18 नवंबर का इतिहास: भारत का ऐतिहासिक फैसला, जब जंगल का राजा बना राष्ट्रीय पशु, जानें इतिहास

18 नवंबर 1972 को बाघ को भारत का राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया। यह निर्णय बाघों के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। बाघों की संख्या कम हो रही थी, इसलिये बाघ को राष्ट्रीय प्रतीक बना कर संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक किया गया।

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Manya Jain
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18 नवंबर 1972, वो दिन था जब बाघ को भारत का राष्ट्रीय पशु चुना गया। यह दिन भारत के वन्यजीव संरक्षण में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।

बाघ को भारतीय जंगलों का राजा माना जाता है और यह भारत की शान है। बाघ की खूबसूरती, ताकत और शिकार करने की क्षमता ने इसे जंगलों का शहंशाह बना दिया।

पर्यावरण की रक्षा करता जंगलों का शहंशाह

बाघ (Panthera tigris) भारत के जंगलों का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह सिर्फ एक जानवर नहीं, बल्कि हमारे जंगलों का प्रतीक है।

बाघ हमारे जंगलों में एक संतुलन बनाए रखता है और यह पर्यावरण की रक्षा करता है। बाघ की शिकार क्षमता, उसकी ताकत और उसका लुक, इसे सभी जानवरों से अलग बनाता है।

बाघ के अस्तित्व के संकट को समझते हुए भारत सरकार ने 1972 में भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम लागू किया। इसके तहत बाघों की रक्षा के लिए कई कदम उठाए गए थे।

इसके बाद 18 नवंबर 1972 को बाघ को राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया, ताकि देश के लोग इसके संरक्षण की अहमियत समझें और इसे बचाने के लिए हर संभव कदम उठाएं।

राष्ट्रीय पशु बनने की कहानी

18 नवंबर 1972 को भारत सरकार ने बाघ को राष्ट्रीय पशु घोषित किया। यह कदम बाघों के संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम था। उस समय बाघों की संख्या तेजी से घट रही थी, और उनका शिकार बढ़ गया था।

यह चिंता का विषय बन गया था। इस कारण बाघों को राष्ट्रीय प्रतीक बनाने का निर्णय लिया गया, ताकि इसके संरक्षण के लिए लोग जागरूक हो सकें।

भारत में वन्यजीवों की स्थिति और उनकी सुरक्षा पर चर्चा बढ़ी। बाघ को राष्ट्रीय पशु बनाकर, भारत ने वन्यजीवों की सुरक्षा और उनके संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई।

इसी दौरान भारत में 'प्रोजेक्ट टाइगर' की शुरुआत भी हुई, ताकि बाघों की संख्या बढ़ाई जा सके।

बाघों के लिए सक्रिय राज्य और उनके प्रयास

भारत में बाघों का संरक्षण कई राज्य सक्रिय रूप से कर रहे हैं। बाघों की सबसे बड़ी संख्या मध्य प्रदेश, कर्नाटका, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में है। इन राज्यों में बाघों के लिए विशेष अभयारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों का निर्माण किया गया है, ताकि बाघों को सुरक्षा मिल सके।

मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश को ‘भारत का टाइगर राज्य’ कहा जाता है। एमपी में बाघ कान्हा और बांधवगढ़ जैसे राष्ट्रीय उद्यान बाघों का घर हैं। इन पार्कों में बाघों की बड़ी संख्या है।

कर्नाटका: कर्नाटका का बांदीपुर और नागरहोल जैसे राष्ट्रीय उद्यान बाघों के लिए सुरक्षित हैं। यहाँ बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रम चलाए गए हैं।

उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश में दुधवा और रामगंगा जैसे पार्कों में बाघों की अच्छी आबादी है। इन पार्कों में बाघों के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं।

तमिलनाडु: तमिलनाडु के इंदिरा गांधी और मुदुमलई पार्कों में बाघों का घर है। यहाँ बाघों की सुरक्षा के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं।

इसके अलावा, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और उत्तराखंड में भी बाघों की संख्या बढ़ रही है। इन राज्यों में बाघों के संरक्षण के लिए प्रयास लगातार जारी हैं।

बाघों के संरक्षण की चुनौतियां

बाघों के संरक्षण के बावजूद कई समस्याएं हैं। सबसे बड़ी चुनौती है उनके आवास का संकुचन। जंगलों की कटाई और मनुष्य के कारण बाघों का प्राकृतिक आवास घट रहा है।

इसके अलावा, बाघों का शिकार और मनुष्य-बाघ संघर्ष भी बढ़ रहा है। जब बाघों के जंगलों में मनुष्य बस्तियाँ बनाने लगे हैं, तो संघर्ष होना स्वाभाविक है।

इन समस्याओं से निपटने के लिए भारत सरकार और कई संगठन बाघों के संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं। सुरक्षित आवास, शिकार की रोकथाम और जागरूकता के माध्यम से इन समस्याओं को हल किया जा रहा है।

 आज के दिन की कहानी

18 नवंबर 1972 को बाघ को राष्ट्रीय पशु बनाना एक ऐतिहासिक निर्णय था। इससे न केवल बाघों की सुरक्षा को बढ़ावा मिला, बल्कि पूरे देश में वन्यजीवों के संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम उठा गया। 

बाघ भारत के पर्यावरण और जैवविविधता का अहम हिस्सा है। हमें इसे बचाने के लिए और अधिक प्रयास करने होंगे ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी बाघ की खूबसूरती और शिकार की महारत का आनंद ले सकें।

18 नवंबर की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं

हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 18 नवंबर का दिन भी इतिहास (आज की यादगार घटनाएं) में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है।

इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 16 नवम्बर (आज की तारीख का इतिहास) को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।

विश्व इतिहास की प्रमुख घटनाएं

  • 18 नवंबर 1972 – भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ घोषित हुआ:
    18 नवंबर 1972 को बाघ को भारत का राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया था। यह निर्णय भारतीय वन्यजीवों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था।

  • 18 नवंबर 1978 – मीर जाफर की मृत्यु:
    बंगाल के नबाब मीर जाफर की 18 नवंबर 1978 को मृत्यु हो गई। वह 1757 में प्लासी की लड़ाई में अंग्रेजों से मिलीभगत कर भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

  • 18 नवंबर 1916 – मैक्सिको की क्रांतिकारी सेना की विजय:
    मैक्सिको में 1910 से 1920 तक चलने वाली क्रांति के दौरान, 18 नवंबर 1916 को क्रांतिकारी सेना ने सैन लुइस पोतोसी में बड़ी विजय प्राप्त की।

  • 18 नवंबर 1970 – रूस ने पृथ्वी की कक्षा में पहला स्पेस स्टेशन लॉन्च किया:
    18 नवंबर 1970 को रूस ने सोवियत स्पेस स्टेशन 'साल्युत 1' लॉन्च किया, जो मानव अंतरिक्ष यात्रा के इतिहास में एक बड़ा कदम था।

  • 18 नवंबर 1991 – भारत में बोफोर्स घोटाला सामने आया:
    18 नवंबर 1991 को भारत में बोफोर्स घोटाले का पर्दाफाश हुआ, जिसमें यह आरोप था कि बोफोर्स द्वारा भारत को हथियार आपूर्ति के लिए भारी रिश्वत दी गई थी।

  • 18 नवंबर 1994 – पाकिस्तान ने एक और परमाणु परीक्षण किया:
    पाकिस्तान ने 18 नवंबर 1994 को अपनी परमाणु शक्ति का परीक्षण किया। इससे भारत-पाकिस्तान के बीच रिश्तों में तनाव बढ़ गया।

  • 18 नवंबर 1999 – रॉयल बांगलादेश आर्मी ने सत्ता पर कब्जा किया:
    बांगलादेश के सैनिकों ने 18 नवंबर 1999 को एक तख्तापलट करके सरकार को गिरा दिया और सत्ता अपने हाथों में ली।

  • 18 नवंबर 2001 – अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना ने प्रमुख सफल हमले किए:
    अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ अमेरिकी हमले के दौरान 18 नवंबर 2001 को कई महत्वपूर्ण स्थानों पर हमले किए गए थे।

  • 18 नवंबर 1943 – डॉ. बी. आर. आंबेडकर ने भारतीय संविधान पर अपनी टिप्पणियाँ दीं:
    18 नवंबर 1943 को भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर ने संविधान के बारे में महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ दीं, जो भारतीय राजनीति का एक मील का पत्थर साबित हुआ।

  • 18 नवंबर 2003 – शिंजो आबे जापान के प्रधानमंत्री बने:
    18 नवंबर 2003 को शिंजो आबे ने जापान के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। उन्होंने अपने कार्यकाल में जापान की राजनीति में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए।

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