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राजधानी में इन दिनों गपशप के केंद्र में हैं पंडितजी, ठाकुर साहब और उनके होर्डिंग्स। कलेक्टर साहब ने जरा सी चूक क्या कर दी, सियासत मानो तूफान होर्डिंग में तब्दील हो गई। पंडितजी की नाराजगी अब ट्रेंडिंग है तो ठाकुर साहब के समर्थक सियासी अखाड़े में कमर कसकर उतर आए हैं।
इसी के साथ भोपाल के आईटी और लोकायुक्त छापों ने सोना व सियासत की ऐसी जुगलबंदी पेश की है कि लोग पूछ रहे हैं, 52 किलो सोने के असली मालिक कौन हैं? वहीं, चाय अड्डों पर भी छापों के चर्चे हैं। नेतानगरी से लेकर अफसरान तक हर कोई टेंशन में है। जमीनों और फॉर्म हाउस का भंडाफोड़ हुआ तो कौन-कौन से साहबों की तगड़ी मेहनत सामने आएगी, हर कोई यही जानना चाहता है। उधर एक नए किस्म के जातिवाद और उसके शिकारों का दर्द खुलकर सामने आ रहा है।
राजनीति में इन दिनों सियासी तकरार का मौसम भी है। विधायक सरकार को खुलेआम आइना दिखा रहे हैं तो संगठन उन्हें नसीहतों की घुट्टी पिला रहा है। और साहब! मंत्रालय का हाल तो और भी दिलचस्प है, जहां वाट्सऐप ग्रुप की मीटिंग्स में अफसरों की सांसें फूल रही हैं। इन्हीं किस्सों के बीच, डॉक्टर साहब अपने ज्ञान के गोले बरसाकर सोशल मीडिया पर धूम मचा रहे हैं।
खैर देश- प्रदेश में खबरें तो और भी हैं, पर आप तो सीधे नीचे उतर आईए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए...
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नए जातिवाद के शिकार ये बेचारे
इधर बुद्धिजीवी तबके में नए तरह के जातिवाद का एक नया विमर्श चल ही रहा था, कि उधर इस जातिवाद का मुजाहिरा भी हो गया। मामला अपने यहां का ही है। दरअसल भोपाल में IAS सर्विस मीट चल रही है। दुनिया के काम-धंधे और चिंता छोड़कर प्रदेश के आईएएस सुकून के कुछ पल बिताना चाह रहे हैं, मगर यहां तगड़ा वाला रगड़ा हो गया। वो क्या है कि सीधे UPSC से आने वाले IAS अफसर खुद को बड़ी “जात” वाला समझते हैं, ऐसी चर्चाएं जब- तब आती रहती थीं, मगर सर्विस मीट के दौरान भद्रलोक का यह जातिवाद बाहर आ ही गया। हुआ यूं कि IAS के खेलकूद के दौरान आयोजित बोट रेस में प्रमोटी आईएएस को चुन-चुनकर अलग बोट में बिठा दिया, जबकि डायरेक्ट वाले यानी UPSC से आने वाले IAS अलग बोट में बैठे। अब ये दिमाग किसने चलाया वो तो पता नहीं, मगर प्रमोटी वाले तबके में इसको लेकर बड़ी चर्चा है- कि आखिर ये छुआछूत वाला व्यवहार क्यों..?
पंडितजी, ठाकुर साहब और होर्डिंग्स
बुंदेलखंड के एक जिले के कलेक्टर साहब की भूल ने राजनीति में भूचाल ला दिया है। प्रशासन ने गौरव दिवस को लेकर होने वाले आयोजन में सबकी फोटो लगवाई है, बस रह गए हैं पंडितजी और ठाकुर साहब। इस मुद्दे ने तूल पकड़ लिया है। पंडितजी ने तो यह तक कह दिया कि फोटो नहीं काम बोलता है। वहीं, उनके पुत्र की सोशल मीडिया पोस्ट भी खासी चर्चा में है, इसमें वे कह रहे हैं कि ना काहू से दोस्ती और ना काहू से बैर...। कुल मिलाकर सियासी बवाल कट गया है। पंडितजी और ठाकुर साहब के समर्थक कलेक्टर साहब को जमकर कोस रहे हैं। उन्हें याद दिला रहे हैं कि ऐसी भूल मत करो साहब... सियासत में कब क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता
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रुपया, सोना और सियासत...
राजधानी भोपाल में पड़े आईटी छापे और लोकायुक्त की दबिश ने किसी को टेंशन दे दी है तो कोई अटेंशन में है। thesootr को पक्के वाले सूत्र बताते हैं कि यह मामला लंबा चलेगा। सियासतदानों के साथ कुछ सिपहसालार भी इस मामले में आकंठ डूबे हैं। अब दिल्ली से चाबुक चलेगा तो पहले सिपहसालार बेनकाब होंगे और कहीं दिल्ली वालों की नजर टेढ़ी हो गई तो सियासतदान भी निपट जाएंगे। यही वजह है कि दो जांच एजेंसियों के इतने सारे अफसरान अब तक 52 किलो सोने का मालिक नहीं तलाश पाए हैं। अब यह 'तलाश' पूरी होगी भी या नहीं, इस बात की गारंटी कम ही है। इधर, खबर तो यह है कि सोणा सोना कुछ ज्यादा था, रुपए भी बहुत थे, लेकिन मीडिया के सामने कम ही आए हैं। अब ये क्या हुआ है, ये आप खुद पता कर लीजिए, हमने तो अपना काम कर दिया है। फिलहाल तो एक मंत्रीजी भारी टेंशन में बताए जाते हैं।
सदन में सरकार की किरकरी हो गई
विधानसभा में इस बार जो हुआ, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। इसके चर्चे भी खूब हैं। इस बार सत्ता पक्ष के विधायकों ने ही सरकार को आईना दिखा दिया। क्या बुंदेलखंड और क्या मालवा... सत्ता पक्ष के विधायकों ने खुलकर अपनी बात रखी और जहां उन्हें गलत लगा तो उस पर अपनी आपत्ति भी दर्ज कराई। इससे विपक्ष को भी भरपूर मौका मिल गया। खबरियों के जरिए बात दिल्ली दरबार तक पहुंची है। अब खबर है कि सत्ता के खिलाफ बोलने वाले माननीयों को संगठन ने नसीहत दी है। मंत्रियों को भी पूरी तैयारी के साथ सदन में पहुंचने का फरमान सुनाया गया है। दरअसल, हुआ यह है कि इस बार मंत्रियों की अधूरी तैयारी अथवा सवालों पर गलत जानकारी देने से सरकार की भारी किरकिरी हुई है। देखना होगा, संगठन की फटकार का कितना असर होता है।
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डॉक्टर साहब के भाषण मचा रहे धूम
नक्षत्र कितने होते हैं… घड़ी किस सिद्धांत पर काम करती है… ये सवाल डॉक्टर साहब के हैं। जी हां, डॉक्टर साहब के भाषण की क्लिप इन दिनों धूम मचा रही हैं। सोशल मीडिया पर इन्हें तेजी से वायरल किया जा रहा है। दरअसल, डॉक्टर साहब की शिक्षा की बात हर कोई करता है। पिछले दिनों दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम में एंकर ने उनके परिचय की शुरुआत एजुकेशन से ही की थी। लिहाजा, डॉक्टर साहब अध्ययन में कोई कसर नहीं छोड़ते। वे जहां भी जाते हैं, अपनी बेबाक शैली और गूढ़ ज्ञान से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। पिछले दिनों ग्वालियर में आयोजित कार्यक्रम में तो उन्होंने धर्म से लेकर विज्ञान तक पर अपना भाषण दिया और उपस्थित जनसमूह से सवाल- जवाब किए। अब इस कार्यक्रम की रील्स जमकर वायरल हो रही हैं।
सेंट्रल पार्क में किस-किस के लिखे हैं नाम?
राजधानी के चर्चित छापों ने आईएएस-आईपीएस अफसरों और नेताओं के बीच ऐसी खलबली मचाई है कि अब सभी के चेहरे पर पसीने की धार साफ देखी जा सकती है। जनता चाय की चुस्कियों के साथ चर्चा कर रही है कि राजेश शर्मा के नेटवर्क में पूर्व मुख्य सचिव के साथ किन-किन साहब लोगों के नाम लिखे हैं। सेंट्रल पार्क की विवादित कॉलोनी में एक आईएएस साहब ने तो मंजूरी दिलाने के नाम पर प्लॉट का जुगाड़ कर लिया। अब लोग कह रहे हैं, "कौन कहता है अफसर मेहनत नहीं करते? जमीन-फॉर्म सब पर काम जारी है!" उधर, जमीन के कब्जे छुड़ाने का काम जिनके जिम्मे था, उन्होंने फार्म हाउस का सपना साकार कर लिया। चर्चा है कि पूर्व आईजी साहब ने तो 'अपनी सेवा के दौरान' जमीन के हर इंच की कीमत वसूल कर ली। जैसे जैसे जांच आगे बढ़ेगी और परतें खुलेंगी।
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ये साहब तो बड़े ही अजीब हैं...
प्रमुख सचिव स्तर के एक अधिकारी कभी भी कुछ कर बैठते हैं। वैसे तो उनकी पहचान मूडी साहब से होती है, वे कब किससे मीठा बोलने लग जाएं और कब किसे तलने लगें, कुछ कहा नहीं जा सकता। अब तक साहब के मूड स्विंंग नेचर को देखते हुए उनके मातहत सहमे हुए रहते हैं। लेकिन साहब से अब डॉक्टर साहब भी असहज होने लगे हैं। ब्यूरोक्रेसी में एक ये ही साहब हैं, जो डॉक्टर साहब को देखते ही हैंड शेक करने के लिए हाथ आगे बढ़ा देते हैं। डॉक्टर साहब जवाब में मुस्कराते हुए नमस्कार कर आगे निकल लेते हैं। डॉक्टर साहब ने जब प्रमुख सचिव की इस हरकत पर जानकारी ली तो सीनियर अफसर ने बताया कि बड़े अजीब हैं, गनीमत है कि वो आपके गले नहीं मिले। इस पर डॉक्टर साहब मुस्करा दिए। इस वाक्ये पर बशीर भद्र साहब का एक शेर याद आ गया...
कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से
ये नए मिजाज का शहर है, जरा फासले से मिला करो!
वाट्सऐप ग्रुप पर चल रहा विभाग
मंत्रालय में सेक्रेटरी स्तर के एक साहब का नवाचार चर्चा में है। साहब न तो खुद चैन से बैठते हैं न ही अपने मातहतों को बैठने देते। इन साहब ने पूरे विभाग में 20 से 25 वाट्सऐप ग्रुप बना रखे हैं, इन ग्रुप्स पर एक के बाद एक गूगल मीट की मीटिंग लिंक शेयर होती हैं। एक मीटिंग खत्म हुई नहीं कि दूसरी का लिंक आ जाता है। साहब की धुंआधार मीटिंग्स के चलते अधीनस्थ अफसर समझ ही नहीं पाते हैं कि उन्हें किस मीटिंग में शामिल होना है और किसमें नहीं। विभाग के अफसरों का पूरा ध्यान वाट्सऐप ग्रुप पर ही रहता है। पता नहीं कब किस मीटिंग की लिंक आ जाए।
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