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आज से ठीक 78 साल पहले 31 अगस्त 1947 को स्वतंत्र भारत ने एक अहम कदम उठाया। इसके तहत पूरे देश के लिए एक समान समय क्षेत्र भारतीय मानक समय (Indian Standard Time - IST) को आधिकारिक रूप से अपनाया गया।
यह फैसला न केवल प्रशासनिक और आर्थिक काम को तेजी में लाने के लिए किया गया था, बल्कि यह स्वतंत्र भारत की एकता और संगठन को मजबूत करने के लिए भी किया गया था। आइए इस महत्वपूर्ण घटना के पीछे की कहानी के बारे में विस्तार से जानते हैं।
कैेसे लागू हुआ था इंडियन स्टैंडर्ड टाइम ?
भारत एक विशाल देश है, जिसका पूर्व-पश्चिम विस्तार लगभग 2,933 किलोमीटर है। इस भौगोलिक विस्तार के कारण देश के पूर्वी हिस्सों जैसे अरुणाचल प्रदेश में सूर्योदय और सूर्यास्त पश्चिमी हिस्सों जैसे गुजरात से लगभग दो घंटे पहले होता है।
ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में कई स्थानीय समय क्षेत्र प्रचलित थे। इनमें मद्रास समय, कलकत्ता समय और बॉम्बे समय प्रमुख थे। ये समय क्षेत्र स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियों के आधार पर निर्धारित किए गए थे। लेकिन स्वतंत्रता के बाद इन विभिन्न समय क्षेत्रों ने प्रशासनिक और संचार व्यवस्था में जटिलताएं पैदा कीं।
ब्रिटिश शासन के दौरान कैसी थी व्यवस्था
1802 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के पहले आधिकारिक खगोलशास्त्री जॉन गोल्डिंगम ने मद्रास (वर्तमान चेन्नई) के देशांतर के आधार पर समय की गणना की थी, जो ग्रीनविच मीन टाइम (GMT) से 5 घंटे 30 मिनट आगे था। यह समय बाद में भारतीय मानक समय का आधार बना। हालांकि, यह व्यवस्था पूरे देश के लिए एकीकृत नहीं थी।
विभिन्न क्षेत्र अपने स्थानीय समय का उपयोग करते थे। स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने राष्ट्रीय एकता और प्रशासनिक सुगमता के लिए एक एकल समय क्षेत्र स्थापित करने का निर्णय लिया।
भारत में यहां है IST का केंद्र31 अगस्त 1947 को भारतीय मानक समय (IST) को आधिकारिक रूप से अपनाया गया। जो UTC+5:30 पर आधारित है। यह समय उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में 82.5 डिग्री पूर्वी देशांतर के आधार पर निर्धारित किया गया, जो भारत के भौगोलिक केंद्र के करीब है। |
इस फैसले के पीछे थी ये खास वजह
स्वतंत्रता के बाद भारत का लक्ष्य था कि एक संगठित और एकीकृत राष्ट्र का निर्माण हो। विभिन्न स्थानीय समय क्षेत्रों के कारण रेलवे, डाक सेवाएं और सरकारी कार्यों में समन्वय की कमी थी।
उदाहरण के लिए कोलकाता और मुंबई 1955 तक अपने स्थानीय समय (कलकत्ता समय और बॉम्बे समय) का उपयोग करते रहे, इससे रेलवे और टेलीग्राफ सेवाओं में समस्याएं उत्पन्न होती थीं। एक एकल समय क्षेत्र लागू करने से इन समस्याओं का समाधान हुआ और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिला।
इसके अलावा रेलवे और संचार जैसी सेवाएं, जो स्वतंत्रता के बाद तेजी से विस्तार कर रही थीं। एक एकसमान समय क्षेत्र की मांग करती रही। भारतीय रेलवे जो उस समय देश की सबसे बड़ी परिवहन प्रणाली थी। उसने समय की एकरूपता को अपनाकर अपनी सेवाओं को और अधिक कुशल बनाया।
भारतीय मानक समय को किया गया तय
भारतीय मानक समय का आधार मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश) का 82.5 डिग्री पूर्वी देशांतर बनाया गया। यह स्थान भारत के भौगोलिक केंद्र के करीब है। इससे पूरे देश के लिए समय का औसत मानक निर्धारित किया जा सका।
IST ग्रीनविच मीन टाइम से 5 घंटे 30 मिनट आगे है। राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (National Physical Laboratory - NPL) नई दिल्ली को परमाणु घड़ियों के आधार पर इस समय को बनाए रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई। IST को आकाशवाणी और दूरदर्शन जैसे माध्यमों के जरिए पूरे देश में प्रसारित किया जाता है।
डेलाइट सेविंग टाइम का यूज
भारत में सामान्य रूप से डेलाइट सेविंग टाइम (DST) का उपयोग नहीं किया जाता। हालांकि, आपातकालीन परिस्थितियों में जैसे 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 व 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्धों के दौरान ऊर्जा बचत के लिए कुछ समय के लिए DST लागू किया गया।
DST के तहत घड़ियों को एक घंटा आगे किया जाता है ताकि दिन के उजाले का अधिक उपयोग हो सके। लेकिन इसे स्थायी रूप से लागू नहीं किया गया। क्योंकि, इससे लोगों की जैविक घड़ियों और दैनिक दिनचर्या में व्यवधान उत्पन्न होता था।
IST लागू करने में आईं ये चुनौतियां
भारत जैसे विशाल देश में एक ही समय क्षेत्र लागू करना चुनौतियों से खाली नहीं था। देश के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में सूर्योदय और सूर्यास्त के समय में लगभग दो घंटे का अंतर होता है।
उदाहरण के लिए अरुणाचल प्रदेश में सूर्योदय सुबह 4:50 बजे हो सकता है। जबकि कच्छ में यह 6:00 बजे होता है। इस अंतर के कारण विशेष रूप से उत्तर-पूर्वी राज्यों में एक अलग समय क्षेत्र की मांग समय-समय पर उठती रही है।
1980 के दशक में, एक समिति ने सुझाव दिया कि भारत को दो या तीन समय क्षेत्रों में विभाजित किया जाए ताकि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय के साथ बेहतर तालमेल हो। हालांकि, इस सुझाव को राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा माना गया और इसे खारिज कर दिया गया।
2001 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक चार सदस्यीय समिति बनाई, जिसने इस मुद्दे पर विचार किया। 2004 में तत्कालीन मंत्री कपिल सिब्बल ने संसद में कहा कि कई समय क्षेत्र लागू करना प्रशासनिक और राष्ट्रीय एकता के लिए सही नहीं है।
IST का महत्व
भारतीय मानक समय की स्थापना ने भारत को एक संगठित राष्ट्र के रूप में मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रशासनिक सुगमता: एक समय क्षेत्र ने रेलवे, डाक और सरकारी कार्यों में समन्वय को आसान बनाया।
राष्ट्रीय एकता: एक समय क्षेत्र ने देश के विभिन्न हिस्सों को एक सूत्र में बांधा, जो स्वतंत्रता के बाद के वर्षों में महत्वपूर्ण था।
आर्थिक लाभ: व्यापार, संचार और यातायात में समय की एकरूपता से आर्थिक गतिविधियां सुचारु हुईं।
वैज्ञानिक बढ़ावा: परमाणु घड़ियों के आधार पर समय का निर्धारण भारत की वैज्ञानिक प्रगति को दर्शाता है।
वैश्विक आधार पर: भारतीय मानक समय (UTC+5:30) भारत और श्रीलंका द्वारा साझा किया जाता है। भारत का एक समय क्षेत्र अपनाने का निर्णय अन्य बड़े देशों, जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका (चार समय क्षेत्र) और रूस (11 समय क्षेत्र) से अलग है। यह राष्ट्रीय एकता और प्रशासनिक सुगमता को प्राथमिकता देने का परिणाम था।
31 अगस्त 1947 को भारतीय मानक समय की स्थापना भारत के आधुनिकीकरण और एकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। यह निर्णय स्वतंत्रता के बाद की चुनौतियों को संबोधित करने और देश को एकजुट करने का एक प्रयास था। आज IST भारत की पहचान का हिस्सा है, जो देश के हर कोने को एक ही समय सूत्र में बांधता है।
31 अगस्त के इतिहास की 10 बड़ी घटनाएं31 अगस्त 1920: खिलाफत आंदोलन की शुरुआत। 31 अगस्त 1947: भारत का मानक समय निश्चित किया गया। 31 अगस्त 1956: भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने राज्य पुनर्गठन विधेयक को मंजूरी दी, जिसने भारतीय राज्यों के भाषा के आधार पर पुनर्गठन का मार्ग प्रशस्त किया। 31 अगस्त 1957: मलेशिया को यूनाइटेड किंगडम से स्वतंत्रता मिली। 31 अगस्त 1962: कैरेबियाई देश त्रिनिदाद और टोबैगो ने ब्रिटेन से अपनी स्वतंत्रता प्राप्त की। 31 अगस्त 1968: भारत ने स्वदेशी रूप से निर्मित दो-चरणीय साउंडिंग रॉकेट 'रोहिणी-एमएसवी 1' का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। 31 अगस्त 1983: भारत के पहले बहुउद्देश्यीय उपग्रह, इनसैट-1बी, को अमेरिका के अंतरिक्ष शटल चैलेंजर से सफलतापूर्वक प्रसारित किया गया। 31 अगस्त 1991: किर्गिस्तान और उज्बेकिस्तान ने सोवियत संघ से अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की। 31 अगस्त 1997: ब्रिटेन की राजकुमारी डायना का पेरिस में एक कार दुर्घटना में निधन हो गया। 31 अगस्त 2005: इराक की राजधानी बगदाद में अल-आईम्माह पुल पर मची भगदड़ में 1000 से अधिक लोगों की मौत हो गई। |
31 अगस्त को भारत और विश्व के नजरिए से क्यों याद रखा जाना चाहिए?
भारत के नजरिए से:
राज्य पुनर्गठन विधेयक (1956): यह दिन भारत के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि 1956 में इसी दिन तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने राज्य पुनर्गठन विधेयक को मंजूरी दी थी। इस विधेयक के माध्यम से राज्यों का पुनर्गठन भाषाई आधार पर किया गया, जिसने भारतीय संघ के स्वरूप को नया आकार दिया और प्रशासनिक व्यवस्था को सुगम बनाया।
अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत: 1968 में रोहिणी-एमएसवी 1 रॉकेट का सफल प्रक्षेपण भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की दिशा में एक बड़ा कदम था, जिसने भविष्य में इसरो (ISRO) जैसी संस्था की सफलता का मार्ग प्रशस्त किया।
अमृता प्रीतम का जन्मदिन: यह दिन प्रसिद्ध पंजाबी कवयित्री, उपन्यासकार और निबंधकार अमृता प्रीतम के जन्मदिन के रूप में भी याद किया जाता है। उन्हें पंजाबी भाषा की सबसे बड़ी साहित्यिक हस्तियों में से एक माना जाता है।
विश्व के नजरिए से:
देशों की स्वतंत्रता: कई देशों, जैसे मलेशिया (1957) और त्रिनिदाद और टोबैगो (1962) ने इसी दिन ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त की। इसके अलावा, 1991 में उज्बेकिस्तान और किर्गिस्तान ने सोवियत संघ से अपनी आजादी की घोषणा की। यह दिन उपनिवेशवाद के अंत और राष्ट्रों की संप्रभुता के प्रतीक के रूप में महत्वपूर्ण है।
राजकुमारी डायना का निधन: 1997 में ब्रिटेन की राजकुमारी डायना की दुखद मृत्यु ने पूरे विश्व को स्तब्ध कर दिया था। यह घटना एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक क्षण बन गई, जिसने शाही परिवार और सार्वजनिक जीवन के बीच के संबंधों पर बहस छेड़ दी।
संचार क्रांति की शुरुआत: 1920 में रेडियो पर पहली बार समाचार प्रसारण ने सूचना के प्रसार में एक क्रांति ला दी, जिसने आधुनिक मास मीडिया की नींव रखी।
Reference:
https://hi.wikipedia.org/wiki/भारतीय_मानक_समय
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