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आज के दिन की कहानी: आज हम बात करेंगे उस गौरवशाली पल की जब पूरा भारत अंग्रेजों का गुलाम था। साल था 1943 और तारीख थी 30 दिसंबर जब एक महानायक ने हुंकार भरी थी। वो महानायक कोई और नहीं बल्कि हमारे प्रिय नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही थे। उन्होंने अंडमान और निकोबार के पोर्ट ब्लेयर में पहली बार तिरंगा झंडा फहराया था।
यह वह समय था जब पूरी दुनिया दूसरे विश्व युद्ध की आग में थी। नेताजी ने अपनी आजाद हिंद फौज के साथ मिलकर आजादी का बिगुल फूंका था। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भारत का पहला हिस्सा बना जो आजाद हुआ।
यह घटना ब्रिटिश हुकूमत के अंत की शुरुआत का सबसे बड़ा संकेत बन गई थी। उस दिन दुनिया ने देखा कि भारत अब और ज्यादा दिनों तक गुलाम नहीं रहेगा। इस घटना ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक नया जोश भर दिया था।
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नेताजी का पोर्ट ब्लेयर आगमन
नेताजी सुभाष चंद्र बोस 29 दिसंबर 1943 को पोर्ट ब्लेयर के हवाई अड्डे पहुंचे थे। वहां उनका स्वागत किसी राजा की तरह नहीं, बल्कि एक मुक्तिदाता की तरह हुआ। उनके साथ आजाद हिंद फौज के वीर सिपाही और जापानी सेना के अधिकारी भी थे।
पूरे द्वीप पर एक अलग ही ऊर्जा और देशभक्ति का माहौल नजर आ रहा था। लोगों को यकीन नहीं हो रहा था कि उनकी अपनी सरकार बनने वाली है।
नेताजी के चेहरे पर दृढ़ संकल्प और आंखों में आजादी का सपना साफ दिख रहा था। वह पल हर भारतीय के लिए गर्व और आत्म-सम्मान से भरा हुआ पल था।
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जिमखाना ग्राउंड पर फहराया तिरंगा
30 दिसंबर की सुबह पोर्ट ब्लेयर के जिमखाना ग्राउंड पर भारी भीड़ जमा हुई थी। नेताजी ने अपने हाथों से भारत की आजादी का तिरंगा झंडा ऊपर की ओर खींचा। जैसे ही झंडा लहराया, हवा में जय हिंद और इंकलाब जिंदाबाद के नारे गूंजने लगे।
यह भारत की पहली ऐसी जगह थी जिसे अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त कराया गया। नेताजी ने अंडमान को शहीद और निकोबार को स्वराज का नया नाम दिया था। सेलुलर जेल के पास फहराया गया वह झंडा ब्रिटिश हुकूमत के अंत का प्रतीक था। नेताजी ने वहां घोषणा की थी कि भारत की पूर्ण आजादी अब ज्यादा दूर नहीं है।
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आजाद हिंद सरकार का गठन
नेताजी ने सिंगापुर में पहले ही आरजी हुकूमत-ए-आजाद हिंद यानी आजाद हिंद सरकार बना ली थी। पोर्ट ब्लेयर में झंडा फहराना उस सरकार के वास्तविक अस्तित्व को साबित करना था। नौ देशों ने नेताजी की इस सरकार को आधिकारिक तौर पर अपनी मान्यता दी थी। इसमें जापान, जर्मनी, इटली और क्रोएशिया जैसे कई बड़े शक्तिशाली देश शामिल थे।
नेताजी ने साबित कर दिया कि वह केवल बातों में नहीं बल्कि एक्शन में विश्वास रखते हैं। उन्होंने अपनी सेना बनाई, अपनी मुद्रा जारी की और अब अपना क्षेत्र भी था। यह ब्रिटिश साम्राज्य की जड़ों को हिला देने वाला एक बहुत बड़ा राजनीतिक कदम था।
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सेलुलर जेल की यात्रा
झंडा फहराने के बाद नेताजी ऐतिहासिक और डरावनी सेलुलर जेल देखने के लिए गए थे। यह वही जेल है जिसे लोग 'काला पानी' के नाम से भी जानते थे। वहां नेताजी ने उन कोठरियों को देखा जहां भारतीय क्रांतिकारियों को यातनाएं दी जाती थीं।
बोस ने वीर सावरकर और अन्य शहीदों के बलिदान को याद कर अपना सिर झुकाया। नेताजी की आंखों में उन वीरों के लिए सम्मान और अंग्रेजों के लिए गुस्सा था। उन्होंने महसूस किया कि आजादी के लिए कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। वह यात्रा केवल एक भ्रमण नहीं, बल्कि बलिदान की भूमि को नमन करना था।
आजाद हिंद फौज का प्रभाव
जब पोर्ट ब्लेयर पर तिरंगा लहराया, तो ब्रिटिश इंटेलिजेंस पूरी तरह हैरान रह गई थी। नेताजी की इस जीत ने भारतीय सैनिकों के मन में विद्रोह का बीज बोया। लोग अब समझने लगे थे कि अंग्रेज अजेय नहीं हैं और उन्हें हराया जा सकता है।
यह सिर्फ एक प्रतीकात्मक जीत नहीं थी बल्कि यह एक सैन्य सफलता थी। नेताजी ने साबित किया कि भारत अपनी लड़ाई खुद लड़ने में सक्षम है। इस घटना के बाद ही भारत के बाकी हिस्सों में क्रांति और तेज हुई। आज हम उसी साहस के कारण आजाद हवा में सांस ले पा रहे हैं।
Reference Link:
अंडमान और निकोबार प्रशासन (Official Website): Andaman & Nicobar - Historical Events and Netaji
भारत सरकार का संस्कृति मंत्रालय (Ministry of Culture):
नेशनल आर्काइव्स ऑफ इंडिया (National Archives of India): Records of Netaji Subhash Chandra Bose - NAI
अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit Mahotsav):
30 दिसंबर की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं
आज का इतिहास में हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है। 30 दिसंबर का दिन भी इतिहास (आज की यादगार घटनाएं) में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है। इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी।
आइए जानते हैं 30 दिसंबर (आज की तारीख का इतिहास) को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं-
विश्व इतिहास की प्रमुख घटनाएं...
1460: इंग्लैंड में 'वेकफील्ड के युद्ध' के दौरान यॉर्क के ड्यूक रिचर्ड की हत्या कर दी गई।
1703: जापान की राजधानी टोक्यो में भीषण भूकंप आया, जिसमें लगभग 37 हजार लोगों की मौत हुई।
1731: अमेरिका का पहला आधिकारिक संगीत कार्यक्रम (Musical Concert) बोस्टन में आयोजित किया गया।
1853: अमेरिका ने $10 मिलियन में मैक्सिको से गिल्ला नदी के दक्षिण की 29,600 वर्ग मील जमीन खरीदी।
1861: अमेरिकी बैंकों ने सोने के बदले भुगतान करने की व्यवस्था को आधिकारिक रूप से बंद कर दिया।
1870: स्पेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री की हत्या कर दी गई।
1880: दक्षिण अफ्रीका में 'ट्रांसवाल' को गणतंत्र घोषित किया गया और पॉल क्रूगर इसके पहले राष्ट्रपति बने।
1896: फिलीपींस के राष्ट्रवादी नेता जोस रिजल को विद्रोह के आरोप में स्पेनिश अधिकारियों ने फांसी दे दी।
1903: शिकागो के इरोकॉइस थिएटर में भीषण आग लगने से 602 लोगों की दर्दनाक मौत हुई।
1922: रूस में क्रांति के बाद दुनिया के पहले कम्युनिस्ट देश 'सोवियत संघ' (USSR) की स्थापना हुई।
1935: इथियोपिया में इतालवी विमानों के हमले में स्वीडिश रेड क्रॉस की इकाई पूरी तरह तबाह हो गई।
1938: वीके जोरिकिन ने दुनिया के पहले इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन सिस्टम का पेटेंट अपने नाम कराया।
1947: रोमानिया के राजा माइकल को कम्युनिस्ट सरकार ने अपना सिंहासन छोड़ने पर मजबूर किया।
1965: फर्डिनेंड मार्कोस ने फिलीपींस के राष्ट्रपति के रूप में अपना पहला कार्यकाल शुरू किया।
1993: वेटिकन सिटी और इजरायल ने आधिकारिक तौर पर एक-दूसरे को मान्यता देकर राजनयिक संबंध बनाए।
1996: मध्य अमेरिकी देश ग्वाटेमाला में पिछले 36 वर्षों से चला आ रहा खूनी गृहयुद्ध समाप्त हुआ।
2006: इराक के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए फांसी दी गई।
2006: इंडोनेशियाई नौका 'एमवी सेनापति नुसंतारा' के डूबने से लगभग 400 लोगों की मौत हो गई।
2012: हिग्स बोसोन (गॉड पार्टिकल) की खोज को विज्ञान जगत की सबसे बड़ी उपलब्धि घोषित किया गया।
2014: एयरएशिया फ्लाइट 8501 का मलबा इंडोनेशिया के पास समुद्र में मिला, जिससे विमान के क्रैश होने की पुष्टि हुई।
भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण घटनाएं...
1706: पुडुचेरी के संस्थापक और फ्रांसीसी गवर्नर जनरल फ्रांस्वा मार्टिन का निधन हुआ।
1906: ढाका (अब बांग्लादेश) में 'अखिल भारतीय मुस्लिम लीग' की स्थापना की गई।
1935: भारत के महान शतरंज खिलाड़ी और ग्रैंडमास्टर मैनुअल एरॉन का जन्म हुआ।
1943: नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने पोर्ट ब्लेयर में पहली बार भारत की आजादी का तिरंगा फहराया।
1950: भारत के प्रसिद्ध गीतकार और कवि अनुज लुगुन का जन्म हुआ।
1971: महान वैज्ञानिक और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई का तिरुवनंतपुरम में निधन हुआ।
1975: हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि और कथाकार दुष्यंत कुमार का भोपाल में निधन हुआ।
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