष और समर्पण दिखाई देता है। उनका यह शुरुआती राजनीतिक अनुभव ही बाद में उन्हें वैश्विक मंच पर सफल बनाने की मजबूत नींव साबित हुआ।
/sootr/media/post_attachments/ibnkhabar/uploads/2021/08/Vijaya-Lakshmi-Pandit-001-1200-file-283691.jpg)
डिप्लोमेट करियर की शानदार शुरुआत
आजादी के बाद, विजयलक्ष्मी पंडित ने भारत की अंतरराष्ट्रीय नीति और कूटनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें सोवियत संघ में भारत का पहला राजदूत बनाकर भेजा गया था, जो उस समय एक रणनीतिक पोस्टिंग मानी जाती थी।
/sootr/media/post_attachments/wp-content/uploads/2019/08/19175547/Untitled-design4-113185.jpg)
इसके बाद, उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका और मेक्सिको में भी भारतीय राजदूत के रूप में काम किया। इन हाई-लेवल डिप्लोमेट पदों पर रहते हुए उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई।
ये आज भी याद किया जाता है। अमेरिका में रहते हुए उन्होंने भारत की आवाज को प्रभावशाली तरीके से दुनिया के सामने रखा, जिससे भारत की वैश्विक छवि सुधरी।
/sootr/media/post_attachments/images/newimg/28092019/28_09_2019-vijay-laxmi-pandit_19619887-741361.jpg)
1953: जब विजयलक्ष्मी पंडित ने इतिहास रचा
साल 1953 में, विजयलक्ष्मी पंडित ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के आठवें सत्र के अध्यक्ष पद के लिए अपनी दावेदारी पेश की। ये चुनाव उस समय अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ा इवेंट था। इस जरूरी पद के लिए उनका मुकाबला ब्राजील और चेकोस्लोवाकिया के कद्दावर उम्मीदवारों के साथ था।
/sootr/media/post_attachments/2024/01/Vijaya-Lakshmi-Pandit-And-Mussolini-932095.jpg)
अपने तेजस्वी व्यक्तित्व, कूटनीतिक कुशलता और भारत की लोकतांत्रिक पहचान के कारण उन्हें दुनियाभर के देशों का समर्थन मिला। उन्होंने शानदार जीत हासिल की और संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्ष बनकर इतिहास रच दिया।
उनकी इस जीत ने यह स्पष्ट कर दिया कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति अब केवल पुरुषों का क्षेत्र नहीं रह गया है। बल्कि महिलाएं भी सर्वोच्च नेतृत्व के लिए पूरी तरह से सक्षम हैं। इस पद पर रहते हुए उन्होंने गुटनिरपेक्ष आंदोलन और शांति को बढ़ावा देने में अतुलनीय योगदान दिया।
/sootr/media/post_attachments/assets/mediadb/services/module/asset/downloads/preset/assets/2018/05/344053-NICA-Begum-Ikramullah.jpg/image770x420cropped-275164.jpg)
वैश्विक नेतृत्व में उनका योगदान
संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष बनने के बाद, S Vijayalakshmi Pandit ने कई जरूरी मुद्दों पर लीडरशिप दिखाई। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में चल रही रंगभेद नीति के खिलाफ मजबूती से आवाज उठाई।
उन्होंने एशियाई और अफ्रीकी देशों की स्वतंत्रता और समानता के लिए भी कड़ा संघर्ष किया। उनका ये कार्यकाल इस बात का सबूत है कि भारतीय दर्शन और मूल्य विश्व शांति के लिए कितने अहम हैं।
/sootr/media/post_attachments/ibnkhabar/uploads/2023/08/Vijaya-Lakshmi-Pandit-203-1200-900-Wikimedia-Commons-16922904343x2-905444.jpg)
उनकी अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र ने मानवाधिकारों और स्वतंत्रता के सिद्धांतों को और भी मजबूत किया। S Vijayalakshmi Pandit का यह योगदान आज भी भारत के कूटनीतिक इतिहास का एक सुनहरा अध्याय माना जाता है। उन्होंने यह साबित किया कि भारत आजादी के बाद भी दुनिया को सही दिशा दिखाने की ताकत रखता है।
References Links
- United Nations Website (UN Official Archives)
- Ministry of External Affairs, India (MEA)
- Historical Newspaper Archive, women empowerment (The Hindu/Times of India etc. - 1953)
- Jawaharlal Nehru Memorial Fund or Trust (Nehru Family History), S Vijayalakshmi Pandit
15 दिसंबर की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं
हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 15 दिसंबर का दिन भी इतिहास (आज की यादगार घटनाएं) में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है।
इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 15 दिसंबर (आज की तारीख का इतिहास) को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।
विश्व इतिहास की प्रमुख घटनाएं
1256: वर्तमान ईरान में, मंगोलों ने हुलगु खान के नेतृत्व में आलमूत के गढ़ हश्शशीन को नष्ट कर दिया।
1467: मोल्डाविया के स्टीफन III के सैनिकों ने वर्तमान बाया, रोमानिया में हंगरी की सेना को हराया।
1516: दक्षिण अमेरिकी देश अर्जेंटीना में स्पेन के आप्रवासियों का पहला समूह पहुँचा, जिससे स्पेन का अधिकार आरंभ हुआ।
1791: संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान के पहले दस संशोधनों, जिन्हें अधिकारों का विधेयक (Bill of Rights) कहा जाता है, की पुष्टि की गई।
1794: फ्रांस में क्रांतिकारी ट्रिब्यूनल को समाप्त कर दिया गया।
1852: प्रसिद्ध फ्रांसीसी इंजीनियर और एफिल टॉवर के डिजाइनर गुस्ताव एफिल का जन्म हुआ।
1852: फ्रांसीसी भौतिकशास्त्री और रेडियोधर्मिता की विशेषता वाले पदार्थ की खोज करने वाले हेनरी बेकरेल का जन्म हुआ।
1864: अमेरिकी नागरिक युद्ध में, नैशविले की लड़ाई में संघीय सेना ने टेनेसी की संघीय सेना को पराजित किया।
1877: महान आविष्कारक थॉमस एडीसन ने फोनोग्राफ का आविष्कार किया।
1939: अमेरिकी ऐतिहासिक महाकाव्य फिल्म 'गॉन विद द विंड' (Gone With The Wind) का अटलांटा, जॉर्जिया में प्रीमियर हुआ।
1961: पूर्व नाजी नेता एडोल्फ इचमैन को युद्ध अपराधों के लिए मौत की सज़ा सुनाई गई।
1965: बांग्लादेश में गंगा नदी के तट पर आए चक्रवात में लगभग 15,000 लोगों की मौत हो गई।
1966: दुनिया की सबसे बड़ी एनीमेशन कंपनी के संस्थापक वॉल्ट डिज़नी का निधन हुआ।
1973:अमेरिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन ने समलैंगिकता को मानसिक विकारों की आधिकारिक सूची से हटा दिया।
1973: अरब इसराइल युद्ध के चलते ओपेक ने अमेरिका को तेल बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया, जिससे कीमतें बढ़ीं।
1976: न्यूज़ीलैंड से स्वतंत्र हुआ समोआ देश संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बना।
1995: यूरोपियन कोर्ट ऑफ़ जस्टिस ने बोस्मान शासन को सौंप दिया, जिससे यूरोपीय संघ में फुटबॉलरों को मुक्त रूप से स्थानांतरित होने की अनुमति मिली।
2001: ग्यारह सालों तक बंद रहने के बाद दुनिया के एक अजूबे पीसा की मीनार को जनता के लिए फिर से खोल दिया गया।
2014: आखिरी विरोध शिविर हांगकांग में हटा दिया गया, जहाँ कार्यकर्ता स्वतंत्र चुनाव के अधिकार की मांग कर रहे थे।
भारत में महत्वपूर्ण घटनाएं
1950: भारत रत्न से अलंकृत, स्वतंत्र भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री और लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल का निधन हुआ।
1953: भारत की S Vijayalakshmi Pandit संयुक्त राष्ट्र महासभा के आठवें सत्र की प्रथम महिला अध्यक्ष चुनी गईं।
1991: जाने-माने फिल्म निर्माता सत्यजीत रे को सिनेमा जगत में उनकी उपलब्धियों के लिए स्पेशल ऑस्कर से नवाजा गया।
आज का इतिहास से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें...
आज का इतिहास: कैसे खड़ी हुई थी दुनिया की सबसे बड़ी आजादी की मशाल Statue of Liberty
आज का इतिहास : 30 हजार राजपूतों की शहादत की तारीख है 26 अगस्त
आज का इतिहास: Cuban Missile Crisis 1962, जब दुनिया परमाणु युद्ध से सिर्फ एक कदम दूर थी
/sootr/media/agency_attachments/dJb27ZM6lvzNPboAXq48.png)
Follow Us