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आज का इतिहास IPC,1860: आज हम एक ऐसे कानून की बात करेंगे जिसने करीब 160 साल तक भारत की न्याय व्यवस्था की नींव को मजबूती दी। कल्पना कीजिए 1800 के दशक की। भारत पर ब्रिटिश हुकूमत का राज था। उस समय देश में अलग-अलग तरह के कानून थे, जो अलग-अलग इलाकों में चल रहे थे और न्याय की कोई एक समान व्यवस्था नहीं थी।
जब भारत में कानून का कोई एक चेहरा नहीं था, हर इलाके का अपना न्याय था। ऐसे में ब्रिटिश राज ने महसूस किया कि उन्हें एक ऐसी कानून की किताब चाहिए जो सब पर एक समान लागू हो। इस जरूरत ने जन्म दिया एक ऐतिहासिक मिशन को।
1834 में, लॉर्ड मैकाले की अगुवाई में एक आयोग बना जिसने कई सालों की मेहनत के बाद, 1837 में एक ड्राफ्ट तैयार किया। ये सिर्फ कानून नहीं बल्कि न्याय की नींव थी जो राजा की मर्जी से हटकर एक फिक्स्ड बुक पर बेस्ड होने वाली थी। इस महान कोशिश का नाम था- "भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860"। आइए आज हम इसी पर बात करेंगे।
कैसे और किसने किया शुरू
इस जरूरत को पूरा करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया। 1833 के चार्टर अधिनियम (Charter Act of 1833) के तहत, 1834 में भारत का पहला कानून आयोग बनाया गया।
इस आयोग की बागडोर एक बहुत ही मशहूर और तेज-तर्रार शख्सियत को सौंपी गई - लॉर्ड थॉमस बैबिंगटन मैकाले (Lord Thomas Babington Macaulay)। हां, वही मैकाले जिन्हें भारत की शिक्षा व्यवस्था में बदलाव के लिए भी जाना जाता है।
मैकाले का काम:
मैकाले और उनकी टीम ने सालों तक कड़ी मेहनत की। उन्होंने भारत में पहले से चले आ रहे अलग-अलग कानूनों, साथ ही अंग्रेजी और फ्रेंच कानून के सिद्धांतों का अध्ययन किया। उनका लक्ष्य था ऐसा कानून बनाना जो भारत के हर नागरिक के लिए हो।
ड्राफ्ट तैयार:
1837 में, मैकाले ने IPC का पहला मसौदा तैयार किया। यह सिर्फ अपराध की परिभाषा ही नहीं देता था, बल्कि यह भी बताता था कि उस अपराध के लिए क्या सजा होगी। यह एक क्रांति थी, क्योंकि अब न्याय देने का काम किसी राजा या धर्मगुरु की मर्जी पर नहीं बल्कि एक तयशुदा किताब पर आधारित होने वाला था।
कानून का लागू होना
कई सालों की बहस, जांच और बदलावों के बाद आखिरकार वो दिन आया:
अधिनियमित (Enacted):
6 अक्टूबर 1860 को यह संहिता ब्रिटिश संसद में पास हुई और इसे 'भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code), 1860' नाम दिया गया।
लागू (Implemented):
इसे पूरे ब्रिटिश भारत में 1 जनवरी 1862 से लागू किया गया।
तब से लेकर यह कानून भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली की रीढ़ बन गया। इसे कई लोग प्यार से 'ताजीराते हिन्द' भी कहते थे।
आजादी के बाद का सर
1947 में जब भारत आजाद हुआ, तो एक सवाल उठा: क्या हमें अंग्रेजों का बनाया यह कानून रखना चाहिए? जवाब था हां।
IPC इतना व्यापक, इतना सोचा-समझा कानून था कि हमारे कंस्टीटूशन मेकर्स ने इसे बनाए रखने का फैसला किया। उन्होंने समझा कि न्याय के लिए एक मजबूत और सब पर लागू होने वाला आधार पहले से ही मौजूद है।
समय के साथ बदलाव
हालांकि, एक पुरानी किताब नए जमाने की जरूरतों को पूरा नहीं कर सकती। इसलिए, भारत की आज़ादी के बाद, IPC में समय-समय पर कई संशोधन किए गए:
नए अपराध:
जैसे-जैसे समाज बदला, IPC में दहेज हत्या (Dowry Death), एसिड अटैक (Acid Attack) और साइबर अपराध (Cyber Crimes) जैसे नए अपराधों को जोड़ा गया या उनकी परिभाषाओं में बदलाव किया गया।
महिलाओं की सुरक्षा:
महिलाओं से जुड़े कानूनों, जैसे बलात्कार (Rape) और छेड़छाड़ (Molestation) के मामलों में सज़ा को सख्त किया गया और परिभाषाओं को और स्पष्ट किया गया।
जम्मू-कश्मीर:
अनुच्छेद 370 (Article 370) हटने के बाद, IPC 1860 अब जम्मू और कश्मीर में भी पूरी तरह से लागू हो गया।
2025 में IPC की स्थिति: एक ऐतिहासिक बदलाव
अब आते हैं कहानी के सबसे नए और सबसे महत्वपूर्ण मोड़ पर। जिस IPC ने 165 साल तक भारत के न्याय को संभाला, अब उसकी जगह एक नया कानून आ चुका है। 2023 में, भारत सरकार ने आपराधिक कानूनों में एक बहुत बड़ा बदलाव किया।
उनका मानना था कि IPC 1860, जो एक कोलोनियल लिगेसी (colonial legacy) था, अब आधुनिक भारत की जरूरतों और 'न्याय' की भारतीय अवधारणा (Indian concept of Justice) पर आधारित होना चाहिए। इसलिए, IPC 1860 को 'भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita - BNS), 2023' से बदल दिया गया है।
नया नाम, नया उद्देश्य
IPC का फोकस सजा पर था, जबकि BNS का फोकस न्याय देने पर है।
कब हुआ बदलाव
BNS को संसद ने पास कर दिया और इसे 1 जुलाई, 2024 से लागू कर दिया गया है।
क्या बदल गया
BNS में IPC की बहुत सारी धाराएं रखी गई हैं, लेकिन उनका क्रम बदल दिया गया है। कुछ पुराने और जरूरत से ज्यादा सख्त कानूनों को हटा दिया गया है। सामुदायिक सेवा जैसी नई सजाएं जोड़ी गई हैं।
मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) और संगठित अपराध (Organized Crime) जैसे नए, आधुनिक अपराधों को स्पष्ट रूप से डिफाइंड किया गया है।
वर्तमान स्थिति क्या है
आज 2025 में भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 कानूनी रूप से लागू नहीं है। इसकी जगह भारतीय न्याय संहिता (bhartiya nyaya sanhita), 2023 ने ले ली है।
यह एक युग का अंत और एक नए युग की शुरुआत है। लॉर्ड मैकाले का 165 साल पुराना कानून अब इतिहास बन चुका है और उसका स्थान भारतीय न्याय संहिता ने ले लिया है जो भारत के आपराधिक न्याय की कहानी को एक नए अंदाज और नई दिशा देगी।
तो भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 हमारे देश की कानूनी यात्रा का एक ऐतिहासिक और बुनियादी स्तंभ था। इसने भारत की न्याय प्रणाली को एक मजबूत ढांचा दिया, जिससे अपराध और सजा की एक स्पष्ट तस्वीर सामने आई।
आज 2025 में भले ही IPC लागू (Changes in IPC) नहीं है लेकिन इसकी आत्मा और इसकी बनाई गई अपराधों की परिभाषाएं भारतीय न्याय संहिता (BNS) में एक नए और आधुनिक रूप में जीवित हैं। यह बदलाव दिखाता है कि देश की कानूनी व्यवस्था समय के साथ बदलती और खुद को बेहतर बनाती रहती है।
IPC बनाम BNS
महत्वपूर्ण धाराओं का बदलाव
IPC की जगह BNS: भारतीय दंड संहिता (IPC) को अब भारतीय न्याय संहिता (BNS) ने बदल दिया है।
FIR की नई व्यवस्था: 1 जुलाई 2024 से सभी नई FIR अब BNS के तहत दर्ज की जा रही हैं।
हत्या की धारा: हत्या से संबंधित IPC की धारा 120 अब BNS में धारा 103 बन गई है।
दहेज हत्या: IPC की धारा 304बी अब BNS में धारा 80 है।
धोखाधड़ी/ठगी: IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी) अब BNS में धारा 318 बन गई है।
न्याय और महिला सुरक्षा में 5 बड़े सुधार
फास्ट ट्रैक न्याय: आपराधिक मामलों में मुकदमा पूरा होने के 45 दिन के भीतर फैसला सुनाया जाएगा।
जीरो FIR: अब कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस थाने में FIR दर्ज करा सकता है, भले ही अपराध उसके अधिकार क्षेत्र में न हुआ हो।
महिलाओं के लिए सख्त कानून: नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद का नया प्रावधान जोड़ा गया है।
जांच की समय सीमा: महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की जाँच दो महीने के भीतर पूरी करनी होगी।
पीड़ितों के अधिकार: पीड़ितों को अब 90 दिन के भीतर अपने मामले की प्रगति जानने का अधिकार है, साथ ही सभी अस्पतालों में निशुल्क प्राथमिक उपचार भी मिलेगा।
नए कानून (BNS, BNSS, BSA) का उद्देश्य न्याय को तेज, पारदर्शी और पीड़ित-केंद्रित बनाना है, जो पुराने ब्रिटिश-कालीन कानूनों की कमियों को दूर करता है।
Reference Links:
Drishti IAS (Hindi) - भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता, साक्ष्य अधिनियम में आमूल-चूल परिवर्तन: https://www.drishtiias.com/hindi/daily-updates/daily-news-analysis/overhauling-ipc-crpc-rvidence-act
Testbook (Hindi) - भारतीय दंड संहिता क्या है: https://testbook.com/hi/ias-preparation/indian-penal-code-ipc
भारत का पहला विधि आयोग (First Law Commission of India) और लॉर्ड मैकाले।
भारतीय न्याय संहिता लागू , 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) का राजपत्र (Gazette) और सरकारी दस्तावेज, जिसने IPC को प्रतिस्थापित किया। IPC में बदलाव
6 अक्टूबर की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं
हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 4 अक्टूबर का दिन भी इतिहास (आज की यादगार घटनाएं) में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है।
इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 4 अक्टूबर को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।
विश्व में महत्वपूर्ण घटनाएं
1499 - फ्रांस के राजा लुईस ने मिलान पर कब्जा किया।
1683 - पेंसिल्वेनिया कॉलोनी में जर्मन प्रवासियों ने जर्मेनटाउन की स्थापना की।
1723 - बेंजामिन फ्रेंकलिन 17 साल की उम्र में फिलाडेल्फिया पहुंचे।
1762 - ब्रिटिश सैनिकों ने मनीला, फिलीपींस पर कब्जा किया।
1777 - अमेरिकी क्रांतिकारी युद्ध में ब्रिटिश सेनाओं ने फोर्ट क्लिंटन और फोर्ट मोंटगोमरी पर कब्जा किया।
1870 - रोम को इटली की राजधानी बनाया गया।
1873 - आयरलैंड में काउंटी कार्लो फुटबॉल क्लब की स्थापना हुई।
1884 - संयुक्त राज्य अमेरिका नौसेना वार कॉलेज स्थापित हुआ।
1903 - ऑस्ट्रेलिया के उच्च न्यायालय में कामकाज की शुरुआत हुई।
1906 - ईरान में मजलिस का आयोजन हुआ।
1908 - ऑस्ट्रिया-हंगरी ने बोस्निया और हर्जेगोविना के विलय की घोषणा की।
1910 - एलिफथेरियोस वेनिज़ेलोस ग्रीस के प्रधानमंत्री चुने गए।
1912 - अमेरिकी सेना ने निकारागुआन शहर लेओन पर कब्जा किया।
1927 - 'द जैज सिंगर' पहली फीचर साउंड फिल्म रिलीज हुई।
1943 - ब्रिटिश कमांडो ने ऑपरेशन डेवन को सफलतापूर्वक पूरा किया।
1948 - अशगबत भूकंप में 110,000 लोग मरे।
1957 - सोवियत संघ ने नोवाया जेमल्या में परमाणु परीक्षण किया।
1961 - राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने बम आश्रयों के निर्माण की सिफारिश की।
1973 - मिस्र और सीरिया ने योम किपुर युद्ध शुरू किया।
1976 - बैंकाक में हिंसक प्रदर्शन के कारण 46 लोगों की मौत।
1977 - मिग-29 विमान ने पहली उड़ान भरी।
1985 - लंदन में पुलिस कांस्टेबल की हत्या दंगों के दौरान हुई।
1987 - फिजी एक गणराज्य घोषित हुआ।
1995 - स्विस वैज्ञानिकों ने सौर व्यवस्था के बाहर ग्रह की पहचान की।
1998 - मैथ्यू शेपर्ड पर हमला हुआ और उसकी मौत हो गई।
2000 - यूगोस्लाविया में मिलोसेविच देश छोड़कर भागे।
2000 - अर्जेंटीना में भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण उप राष्ट्रपति ने इस्तीफा दिया।
2002 - अल कायदा ने तेल टैंकर लिम्बर्ग पर हमला किया।
2005 - न्यूयॉर्क सिटी में आतंकी धमकी के बाद सुरक्षा बढ़ाई गई।
2006 - नासा ने मंगल ग्रह की क्लोज़-अप तस्वीरें जारी की।
2007 - एरियन-5 रॉकेट के सहारे उपग्रह का परीक्षण हुआ।
2007 - जेसन लुईस ने पहला मानव संचालित जलयात्रा पूरा किया।
2008 - अमेरिका ने रूस पर भरोसा किया।
2009 - Idelphonse Nizeyimana को युगांडा में गिरफ्तार किया गया।
2010 - दक्षिण कोरिया और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर हुए।
2011 - जापानी कार निर्माता टोयोटा ने उत्पादन फिर से शुरू किया।
2012 - ईरान ने इजरायल को परमाणु अप्रसार संधि में शामिल होने की सलाह दी।
2013 - लैम्पेडुसा शिपव्रेक में 360 लोग मारे गए।
2014 - अमेरिकी अभिनेत्री मारियन सेल्डस का निधन हुआ।
404 - बीजान्टिन सम्राट अर्काडियस की साम्राज्ञी की मृत्यु हुई।
भारत में महत्वपूर्ण घटनाएं
1860 - भारतीय दंड संहिता (IPC) को अधिनियमित किया गया था
2012 - पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बी सत्या नारायण रेड्डी का निधन हुआ।
2014 - भारत-पाकिस्तान सीमा पर चार नागरिकों की मौत के कारण संघर्ष हुआ।
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