बोल हरि बोल : साहब का PhD वाला सपना, वो इनोवा और बड़े साहब का टॉर्चर!

मंत्रालय के गलियारों में इन दिनों नई हवा चल रही है, 'किस्सा-थैरेपी'। जी हां, बड़े साहब की मीटिंग का नया नाम मानो यही रखा गया है। मीटिंग में अंदर जाने से पहले अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव स्तर के अफसर एक-दूसरे से कहते हैं, तैयार हो...?

author-image
Harish Divekar
एडिट
New Update
thesootr
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

वक्त बड़ा बलवान है, साहब। सत्ता के गलियारों में हर किरदार की अपनी-अपनी कहानी है। अफसर हों या नेता, हर कोई वक्त और किस्सों के खेल में मशगूल है। मीटिंग रूम से लेकर चाय के ठेले तक, हर कोने में सत्ता, शक्ति और शोहरत की गूंज सुनाई दे रही है। बड़े साहब अपने 'दिल्ली वाले किस्सों' से मीटिंग को चाइनीज टॉर्चर में बदल रहे हैं। वहीं, नेताजी का रसूख उनके ही खिलाफ खड़ा हो गया है। इंदौर से लेकर भोपाल तक वर्दी वाले अफसर नेताजी के इशारों पर कठपुतली बने हुए हैं। इधर, मामा के घर शुभ मंगल आ गया है। खैर, देश प्रदेश में खबरें तो और भी हैं, पर आप तो सीधे नीचे उतर आईए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए। 

बड़े साहब और उनकी मीटिंग

मंत्रालय के गलियारों में इन दिनों नई हवा चल रही है, 'किस्सा-थैरेपी'। जी हां, बड़े साहब की मीटिंग का नया नाम मानो यही रखा गया है। मीटिंग में अंदर जाने से पहले अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव स्तर के अफसर एक-दूसरे से कहते हैं, तैयार हो...? आज फिर दिल्ली के किस्से सुनने हैं। दरअसल, सबसे बड़े साहब के किस्से ऐसे कि यदि रामायण की चौपाईयों से तुलना की जाए तो शायद तुलसीदास जी भी कह उठे, महाराज, अब बस भी करिए। मीटिंग शुरू होती है 10 मिनट के एजेंडे से, मगर साहब का 'जब मैं दिल्ली में था...' शुरू होते ही घड़ी की सुइयां कछुए की चाल पकड़ लेती हैं। एक प्रमुख सचिव ने दबी आवाज में कहा, भाई, ये चाइनीज टॉर्चर जैसा लगता है। दूसरे ने तुरंत जोड़ा, नहीं यार, चाइनीज इतने क्रूर नहीं होते। कुल मिलाकर साहब अपने अनुभव ऐसे सुनाते हैं, जैसे हर समस्या का समाधान उनके किस्सों में छिपा हो।   

मामा के घर मंगल आया...

मामा इन दिनों खूब दौड़ भाग कर रहे हैं। एक पल वे प्रदेश की राजधानी में होते हैं तो दूसरे पल वे देश की राजधानी पहुंच जाते हैं। हओ भैया, मम्मा के पास भारी भरकम डिपार्टमेंट है। काम और प्रेशर दोनों ज्यादा है। लिहाजा, वे दोपहर तक के काम दिल्ली में निपटाते हैं और फिर भोपाल के लिए उड़ लेते हैं। दरअसल, इस दौड़ भाग की वजह शुभ मंगल है। जी हां, मामा के घर बहू आने वाली है। शहनाई बजेगी, इसीलिए वे इन दिनों रिश्तेदारों, परिचितों और अपनी बिरादरी के लोगों को आमंत्रण देने पहुंच रहे हैं। एक दिन पहले की उनकी दिग्विजय सिंह और जीतू पटवारी से हुई मुलाकात चर्चा का विषय बनी हुई है। मामा की टीम ने ही इसके फोटो भी वायरल किए। लोग तो यही कह रहे हैं कि...

उनसे झगड़ा एक तरफ है, 
एक तरफ है उनसे मोहब्बत।

बड़े साहब का ये भी इकरारनामा

बड़े साहब भले आदमी हैं। ईमानदार हैं, कर्तव्यनिष्ठ हैं और आत्ममुग्धता में तो आईएएस बिरादरी में उनका कोई सानी नहीं। हाल ही में गृह विभाग की एक बैठक में उन्होंने बड़े गर्व से इकरार किया,'सफल अफसर वही है, जो ऑफिस ऑवर में काम खत्म कर ले, लेकिन मैं हूं कि रात के 12 बजे तक काम करता हूं और फिर भी समय कम पड़ जाता है। बैठक में बैठे अफसरों ने मन ही मन सोचा, 'साहब, समय कम नहीं पड़ रहा, आपकी कहानियां खत्म नहीं होती। हर बैठक में साहब के किस्सों का अनिवार्य हिस्सा होता है। तो भैया, साहब को हमारी सलाह यह है कि आप यदि दो-तीन घंटे का ज्ञान सत्र बंद कर दें तो आधे घंटे में बैठक भी खत्म हो जाएगी और आपका काम भी समय पर निपट जाएगा, लेकिन लगता है, साहब का आत्ममुग्धता से रिश्ता ऐसा है कि समय ने भी हार मान ली है।

बोल हरि बोल : ठेकेदार हड़प गया साहब का बंगला, अब डोलेगी कलेक्टरों की कुर्सी

बोल हरि बोल : पेग, पार्टी और साहब, गूगल की वजह से बहू नहीं मिल रही

साहब की एनर्जी और पीएचडी का सपना

एक पूर्व अपर मुख्य सचिव साहब के जलवे किसी से छिपे नहीं हैं। नौकरी के दौरान वे कुर्सी पर जितने हॉट रहे, उतने ही हॉट सीट के लिए दावेदार भी थे। लेकिन मजहब और सियासत के अदृश्य खेल ने साहब की दावेदारी को धो दिया। साहब ने रिटायरमेंट के बाद की योजनाएं वैसे तो खूब सोच रखी थीं। विद्युत नियामक आयोग की सीट उन्हें भा गई थी, इसलिए उन्होंने तुरंत आवेदन ठोक दिया। मगर सिस्टम में हलचल हुई, तो पता चला कि यहां भी उनकी "एनर्जी" से ज्यादा कोई और "पावरफुल" था। साहब को अंदाजा हो गया कि यहां दाल गलने वाली नहीं है। अब साहब कहां हार मानने वाले हैं। बोले, अब पीएचडी करूंगा और विषय चुना-एनर्जी। इसी के साथ साहब ने तय किया है कि पीएचडी के बाद खुद की कंसल्टेंसी फर्म खोलेंगे। एनर्जी सेक्टर में सलाह देंगे और शायद अपनी पुरानी फाइलों का ज्ञान बेचेंगे।

समय-समय की बात है, समय बड़ा बलवान

भीलन लूटी गोपिका, वही अर्जुन वही बाण। 

तुलसीदास जी का ये दोहा ग्वालियर-चंबल से वास्ता रखने वाले एक पूर्व मंत्री पर सटीक बैठ रहा है। अब देखिए ना, एक अदने से कार्यकर्ता ने नेताजी की उनकी ही विधानसभा में हवा निकाल दी। पूर्व मंत्री ने अपने रसूख का इस्तेमाल कर कार्यकर्ता का होटल तोड़ने पूरा प्रशासनिक अमला भेज दिया, लेकिन कार्यकर्ता ने भोपाल से दिल्ली दरबार तक गुहार लगाकर पूर्व मंत्री के सारे प्रयास फेल कर दिए। उधर, पूर्व मंत्री के इस एक्शन से जिले का व्यापारी संघ भी नाराज हो गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए पूर्व मंत्री अभी चुपचाप बैठकर अपने समय के लौटने का इंतजार कर रहे हैं। 

बोल हरि बोल : मैम साहब ने उनको भर लिया बांहों में, मंत्रीजी टेंशन में

किसके आदेश से निकली थी इनोवा

परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा पर पड़े लोकायुक्त छापे के बाद कार में मिले 10 करोड़ कैश और 52 किलो सोने की घटना भले पुरानी हो गई हो, लेकिन जंगल में कार पहुंचने की पहेली आज भी अबूझ है। मंत्रालय और पुलिस मुख्यालय के आला अफसर समझ ही नहीं पा रहे हैं कि छापे के दौरान जब इनोवा के आगे पुलिस की जीप खड़ी की गई थी तो फिर किसके आदेश से ये कार वहां से निकली। चर्चा में ये भी बात निकलकर आ रही है कि कार में कैश और सोना तो ज्यादा था, लेकिन रातीबड़ पहुंचते-पहुंचते कम हो गया। अब सवाल यही है कि फिर ये माल किसने और कहां निकाला। हर कोई अपनी कहानी बता रहा है, लेकिन अभी तक सच क्या है ये तो लोकायुक्त की टीम जानती है या फिर खुद सौरभ शर्मा। ईडी भी सौरभ को तलाश रही है तो आप लोग भी उसके पकड़े जाने का इंतजार कीजिए।

अफसर तो बस नेताओं की कठपुतली होता है

इंदौर में दो पार्षदों की लड़ाई में जो घिनौना मामला सामने आया, उसके बाद हर कोई कह रहा है कि अफसर कठपुतली होते हैं, जो नेताओ के डमरू पर नाचते हैं। हम बात कर रहे हैं, कड़क और सख्त माने जाने वाले पुलिस कमिश्नर संतोष सिंह की। उनकी पदस्थापना के बाद माना जा रहा था कि इंदौर में गुंडों की खैर नहीं होगी, लेकिन ऐसा होना तो दूर साहब लोग घटना के बाद बड़े नेताओ के इशारे का इंतजार करते रहे। मीडिया इस मामले को हाईलाइट नहीं करता तो ना तो दिल्ली जागती और ना ही भोपाल। इंदौरी नेता तो घिनौनी घटना पर पर्दा डालकर गुंडा बनाम छुटभैया नेता को हीरो अलग बना देते। चलो देर से ही सही, अब नेताओं की हरी झंडी मिल गई है तो फिर देर किस बात की, वर्दी का रुतबा दिखाकर लोगो को संतोष तो दिला दो कि आप हो, चैन से सो जाएं। 

बोल हरि बोल : छापों से फूल गईं रसूखदारों की सांसें, दर्द नए जातिवाद का

मामा के 'घर' में डॉक्टर साहब

सत्ता के शीर्ष पर एक साल पूरा कर चुके डॉक्टर साहब अब मामा के घर जा रहे हैं। जी हां, डॉक्टर साहब का विदिशा दौरा तय हुआ है। वे वहां कार्यक्रमों में भाग लेंगे। इधर, डॉक्टर साहब के प्रोग्राम को लेकर कुछ स्थानीय नेता मामा तक पूरी खबर पहुंचा रहे हैं। दरअसल, हुआ कुछ यूं है कि जब डॉक्टर साहब सिरोंज तहसील में गए तो वहां विधायक जी ने उनका जबरदस्त स्वागत सत्कार कराया। यह देखकर भेलसा के नेता चिंतित हो गए। उन्होंने भी आनन-फानन में डॉक्टर साहब को भेलसा आने का निमंत्रण दे दिया। अब डॉक्टर साहब सीएम बनने के बाद पहली बार भेलसा जा रहे हैं।

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

MP News BOL HARI BOL बोल हरि बोल मध्य प्रदेश Bol Hari Bol Harish Diwekar bol hari bol mp politics news Harish Divekar बोल हरि बोल द सूत्र पर पढ़िए बोल हरि बोल स्पेशल कॉलम बोल हरि बोल