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मध्यप्रदेश में पारा आसमान की ओर बढ़ रहा है। शायद यही वजह है कि यहां के कुछ अफसरों के सिर भी गर्मी चढ़ गई है। वे तमतमा रहे हैं। अपने मातहतों पर रौब दिखा रहे हैं, उन्हें हड़का रहे हैं। उधर, बागला साहब के नाम पर मंत्रालय में खुसर पुसर तेज है। ऐसे ही कहीं माननीयों के बंगले चमक रहे हैं तो कहीं जज साहब की वजह से रिश्ते दरक रहे हैं। पति, पत्नी और वो वाली स्थिति बन रही है। इनमें सबसे खास पुराने बड़े साहब का सामाजिक बदलाव है। उनकी मेल मुलाकातों से अधिकारी भी हैरान हैं।
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बागला के नाम पर मंत्रालय में खुसर पुसर
हर साल की तरह इस बार भी 21 अप्रैल को देश भर में सिविल सेवा दिवस मनाया जाएगा। यह वो दिन है जब सरदार वल्लभभाई पटेल ने आजादी के बाद पहली बार सिविल सेवकों को "भारत का स्टील फ्रेम" कहा था। इस दिन सरकारी महकमे अपने उत्कृष्ट अधिकारियों को सम्मानित करते हैं, लेकिन इस बार मंत्रालय के गलियारों में सम्मान से ज्यादा सवालों की गूंज है। दरअसल, सिविल सेवा दिवस के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में दीपक बागला का नाम सामने आया है। इसे लेकर मंत्रालय के ही कुछ वरिष्ठ अधिकारी आपस में पूछ रहे हैं कि बागला जी को बुलाने की सलाह किसने दी? बता दें कि दीपक बागला इन्वेस्ट इंडिया के पूर्व एमडी और सीईओ रह चुके हैं। लेकिन मार्च 2023 में उन्होंने विवादों के बीच इस्तीफा दे दिया था। नेशनल मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, वाणिज्य मंत्रालय के ऑडिट में निवेश प्रोत्साहन संस्था के कामों पर गंभीर सवाल उठे थे। अब सवाल ये है कि एक ऐसा व्यक्ति, जिस पर हाल ही में कार्यप्रणाली को लेकर प्रश्नचिन्ह लगे हों, उसे देश की सबसे प्रतिष्ठित प्रशासनिक तारीख पर मंच देने का फैसला कैसे और किसके सुझाव पर लिया गया?
सरकारी गर्मी और एसी में पसीने!
मई तो दूर है, लेकिन साहब लोगों के सिर तो अप्रैल में ही गर्मी चढ़ गई है। एसी के सामने बैठकर भी माथे में भाप है और बोलचाल में तूफान। हाल ही में एक सीधे-सादे प्रमुख सचिव जाने-अनजाने में एक महिला कर्मचारी पर ऐसी टिप्पणी कर बैठे कि पूरे विभाग की महिलाओं ने मोर्चा खोल दिया। बेचारे साहब अब तक सोच रहे हैं कि मैंने बोला क्या? उधर, एक सेक्रेटरी साहब ने तो हद ही कर दी। गुस्से में आकर कर्मचारी को पानी की बोतल ही दे मारी। यह झगड़ा थाने की दहलीज तक जा पहुंचा। एक और प्रमुख सचिव हैं, जो विपश्यना से शांति खोज लाए थे, मगर अब फिर पुराने अवतार में लौट आए हैं। आए दिन किसी ना किसी को चमका देते हैं। अब मामला बिगड़ता जा रहा है। ये मामले देखकर लगता है कि इस बार लू पहले अफसरों को ही छू गई है, जनता की बारी तो अभी बाकी है।
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पुराने बड़े साहब को देखकर चौंक गए!
कभी मंत्रालय में अपने दीए जलवाने वाले पुराने बड़े साहब इन दिनों सामाजिक मेल जोल बढ़ा रहे हैं। जब तक हॉट सीट पर रहे, तब तक अपनी दीन दुनिया में सिमटे रहे। तब स्थिति ये थी कि साहब अपने करीबियों की खुशी हो या गम... कभी शामिल नहीं होते थे। रिटायरमेंट के बाद उनके खिलाफ कुछ मामले सामने आए और ये मीडिया की सुर्खियां बने तो उनके साथ कोई खड़ा नजर नहीं आया। अब उन्हें हकीकत समझ आ गई है। देर से सही, साहब को यह भान हो ही गया कि समाज में लौटना होगा। दरअसल, हाल ही में एक रिटायर्ड आईएएस के बेटे के निधन पर ये साहब वहां पहुंचे थे। साहब को देखकर वहां मौजूद रिटायर्ड और मौजूदा अफसर चौंक गए।
शाह की पंडित जी से मुलाकात
सियासी गलियारों में इन दिनों एक सवाल तैर रहा है और वह यह है कि अमित काका से पंडित जी अकेले में क्यों मिले थे। जी हां, पिछले दिनों राजधानी भोपाल आए देश के गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने के लिए पंडित जी ने स्टेट हैंगर पर ही समय मांगा था, लेकिन वहां किन्हीं कारणों से मुलाकात नहीं हो पाई थी। इसके बाद शाह ने पंडित जी से अकेले में बातचीत की। दरअसल, ये मुलाकात ऐसे समय में हुई है, जब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के नाम का ऐलान करने तैयार बैठी है। इस 'सौजन्य भेंट' के अलग अलग मायने निकाले जा रहे हैं। हर कोई अपनी तरह से व्याख्या कर रहा है, पर असल बात क्या हुई ये तो शाह और पंडित जी ही जानें।
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बंगलों के रंगरोगन पर बेजा खर्च
क्या गजब दौर है...सरकारी खजाना सूख रहा है और माननीयों के बंगले नहा रहे हैं लक्जरी में। मध्यप्रदेश में जैसे ही नई सरकार बनी, वैसे ही बंगले सजाने का मिशन चालू हो गया और अब तक यानी 16 महीने में इस बंगला प्रेम पर पूरे सवा 13 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। इसमें सबसे आगे हैं खेती-किसानी वाले मंत्री जी। इनके बंगले की रौनक पर 1 करोड़ 56 लाख रुपए बहा दिए गए। दूसरे नंबर पर हैं इंदौर वाले भाईसाहब, जिनके बंगले पर 91 लाख 19 हजार खर्च कर दिए गए। विंध्य की मैडम सर भी पीछे नहीं हैं। उनके सरकारी आशियाने की खूबसूरती पर 80 लाख रुपए से ज्यादा फूंक दिए गए हैं। अब देखिए ना, जितनी रकम इन बंगलों के रंग-रोगन पर फूंकी गई है, उतने में तो नई कोठी खड़ी हो जाती...शायद विद्वानों ने खर्च की इसी प्रवृत्ति को सरकारीयत करार दिया होगा।
ये भी क्या गजब केस है...
कभी सास दामाद के साथ चंपत, तो कभी पत्नी नीले ड्रम में पति को ठूंस देती है। इन दिनों रिश्तों की कहानियां फिल्मों से भी ज्यादा थ्रिलर होती जा रही है। अब मध्यप्रदेश के चंबल अंचल से एक और तूफानी खबर आई है, जिसने हर किसी को हैरान कर दिया है। यहां के एक युवक का आरोप है कि उसने लव मैरिज के बाद अपनी पत्नी को बीएड और एलएलबी करवाई, सोचा था कि जिंदगी संवरेगी, लेकिन यहां तो पूरी कहानी ही पलट गई। युवक का कहना है कि जैसे ही पत्नी की पढ़ाई पूरी हुई, उसने जज साहब के साथ नया रिश्ता जोड़ लिया। आरोप ये भी है कि जज साहब ने पहले अपनी पत्नी को तलाक देकर रास्ता साफ किया और फिर युवक की पत्नी को अपने साथ रख लिया। अब बात थाने तक पहुंच गई है और पुलिस जांच में जुट गई है। इधर जज साहब का कहना है कि सारे आरोप बेबुनियाद हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर मामला गरमाया हुआ है।
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