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Bol Hari Bol 19 January
सूबे में इन दिनों पद और पैसों की ही जय-जयकार है, बाकी सब तो ठीकई है। अभी परिवहन विभाग का 52 किलो सोने वाला कांड ठंडा भी नहीं पड़ा था कि विदिशा जेल का सूदखोरी मामला सुर्खियों में आ गया है। जेल में पहरा देने वाले साहब, अफसरों के साथ मिलकर काली कमाई को सूद पर लगा रहे थे। अफसरशाही में एक आईएएस की सीडी की चर्चा गरम है तो नेताओं के गलियारों में एक पंडितजी के ऑडियो ने गर्दा उड़ा रखा है। जब भी महाराज रफ्तार पकड़ते हैं, कोई पुराना टेप रीप्ले कर दिया जाता है। ऑडियो में 55 और 5 की गूंज तो है, लेकिन असल खेल क्या है, ये अभी भी रहस्य है। खैर, सियासत और नौकरशाही में भूचाल तो चलता रहेगा, आप सीधे नीचे उतरिए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए!
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क्या ब्राह्मण एक हो रहे हैं...?
आप सोच रहे होंगे कि ये कैसा सवाल है। ...तो हम आपको बता देते हैं कि ये हमारा सवाल नहीं है... बल्कि सत्ता के गलियारों में इस पर खुसर- पुसर हो रही है। दरअसल, ग्वालियर- चंबल की राजनीति में जातिवाद हावी रहता है। ऐसे में वहां ठाकुर नेता कई बार दल से ऊपर उठकर संगठित होते दिखे, लेकिन ब्राह्मण नेताओं में वो एकता नहीं दिखी। अब हाल के कुछ घटनाक्रम ऐसे हुए, जिसे लोग ब्राह्मणवाद से जोड़कर देख रहे हैं, हालांकि ये संयोग भी हो सकता है। ये घटनाक्रम पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह का प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा पर लगातार हमले बोलने से जुड़ा है। इधर, भूपेन्द्र के निशानों पर वीडी चुप्पी साधे हैं, लेकिन कांग्रेस के उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे भूपेन्द्र पर लगातार हमला बोल रहे हैं। ये संयोग भी हो सकता है, लेकिन बोलने वालों का क्या करें, जो ये बोल रहे हैं कि इधर के ब्राह्मण नेता पर हमला हुआ तो उधर के ब्राह्मण नेता मैदान में आ गए। क्या ये भी कोई राजनीति का ही हिस्सा है। हमने तो अपना काम कर दिया, आप ही सोच लो। वैसे आपको बता दें कि वीडी का भी चंबल से गहरा रिश्ता है।
बोल हरि बोल : ठेकेदार हड़प गया साहब का बंगला, अब डोलेगी कलेक्टरों की कुर्सी
सूट सिलवा लिया, बस अब ऑर्डर का इंतजार!
आईएएस बनने का सपना तो हर किसी का होता है, लेकिन पहली बार कलेक्टर बनने का रोमांच ही अलग होता है! अब सोचिए, नए सूट में चमकते-दमकते, जिले के मुखिया बनकर झंडावंदन करने का मौका मिल जाए- बस, जिंदगी सफल! लेकिन फिलहाल हालात ये हैं कि सूट सिलकर अलमारी में टंगा है और ऑर्डर "आएंगे-आएंगे" की तर्ज पर अटके पड़े हैं। आईएएस की लिस्ट तैयार है, लेकिन फाइल शायद कुर्सी तोड़ने की प्रतियोगिता में हिस्सा ले रही है। आज नहीं तो कल, कल नहीं तो परसों... यही चर्चा हर कॉरिडोर में है। 2015 बैच के बचे हुए चार अफसरों का कलेक्टर बनना तय माना जा रहा है, 2016 के किसी भाग्यशाली की भी लॉटरी लग सकती है और पुराने धुरंधर प्रमोटी अफसरों के लिए भी समायोजन की गुंजाइश तलाशी जा रही है। कुल मिलाकर 15-16 कलेक्टरों की अदला-बदली होनी है, लेकिन जिनकी बारी है, उनके लिए ये इंतजार किसी रेलवे वेटिंग लिस्ट जैसा हो गया है- कन्फर्मेशन कब मिलेगा, कोई नहीं जानता! तब तक नए सूट को हर हफ्ते प्रेस करवाइए और इंतजार की घड़ियां गिनते रहिए!
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मैडम का मेडिटेशन...
आपने खाकी वर्दी में रौब झाड़ते हुए बहुत से अफसर देखे होंगे, लेकिन इन दिनों एक मैडम ने अपने मन को शांत चित्त रखने का अभियान छेड़ रखा है। पीएचक्यू में तैनात इन मैडम ने मेडिटेशन को मानो अपना मिशन बना लिया है। पीएचक्यूू के लोगों ने मैडम के मेडिटेशन की इस दीवानगी को भांप लिया है, अब जब भी मैडम से कोई आड़ा तिरछा काम करवाना होता है तो मैडम के सामने जाकर मेडिटेशन की बातें शुरू करके टिप्स मांगिए, फिर क्या थोड़ी देर में आप जो बोलेंगे मैडम हंसते- हंसते वो काम कर देंगी। हम मैडम के इस मिशन का अभिनंदन करते हैं। कम से कम खाकी पहनने वाले शांत और सरल रहेंगे तो प्रदेश की पुलिसिंग का चेहरा जरूर बदलेगा, यही उम्मीद है।
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अखबार में सीडी लीक की खबर न छप जाए
राजधानी में इन दिनों चर्चा गर्म है। यह कोई नया घोटाला नहीं, बल्कि सीडी की बातें हो रही हैं। अफसरशाही में चर्चा है कि भोपाल में कभी कलेक्टर रहे एक आईएएस साहब की सीडी आने वाली है। रातीबड़ के किसी फॉर्म हाउस में यह कांड हुआ है। मजे की बात ये है कि इस सीडी में सिर्फ वो अकेले नहीं, बल्कि उनके पुराने साथी, भोपाल के पूर्व आईजी साहब भी शामिल बताए जाते हैं। असल में, जब ये साहब भोपाल में विराजमान थे, तब जमीनों के सौदों में हाथ साफ करने की ऐसी होड़ मची कि कब्जे वाली जमीनें भी मिनटों में सेट हो जाती थीं। अब जिनके हाथ लंबे होते हैं, उनकी पहुंच भी ऊंची होती है, लेकिन जमीन का खेल था, सो पलटवार भी हो गया। सौदे में किसी को हिस्सा कम मिला या पैसे फंस गए- बस, साहबों की रिकॉर्डिंग कर ली गई। अब ये साहब तो लूप लाइन में पड़े ठंडे बस्ते में सड़ रहे हैं, मगर दूसरे अब भी पॉवरफुल पोस्ट पर जमे हैं और हर सुबह अखबार खोलते ही हाथ कांप जाते हैं- कहीं सीडी लीक वाली हेडलाइन न दिख जाए। फिलहाल, राजधानी में हर कोई कान लगाए बैठा है कि ये सीडी सामने आएगी भी या फिर किसी रसूखदार की तिजोरी में कैद रह जाएगी।
पंडितजी और ऑडियो की चर्चा
सूबे की सियासत में सीडी कल्चर तो पुराना है, लेकिन अब आडियो गेम भी तेज हो गया है। इन दिनों एक खास ऑडियो की चर्चा जोरों पर है और इस बार मामला सीधे पंडित जी से जुड़ा है। जी हां, ग्वालियर-चंबल के पंडितजी, जो जब भी राजनीतिक मैदान में रफ्तार पकड़ते हैं, उनके विरोधी ऑडियो...ऑडियो...की रट लगाने लगते हैं। अब तक मजे की बात ये है कि ये रहस्यमयी ऑडियो एक ही बार सामने आया है, लेकिन इसकी चर्चा शुरू होते ही पंडित जी के तेवर जरूर ढीले पड़ जाते हैं। बताया जाता है कि इस ऑडियो में पंडित जी और एक महिला के बीच पैसों को लेकर बातचीत है। महिला कहती है 55 और महाराज जवाब देते हैं 50...बस, यहीं 5 को लेकर सौदा अटक जाता है। अब ये 5 हजार हैं, 5 लाख हैं या पूरे 5 करोड़- ये रहस्य फिलहाल पंडित जी और महिला तक सीमित है। लेकिन विरोधियों को इससे क्या फर्क पड़ता है? जब भी पंडितजी जोश में आते हैं, कहीं से ऑडियो की गूंज छेड़ दी जाती है।
ऊंची दीवारों के पार पहुंची भ्रष्टाचार की सड़ांध
मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार की सड़ांध अब जेल की ऊंची दीवारों के भीतर तक पहुंच चुकी है। परिवहन विभाग के 52 किलो सोने के कांड की गूंज अभी थमी भी नहीं थी कि विदिशा की गंजबासौदा उपजेल से एक और काली कमाई का खेल उजागर हो गया। यहां प्रहरी ने जेल की अवैध कमाई को सूदखोरी में लगाया और मनमाने ब्याज की वसूली शुरू कर दी। सबसे गंभीर आरोप यह है कि इस गोरखधंधे में जेलर भी शामिल थे और तो और जेलर की पत्नी के नाम से भी लेनदेन हुआ। यह भ्रष्टाचार का नया चेहरा है, जहां सरकार के मातहत कानून के रक्षक बनने की बजाय खुद ही अपराधी बन बैठे हैं। इस मामले के पीड़ित ने थाने, लोकायुक्त, एसपी, जेल मुख्यालय तक गुहार लगाई, लेकिन हर जगह सन्नाटा पसरा रहा। आखिरकार, न्याय की आस में वह 'द सूत्र' के दफ्तर पहुंचा और अपनी दर्दभरी दास्तां सुनाई। उसकी आंखों में आंसू थे, लेकिन सिस्टम बेशर्म और ठंडा पड़ा था।