आज का इतिहास: नोबेल शांति पुरस्कार से लेकर द मिशनरी पॉजिशन के आरोपों तक, क्या है मदर टेरेसा की सच्ची कहानी ?

मदर टेरेसा का असली नाम एग्नेस गोंक्सा बोज़ाजू था, और उनका जन्म 1910 में हुआ था। उन्होंने जीवनभर गरीबों और असहायों की सेवा की। 1948 में उन्होंने "मिशनरीज ऑफ चैरिटी" की स्थापना की। इसके लिए 1979 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिला।

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Manya Jain
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आज के इतिहास में ऐसी शख्सियत का नाम दर्ज है जिन्हें चैरेटी के लिए जाना जाता है। मदर टेरेसा, जिनका असली नाम एग्नेस गोंक्सा बोज़ाजू था, एक महान इंसान थीं।

उनका जन्म 26 अगस्त 1910 को स्कोप्जे में हुआ था। बचपन से ही उन्होंने ईश्वर की सेवा करने का ठान लिया था। 

उनकी पूरी जिंदगी गरीबों और असहायों की मदद करने में बीती। मदर टेरेसा ने 1948 में "मिशनरीज ऑफ चैरिटी" की शुरुआत की। इस संगठन का मकसद समाज गरीबों की मदद करना था।

उन्होंने भारत और दुनिया भर में कई लोगों की सेवा की। उनके इस नेक काम के लिए 1979 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिला। यह पुरस्कार उनके समर्पण और सेवा के कारण मिला था।

 मदर टेरेसा का शांति पुरस्कार: सेवा का प्रतीक

नोबेल शांति पुरस्कार ऐसे व्यक्ति को मिलता है जो शांति के लिए काम करता है। मदर टेरेसा ने अपनी पूरी ज़िंदगी इसी काम में लगाई। उनका उद्देश्य गरीबों और असहायों की मदद करना था। इसी कारण उन्हें 1979 में यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला।

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साथ ही उनके काम की खूब सराहना हुई। उनके संगठन ने एचआईवी, अनाथों और वृद्धों के लिए बहुत काम किया। वे हमेशा भगवान के प्यार और करुणा का संदेश देती थीं।

उनका मानना था कि किसी को भी उसकी हालत या धर्म के आधार पर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

विवादों का सामना

मदर टेरेसा का जीवन और काम हमेशा विवादों (today history) में रहा है। उनके समर्थक उन्हें देवी जैसा मानते थे, लेकिन आलोचक अलग राय रखते थे।

कुछ का कहना था कि उनका मुख्य उद्देश्य गरीबों की मदद नहीं, बल्कि धर्म का प्रचार था। कई आलोचक ये भी मानते थे कि मदर टेरेसा ने गरीबों की हालत का फायदा उठाया।

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उन्होंने केवल गरीबों को सहनशक्ति सिखाई, इलाज नहीं दिया। अस्पतालों में बेहतरीन मेडिकल सुविधाएं नहीं थीं। उनकी सेवा में कई खामियां थीं, जो कई डॉक्युमेंट्री और किताबों में सामने आईं।

ये भी आरोप था कि उन्होंने गरीबों को इलाज की बजाय धर्म की ओर मोड़ा। मदर टेरेसा की सेवा के तरीके को लेकर बहुत से सवाल उठाए गए हैं। उनके काम के बारे में आज भी बहस होती रहती है।

उनके काम को लेकर अलग-अलग राय हैं, जो आज भी (आज की यादगार घटनाएं) चर्चा का विषय हैं।

मदर टेरेसा के खिलाफ आलोचनाएं

मदर टेरेसा पर कई विवाद उठ चुके हैं, जिनमें सबसे बड़ा आरोप यह था कि उनकी संस्थाओं में गरीबों के इलाज के लिए बहुत कम संसाधन थे।

पत्रकार क्रिस्टोफर हिचेन्स ने अपनी किताब "द मिशनरी पॉज" में आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा कि मदर टेरेसा के अस्पतालों में मरीजों को बिना सही इलाज के छोड़ दिया जाता था। 

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हिचेन्स का कहना था कि दान में मिलने वाली बड़ी रकम का सही इस्तेमाल नहीं हुआ। इसके बजाय, वह इसे अपने धार्मिक कामों में खर्च करतीं थी।

मदर टेरेसा के आलोचकों का यह भी कहना था कि उन्होंने गरीबों को दिखाकर अपने धार्मिक एजेंडे को बढ़ावा दिया। उनका मानना था कि वे सिर्फ दुख और दर्द का महिमामंडन करतीं, बजाय इसके कि इलाज और सुधार पर ध्यान देतीं। उनके कामों को लेकर कई सवाल उठाए गए हैं।

मदर टेरेसा की धरोहर

मदर टेरेसा की धरोहर आज भी जिंदा है, चाहे कितने भी विवाद हों। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि एक इंसान बड़े बदलाव ला सकता है।

उन्होंने जो प्यार, करुणा और सेवा का उदाहरण पेश किया, वह आज भी लोगों को प्रेरित करता है। उनका काम बताता है कि सेवा सबसे बड़ा धर्म है। मदर टेरेसा ने अपने मिशन के प्रति पूरी तरह से समर्पण दिखाया। 

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उनके संघर्ष और समर्पण ने पूरी दुनिया को छुआ। चाहे आलोचनाएं मिलीं या प्रशंसा, उनका काम हमेशा याद (आज के दिन की कहानी) रखा जाएगा। वे इंसानियत के लिए किए गए अपने महान कार्यों के कारण हमेशा सम्मानित रहेंगी।

मदर टेरेसा का जीवन यह साबित करता है कि अगर दिल में सच्चा इरादा हो, तो कोई भी इंसान बड़े बदलाव ला सकता है। उनका संदेश आज भी लोगों के दिलों में जिन्दा है।

निष्कर्ष

मदर टेरेसा का जीवन और काम काफी चर्चा में रहा है। उनकी सेवाओं को दुनिया भर में सराहा गया, लेकिन कुछ सवाल भी उठे।

कई लोग उनके कामों की आलोचना करते हैं, लेकिन हमें यह समझना चाहिए कि उनकी मदद की तरीका अलग था।

मदर टेरेसा ने अपनी पूरी जिंदगी जरूरतमंदों की सेवा में समर्पित की। उनके द्वारा किए गए नेक कामों ने लाखों लोगों की मदद की। दुनिया ने उन्हें दया और इंसानियत की मिसाल मानते हैं। 

हालांकि, कुछ लोगों ने उनके कामों पर सवाल उठाए, लेकिन उनका उद्देश्य साफ था। उन्होंने बिना किसी भेदभाव के सेवा की। उनका जीवन हमें सिखाता है कि इंसानियत और दयालुता की कोई एक परिभाषा नहीं हो सकती।

हर किसी का सेवा करने का तरीका अलग होता है। मदर टेरेसा ने बहुत लोगों की मदद कर एक नई दिशा दी।

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7 अक्टूबर के इतिहास की बड़ी घटनाएं

  • 1860 – ब्रिटिश सेना ने चीन में पेकिंग पर हमला किया था।

  • 1907 – इंग्लैंड ने भारत के लिए अपनी पहली हवाई यात्रा सेवा शुरू की थी।

  • 1945 – संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की प्रक्रिया शुरू हुई थी।

  • 1956 – 'मग्ना' उपग्रह का पहला सफल प्रक्षेपण हुआ था।

  • 1961 – अल्जीरिया ने फ्रांस से अपनी स्वतंत्रता घोषित की थी।

  • 1989 – सैन फ्रांसिस्को भूकंप आया था।

  • 1992 – फेमस 'फिल्मी सितारे' स्टार का जन्म शाहरुख खानका जन्म हुआ था।

  • 2001 – ऑपरेशन एंजेल्स और अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान में सैन्य कार्रवाई की शुरुआत थी।

17 अक्टूबर को भारत और विश्व के नजरिए से क्यों याद रखा जाना चाहिए?

भारत में:

17 अक्टूबर का दिन भारत के लिए ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी घटनाओं से जुड़ा हुआ है। साथ ही, इस दिन भारत में कई सांस्कृतिक और राजनीतिक घटनाएं हुई हैं, जिन्होंने देश की दिशा को प्रभावित किया।

विश्व में:

17 अक्टूबर का दिन इतिहास में कई अहम घटनाओं के लिए जाना जाता है। इस दिन 1989 में आए भूकंप ने अमेरिका और पूरी दुनिया को हैरान कर दिया। इसने सुरक्षा मुद्दों पर दुनिया का ध्यान खींचा।

वहीं, 1973 का यॉम किप्पुर युद्ध मध्य पूर्व में शांति प्रक्रिया के लिए बड़ा झटका था। यह युद्ध आज भी क्षेत्रीय राजनीति पर असर डालता है।

17 अक्टूबर को हुई इन घटनाओं ने वैश्विक दृष्टिकोण बदल दिया। चाहे वह भूकंप हो या युद्ध, इन घटनाओं ने दुनिया को एक नई दिशा दी।

इन घटनाओं (आज की तारीख का इतिहास) ने हमें यह समझने में मदद की कि दुनिया का सामना किस तरह की चुनौतियों से होता है। ऐसे दिन हमें सोचने पर मजबूर करते हैं कि हमारा इतिहास किस दिशा में जा रहा है। यह दिन वैश्विक बदलावों को समझने का अहम मौका है।

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