मां शिप्रा की हाईटेक आरती से काशी जैसा अनुभव देगा उज्जैन

मध्यप्रदेश सरकार उज्जैन के शिप्रा नदी घाटों पर होने वाली आरती को बनारस और काशी की गंगा आरती की तरह भव्य और आधुनिक रूप में आयोजित करने जा रही है। इसके लिए सरकार ने एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EOI) जारी किया है, ताकि पेशेवर एजेंसियों का चयन किया जा सके।

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Manya Jain
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भोपाल: मध्यप्रदेश सरकार उज्जैन को नया रूप देने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। अब शिप्रा नदी के घाटों (Shipra Ghat) पर होने वाली आरती को बनारस और हरिद्वार की गंगा आरती (Shipra is a tributary of Ganga) की तरह भव्य और आधुनिक रूप में आयोजित किया जाएगा।

 सरकार चाहती है कि आने वाले सिंहस्थ महाकुंभ (2028) तक उज्जैन में ऐसी आरती शुरू हो जाए, जिसे देखने वाले श्रद्धालु भावविभोर हो उठें।

इस दिशा में राज्य सरकार ने एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EOI) जारी किया है। इसका उद्देश्य ऐसी पेशेवर एजेंसियों का चयन करना है, जो टेक्निक, म्यूजिक, लाइट और परम्परा को ध्यान में रखकर प्रोजेक्ट को अंजाम दे सकें।

तकनीक से बनेगी आरती आकर्षक

उज्जैन कलेक्टर रोशन कुमार सिंह ने बताया कि इस पहल का मकसद शिप्रा आरती (Shipra River) को इतना भव्य और यादगार बनाना है कि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु यहां का अनुभव जीवनभर याद रखें।

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उन्होंने कहा, हमने ऐसी एजेंसियों से प्रस्ताव मांगे हैं, जो तकनीक का इस्तेमाल करते हुए आरती को और आकर्षक बना सकें। इसका मकसद यह है कि जब श्रद्धालु घाट पर आएं तो उन्हें सिर्फ आरती नहीं, बल्कि भावनात्मक अनुभव हो। 

गंगा आरती क्यों है प्रेरणा का स्रोत

हरिद्वार और बनारस की महागंगा आरती में हर शाम सैकड़ों पुजारी, घंटों और दीपों के साथ गंगा आरती करते हैं। वाराणसी की दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती अपने आप में खास होती है। यहां दर्जनों पुजारी एक साथ समान वेशभूषा में दीप थाल लेकर मंत्रोच्चार करते हैं।

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हर पुजारी एक लय में जब आरती करते हैं तो भव्य नजारा होता है। शंखनाद, घंटों की गूंज और वेद मंत्रों की ध्वनि श्रद्धालुओं के मन में गहराई तक उतर जाती है।

अब मध्यप्रदेश की डॉ.मोहन यादव सरकार चाहती है कि उज्जैन की शिप्रा आरती (shipra river in ujjain) भी इसी तरह का भव्य अनुभव दे। 

तकनीक से सजेगी शिप्रा आरती

एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट में कहा गया है कि आरती में परंपरा और आधुनिक तकनीक का संगम होना चाहिए। सरकार ने एजेंसियों से ऐसे सुझाव मांगे हैं।

जिनमें AI आधारित प्रोजेक्शन मैपिंग, सिंक्न्रोनाइज्ड लाइटिंग, साउंड और विजुअल स्टोरीटेलिंग, होलोग्राम और AR/VR अनुभव और आध्यात्मिक संगीत संयोजन जैसी तकनीकें शामिल होंगी।

इन तकनीकों की मदद से घाटों पर आरती का अनुभव केवल धार्मिक न रहकर दिव्य दृश्यात्मक आयोजन बन जाएगा। श्रद्धालु दीपों की रोशनी के साथ मां शिप्रा की कथा, उज्जैन के इतिहास और महाकाल की महिमा को लाइट एण्ड साउंड श्खो की मदद से अनुभव कर सकेंगे। 

कई घाटों पर एक साथ आरती की तैयारी

फिलहाल शिप्रा नदी की आरती केवल रामघाट तक सीमित है और ज्यादातर निजी समूहों द्वारा कराई जाती है।

अब सरकार की योजना है कि कई घाटों को जोड़ा जाए और एक साथ सामूहिक आरती का आयोजन हो। इसका प्रारूप बनारस के मल्टी-घाट मॉडल जैसा होगा।

जहां एक ही समय पर अलग-अलग घाटों पर आरती होती है, लेकिन उनकी ध्वनि और लय एक होती है।

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