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आज की तारीख का इतिहास:19 सितम्बर 1965... इस दिन अमेरिका के ओहियो राज्य में एक छोटी बच्ची ने जन्म लिया, जिसे दुनिया आज सुनीता विलियम्स के नाम से जानती है।
एक भारतीय-अमेरिकी पिता और एक स्लोवेनियाई-अमेरिकी मां की संतान, सुनीता का बचपन भले ही अमेरिका में बीता लेकिन उनका दिल हमेशा अपनी भारतीय जड़ों से जुड़ा रहा।
उनकी कहानी सिर्फ एक अंतरिक्ष यात्री की कहानी नहीं है, बल्कि यह उस साहस, दृढ़ संकल्प और जुनून की कहानी है जिसने उन्हें धरती से हजारों मील दूर अंतरिक्ष में भी भारत का नाम रोशन करने का मौका दिया।
बचपन से ही आसमान की तरफ थी निगाहें
सुनीता विलियम्स का बचपन बेहद सामान्य था। वो न तो बचपन से ही अंतरिक्ष यात्री बनने का सपना देखती थीं और न ही पढ़ाई में सबसे आगे थीं। उन्हें स्विमिंग, मछली पकड़ना और दौड़ना बेहद पसंद था।
अपने पिता दीपक पंड्या से उन्हें भारतीय संस्कृति के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा मेसाचुसेट्स से पूरी की, लेकिन उनका मन हमेशा कुछ बड़ा और रोमांचक करने का था।
यही वजह थी कि उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए यू.एस. नेवल अकादमी को चुना। यहां एक ऐसा फैसला था जिसने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी। यहां उन्होंने मरीन इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की।
नेवल अकादमी में मिली कड़ी ट्रेनिंग ने उनके शरीर और दिमाग को भविष्य की बड़ी चुनौतियों के लिए तैयार किया। अपनी काबिलियत और लगन के दम पर उन्होंने 1987 में नेवी में एक अधिकारी के तौर पर अपना करियर शुरू किया।
इसके बाद उन्होंने नेवल एविएटर के रूप में हेलीकॉप्टर पायलट की ट्रेनिंग ली और फिर टेस्ट पायलट बन गईं। उनकी यह जर्नी साबित करती है कि हर बड़ा सपना एक छोटे और मजबूत कदम से शुरू होता है।
NASA में एंट्री: जब सपना बना हकीकत
नेवी में एक सफल करियर के बाद, सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष यात्री बनने का अपना सपना साकार करने की ठानी। उन्होंने 1998 में नासा (NASA) के लिए आवेदन किया और उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई।
1998 में उन्हें अंतरिक्ष यात्री के तौर पर चुना गया। यह उनके जीवन का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट था। नासा में ट्रेनिंग आसान नहीं थी। उन्हें घंटों तक सिम्युलेटर में बैठना पड़ता, स्पेस वॉक के लिए बनाए गए बड़े स्विमिंग पूल में अभ्यास करना पड़ता और हर तरह के शारीरिक और मानसिक टेस्ट पास करने होते।
उनकी यह ट्रेनिंग करीब छह साल तक चली, जिसने उन्हें अंतरिक्ष में जाने के लिए पूरी तरह से तैयार कर दिया। ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनका फोकस सिर्फ अपने लक्ष्य पर था: अंतरिक्ष में जाना और अपनी काबिलियत को साबित करना।
पहला अंतरिक्ष मिशन
10 दिसंबर 2006, यह वह दिन था जब सुनीता विलियम्स का सपना हकीकत बना। स्पेस शटल डिस्कवरी के साथ वह अपने पहले मिशन पर अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए रवाना हुईं।
यह एक ऐसा सफर था जिसने उन्हें एक विश्व रिकॉर्ड होल्डर बना दिया। अंतरिक्ष में रहते हुए उन्होंने कई रिकॉर्ड बनाए। उन्होंने 195 दिन तक अंतरिक्ष में रहकर एक नया रिकॉर्ड कायम किया, जो उस समय किसी भी महिला द्वारा अंतरिक्ष में बिताया गया सबसे लंबा समय था।
इसके अलावा उन्होंने 4 स्पेसवॉक करके कुल 29 घंटे और 17 मिनट अंतरिक्ष में काम किया, जो उस समय महिला अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एक वर्ल्ड रिकॉर्ड था।
उनकी यह उपलब्धि सिर्फ उनके लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा थी। उन्होंने साबित किया कि अगर आप अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हैं, तो कोई भी सीमा आपको रोक नहीं सकती।
अंतरिक्ष में रहते हुए सुनीता ने कुछ ऐसा किया, जिसने हर भारतीय का दिल जीत लिया। वह अपने साथ भगवद गीता, भगवान गणेश की एक छोटी मूर्ति और समोसा ले गईं थीं।
इसके अलावा, उन्होंने स्पेस में रहते हुए बोस्टन मैराथन में भी भाग लिया और उसे पूरा भी किया। ये सभी बातें दिखाती हैं कि वह अपनी संस्कृति और परंपराओं को कितनी अहमियत देती हैं, भले ही वह धरती से कितनी भी दूर क्यों न हों।
दूसरा मिशन और निरंतर योगदान
अपने पहले मिशन की सफलता के बाद, सुनीता विलियम्स ने एक बार फिर अंतरिक्ष की यात्रा की। 2012 में उन्होंने एक्सपीडिशन 32 और 33 के क्रू मेंबर के रूप में अंतरिक्ष स्टेशन के लिए उड़ान भरी। इस बार उनका रोल और भी बड़ा था।
वह एक्सपीडिशन 33 की कमांडर बनीं, जो उनकी काबिलियत और नेतृत्व क्षमता का प्रतीक था। इस मिशन में भी उन्होंने कुछ नए रिकॉर्ड बनाए। उन्होंने एक और स्पेसवॉक करके कुल 50 घंटे से भी ज्यादा समय अंतरिक्ष में काम किया।
उनका यह योगदान सिर्फ साइंस और टेक्नोलॉजी तक ही सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने अंतरिक्ष से बच्चों और युवाओं के साथ संवाद किया और उन्हें साइंस, इंजीनियरिंग और स्पेस एक्सप्लोरेशन के बारे में बताया। उनका उद्देश्य था नई पीढ़ी को प्रेरित करना ताकि वे भी अपने सपनों को उड़ान दे सकें।
लिगेसी और इंस्पिरेशन का सफर
सुनीता विलियम्स का सफर एक आम लड़की से दुनिया की सबसे प्रसिद्ध अंतरिक्ष यात्रियों में से एक बनने का सफर है। उन्होंने न केवल अपने सपनों को पूरा किया, बल्कि अनगिनत लोगों को भी प्रेरित किया।
उनके साहस और दृढ़ता को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 2008 में पद्म भूषण से सम्मानित किया। यह सम्मान उनके भारतीय कनेक्शन और उनकी उपलब्धियों के लिए दिया गया था।
आज, जब हम सुनीता विलियम्स के बारे में सोचते हैं, तो हमें न केवल उनके रिकॉर्ड्स याद आते हैं, बल्कि उनकी विनम्रता, उनका जुनून और अपने काम के प्रति उनका समर्पण भी याद आता है।
उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि चाहे आप किसी भी बैकग्राउंड से हों, अगर आपमें मेहनत करने की लगन है, तो आप आसमान की ऊंचाइयों को भी छू सकते हैं।
सुनीता विलियम्स सिर्फ एक अंतरिक्ष यात्री नहीं हैं, बल्कि वह हर उस व्यक्ति के लिए एक प्रेरणा हैं जो अपने सपनों को पूरा करने की हिम्मत रखता है। उनका सफर यही कहता है: "आप जो सोच सकते हैं, वो आप कर सकते हैं।"
संदर्भ (Reference):
- आप सुनीता विलियम्स के बारे में और अधिक जानकारी NASA की आधिकारिक वेबसाइट पर उनके बायो पेज पर देख सकते हैं: https://www.nasa.gov/send-me-to-space/biography/sunita-williams-biography/
19 सितंबर का इतिहास
हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 19 सितंबर का दिन भी इतिहास (आज की यादगार घटनाएं) में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है।
इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 19 सितंबर को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।
विश्व की प्रमुख ऐतिहासिक घटनाएं
1676: बेकन के विद्रोह के दौरान, वर्जीनिया के निवासियों ने औपनिवेशिक राजधानी को आग के हवाले कर दिया।
1692: सलेम चुड़ैल परीक्षण के दौरान, जाइल्स कोरी को डायन होने के आरोप में कुचल कर मार दिया गया। उनके आखिरी शब्द थे, "और वजन!"
1755: ग्रेट ब्रिटेन और रूस ने एक सैन्य समझौते पर हस्ताक्षर किए।
1846: फ्रांस के ला सालेट में दो बच्चों ने वर्जिन मैरी के दर्शन होने का अनुभव किया, जिसे 'हमारी लेडी ऑफ ला सालेट' के नाम से जाना जाता है।
1863: अमेरिकी गृहयुद्ध की सबसे महत्वपूर्ण लड़ाइयों में से एक, चिकमूगा की लड़ाई, जॉर्जिया में शुरू हुई।
1865: अमेरिका में अटलांटा विश्वविद्यालय की स्थापना हुई।
1870: फ्रेंको-प्रुशियन युद्ध के दौरान पेरिस की घेराबंदी शुरू हुई।
1888: विश्व की पहली सौंदर्य प्रतियोगिता बेल्जियम में आयोजित की गई।
1893: न्यूजीलैंड महिलाओं को मतदान का अधिकार देने वाला दुनिया का पहला देश बन गया।
1940: पोलिश प्रतिरोध के सदस्य विटोल्ड पिल्की ने खुफिया जानकारी जुटाने के लिए खुद को जर्मन सेनाओं के पास आत्मसमर्पण कर दिया ताकि उन्हें ऑशविट्ज़ एकाग्रता शिविर भेजा जा सके।
1944: फिनलैंड और सोवियत संघ ने मॉस्को आर्मिस्टिस पर हस्ताक्षर कर युद्ध समाप्त किया।
1952: प्रसिद्ध अभिनेता चार्ली चैपलिन को उनके घर हॉलीवुड में प्रवेश से रोक दिया गया और उनकी जांच की गई।
1955: अर्जेंटीना में सेना और नौसेना के विद्रोह के बाद राष्ट्रपति जुआन पेरोन को पद से हटा दिया गया।
1957: अमेरिका ने नेवादा रेगिस्तान में अपना पहला भूमिगत परमाणु परीक्षण किया।
1960: चब्बी चेकर के गाने 'द ट्विस्ट' की सफलता के बाद दुनिया भर में 'ट्विस्ट डांस' का क्रेज शुरू हुआ।
1970: पहला ग्लैस्टनबरी फेस्टिवल, दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीनफील्ड फेस्टिवल, इंग्लैंड में आयोजित किया गया।
1973: सोवियत संघ ने एक सफल भूमिगत परमाणु परीक्षण किया।
1974: होंडुरास में आए समुद्री तूफान फिफी से करीब 5000 लोगों की मौत हुई।
1982: स्कॉट फाहमैन ऑनलाइन मैसेज में इमोटिकॉन का इस्तेमाल करने वाले पहले व्यक्ति बने।
1983: सेंट किट्स और नेविस एक स्वतंत्र राज्य बन गए।
1985: मेक्सिको सिटी में 8.1 तीव्रता का भूकंप आया, जिसमें लगभग 10,000 लोग मारे गए और भारी तबाही हुई।
1991: ओत्ज़ी नाम के 3300 ईसा पूर्व के एक व्यक्ति का प्राकृतिक ममीकरण शरीर दो जर्मन पर्यटकों द्वारा खोजा गया।
2006: थाईलैंड में सैन्य तख्तापलट हुआ और जनरल सुरायुद प्रधानमंत्री बने।
2007: इजरायल ने फिलिस्तीनी-नियंत्रित गाजा पट्टी को एक 'दुश्मन इकाई' घोषित किया।
2008: चीन ने बच्चों के फॉर्मूले में मेलामाइन पाए जाने के बाद बड़े पैमाने पर दूध उत्पादों को वापस मंगाया, जिससे हजारों बच्चे बीमार हुए।
2014: एप्पल आईफोन 6 की बिक्री शुरू हुई।
634: खालिद इब्न अल-वालिद के नेतृत्व में अरबों ने बीजान्टिन साम्राज्य से दमिश्क पर कब्जा कर लिया।
भारत की प्रमुख ऐतिहासिक घटनाएं
1965: भारतीय मूल की दूसरी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स का जन्म हुआ।
2007: भारत के क्रिकेटर युवराज सिंह ने डरबन में इंग्लैंड के खिलाफ टी-20 मैच में स्टुअर्ट ब्रॉड के एक ओवर में छह छक्के लगाकर सबसे तेज अर्धशतक (12 गेंदों पर) का रिकॉर्ड बनाया।
2011: 2011 के सिक्किम भूकंप के बाद भारत, नेपाल और तिब्बत में बचाव कार्य जारी रहे, जिसमें कम से कम 67 लोगों की जान चली गई थी।