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मध्यप्रदेश के पावर कॉरिडोर में इस हफ्ते बोल हरि बोल के लिए किस्से-कहानियों का स्टॉक फुल है। कहीं पंजा चल रहा है तो कहीं विदाई का तिलिस्म।
कुर्सी पर एक्सटेंशन का रहस्य बरकरार है। कुल मिलाकर राजधानी से लेकर ग्वालियर-चंबल तक इन दिनों अफसरशाही और सियासत का गॉसिप मीटर हाई है। युवराज और ठाकुर साहब खेल-खेल में चुनावी वार्म-अप कर रहे हैं।
एक चालाक टीआई का प्लॉट वाला खेल एक अफसर के तबादला तूफान में बदल गया है। उधर, मंत्रीजी और आईएएस की जोड़ी ने गुज्जू भाइयों को बिजनेस में गच्चा दे दिया है। मामा की भांजी अफसर ने तो विदाई पार्टियों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।
खैर, देश- प्रदेश में खबरें तो और भी हैं, पर आप तो सीधे नीचे उतर आईए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए। और हां, आज भुजरिया पर्व है तो मेहरबानी बनाए रखिए...!
युवराज का क्रिकेट, ठाकुर साहब का पंजा!
ग्वालियर- चंबल में इन दिनों राजनीति की पिच और अखाड़ा दोनों ही चर्चा में हैं। महाराज के युवराज बरसों से बल्ला घुमाकर फेस चमकाने की कोशिश में जुटे हैं। अब ठाकुर साहब के शहजादे ने सोचा कि सिर्फ बल्ले से काम नहीं चलेगा, पंजा भी दिखाना पड़ेगा।
बस, शुरू हो गई प्रो पंजा लीग, जहां हाथ मिलाना नहीं, पकड़ना और चित करना असली खेल है। जैसे राजनीति में स्टार प्रचारक आते हैं, वैसे ही सेलिब्रिटीज की भी लाइन लग गई है। यह पंजा युद्ध 21 अगस्त तक चलेगा। अब लोग कह रहे हैं कि ये खेल है या चुनावी वार्म-अप? सियासी गलियारों में फुसफुसाहट है कि युवराज की क्रिकेट पॉलिटिक्स पर यह ठाकुर का सियासी पंजा है।
वैसे आप किसके खेल में दिल लगा रहे हैं, बल्ले वाले में या पंजे वाले में?
एक्सटेंशन...जाने क्या होगा रामा रे!
मध्यप्रदेश के पावर कॉरिडोर में इन दिनों सबसे हॉट टॉपिक न चुनाव हैं, न ट्रांसफर, बल्कि 31 अगस्त है। जी हां, वही दिन जिसका इंतजार मंत्री से लेकर अफसरों तक सबको है। इसकी वजह बड़े साहब का रिटायरमेंट है। सवाल है कि क्या बड़े साहब सच में ब्रीफकेस पैक करके घर चले जाएंगे या फिर ऐन वक्त पर दिल्ली से एक्सटेंशन का जादुई फरमान आ जाएगा?
अफसरशाही में तो हाल यह है कि फाइलों से ज्यादा अटकलें चल रही हैं, दफ्तरों में कैलकुलेटर से ज्यादा कैलेंडर देखे जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि अगर साहब को एक्सटेंशन मिला तो कई चेहरों की मुस्कान फीकी पड़ जाएगी और अगर नहीं मिला तो कुर्सी की दौड़ में हड़बड़ी मच जाएगी।
अब बस सबकी निगाहें 31 अगस्त की सुबह से शाम तक टिकी रहेंगी, क्योंकि इस दिन तय होगा कि साहब का ऑफिस टेबल खाली होगा या फिर उसी पर एक्सटेंशन की नई फाइल आ टिकेगी।
कहां जा रहे हैं, रुकिए यहां?
इन दिनों पांचवीं मंजिल पर बैठने वाले साहब की चर्चा मंत्रालय में हो रही है। हुआ यूं कि साहब हर दिन की तरह ऑफिस पहुंचे, लेकिन एंट्री गेट पर तैनात गार्ड ने उनका रास्ता रोक लिया। गार्ड का जोश टॉप गियर में था। उसने बड़े अदब से पूछा, आप कहां जा रहे हैं? साहब भी क्या करते, मुस्कुरा कर बोले, भाई, मैं पांचवीं मंजिल पर बैठता हूं।
गार्ड के चेहरे पर पहले हैरानी, फिर घबराहट और आखिर में माफी का फ्लैश शो आ गया। असल में बेचारे गार्ड की पोस्टिंग उसी दिन हुई थी और उसे इस VIP पहचान का अपडेट नहीं मिला था। अब पूरे ऑफिस में यही किस्सा गूंज रहा है।
दरअसल, साहब बड़े सौम्य, सरल और सहज हैं। उन्होंने ताव दिखाने के बजाय गार्ड को माफी दी और अपने दफ्तर की ओर बढ़ गए।
चालक टीआई के फेर में एसडीएम
एक चालाक टीआई ने मोटी रकम के फेर में एसडीएम को मोहरा बनाकर उलझा दिया है। दरअसल एक प्लॉट पर महिला आईएएस का कब्जा है। मैडम का कहना है कि वे पूरा पैसा दे चुकी हैं और प्लॉट मालिक का कहना है कि मैडम ने कुछ समय बाद पैसे देने के नाम पर प्लॉट ले लिया, अब पेमेंट नहीं कर रहीं। इस पर प्लॉट मालिक ने टीआई को मोटी रकम देकर प्लॉट खाली करने का सौदा किया।
अब टीआई साहब निकले चालाक लोमड़ी...। उन्होंने विधायक का हवाला देकर एसडीएम और तहसीलदार से प्लॉट पर बनी बाउंड्रीवॉल तुड़वा दी। बाद में मेडम ने इस मामले में एसडीएम की शिकायत करके तबादला करवा दिया, लेकिन इस खेल के मास्टर माइंड टीआई साहब बच गए।
गुज्जुओं को भी दे दिया गच्चा!
गुजराती भाई बिजनेस में नंबर वन माने जाते हैं। उनके बिजनेस में घाटे का कोई कॉलम ही नहीं होता, लेकिन एमपी के एक मंत्री और आईएएस की जोड़ी ने गुज्जू भाइयों को झटका दे दिया।
करोड़ों की सप्लाई के टेंडर में उनके हिसाब से शर्तें डालने के नाम पर मोटा माल ले लिया। इसी बीच शिकायत होने और मामला तूल पकड़ने पर तत्काल यू टर्न भी ले लिया। अब गुज्जू भाई कह रहे हैं कि हमारा काम नहीं हो रहा तो माल लौटाओ। इस पर मंत्री और आईएएस का कहना है कि हमने तो टेंडर की शर्त बदल दी थी।
शिकायत और हंगामा हो गया तो हम क्या करें, जो बोला था वो किया। बेचारे गुज्जू भाई अब अपने पैसों के लिए इधर- उधर से फोन लगवा रहे हैं और मंत्रीजी और साहब पैसे लौटाने के बिलकुल मूड में नहीं हैं।
मैडम ने तो रिकॉर्ड बना दिया!
राजधानी की अफसरशाही में इन दिनों एक ही नाम गूंज रहा है और वो है मामा की भांजी। मामा जी की पॉपुलैरिटी तो पहले से ही लीजेंड है, पर अब उनकी भांजी अफसर भी उसी ट्रैक पर दौड़ती दिख रही हैं। हाल ही में मैडम का तबादला मंडी बोर्ड से नागरिक आपूर्ति विभाग में हुआ।
फिर जो विदाई पार्टियों का सिलसिला शुरू हुआ, उसने तो गॉसिप मीटर ही हाई कर दिया। सुनने में आया है कि रिलीव होने के बाद पूरे चार दिन तक हर सेक्शन में फेयरवेल हुआ।
यहां तक कि वो सेक्शन भी शामिल थे, जिनसे मैडम का कोई लेना-देना नहीं था। वजह? मंडी बोर्ड में अपने कार्यकाल के दौरान मैडम ने छोटे-बड़े कर्मचारियों के हितों के लिए आगे बढ़कर काम किया, शिकायतें सुलझाईं और अफसराना ठाठ के बजाय अपनापन दिखाया। नतीजा अब यह है कि लोग दिल से उनके फैन हो गए हैं।
हरीश दिवेकर | अनुराग जैन | सीएम मोहन यादव | ज्योतिरादित्य सिंधिया एमपी न्यूज
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