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आज की तारीख का इतिहास: अंधेरे को चीर कर ज्ञान का सूरज लाने की कहानी। एक ऐसी कहानी, जो सिर्फ किताबों और अक्षरों की नहीं, बल्कि उम्मीदों और सपनों की है। "पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालो..." - सफदर हाशमी का यह गीत आज भी वही जोश और जुनून जगाता है जो दशकों पहले जगाता था। यह सिर्फ एक गाना नहीं, बल्कि एक आंदोलन था, जो उन लोगों की आवाज बना जिन्हें शिक्षा से दूर रखा गया।
हर साल 8 सितंबर को, जब दुनिया विश्व साक्षरता दिवस मनाती है तो हम इस बात को फिर से याद करते हैं कि साक्षरता सिर्फ एक कौशल नहीं, बल्कि एक अधिकार है।
भारत के लिए यह दिन अपनी एक लंबी, जटिल और प्रेरणादायक यात्रा का जश्न मनाने का मौका है। यह हमें याद दिलाता है कि कैसे हमने सदियों की निरक्षरता के अंधेरे से निकलकर ज्ञान की रोशनी की ओर कदम बढ़ाया।
आज जब हम शिक्षा के महत्व की बात करते हैं तो यह सोचना जरूरी है कि हमारी यह यात्रा कहां तक पहुंची है और हमें अपनी मंजिल तक पहुंचने में कितना समय लगेगा।
आइए, 8 सितंबर के इस खास मौके पर हम भारत में साक्षरता के इतिहास को खंगालें और उन कहानियों को समझें जिन्होंने हमारे देश को 'अंधेरे से उजाले' की ओर ले जाने में मदद की।
साक्षरता का ऐतिहासिक सफर
भारत में साक्षरता का इतिहास काफी पुराना है। प्राचीन काल में, शिक्षा गुरुकुल प्रणाली पर आधारित थी, जहां गुरु अपने शिष्यों को मौखिक रूप से ज्ञान देते थे। वेद, उपनिषद और अन्य धार्मिक ग्रंथों का ज्ञान मौखिक रूप से ही एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाया जाता था।
हालांकि, उस समय साक्षरता का दायरा बहुत सीमित था और यह केवल कुछ विशेष वर्गों तक ही सीमित थी। आम जनता के लिए शिक्षा का दरवाजा पूरी तरह से खुला नहीं था।
मुगल काल में, शिक्षा मदरसों और पाठशालाओं में दी जाने लगी। मुगल काल में फारसी और उर्दू भाषा का काफी विकास हुआ। लेकिन, आम जनता के लिए शिक्षा अभी भी सुलभ नहीं थी।
फिर आया ब्रिटिश राज, जिसने भारत की शिक्षा प्रणाली को पूरी तरह से बदल दिया। लॉर्ड मैकाले की 1835 की शिक्षा नीति ने अंग्रेजी शिक्षा की नींव रखी। उनका उद्देश्य भारतीय क्लर्कों का एक ऐसा वर्ग तैयार करना था जो ब्रिटिश प्रशासन के लिए काम कर सके।
इस नीति ने अंग्रेजी को शिक्षा का माध्यम बनाया लेकिन इसने भी शिक्षा को आम जनता तक पहुंचाने का कोई खास प्रयास नहीं किया। जब 1947 में भारत आजाद हुआ, तो देश की साक्षरता दर सिर्फ 18% थी। यह एक गंभीर स्थिति थी।
स्वतंत्रता के बाद का भारत और लिटरेसी
जब भारत 1947 में आजाद हुआ तो देश की साक्षरता दर सिर्फ 18% थी, जो कि बहुत कम थी। उस समय यह एक बहुत बड़ी चुनौती थी। भारतीय संविधान के निर्माताओं ने शिक्षा को एक मौलिक अधिकार बनाने का फैसला किया।
उन्होंने शिक्षा को राज्य का दायित्व बनाया और यह सुनिश्चित करने के लिए कई योजनाएं बनाई गईं कि हर बच्चा स्कूल जा सके। इस दिशा में सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम 1950 में संविधान लागू होने के बाद उठाया गया।
शिक्षा को राज्य सूची में शामिल किया गया, जिसका मतलब था कि राज्यों को शिक्षा के विकास की जिम्मेदारी लेनी थी। 1951 की जनगणना में, भारत की साक्षरता दर लगभग 18.3% थी। इस चुनौती से निपटने के लिए, भारत सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए:
सर्व शिक्षा अभियान (SSA):
- 2001 में शुरू किया गया, इस अभियान का उद्देश्य 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को प्राइमरी एजुकेशन देना था।
- इसने स्कूलों के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने और शिक्षकों की भर्ती पर ध्यान केंद्रित किया।
राष्ट्रीय साक्षरता मिशन (NLM):
- 1988 में शुरू किया गया इस मिशन का लक्ष्य एडल्ट्स को फंक्शनल लिटरेसी देना था।
- इसका उद्देश्य उन लोगों को पढ़ना-लिखना सिखाना था जो स्कूल नहीं जा पाए थे।
शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009:
- यह अधिनियम 6 से 14 वर्ष की ऐज के हर एक बच्चे के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित करता है। इसे लागू करने के बाद, भारत में स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या में काफी कमी आई है।
- इन प्रयासों का नतीजा यह हुआ कि भारत की साक्षरता दर में लगातार वृद्धि हुई। 2011 की जनगणना के मुताबिक, भारत की साक्षरता दर 74.04% थी।
- यह एक बड़ी उपलब्धि थी लेकिन अभी भी यह दुनिया के कई विकसित देशों की तुलना में काफी कम है।
वर्तमान स्थिति और भविष्य की चुनौतियां
आज, भारत की साक्षरता दर 77.7% (National Statistical Office, 2017-18 के मुताबिक) है। लेकिन, इसमें अभी भी कई इनक्वॉलिटीज हैं.
लैंगिक असमानता:
- पुरुषों की साक्षरता दर (84.7%) महिलाओं (70.3%) की तुलना में अभी भी काफी अधिक है।
- लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अभी भी बहुत काम करने की जरूरत है।
ग्रामीण-शहरी असमानता:
- शहरी क्षेत्रों में साक्षरता दर (87.7%) ग्रामीण क्षेत्रों (73.5%) की तुलना में काफी अधिक है।
राज्यों के बीच असमानता:
- केरल जैसे राज्य लगभग 94% साक्षरता दर के साथ सबसे आगे हैं, जबकि बिहार (61.8%) और राजस्थान (66.1%) जैसे राज्यों में यह दर अभी भी कम है।
इन चुनौतियों के बावजूद, भारत ने साक्षरता के क्षेत्र में बहुत प्रगति की है। नई शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) में भी साक्षरता को एक जरूरी लक्ष्य बनाया गया है। इसका उद्देश्य 2025 तक सभी बच्चों को फॉउण्डेशनल लिटरेसी और न्यूमेरिक नॉलेज देना है।
भारत को कितना समय और लग सकता है
इस प्रश्न का उत्तर देना थोड़ा मुश्किल है क्योंकि यह कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है जैसे कि सरकारी नीतियां, सामाजिक जागरूकता और आर्थिक स्थिति। हालांकि, कुछ अनुमानों के आधार पर हम कह सकते हैं:
अगर भारत वर्तमान गति से आगे बढ़ता है, तो 100% साक्षरता दर हासिल करने में कम से कम 10 से 15 साल और लग सकते हैं।
इसका मतलब है कि यह लक्ष्य लगभग 2035 से 2040 तक पूरा हो सकता है।
लेकिन, अगर सरकार और समाज मिलकर इस दिशा में और तेजी से काम करें, तो यह समय और कम हो सकता है।
इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने चाहिए:
डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना: आजकल, केवल पढ़ना-लिखना ही काफी नहीं है। लोगों को डिजिटल रूप से भी साक्षर होना चाहिए ताकि वे आधुनिक दुनिया से जुड़ सकें।
महिलाओं और ग्रामीण क्षेत्रों पर विशेष ध्यान: सरकार को उन क्षेत्रों और समुदायों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जहां साक्षरता दर अभी भी कम है, खासकर महिलाओं और ग्रामीण क्षेत्रों में।
समाज का सहयोग: केवल सरकार के प्रयास से यह संभव नहीं है। समाज के हर व्यक्ति को शिक्षा के महत्व को समझना होगा और अपने बच्चों को स्कूल भेजना होगा।
वर्ल्ड लिटरेसी डे सिर्फ एक दिन नहीं है, बल्कि यह एक रिमाइंडर है कि साक्षरता एक अधिकार है, न कि एक विशेषाधिकार। भारत की साक्षरता की कहानी एक संघर्ष और सफलता की कहानी है।
भारत को पूरी तरह साक्षर बनाने का सपना सिर्फ एक लक्ष्य नहीं है, बल्कि यह एक बेहतर और अधिक विकसित भारत की नींव है। हमें उम्मीद है कि जल्द ही भारत दुनिया के सबसे साक्षर देशों में से एक होगा।
वर्ल्ड लिटरेसी डे कब शुरू हुई
विश्व साक्षरता दिवस (World Literacy Day) हर साल 8 सितंबर को मनाया जाता है। इसे 1966 में संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था यूनेस्को (UNESCO) ने शुरू किया था। इसका मुख्य मकसद दुनियाभर के लोगों को शिक्षा का महत्व बताना और साक्षरता दर को बढ़ाना था।
यूनेस्को चाहता था कि हर कोई, चाहे वह किसी भी देश का हो, पढ़ना-लिखना सीख सके क्योंकि शिक्षा ही इंसान को आगे बढ़ने का मौका देती है। इस दिन का उद्देश्य यह भी था कि लोग निरक्षरता की समस्या को समझें और इसे दूर करने के लिए मिलकर काम करें।
References:
UNESCO: यूनेस्को, जो विश्व साक्षरता दिवस का आयोजन करता है, साक्षरता के डेटा और रिपोर्ट प्रदान करने वाला एक प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संगठन है. आप उनकी वेबसाइट पर जा सकते हैं।
Ministry of Education, Government of India: भारत सरकार का शिक्षा मंत्रालय, साक्षरता दर और शिक्षा से संबंधित योजनाओं पर आधिकारिक आंकड़े और रिपोर्ट प्रकाशित करता है।
National Statistical Office (NSO): भारत सरकार का राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय साक्षरता और अन्य सामाजिक संकेतकों पर समय-समय पर सर्वेक्षण करता है. 2017-18 का NSO सर्वे एक प्रमुख संदर्भ है।
Census of India: भारत की जनगणना (2011) साक्षरता दर के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
8 सितंबर का इतिहास
हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 8 सितंबर का दिन भी इतिहास (आज की यादगार घटनाएं) में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है।
इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 8 सितंबर को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।
8 सितंबर: भारत में महत्वपूर्ण घटनाएं
1755 में हुई लेक जॉर्ज की लड़ाई में, ब्रिटिश सेना ने फ्रांसीसी सेना को हराकर हडसन नदी घाटी पर नियंत्रण स्थापित किया और फोर्ट विलियम हेनरी का निर्माण किया।
1965: भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ दो अतिरिक्त मोर्चे खोले।
2012: पाकिस्तान और भारत एक-दूसरे के देश की यात्रा के लिए आवश्यक वीज़ा आवश्यकताओं में ढील देने पर सहमत हुए।
8 सितंबर: विश्व में महत्वपूर्ण घटनाएं
337: सिंहासन के संभावित दावेदारे सभी रिश्तेदारों को हटाने के बाद, कॉन्स्टेंटाइन II और कॉन्स्टैंस संयुक्त रूप से रोमन सम्राट बने।
617: हू युआन की लड़ाई में ली युआन ने सूई राजवंश की सेना को हराया, जिससे शाही राजधानी चांगआन पर कब्जा करने और तांग राजवंश की स्थापना का रास्ता साफ हुआ।
1320: गाजी मलिक (गयासुद्दीन तुगलक) दिल्ली का सुल्तान बना।
1331: स्टीफन उरोस चतुर्थ ने खुद को सर्बिया का राजा घोषित किया।
1504: माइकल एंजेलो द्वारा बनाई गई संगमरमर की मूर्ति, डेविड, का इटली के फ्लोरेंस में अनावरण किया गया।
1553: ब्रिटेन के लिचफिल्ड शहर की स्थापना हुई।
1563: मैक्सिमिलियन को हंगरी का राजा चुना गया।
1727: इंग्लैंड के कैम्ब्रिजशायर में बर्ववेल गांव में एक कठपुतली शो के दौरान आग लगने से 78 लोग मारे गए, जिनमें कई बच्चे भी शामिल थे।
1760: फ्रांसीसी सेना ने जनरल जेफरी एमहर्स्ट के सामने मॉन्ट्रियल को आत्मसमर्पण कर दिया।
1771: कैलिफोर्निया में मिशन सैन गैब्रियल आर्केंजल की स्थापना हुई।
1793: बेलिएम में पहली बार सीरियो डे नाजे (Cirio de Nazaré) मनाया गया।
1831: विलियम चतुर्थ को ग्रेट ब्रिटेन का राजा बनाया गया।
1831: सैक्स-मेनिंगन के विलियम चतुर्थ और एडिलेड को यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड के राजा और रानी का ताज पहनाया गया।
1831: रूसी साम्राज्य ने पोलिश नवंबर विद्रोह को समाप्त कर दिया, जब उसके सैनिकों ने दो दिन के हमले के बाद वारसॉ पर कब्जा कर लिया।
1855: स्पेन की महारानी इसाबेला द्वितीय ने इलोइलो के बंदरगाह को विश्व व्यापार के लिए खोल दिया।
1860: मिशिगन झील पर पैडल स्टीमर "लेडी एल्गिन" डूब गया, जिसमें लगभग 300 लोग मारे गए।
1885: मिनेसोटा में सेंट थॉमस अकादमी की स्थापना हुई।
1900: 1900 का गैलवेस्टन तूफान आया, जिसमें 6,000 से 12,000 लोगों की मृत्यु हुई।
1900: ग्रेट गैलवेस्टन तूफान ने, 135 मील प्रति घंटे (215 किमी/घंटा) की अनुमानित हवाओं के साथ, गैलवेस्टन, टेक्सास, यूएस में तबाही मचाई, जिसमें कम से कम 6000 लोग मारे गए।
1900: संयुक्त राज्य अमेरिका के टेक्सास शहर गैलवेस्टोन में चक्रवाती और ज्वारीय तूफान से 6000 लोगों की मौत हुई।
1935: अमेरिकी सीनेटर ह्युई लांग को लुइसियाना के बैटन रूज में बुरी तरह से गोली मार दी गई।
1939: ग्दानिया की लड़ाई शुरू हुई।
1941: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, जर्मन सेनाओं ने लेनिनग्राद से अंतिम भूमि कनेक्शन को काट दिया, जिसके परिणामस्वरूप 28 महीने की घेराबंदी हुई और भुखमरी से दस लाख से अधिक नागरिकों की मौत हुई, जिससे यह विश्व इतिहास की सबसे घातक लड़ाइयों में से एक बन गई।
1946: बुल्गारिया में राजशाही का अंत हुआ।
1950: कांग्रेस ने रक्षा उत्पादन अधिनियम को मंजूरी दी, जिसमें मजदूरी और मूल्य नियंत्रण सहित विभिन्न आर्थिक उपाय शामिल थे।
1951: जापान ने 48 देशों के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।
1954: आठ देशों ने दक्षिण-पूर्व एशिया संधि संगठन (SEATO) बनाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो नाटो का दक्षिण-पूर्व एशियाई संस्करण था।
1966: अमेरिकी साइंस फिक्शन शो स्टार ट्रेक का प्रीमियर एनबीसी टेलीविजन नेटवर्क पर हुआ, जिसने एक मीडिया फ्रैंचाइज़ी लॉन्च की और कई मौजूदा तकनीकों के डिजाइन को प्रभावित किया।
1966: क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय ने साउथ वेल्स के लिए एक नए आर्थिक युग के सूत्रपात के रूप में, सेवर्न ब्रिज का उद्घाटन किया।
1966: संयुक्त राष्ट्र के शिक्षा और सांस्कृतिक विभाग यूनेस्को ने पहली बार विश्व साक्षरता दिवस मनाया।
1974: वाटरगेट कांड के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति गेराल्ड फोर्ड ने पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को उनके पद पर रहते हुए किए गए किसी भी अपराध के लिए पूर्ण और बिना शर्त क्षमा प्रदान की।
1978: ईरानी क्रांति के दौरान, शाह की सरकार के विरोध में ईरानी सेना ने तेहरान में ब्लैक फ्राइडे पर कम से कम 88 प्रदर्शनकारियों को गोली मार दी।
1986: निसान ने इंग्लैंड के सुंदरलैंड में एक कारखाना खोला और यूरोप में कारखाना खोलने वाली पहली जापानी ऑटोमोबाइल कंपनी बन गई।
1991: मैसिडोनिया गणराज्य स्वतंत्र हुआ।
1994: यूएसएयर फ्लाइट 427 पिट्सबर्ग अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसमें 132 लोगों की मौत हुई और यह विमानन इतिहास की सबसे लंबी जांचों में से एक बन गई।
1998: 2001 में निर्धारित 13वें गुट निरपेक्ष आंदोलन की मेजबानी बांग्लादेश को सौंपी गई।
2000: संयुक्त राष्ट्र का मिलेनियम घोषणापत्र न्यूयॉर्क में बनाया गया।
2004: टाइफून सोंगडा ने 4 दिनों तक जापान के द्वीपों को प्रभावित किया, जिससे व्यापक क्षति हुई।
2006: काबुल में संयुक्त राज्य दूतावास के पास एक आत्मघाती कार बम विस्फोट हुआ, जिसमें कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई।
2009: तुर्की में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल पर अपोलो की एक विशाल मूर्ति स्थापित की गई।
2010: न्यू साउथ वेल्स संसद ने ऑस्ट्रेलिया के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य में एक ही लिंग के जोड़ों को गोद लेने के पक्ष में वोट दिया।
2011: रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2011 में ऑस्ट्रेलिया में बेरोजगारी की दर 5.3% तक बढ़ गई।
2013: पाकिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में आसिफ अली जरदारी का पांच साल का कार्यकाल समाप्त हुआ, और उनकी जगह ममनून हुसैन ने ली।
2014: यह बताया गया कि अमेरिका के कई राज्यों में लगभग एक हजार बच्चे श्वसन संक्रमण से पीड़ित हुए।