मप्र ( Madhya Pradesh ) में शिक्षा व्यवस्था का क्या हाल है इसकी पोल आए दिन अखबर, डीजिटल मीडिया या फिर टीवी पर आप देखते ही आ रहे हैं। पहले शिक्षकों की समय पर भर्ती ही नहीं हो पाई। अब आलम ये है कि आज भी शिक्षक स्कूलों से ज्यादा सड़कों पर प्रदर्शन करते दिखाई दे जाते हैं लेकिन अब जो खबर सामने आई है वो बड़ी हैरान करती है। दरअसल स्कूल शिक्षा विभाग ( School education department ) ने शिक्षकों को प्रमोशन देकर अपनी पीठ तो जमकर थपथपा ली, लेकिन हकीकत ये है कि प्रमोशन लेकर आए शिक्षक क्लास में पढ़ा ही नहीं पा रहे हैं।
सबसे बुरा हाल उच्च पद वाले शिक्षकों का है
सबसे बुरा हाल उच्च पद हासिल किए शिक्षकों का है जो हायर क्लास नहीं ले पा रहे हैं। वो इसलिए क्योंकि उन्हें हाई स्कूलों के उन विषयों का ज्ञान ही नहीं है जिनकी क्लास उन्हें लेनी है और अब तो प्रमोशन पाए शिक्षक प्रमोशन भी नहीं लेना चाहते, वो अपना प्रभार लौटा रहे हैं। अब इससे अंदाजा लगा लीजिए कि प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था का क्या हाल है। अब शिक्षक तो भाग रहे हैं लेकिन टेंशन स्कूलों के प्राचार्यों की बढ़ गई है उन्हें ये समझ नहीं आ रहा है कि रिजल्ट कैसे अच्छा आएगा। समय पर सिलेब्स कैसे पूरा होगा। आपको बता दें कि प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों को माध्यमिक शिक्षक और माध्यमिक को उच्च माध्यमिक शिक्षकों का प्रभार दिया गया लेकिन जब ये शिक्षक प्रमोशन लेकर नए स्कूल पढ़ाने पहुंचे तो वहां पढ़ाने से बचते रहे।
कैसे खुली पोल ?
ये पोल तब खुली जब रीवा में मौजूद मार्तण्ड स्कूल क्रमांक 1 में प्राचार्यों की समीक्षा बैठक बुलाई गई। इस बैठक में प्राचार्यों ने अधिकारियों के सामने बताया कि जो शिक्षक आए हैं वो पढ़ाना ही नहीं चाह रहे हैं न पढ़ाने का एक बहाना ये बनाया जा रहा है कि उच्च पद प्रभार का आदेश अब तक उनको मिला नहीं है। कुछ शिक्षक तो ऐसे हैं जिनका ट्रांसफर शहर से बाहर हो गया है अब वो जुगाड़ में लगे हैं कुछ तो आदेश के बाद भी स्कूल नहीं जा रहे हैं। अब आप खुद सोचिए सिर्फ 2 महीने बाद बोर्ड के एग्जाम शुरु होने वाले हैं और इन 2 महीनों में क्या ही पढ़ाई होगी और क्या ही बच्चे सीखेंगे। यानी अगर इस बार का रिजल्ट खराब होता है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। स्कूल शिक्षा विभाग या फिर वो शिक्षक जो सरकारी नौकरी का सुख तो भोगना चाहते हैं लेकिन मेहनत नहीं करना चाहते।
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