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नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की! आज की सुबह कृष्णमय है। घर-आंगन से लेकर सीएम हाउस तक आनंद की वर्षा हो रही है। इधर, राजनीति और अफसरशाही के गलियारों में हर दिन ही लीला चल रही है। अब देखिए ना, मामा का राजनीतिक माखन विदिशा से रायसेन पहुंचते-पहुंचते खट्टा हो गया और शिव गुस्सा हो गए।
डॉक्टर साहब भी परम्पराओं को खत्म कर नई लकीर खींचते हुए लीलाएं कर रहे हैं। वहीं, कांग्रेस ने कुछ जिलों में अपने नए कप्तान ऐसे उतारे हैं, जिन्हें कार्यकर्ता तक नहीं पहचानते। वे सोशल मीडिया पर नए अध्यक्ष जी को बधाई देने के लिए उनकी फोटो और मोबाइल नंबर मांग रहे हैं। अफसरों के चर्चे भी कुछ कम नहीं। लबासना में एक मैडम अपने अधकचरे ज्ञान से हंसी की पात्र बन गईं तो एक अफसर ने अपने सरप्राइज के चक्कर में पूरी बिरादरी की भद्द पिटवा दी।
खैर, देश प्रदेश में तो श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और आजादी की धूम ही है। आप भी सीधे नीचे उतर आईए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए।
मामा की रैली और खाली कुर्सियां!
लगता है कि मामा की राजनीति अब ठंडी पड़ने लगी है। कभी उनके नाम पर कसमें खाई जाती थीं, अब हालत ये है कि उनकी रैलियों में जोश कम हो जाता है। विदिशा से उनकी स्वदेशी रैली यूं तो धूम धड़ाके के साथ रवाना हुई थी, लेकिन रायसेन पहुंचकर इसकी हवा निकल गई। सभा स्थल पर कुर्सियां खाली थीं। लोग कम थे। जो थोड़े-बहुत समर्थक बचे भी थे, वो भी ताली बजाने में कंजूसी कर रहे थे।
मामा का मूड भांपकर एक विधायक जी ने तुरंत समर्थकों को आंधी-तूफान वाले नारे लगाने का इशारा किया, लेकिन बात नहीं बनी। कार्यक्रम के बाद मामा की नाराजगी भी छुपी नहीं रही। चेहरे पर साफ नजर आया कि मजा नहीं आया। यह असल खेल रायसेन बीजेपी की गुटबाजी का बताया जा रहा है। मामा ने इसे लेकर गुस्सा जाहिर किया है।
कांग्रेस ने यूं चौंका दिया भैया...
कांग्रेस ने जिलों में बड़े प्रयोगों के साथ नए कप्तान उतार दिए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह गुना के कप्तान बनाए गए हैं। एआईसीसी मेंबर और विधायक ओंकार सिंह मरकाम को डिंडोरी की कमान थमाई गई है। अब प्रदेश स्तर के नेताओं को यूं जिलों की कमान देना किसी के गले नहीं उतर रहा। विंध्य में तो बगावत का बिगुल भी बज चुका है।
सतना के एक कांग्रेस कार्यकर्ता ने लिखा, 'नए अध्यक्ष को बधाई देता हूं, लेकिन मैं 25 साल से पार्टी में हूं और उन्हें पहचानता तक नहीं।' दूसरे ने हद ही कर दी। उसने लिखा, कृपया सतना अध्यक्ष इकबाल सिद्दिकी का मोबाइल नंबर और फोटो भेज दें, ताकि बधाई दे सकूं। अब बीजेपी वाले कह रहे हैं कि कांग्रेस का नया कप्तान सिस्टम कार्यकर्ताओं के लिए रहस्य है, जैसे फिल्म में हीरो तो आता है, पर पूरी फिल्म देखने के बाद भी दर्शक उसे पहचान नहीं पाते।
मोहन मैजिक करत हैं!
डॉक्टर साहब का काम कई बार किसी मैजिक से कम नहीं लगता। वे हर बार अपने इनोवेशन से सबको चौंका देते हैं। अब देखिए, आजादी की वर्षगांठ पर उन्होंने फिर प्रयोग किया। अब तक परम्परा थी कि मंत्री और कलेक्टर जिलों में सीएम के संदेश का वाचन करेंगे, लेकिन इस बार यह हुआ कि सीएम के पूरे भाषण को जिलों में बड़ी स्क्रीनों पर लाइव दिखाया गया। आपको याद होगा कि इससे पहले उन्होंने मध्यप्रदेश गान को लेकर फैसला लिया था।
दरअसल, मामा के राज में परम्परा थी कि मध्यप्रदेश गान के वक्त खड़ा होना जरूरी थी, लेकिन डॉक्टर साहब ने इस परम्परा को बदल दिया। फिर सीएस की कुर्सी को लेकर भी चौंका देने वाला फैसला लिया था। कुल मिलाकर अपने नवाचारों से डॉक्टर साहब नई लकीर खींच रहे हैं।
मैडम की ट्रेनिंग थी या कॉमेडी क्लास
लबासना की सीरियस ट्रेनिंग में पहली बार हंसी-ठिठोली का ऐसा तड़का लगा कि अफसर भी दंग रह गए। हुआ यूं कि मध्यप्रदेश कैडर की एक आईएएस मैडम डेपुटेशन पर डिप्टी डायरेक्टर लबासना देहरादून हैं। उन्होंने फेस-3 ट्रेनिंग में आए आईएएस अफसरों को नोटिंग-ड्राफ्टिंग सिखाने की क्लास ली। अब मजेदार यह है कि क्लास के बाद इन अफसरों का हाल ऐसा था, जैसे किसी ने उन्हें क्वांटम फिजिक्स पढ़ा दी हो। किसी को कुछ समझ नहीं आया कि मैडम आखिर कहना क्या चाहती हैं?
अब अफसर भी कम कलाकार नहीं थे। ट्रेनिंग के आखिर में जो व्यंग्य नाटक होता है, उसमें उन्होंने मैडम को ही किरदार बना दिया। नाम रखा– नथिंग-ड्राफ्टिंग। नाटक में दिखाया गया कि मैडम को खुद ही नोटिंग-ड्राफ्टिंग की एबीसीडी नहीं पता, फिर भी वो दूसरों को ज्ञान बांट रही हैं। लबासना के इतिहास में ये पहला मौका था, जब फैकल्टी का मंच पर मखौल बना।
प्रमोटी आईएएस ने पिटवाई भद्द
लबासना की फेस-3 ट्रेनिंग में एमपी कैडर के एक प्रमोटी साहब ने ऐसा सरप्राइज दिया कि अफसरों ने माथा ठोक लिया। हुआ यूं कि डायरेक्टर साहब के सामने पियर प्रजेंटेशन होना था। अब प्रमोटी अफसर जोश से आगे बढ़े और नाम लिखवा दिया कि मैं सरप्राइज टॉपिक पर प्रजेंटेशन दूंगा। सबने सोचा, वाह! क्या कॉन्फिडेंस है। लेकिन असली मजा अगले दिन आया।
प्रजेंटेशन का टाइम आया तो साहब हाथ जोड़कर खड़े हो गए और बोले- मैं प्रजेंट नहीं कर पाऊंगा। साथी एमपी कैडर अफसर घबराए, समझाया कि देखो, येन वक्त पर पीछे हटोगे तो पूरे मध्यप्रदेश की बदनामी होगी, मगर साहब पूरे मूड में थे। बोले- मेरा टॉपिक सरप्राइज था, तो यही मेरा सरप्राइज है। अब इसे कॉन्फिडेंस कहें या कॉमेडी, लेकिन लबासना में ये किस्सा वायरल हो गया।
कौन होगा भोपाल पुलिस कमिश्नर?
भोपाल का अगला पुलिस कमिश्नर कौन होगा, ये सवाल पुलिस हेडक्वार्टर से लेकर थानों के रोजनामचे तक चर्चा का विषय बना हुआ है। पहले माना जा रहा था कि इंदौर में संतोष सिंह की ताजपोशी के बाद राजधानी का नंबर भी जल्द आएगा, लेकिन अब तो आठ महीने बीत गए हैं। कमिश्नर बनने के लिए अफसरों ने लॉबिंग का शो चला रखा है।
कोई पॉलिटिकल पंडितों के दरबार में फेरे लगा रहा है तो कोई दिल्ली दरबार तक डिलीवरी कराने की जुगत भिड़ा रहा है। लेकिन दाल तो गल ही नहीं रही। अब खाकी कैडर में सबसे बड़ा गॉसिप यही है कि भोपाल का सिंहासन किसे मिलेगा? सीएम की फेवरेट पसंद या फिर डीजीपी साहब का स्पेशल कैंडिडेट? फिलहाल तो तारीख आगे खिसकते-खिसकते अफसरों की धड़कनें तेज होती जा रही हैं।
हरीश दिवेकर | शिवराज सिंह चौहान
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