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रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे।
रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः॥
जय श्रीराम...!
भारत के प्राण, मानवता के आदर्श, धर्म के सर्वोत्तम स्वरूप, मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम के पावन अवतरण दिवस 'श्रीराम नवमी' की सभी पाठकों को हार्दिक शुभेच्छा। राम भारत की 'अनेकता में एकता' के सूत्र हैं। आस्था और आराधना के सूत्र हैं, इसलिए 'द सूत्र' के आज के साप्ताहिक कॉलम बोल हरि बोल की शुरुआत भी उन्हीं की चरण वंदना से...।
भइया! आप तो यहां से सीधे नीचे उतर आईए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए...।
सोलर की चमक में अफसरों का ग्लो...
यूं तो ग्वालियर-चंबल की धरती वीरों के लिए जानी जाती है, लेकिन अब यहां के अफसर सोलर की रोशनी में कुछ ज्यादा ही तेजस्वी हो गए हैं। खबर है कि कुछ आईएएस और आईपीएस अफसरों ने चुपचाप अपने रिश्तेदारों के नाम से सोलर कंपनियों की नींव रख दी है। अब भला ये अफसर कौन हैं? ये तो आरटीआई वाले ही बता सकते हैं। इन अफसरों की कंपनी भले बेनामी हो, लेकिन निवेश पूरे जोश में है। अब अफसरशाही सौर पैनल से बिजली पैदा करे या मुनाफा, ये तो वक्त बताएगा। फिलहाल तो मंत्रालय में इसकी जोरों- शोरों से चर्चा है। वैसे आपको बता दें कि ऊर्जा वाले महकमे के मंत्री जी भी ग्वालियर- चंबल से ही आते हैं।
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अब ओटीपीधारी ही असली मंत्री हैं!
मंत्रीजी भले ही विभाग के मुखिया हों, लेकिन इन दिनों उनके बंगले और दफ्तर पर असली ताकत तो ओटीपीधारी स्टाफ के हाथों में है। ई-फाइलिंग सिस्टम क्या लागू हुआ, कुछ अफसरों ने मंत्रीजी को टेक्नोलॉजी का हवाला देकर आईडी-ओटीपी सब ले लिए हैं। दरअसल, टेक्नीक में कई मंत्रियों का हाथ तंग है, सो जैसा स्टाफ ने कहा, वैसा उन्होंने कर दिया। अब हाल ये है कि विभाग की फाइल पास होनी है तो मंत्रीजी से नहीं, उनके ओटीपी वाले स्टाफ से मुलाकात जरूरी है। मंत्रीजी अगर मीटिंग में हों भी, तो कोई बात नहीं... ओटीपी बाबू मिल जाएं और उनकी सहमति हो गई तो फाइल एक झटके में ओके हो जाती है।
साहब का स्वीमिंग पूल और पुलिसिया रौब!
पुलिस महकमे से रिटायर्ड हुए एक बड़े साहब इन दिनों फिर सुर्खियों में हैं और इसकी वजह है उनका जलप्रेम! इसी क्रम में उन्होंने सीधे मल्टीस्टोरी बिल्डिंग के टॉप फ्लोर पर कब्जा जमाते हुए स्वीमिंग पूल बना डाला है। अब बाकी रहवासी परेशान हैं। कुछ दिन पहले जब लोगों ने आपत्ति जताई तो साहब का पुराना रौब लौट आया। अब स्थिति ऐसी है कि मामला हाउसिंग बोर्ड से होता हुआ सरकार तक जा पहुंचा है, पर साहब भी पुराने धुरंधर हैं। उन्होंने भी अपनी चाल चल दी है। कुल मिलाकर रिटायरमेंट के बाद साहब ड्यूटी से मुक्त हैं, पर रसूख और रुतबे की तैराकी अब भी जारी है।
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एक राहुल दिल्ली वाले, दूसरे हमारे...
मंत्रीजी की मीटिंग चल रही थी, माहौल गंभीर था, लेकिन फिर साहब का मूड थोड़ा हल्का हुआ और बोले एक राहुल दिल्ली वाले हैं, जो देश चलाने को बैचेन हैं... और एक हमारे राहुल हैं। सभी मुस्कराए, मंत्रीजी ठहाका लगाते हुए बोले– दिल्ली वालों से क्या तुलना, हमारे राहुल तो ठीक-ठाक काम कर ही लेंगे। फिर मंत्रीजी ने सीधा सवाल दागा– वैसे तुम्हारा बैकग्राउंड क्या है? राहुल संभले और बोले– सर, मैं एमबीबीएस डॉक्टर हूं, फिर आईएएस बना। इस पर साहब भी पीछे कहां रहने वाले थे, झट बोले– हम इंजीनियर हैं, डॉक्टरी वाला महकमा भी संभाला है। तो डॉक्टर साहब, अब आप इंजीनियरिंग का काम भी अच्छे से निपटा लेंगे। अब बेचारे राहुल जी मीटिंग में न तो हंस पा रहे थे, न कुछ कह पा रहे थे।
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कितने दिन सलामत रहेगी साहब की कुर्सी
एक आईएएस अफसर इन दिनों मंत्रीजी, सांसद जी, महापौर जी… यानी नेतानगरी के निशाने पर आ गए हैं। यूं तो नेता पिछले कई दिनों से साहब से खफा थे, फिर साहब मीटिंग में क्या नहीं पहुंचे, सबको मौका मिल गया। नेताओं ने भरी मीटिंग से साहब को फोन लगाया, पर वे रिसीव नहीं कर पाए। बस फिर क्या था, तमाम आगे- पीछे की बातें जोड़कर उन्हें अफसरशाही की मर्यादा याद दिलाने की कोशिश की गई। नेताओं ने इसके वीडियो भी बनवाकर मीडिया तक पहुंचाए, ताकि यह मामला सुर्खियों में आए।
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