बोल हरि बोल : बेंगलुरु में महामहिम की चहुंओर गूंज… दिल्ली वाले भैया भी गजब हैं, भोपाल में मेडम और साहब की किस्मत!

मध्य प्रदेश की राजनीति में कई दिलचस्प घटनाएं घट रही हैं। मंत्रीजी को 9 महीने बाद काम मिला है, जबकि बड़ी दीदी के पुनर्वास की तैयारी चल रही है। मंत्रालय के पांचवें माले पर बैठने वाले बड़े साहब की बेबाकी सुर्खियों में है।

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Harish Divekar
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देश में रक्षाबंधन की धूम है। बाजार सजे हैं और सजी है सियासत। खास प्रयोजन के लिए सूबे में हर दिन आयोजन चल रहे हैं। नेताजी की कलाई पर राखियों पर राखियां बंध रही हैं। मनोहारी माहौल है। अच्छा भी है भाई- बहनों के असीम स्नेह की ऐसी दूसरी मिसाल देखने को नहीं मिलती। 

त्योहार की इस बेला में फिलहाल मंत्रालय वाली सबसे 'बड़ी दीदी' चर्चाओं में हैं। उनके तारे- सितारे बुलंद हैं। पहले हॉट सीट मिली, अब उनके पुनर्वास की तैयारी चल रही है। दिल्ली वाले भैया भी रह-रहकर अपनी उपलब्धियां बताने में पीछे नहीं रहते। बस मौका भर मिल जाए, वे बहना वाला गाना गा ही देते हैं। 

उधर, मंत्रालय के पांचवें माले पर ​बैठने वाले बड़े साहब की बेबाकी इन दिनों सुर्खियों में है। खाकी से खबर है कि बड़े साहब की कुर्सी पर मंडरा रहा साया टल गया है। राजनीति समझने वालों की नजर आज बेंगलुरु पर है। मध्य प्रदेश से डेढ़ हजार किलोमीटर दूर कर्नाटक में महामहिम ने जो किया है, उसने राजनीति में उबाल ला दिया है। 

खैर देश-प्रदेश में खबरें तो और भी हैं, पर आप तो सीधे नीचे उतर आईए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए।

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मंत्रीजी को नौ महीने ​बाद मिला काम

मंत्री बनते ही अपनी बयानबाजी से चर्चा में आए एक राज्य मंत्रीजी को आखिरकार 9 महीने बाद काम मिल ही गया। मतलब, मंत्रीजी को कार्य आवंटन कर दिया गया है। नेताजी लंबे समय से उठापठक कर रहे थे, लेकिन दाल नहीं गल पा रही थी। अब वन महकमे वाले बड़े मंत्रीजी ने उन्हें तबादला, पोस्टिंग का काम सौंपा है। कुल जमा उन्हें तीन काम मिले हैं। देखना होगा कि इनमें पहली बार मंत्री बने नेताजी कितना परफॉरमेंस दिखा पाते हैं, क्योंकि वे बातें तो बहुत बड़ी-बड़ी करते हैं। उनके जानने वाले तो कहते हैं भाईसाहब भाव के प्रभाव में कुछ भी कह जाते हैं। 

भाईसाहब और बहनें...

पुराने सरकार भले ही अब दिल्ली चले गए हैं, लेकिन रह-रहकर उनका मध्यप्रदेश प्रेम बाहर आ ही जाता है। मौका कोई भी हो, भाईसाहब बहनों का जिक्र जरूर छेड़ते हैं। कभी लाड़ली बहना तो कभी लखपति दीदी… मीडिया को दिए बयानों में वे इसकी बयानी जरूर करते हैं। मंच से रक्षाबंधन के गीत भी खूब गुनगुनाते हैं। भाईसाहब अभी मध्यप्रदेश दौरे पर आए थे। यहां भी उन्होंने अपनी उपलब्धि बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बोले कि हमारी योजना को देश के दूसरे राज्यों ने अपनाया है। हमारे लिए यह गर्व की बात है। आपको बता दें कि भाईसाहब को एक राज्य की जिम्मेदारी मिली है। वे जब भी वहां जाते हैं तो भाषणों में बहनों को ही आगे रखते हैं। 

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बड़ी दीदी के पुनर्वास की तैयारी 

जीवन में तारे-सितारों का बड़ा खेल होता है। ग्रहों की चाल सही है तो आप प्रत्याशित उपलब्धियां पा लेते हैं और इन्होंने आंखें तरेरी तो मानो ऊंट पर बैठे को आदमी को भी कुत्ता खा लेता है। अब इसी मामले को देख लीजिए। मैडम अपनी पूरी नौकरी में बड़ी और अहम जिम्मेदारी पर कम ही रहीं, लेकिन रिटायरमेंट के पहले किस्मत ने ऐसा जोर मारा कि वे दिग्गजों को पछाड़ते हुए हॉट सीट पर बैठ गईं। एक्सटेंशन भी पा लिया।

अब सितंबर में मैडम का कार्यकाल पूरा हो रहा है। ऐसे में उनके पुनर्वास की तैयारी हो गई है। मैडम के के लिए राज्य निर्वाचन आयुक्त का पद होल्ड किया गया है। इसके चलते वहां पहले से पदस्थ पूर्व मुख्य सचिव बीपी सिंह की भी लॉटरी लग गई ​है। उनका कार्यकाल 30 जून को खत्म हो गया था, पर पोस्ट को होल्ड करने आगामी आदेश तक के लिए उनका कार्यकाल बढ़ा दिया गया। अंदरखानों का कहना है कि मैडम रिटायरमेंट के बाद इस पद की शोभा बढ़ाएंगी।

किस्मत की धनी अकेली मैडम नहीं हैं। उनके पहले दो पूर्व मुख्य सचिव एसआर मोहंती और इकबाल सिंह बैंस भी बड़ा उदाहरण हैं। दोनों की किस्मत ने उन्हें हारी हुई बाजी जिताकर हॉट सीट पर बैठने का मौका दिया था।

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साहब की बेबाकी और मैरिट की चटनी! 

मंत्रालय के पांचवें माले पर ​बैठने वाले बड़े साहब की बेबाकी इन दिनों चर्चा में है। साहब के पॉवर में आते ही उनके पास सिफारिशों की लाइन लग गई थी। कुछ लोग पुराने संबंधों का हवाला देते हैं तो कुछ लोग उनके अधीन काम करने की याद दिलाते हैं। साहब ठहरे मजे हुए ब्यूरोक्रेट... तो वे तपाक से जवाब देकर सामने वाले का मुंह बंद कर देते हैं। पोस्टिंग के लिए आने वाले अफसरों को भी साहब मैरिट की चटनी चटाकर चलता कर रहे हैं। साहब की बेबाकी के चर्चे आम होते ही अब सिफारिश करने वाले या संबंधों का हवाला देकर पोस्टिंग करने वालों की भीड़ एक दम कम हो गई।

साहब को नहीं मिल रहे साधक

मुख्य सचिव के पद से रिटायर हुए एक अकडू साहब को योग साधना के लिए साधक नहीं मिल रहे हैं। दरअसल, साहब ने रिटायर होने से पहले नामी- बेनामी सैकड़ों एकड़ जमीन खरीद कर पांच सितारा योग साधना केन्द्र बनाया था, साहब को उम्मीद थी कि रिटायरमेंट के बाद वे ध्यान-साधना करवाकर नई लाइन खींचेंगे, लेकिन कहते हैं ना कि एक्सल शीट और एक्चुअल शीट में अंतर होता है। अब यही अंतर साहब को नजर आने लगा है। पूरा जोर लगाने के बाद भी साहब अपने योग साधना केन्द्र का खर्च नहीं निकाल पा रहे हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में लोगों से संबंध बनाने के बजाए बिगाड़े थे, तो अब ऐसे में उन्हें किसी से ​मदद मिलने की उम्मीद भी नहीं दिखाई दे रही है।

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राह में कांटे न बिछा जाएं कप्तानों के कप्तान 

कप्तानों के कप्तान की कुर्सी पर आया बड़ा संकट फिलहाल टल गया है। अब साहब फिर फॉर्म में दिख रहे हैं। उनकी नजर अपने उन ​अधीनस्थ अफसरों पर भी ​है, जिन्होंने उनकी ​रवानगी की पूरी तैयारी कर ली थी। हालांकि साहब एग्रेशन से नहीं, बल्कि इमोशन से खेला करते हैं। ऐसे में उन्हें जानने वाले अफसर खासे परेशान हैं कि साहब कहीं रिटायर होने से पहले उनकी राह में कांंटे ना बिछा जाएं।   

डॉक्टर साहब ने तत्काल कर दिया इलाज 

एक प्रमुख सचिव नवाचार करने के फेर में खुद ही उलझ गए। अपनी होशियारी साबित करने चले थे, लेकिन मामला उलटा पड़ गया। नतीजा राजस्व मंडल जैसे काले पानी में पोस्टिंग हो गई। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इन साहब ने ऐसा क्या कर दिया? तो हम बताते हैं कि इन साहब ने पूरे प्रदेश में 24 घंटे बाजार खोलने का फरमान जारी किया था। डॉक्टर साहब को पता लगा तो उन्होंने नाराजगी जताई। पांचवीं मं​जिल के आला अफसर मामले की तह में गए तो पता चला कि प्रमुख सचिव साहब ने आदेश जारी करने से पहले ना तो नगरीय प्रशासन को भरोसे में लिया और ना ही गृह विभाग को। बस फिर क्या था...डॉक्टर साहब ने तत्काल इलाज कर दिया।

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