बोल हरि बोल : ठेकेदार हड़प गया साहब का बंगला, अब डोलेगी कलेक्टरों की कुर्सी

आईएएस सर्विस मीट के शुभारंभ पर डॉक्टर साहब ने ऐसा किस्सा सुनाया कि सभा में बैठे अफसरों के चेहरों पर हल्की मुस्कान और गहरी समझ, दोनों झलक पड़ी। किस्सा था एक स्वर्गीय आईएएस का...

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Harish Divekar
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आईएएस सर्विस मीट में इस बार किस्से-कहानियों के जरिए नौकरशाहों को कुछ नायाब सीखें दी गईं। डॉक्टर साहब की कहानी तो ऐसी चली कि अफसरों के चेहरों पर हंसी और चिंता का मिक्सचर झलकने लगा। वहीं, यहां मक्खनबाजी का शो भी देखने को मिला। इसके अलावा गुड न्यूज वीक को लेकर नए आईएएस उत्साहित हैं, तो जिलों में बैठे कलेक्टर चिंता में डूबे हैं। उधर, सत्तारूढ़ दल बीजेपी में हो रहे संगठन के चुनाव किसी विधानसभा चुनाव से कम नहीं हैं। भोपाल से दिल्ली तक जोर आजमाइश चल रही है।

देश, प्रदेश में खबरें तो और भी हैं पर आप तो सीधे नीचे उतर आईए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए...।

बातों ही बातों में डॉक्टर साहब ने दिखा दिया आइना 

आईएएस सर्विस मीट के शुभारंभ पर डॉक्टर साहब ने ऐसा किस्सा सुनाया कि सभा में बैठे अफसरों के चेहरों पर हल्की मुस्कान और गहरी समझ, दोनों झलक पड़ी। किस्सा था एक स्वर्गीय आईएएस का, जिन्होंने कुर्सी से ऐसा मोह दिखाया कि इंद्रलोक भी हिल गया। कहानी कुछ यूं थी कि एक आईएएस के महाप्रयाण के बाद धर्मराज ने तुरंत उन्हें नर्क का आदेश दे दिया। अफसर ने शिकायत दर्ज कराई। बोले-  मैंने क्या कभी कोई नेक काम नहीं किया? इस पर बहीखाता खंगाला गया तो पता चला कि साहब ने एक- दो नेकियां की हैं। लिहाजा, उन्हें 20 मिनट के लिए स्वर्ग की इजाजत मिली। स्वर्ग में पहुंचते ही अफसर ने आजमाई हुई आदत दिखा दी। इंद्र से बोले, बस 20 मिनट के लिए आपकी कुर्सी चाहिए। इंद्र ने भी उदारता दिखाई और कुर्सी सौंप दी। लेकिन जैसे ही साहब कुर्सी पर बैठे, आदेश पर आदेश जारी कर दिए। उन्होंने स्वर्ग के कायदे- कानून ऐसे उलझा दिए कि खुद इंद्रदेव हैरान रह गए। अंततः धर्मराज को आकर कहना पड़ा, भाई, कृपया नीचे लौट आइए। डॉक्टर साहब ने इस कहानी के बाद अफसरों की तारीफ के पुल बांधे, लेकिन सब आईएएस समझ गए कि कुर्सी का मोह और उसकी अदाओं पर यह व्यंग्य परोक्ष था। शायद संदेश था-  सिंहासन प्रेम स्वर्ग में भी भारी पड़ सकता है। 

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क्या मैं रुपए देकर सीएस बना था? 

आईएएस सर्विस मीट में माहौल हल्का फुल्का था, लेकिन एक रिटायर्ड आईएएस ने मक्खन की ऐसी परत चढ़ाई कि बात मानो बिगड़ गई। मक्खन का डिब्बा खुला, जब उन्होंने नए मुख्य सचिव अनुराग जैन की ईमानदारी के पुल बांधने शुरू किए। बोले, हमारे जैन साहब तो इतने ईमानदार हैं कि पैसे लेने-देने की बात उनके पास फटकती भी नहीं। हमें तो यकीन ही नहीं था कि बिना पैसे के कोई मुख्य सचिव बन सकता है, लेकिन आज खुशी है कि प्रदेश को ऐसा मुख्य सचिव मिला है। बस, इतना सुनना था कि पास में बैठे रिटायर्ड मुख्य सचिव का खून खौल उठा। वे बोले, तो आपका मतलब है कि मैं पैसे देकर मुख्य सचिव बना था? इस पर बेचारे रिटायर्ड आईएएस साहब सफाई देने लगे, "अरे मेरा वो मतलब नहीं था, मैं तो बस..." लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। आईएएस के बीच खुसुर-पुसुर शुरू हो गई। इस बातचीत से यह भी साबित हुआ कि मक्खन लगाना कला है, लेकिन जब फिसल जाए तो महफिल में हंगामा तय है।

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कलेक्टर को नहीं पता लूप लाइन...

बुंदेलखंड के एक जिले के कलेक्टर साहब इतने भोले हैं कि उन्हें पता ही नहीं है कि प्राइम पोस्टिंग क्या होती है और लूप लाइन क्या होती है। उन्होंने अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए आईएएस मीट के मुख्य अतिथि व नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमि​ताभ कांत से सवाल पूछा, 'सर लोग कहते हैं ये प्राइम पोस्टिंग है, वो लूप लाइन है। इसका क्या मतलब है? क्या आप बताएंगे? इस पर अमिताभ कांत ने हंसकर जवाब दिया कि मैं इसका कोई जवाब नहीं दे सकता। अब बेचारे कलेक्टर साहब, जहां थे वहीं आकर खड़े हो गए। वहीं, कलेक्टर साहब के संगी साथी उनका खूब उपहास कर रहे हैं। 

ठेकेदार हड़प गया साहब का बंगला

एक रिटायर्ड आईएएस साहब इन दिनों बेचारे हो गए हैं। उन्होंने पूरी नौकरी में काला- पीला करके खूब माल कमाया। बेनामी संपत्ति बनाई, लेकिन जब बेनामी बंगले को बेचकर अपना माल समेटने की बारी आई तो ठेकेदार पलट गया। ये साहब अपर मुख्य सचिव के पद से रिटायर हुए हैं। इन्होंने अरेरा कॉलोनी के ई-2 में ठेकेदार के नाम पर बंंगला लिया था। इन्हें हर महीने मोटा किराया भी मिल रहा था, लेकिन जैसे ही साहब ने बंगला बेचने की बात कही तो ठेकेदार ने मना कर दिया। इन साहब ने पुलिस में बड़े अफसर रहे अपने रिश्तेदार की भी मदद ली, लेकिन वो भी कुछ नहीं कर पाए। इसके बाद साहब घबरा गए हैं। अब जहां- जहां उनकी बेनामी जमीन और मकान हैं, उन्हें औने- पौने दामों में बेचकर माल समेटने में लग गए हैं। आप नाम जानना चाहते हैं तो इतना बता देता हूं कि ये साहब पीएचई में लंबे समय तक पदस्थ रहे हैं।   

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अमिताभ साहब ने तो धो डाला 

हम फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन की बात नहीं कर रहे हैं, हम तो बात कर रहे हैं नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत की, जो आईएएस सर्विस मीट के मुख्य अतिथि​ थे। आईएएस अफसरों को उम्मीद थी कि वे कुछ टिप्स देंगे, लेकिन वे उल्टा उन्हें आइना दिखाकर चले गए। अमिताभ ने कहा, मध्यप्रदेश की ब्यूरोक्रेसी अपनी पूरी एनर्जी नए-नए नियम बनाने और जटिल प्रक्रिया बनाने में लगी रहती है। ज​बकि आप लोगों को पूरा दिमाग इसमें लगाना चाहिए कि काम आसान तरीके से कैसे हों। वे यहीं नहीं रुके। फिर अफसरों को आइना दिखाते हुए बोले, मप्र ​में गरीबों की आय निचले स्तर से 4 नंबर पर है। इंडस्ट्री में कोई काम नहीं हुआ, जीडीपी कम हुई। ये प्रदेश केवल एग्रीकल्चर पर निर्भर है, इसकी जीडीपी बढ़ी है। ऐसा ही हाल शिक्षा और स्वास्थ्य में है। उन्होंने यह भी कहा कि मप्र के पिछड़ेपन की वजह से भारत तरक्की नहीं कर पा रहा है। उन्होंने कहा कि अनुराग आप आ गए हो, इस ओर ध्यान दो।

नए साल में जिलों से होगी अफसरों की विदाई 

आने वाला हफ्ता प्रदेश के 2015-16 बैच के आईएएस अफसरों के लिए किसी फिल्मी सस्पेंस-ड्रामा से कम नहीं होगा। इसे गुड न्यूज वीक कहा जा रहा है, लेकिन सीनियर अफसर इसे गुड-बाय वीक के नाम से याद कर रहे हैं। दरअसल, इस हफ्ते प्रशासनिक सर्जरी की ऐसी छुरी चलेगी कि दर्जनभर जिलों के कलेक्टरों की कुर्सियां डोल उठेंगी। उनकी जगह जूनियर आईएएस को बिठा दिया जाएगा- बशर्ते वे डॉक्टर साहब की पसंद में फिट आ जाएं। सरकार के स्तर पर ये बड़ी सर्जरी होगी। आपको बता दें कि डॉक्टर साहब के कहने पर सीएस साहब इन दिनों कलेक्टरों की कुंडली बना रहे हैं, इसमें कई अफसरों के कामकाज की नेगेटिव मार्किंग हुई है। लिहाजा, अब नए साल में उनकी जिलों से विदाई तय है। 

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क्यों विधानसभा चुनाव हो रहा है क्या?

सत्तारूढ़ दल बीजेपी में इन दिनों संगठन के चुनावों की सरगर्मी है। जिला अध्यक्ष बनने के लिए नेता भोपाल से लेकर दिल्ली तक लॉबिंग कर रहे हैं। इस बीच पार्टी के एक नेताजी का फोन आया। उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा, क्यों भाईसाहब मध्यप्रदेश में फिर विधानसभा चुनाव हो रहे हैं क्या? हमने पूछा, ऐसा क्यों कह रहे हैं तो बोले- पूरे प्रदेश में दावेदारों की लंबी फौज है। बड़े नेताओं की चरण वंदना चल रही है। देखिए न चुनाव जैसा ही तो माहौल है। हम भी नेताजी की बात से सहमत हुए। दरअसल, हर बड़ा नेता अपना जिला अध्यक्ष बनवाना चाहता है। इसके लिए भरपूर कोशिश की जा रही है। अब इसकी वजह तो सब जानते हैं कि बीजेपी में जिला अध्यक्ष बनना मतलब, जिले का मुखिया बनना। फिलहाल तो खबर है कि बीजेपी चुनावी उम्मीदवारों की ही तरह जिला अध्यक्षों के नाम की दो से तीन लिस्ट जारी करेगी।

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