आज का इतिहास: 1965 युद्ध का वो पल जब भारतीय सेना ने लाहौर पर धावा बोलकर पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया

6 सितंबर 1965 का दिन भारत-पाकिस्तान युद्ध में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान के लाहौर पर हमला करके उसे आश्चर्यचकित कर दिया। यह हमला पाकिस्तान की 'ऑपरेशन जिब्राल्टर' रणनीति की विफलता के जवाब में किया गया था...

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Kaushiki
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आज की तारीख का इतिहास: भारत और पाकिस्तान के बीच हमेशा से तनाव रहा है लेकिन इतिहास के पन्नों में कुछ तारीखें ऐसी होती हैं जो दोनों देशों के रिश्ते को हमेशा के लिए बदल देती हैं। 6 सितंबर, 1965 एक ऐसी ही तारीख है। यह वो दिन था जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान के सबसे महत्वपूर्ण शहरों में से एक लाहौर पर धावा बोला था।

यह हमला सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं था बल्कि 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का एक ऐसा मोड़ था जिसने पूरी लड़ाई की दिशा बदल दी। चलिए, समय में थोड़ा पीछे चलते हैं और उस कहानी को समझते हैं, जिसने इस ऐतिहासिक पल को जन्म दिया।

Battle of Burki - Wikipedia

युद्ध की शुरुआत: कश्मीर से निकला चिंगारी

1947 के विभाजन के बाद से ही कश्मीर दोनों देशों के बीच एक नासूर बना हुआ था। 1965 की शुरुआत में पाकिस्तान ने सोचा कि यह भारत पर हमला करने का सही समय है। पाकिस्तान को लगा कि भारत अभी 1962 के चीन युद्ध से उबर नहीं पाया है और उसकी सेना कमजोर है।

पाकिस्तान ने सबसे पहले 'ऑपरेशन जिब्राल्टर' शुरू किया। इसका मकसद था कश्मीर में घुसपैठियों को भेजना ताकि वहां विद्रोह भड़काया जा सके।

पाकिस्तान को उम्मीद थी कि इससे कश्मीर के लोग भारत सरकार के खिलाफ खड़े हो जाएंगे और वह आसानी से कश्मीर पर कब्जा कर लेगा। लेकिन पाकिस्तान का यह दांव उल्टा पड़ गया।

भारतीय सेना ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की और घुसपैठियों को खदेड़ दिया। इसके बाद, भारतीय सेना ने कश्मीर के कुछ रणनीतिक क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया जिसमें हाजी पीर पास भी शामिल था। यह पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका था।

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लाहौर पर हमला: एक अकल्पनीय कदम

पाकिस्तान ने अपनी हार का बदला लेने के लिए एक और बड़ा कदम उठाया। 1 सितंबर को, उसने 'ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम' लॉन्च किया। इसका मकसद था अखनूर सेक्टर पर कब्जा करना ताकि जम्मू-कश्मीर का भारत से संपर्क कट जाए। पाकिस्तानी सेना ने अपनी सबसे शक्तिशाली आर्मर्ड डिवीजन (टैंक यूनिट) को इस काम में लगाया।

यह भारत के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती थी। अगर अखनूर गिर जाता, तो पूरा जम्मू-कश्मीर खतरे में पड़ जाता। भारतीय नेतृत्व ने अब एक बड़ा और साहसी फैसला लिया।

तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और सेना प्रमुख जनरल जे.एन. चौधरी ने फैसला किया कि पाकिस्तान को सबक सिखाने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि उसकी कमजोर नस पर हमला किया जाए।

और पाकिस्तान की सबसे कमजोर नस थी- लाहौर। ऐसे में 6 सितंबर, 1965 को, भारतीय सेना ने पंजाब के अलग-अलग मोर्चों से पाकिस्तान में प्रवेश किया। सबसे महत्वपूर्ण हमला लाहौर सेक्टर में था। 

भारतीय सैनिक तीन दिशाओं से आगे बढ़े:

  • अमृतसर-लाहौर रोड: यह मुख्य अक्ष था। भारतीय सेना की 15वीं इन्फैंट्री डिवीजन यहां से आगे बढ़ी।

  • खेमकरण-कसूर सेक्टर: यहां भारतीय सेना की 4th Mountain डिवीजन ने मोर्चा संभाला।

  • सियालकोट सेक्टर: यह एक और महत्वपूर्ण मोर्चा था, जहां भारतीय सेना की पहली आर्मर्ड डिवीजन ने हमला किया।

भारतीय सेना का यह हमला पाकिस्तान के लिए पूरी तरह से अकल्पनीय था। पाकिस्तान को उम्मीद नहीं थी कि भारत कश्मीर से बाहर निकलकर पंजाब में हमला करेगा। भारतीय सेना तेजी से आगे बढ़ी और लाहौर के बाहरी इलाकों तक पहुंच गई।

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लाहौर के दरवाजे पर जंग

लाहौर के बाहर, भारतीय सेना को कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। पाकिस्तानी सेना ने पूरी ताकत से जवाबी हमला किया। उन्हें लगा कि अगर लाहौर गिर गया, तो पाकिस्तान की प्रतिष्ठा को बहुत बड़ा झटका लगेगा। लेकिन भारतीय सेना ने अद्भुत शौर्य और साहस दिखाया। लाहौर-अमृतसर रोड पर, भारतीय सैनिक बर्की गांव तक पहुंच गए।

यहां उन्होंने पाकिस्तानी सेना को बुरी तरह हराया। खेमकरण सेक्टर में, पाकिस्तान ने अपने सबसे उन्नत अमेरिकी पैटन टैंकों के साथ एक बड़ा हमला किया। उनका मकसद था भारतीय सेना को खेमकरण में फंसाना और फिर उन्हें घेर लेना।

लेकिन भारतीय सैनिकों ने बहादुरी से इस हमले का सामना किया। इस मोर्चे पर हुई लड़ाई को 'Battle of Assal North' के नाम से जाना जाता है। यह लड़ाई भारतीय सेना के इतिहास की सबसे शानदार लड़ाइयों में से एक है। भारतीय सैनिकों ने अपनी रणनीति और बहादुरी से पाकिस्तानी टैंकों को धूल चटाई।

इस लड़ाई में पाकिस्तानी सेना के लगभग 100 पैटन टैंक नष्ट हो गए थे। इसी वजह से खेमकरण के पास के उस इलाके को 'पैटन नगर' भी कहा जाता है। भारतीय सेना ने इस लड़ाई में अपने हौसले और दृढ़ संकल्प का परिचय दिया।

कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद ने इस लड़ाई में अपनी जान की परवाह न करते हुए पाकिस्तानी टैंकों को नष्ट किया। उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया। उनकी वीरता की कहानी आज भी हर भारतीय को प्रेरित करती है।

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हवाई युद्ध और नौसेना की भूमिका

1965 के युद्ध में सिर्फ जमीन पर ही नहीं, बल्कि हवा और समुद्र में भी लड़ाई लड़ी गई। भारतीय वायुसेना (IAF) ने इस युद्ध में अहम भूमिका निभाई।

6 सितंबर को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के हवाई ठिकानों पर हमला किया जिसमें सरगोधा और चकलला जैसे प्रमुख एयरबेस शामिल थे।

भारतीय वायुसेना के विमानों ने पाकिस्तानी वायुसेना के कई विमानों को नष्ट कर दिया और उनके सामरिक ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचाया। वहीं, नौसेना ने भी अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया।

ऑपरेशन द्वारका (Operation Dwarka) में, भारतीय नौसेना के जहाजों ने पाकिस्तान के कराची बंदरगाह के पास स्थित द्वारका पर बमबारी की। हालांकि, नौसेना की भूमिका सीमित रही, लेकिन इसने पाकिस्तान पर दबाव बनाया और भारत की समुद्री ताकत का संदेश दिया।

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युद्ध का अंत और ताशकंद समझौता

करीब तीन हफ्तों तक चले इस युद्ध में दोनों देशों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। भारत ने पाकिस्तान के रणनीतिक ठिकानों पर कब्जा कर लिया जिसमें हाजी पीर पास, खेमकरण और सियालकोट के पास के इलाके शामिल थे।

22 सितंबर, 1965 को यूनाइटेड नेशंस इंटरवेंशन के बाद युद्ध विराम की घोषणा हुई। इसके बाद, सोवियत संघ की बीच-बचाव में भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच ताशकंद समझौता हुआ।

इस समझौते के मुताबिक, दोनों देशों ने उन सभी क्षेत्रों को एक-दूसरे को लौटा दिया जिन पर उन्होंने युद्ध के दौरान कब्जा किया था। यह समझौता भारत के लिए एक कूटनीतिक जीत थी क्योंकि इसने यह साबित कर दिया कि भारत किसी भी बाहरी दबाव में नहीं आएगा।

हालांकि, यह समझौता लाल बहादुर शास्त्री के लिए अंतिम मिशन साबित हुआ। 11 जनवरी, 1966 को ताशकंद में ही उनका निधन हो गया जिसने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया।

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1965 का युद्ध क्यों है महत्वपूर्ण

1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस युद्ध ने भारतीय सेना की ताकत और साहस का लोहा मनवाया।

यह युद्ध भारतीय सेना की रणनीति, पराक्रम और देशभक्ति का प्रतीक है। 6 सितंबर को भारतीय सेना द्वारा लाहौर पर किया गया हमला एक ऐसा निर्णायक कदम था जिसने पाकिस्तान की रणनीति को पूरी तरह से विफल कर दिया और युद्ध का रुख मोड़ दिया।

इस युद्ध में वीर अब्दुल हमीद, लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर तारापोर और अन्य कई जवानों ने अपनी जान की परवाह किए बिना देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया।

उनकी कहानियां आज भी हमें यह याद दिलाती हैं कि हमारी आजादी और सुरक्षा के लिए हमारे सैनिकों ने कितनी बड़ी कीमत चुकाई है। यह युद्ध सिर्फ जीत या हार का नहीं था, बल्कि भारतीय सेना के अदम्य साहस और राष्ट्रीय एकता का प्रमाण था।

  • 1965 का युद्ध सिर्फ एक सैन्य संघर्ष नहीं था, बल्कि यह भारत के लिए एक बड़ा मनोवैज्ञानिक बदलाव था।
  • इस युद्ध ने दुनिया को दिखा दिया कि भारत एक कमजोर राष्ट्र नहीं है।
  • इस युद्ध ने भारतीय सेना का आत्मविश्वास बढ़ाया।
  • इस युद्ध ने यह भी साबित कर दिया कि पाकिस्तान की 'ऑपरेशन जिब्राल्टर' जैसी रणनीति कभी सफल नहीं हो सकती।

आज भी 6 सितंबर की तारीख भारतीय सेना के इतिहास में गर्व और शौर्य के साथ याद की जाती है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि जब देश की सुरक्षा की बात आती है, तो भारतीय सेना किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहती है।

लाहौर पर भारतीय सेना का हमला सिर्फ एक जवाबी कार्रवाई नहीं थी बल्कि यह भारत की संप्रभुता और सम्मान की रक्षा के लिए उठाया गया एक साहसी कदम था।

References:

  • Saran, J. B. (2014). The India-Pakistan War of 1965. Vij Books India Pvt Ltd.
  • Singh, Jasbir. (2012). 1965 War: The Day India Bombed Lahore. The New Indian Express.
  • Praval, K. C. (2009). India's Paratroopers: The Making of a Battle-Winning Force. Lancer Publishers.
  • Kux, Dennis. (2001). India and the United States: Estranged Democracies, 1941-1991. National Defense University Press.
  • B. C. Chakravorty (1992). History of the Indo-Pak War of 1965. Ministry of Defence, Government of India.

जानिए 1 सितंबर का इतिहास

6 सितंबर का इतिहास

हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 6 सितंबर का दिन भी इतिहास (आज की यादगार घटनाएं) में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है। इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 6 सितंबर को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।

  • 1716: उत्तरी अमेरिका में पहला लाइटहाउस बोस्टन में बनाया गया।

  • 1765: स्विट्जरलैंड में एक भीड़ ने दार्शनिक जीन-जैकस रूसो के घर पर पत्थरबाजी की।

  • 1776: ग्वाडेलोप द्वीप में तूफान से 6,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई।

  • 1781: ग्रोटोन हाइट्स की लड़ाई हुई, जिसमें ब्रिटिश सेना विजयी रही।

  • 1813: नेपोलियन की सेनाओं को डेनविट्ज़ की लड़ाई में प्रशिया और रूस ने हराया।

  • 1901: अमेरिकी राष्ट्रपति विलियम मैकिनले को न्यूयॉर्क में एक शख्स ने बुरी तरह घायल कर दिया।

  • 1915: पहला युद्धक टैंक 'लिटिल विलि' इंग्लैंड में बनाया गया।

  • 1916: अमेरिका के टेनेसी में पहला सुपरमार्केट खुला।

  • 1921: कनेक्टिकट में पुलिस ने नस्लवादी संगठन क्लू क्लक्स क्लान की जांच शुरू की।

  • 1930: अर्जेंटीना में जोस फेलिक्स उरिबुरु ने एक सैन्य तख्तापलट में राष्ट्रपति हिपालिटो यृगॉयन को हटा दिया।

  • 1934: लंदन में रहस्यमयी फिल्म 'चार्ली चैन' का प्रीमियर हुआ।

  • 1937: स्पेन में इल मजूको युद्ध के साथ गृह युद्ध शुरू हुआ।

  • 1943: मेक्सिको में मॉन्टेरी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड हायर एजुकेशन की स्थापना हुई।

  • 1946: अमेरिका के सचिव जेम्स एफ. बायरन्स ने घोषणा की कि अमेरिका जर्मनी के आर्थिक पुनर्निर्माण का समर्थन करेगा।

  • 1948: जुलियाना नीदरलैंड की महारानी बनीं।

  • 1952: इंग्लैंड में एक प्रोटोटाइप विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें 29 दर्शकों सहित 31 लोगों की मौत हुई।

  • 1955: तुर्की में एक भीड़ ने इस्तांबुल में यूनानियों पर हमला किया, जिसमें 13 लोग मारे गए और हजारों घरों को नुकसान पहुंचा।

  • 1958: अमेरिका ने अटलांटिक सागर में परमाणु परीक्षण किया।

  • 1963: वियतनाम युद्ध का आकलन करने के लिए विक्टर क्रुलक को भेजा गया।

  • 1966: दक्षिण अफ्रीकी प्रधानमंत्री हेंड्रिक वेरवोर्ड, जो रंगभेद के वास्तुकार थे, की हत्या कर दी गई।

  • 1969: अफ्रीकी देश स्वाजीलैंड को ब्रिटेन से आजादी मिली और आज का दिन उनका राष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया।

  • 1970: फिलिस्तीन के एक समूह ने यूरोप के हवाई अड्डों से चार विमानों का अपहरण किया।

  • 1986: इस्तांबुल में एक यहूदी प्रार्थना स्थल पर हुए हमले में 23 लोगों की मौत हो गई।

  • 1988: 11 साल की उम्र में थॉमस ग्रेगोरी इंग्लिश चैनल तैरकर पार करने वाले सबसे कम उम्र के तैराक बने।

  • 1991: रूस के दूसरे सबसे बड़े शहर को उसका पुराना नाम सेंट पीटर्सबर्ग वापस मिला।

  • 1995: कैल रिपेन जूनियर ने बेसबॉल में लगातार 2131 मैच खेलने का 56 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा।

  • 2000: संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर चर्चा के लिए न्यूयॉर्क शहर में मिलेनियम शिखर सम्मेलन शुरू हुआ।

  • 2006: मेक्सिको के फेलिप काल्देरोन नए राष्ट्रपति चुने गए।

  • 2006: एक सर्वेक्षण में सिंगापुर की अर्थव्यवस्था को दुनिया की सबसे अधिक व्यापार-अनुकूल अर्थव्यवस्था बताया गया।

  • 2007: चीन ने विकिपीडिया को फिर से अवरुद्ध कर दिया।

  • 2009: हॉन्ग कॉन्ग में एक एसिड अटैक में 10 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।

  • 2010: 23 शिया मुस्लिम प्रदर्शनकारियों पर बहरीन सरकार को गिराने की कोशिश का आरोप लगा।

  • 2012: बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार बने।

  • 2013: ऑस्ट्रेलिया में 1960 के बाद पहली बार एक दुर्लभ रॉक चूहे को देखा गया।

6 सितंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं भारत में

  • 1965: भारतीय सेना (भारत पाकिस्तान युद्ध) ने तीन जगहों से सीमा पार कर पश्चिमी पाकिस्तान पर हमला किया।

  • 2008: डी. सुब्बाराव ने भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर का कार्यभार संभाला।

  • 2008: परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह ने भारत-अमेरिका परमाणु सौदे को मंजूरी दी।

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