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आज के दिन की कहानी: बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को हुआ था। उनका जन्म उस समय के बिहार (अब झारखंड राज्य) में हुआ था। बिरसा मुंडा एक ऐसे जनजातीय परिवार से थे, जो गरीबी और गुलामी दोनों झेल रहा था। उनके पिता सुगना मुंडा और माता करमी हातू साधारण किसान थे।
बचपन से ही उन्होंने ब्रिटिश राज और जमींदारों का अत्याचार देखा। उस समय आदिवासियों के 'जल, जंगल और जमीन' के अधिकार छीने जा रहे थे। बिरसा मुंडा ने मिशनरी स्कूलों में शुरुआती पढ़ाई की।
उन्होंने बचपन में ही आदिवासियों की दुर्दशा को बहुत करीब से समझा। उन्होंने देखा कि किस तरह बाहरी लोग उनकी पारंपरिक व्यवस्था को खत्म कर रहे हैं। यही अनुभव उन्हें आगे चलकर एक महान क्रांतिकारी और समाज सुधारक बनने के लिए प्रेरित करता है।
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सामाजिक सुधार और धर्म का उदय
करीब 1890 के दशक में बिरसा मुंडा (बिरसा मुंडा की कहानी) ने समाज सुधार का काम शुरू किया। उन्होंने बिरसैत नामक एक नए धर्म का प्रचार किया। इस धर्म में एक ही भगवान की पूजा करने और अंधविश्वासों को छोड़ने पर जोर दिया गया।
उन्होंने आदिवासियों को साफ-सफाई और अच्छे नैतिक मूल्यों को अपनाने की सीख दी। इस दौरान बिरसा मुंडा को लोग 'धरती आबा' यानी पृथ्वी के पिता, कहकर पुकारने लगे।
उनका यह प्रयास सिर्फ धार्मिक नहीं था। बल्कि यह आदिवासियों को एकजुट करने का एक तरीका भी था। इस तरह बिरसा मुंडा ने अपने लोगों को एक पहचान दी। यह एक बहुत ही बिलीवेबल तरीका था जिससे उन्होंने अपने लोगों में आत्मविश्वास भरा।
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ब्रिटिश राज के खिलाफ महाविद्रोह
जब बिरसा मुंडा (biography of Birsa Munda) ने देखा कि शांति से उनकी बातें नहीं सुनी जा रही हैं। तो उन्होंने उलगुलान यानी 'महान हलचल' नामक आंदोलन शुरू किया। उलगुलान का मुख्य उद्देश्य 'जल, जंगल और जमीन' पर आदिवासियों के पारंपरिक अधिकार बहाल कराना था।
यह आंदोलन ब्रिटिश लगान व्यवस्था और बंधुआ मजदूरी के खिलाफ था। बिरसा मुंडा ने गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनाई, जिससे अंग्रेजों को बहुत मुश्किल हुई।
उनके नेतृत्व में आदिवासियों ने पुलिस स्टेशनों और सरकारी इमारतों पर हमले किए। यह एक ऐतिहासिक विद्रोह था जिसने ब्रिटिश सरकार की नींव हिला दी।
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जनजातीय समुदायों की मदद
हालांकि बिरसा मुंडा का मुख्य कार्यक्षेत्र झारखंड (तब बिहार) था। लेकिन उनका प्रभाव पूरे मध्य भारत के जनजातीय समुदायों पर पड़ा। मध्य प्रदेश का पूर्वी हिस्सा जो गोंड और भील जनजातियों का क्षेत्र है, वहां भी बिरसा मुंडा की प्रेरणा पहुची।
उनके उलगुलान आंदोलन ने मध्य प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में भी स्वतंत्रता की भावना जगाई। यहां के आदिवासी भी जंगल कानूनों के खिलाफ एकजुट हुए।
बिरसा मुंडा का संघर्ष जनजातीय गौरव का प्रतीक बन गया। इसीलिए आज मध्य प्रदेश में भी उनकी जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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बलिदान और अमर गाथा
साल 1900 में बिरसा मुंडा को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया। 9 जून 1900 को मात्र 25 वर्ष की आयु में उनकी रांची जेल में मृत्यु हो गई। आधिकारिक तौर पर उनकी मौत हैजा से हुई थी। लेकिन कई लोगों का मानना है कि उन्हें जहर दिया गया था।
बिरसा मुंडा का संघर्ष भले ही 25 साल में खत्म हो गया, लेकिन उनकी कहानी अमर हो गई। वह आज भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान जनजातीय हीरो माने जाते हैं।
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भारत सरकार ने उनके जन्मदिन (15 नवंबर) को जनजातीय गौरव दिवस (Janjatiya Gaurav Diwas) घोषित किया है। यह दिन हमारे देश के आदिवासी समुदायों के योगदान, संस्कृति और शौर्य को समर्पित है।
यह सम्मान हमें याद दिलाता है कि स्वतंत्रता संग्राम में केवल कुछ ही नहीं। बल्कि हर वर्ग के लोगों ने बलिदान दिया था। यह दिवस बिरसा मुंडा के न्याय और अधिकारों के लिए लड़ने के दृढ़ संकल्प को दर्शाता है।
References:
- Ministry of Tribal Affairs, Govt. of India (Janajatiya Gaurav Diwas Notification)
- National Archives of India (Records on Tribal Revolts)
- Gazetteer of India (Chota Nagpur Division)
- Historical records from Ranchi Jail (Death Records)
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15 नवंबर की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं
हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 15 नवम्बर का दिन भी इतिहास (आज की यादगार घटनाएं) में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है।
इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 15 नवम्बर (आज की तारीख का इतिहास) को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।
विश्व इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं
1315: स्विट्जरलैंड में 1,500 स्विस सैनिकों ने ऑस्ट्रियाई सैनिकों पर घात लगाकर हमला किया, जो एक ऐतिहासिक जीत थी।
1630: प्रसिद्ध जर्मन खगोलशास्त्री योहन केपलर का 59 वर्ष की आयु में निधन हुआ।
विशेष: उन्होंने उपग्रहों की चाल के लिए केपलर के नियम दिए थे।
1688: इंग्लैंड के सिंहासन पर ऑरेंज के राजकुमार विलियम ने आक्रमण किया।
1777: अमेरिकी क्रांति के दौरान महाद्वीपीय कांग्रेस ने परिसंघ के लेखों (Articles of Confederation) को अपनाया।
1859: ग्रीस की राजधानी एथेंस में व्यवसायी इवेंजेलोस जप्पा द्वारा प्रायोजित पहले आधुनिक ओलंपिक खेलों का आयोजन हुआ।
1864: अमेरिकी गृहयुद्ध के दौरान, यूनियन आर्मी के जनरल विलियम टी. शेरमन ने 'मार्च टू द सी' अभियान शुरू किया।
1884: अफ़्रीका महाद्वीप के विभाजन के लिए जर्मनी के बर्लिन में बर्लिन कॉन्फ़्रेंस आरंभ हुई।
1889: ब्राजील के सम्राट पेड्रो द्वितीय का तख्तापलट हुआ और ब्राजील को गणराज्य (Republic) घोषित किया गया।
1905: किंग कैंप जिलेट को दो तरफ धार वाली सेफ्टी रेजर ब्लेड का पेटेंट मिला, जो दुनिया के लिए एक बड़ी क्रांति थी।
1935: फिलीपींस को आधिकारिक तौर पर राष्ट्रमंडल के रूप में स्थापित किया गया।
1943: होलोकॉस्ट के दौरान, हेनरिक हिमलर ने यहूदियों के साथ-साथ रोमियों (जिप्सी) को भी एकाग्रता शिविरों में रखने का आदेश दिया।
1971: इंटेल कंपनी ने दुनिया का पहला सिंगल चिप माइक्रोप्रोसेसर 'इंटेल 4004' जारी किया।
1978: मक्का से इंडोनेशिया जा रहा एक विमान श्रीलंका में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें 183 लोग मारे गए।
1985: कोलंबियाई शहर अर्मेरो में एक ज्वालामुखी विस्फोट के कारण लगभग 20,000 लोगों की दुःखद मृत्यु हुई।
1988: सोवियत संघ ने अपने पुनः प्रयोज्य अंतरिक्ष यान 'बुरान' को मानव रहित अंतरिक्ष उड़ान पर सफलतापूर्वक लॉन्च किया।
2012: चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव के पद से हू जिंताओ ने पद छोड़ा और शी जिनपिंग ने उनकी जगह ली।
भारत की महत्वपूर्ण घटनाएं
1986: भारत की दिग्गज महिला टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा का जन्म महाराष्ट्र के मुंबई शहर में हुआ।
1989: क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने पाकिस्तान के खिलाफ अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की।
2000: बिहार से अलग होकर झारखंड भारत का 28वां राज्य बना।
2006: आतंकवाद से लड़ने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच पहली शांति वार्ता के दौरान एक संयुक्त टीम गठित करने का फैसला किया गया।
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