बोल हरि बोल: आईजी साहब का वसूली मॉडल, कलेक्टर साहब की टेंशन और नेताजी का वो वीडियो…

जैसे मौसम के रंग हैं, वैसे ही सत्ता, संगठन और सरकार के कई रूप, रंग हैं। एक तरफ जहां कटोरियों की चर्चा हो रही है तो दूसरी तरफ नेताजी का वो वाला वीडियो धमाल मचाए हुए है। आईजी साहब का वसूली मॉडल भी कुछ कम नहीं है। आज बहुत कुछ खास है बोल हरि बोल में

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Harish Divekar
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कटोरी के ऊपर कटोरी, कटोरी के...!

इंदौर में मां अहिल्या बाई का सम्मान करने सरकार ने पूरा दरबार सजा दिया। मंच भव्य, कुर्सी नई, धोती-कुर्ता दुरुस्त... बस फिर क्या था, आयोजन ऐसा कि हर कोई दंग रह जाए, जैसे ही सब सेट हुआ, एक फोटो ने पूरा समा बिगाड़ दिया। अब गलती कोई बड़ी तो नहीं थी, बस प्रथम नागरिक ने शाही भोज की फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी। जनता ने उस थाली को राष्ट्रभोज घोषित कर दिया। जैसे तीतर के आगे दो तीतर और पीछे दो तीतर वाली कहावत है, वैसे ही कहावत लोगों ने कटोरी के ऊपर कटोरी वाली बना डाली। फोटो में थाली ऐसी चमक रही थी जैसे ओलंपिक का गोल्ड मेडल और उस पर कटोरियां यूं सजी थीं, जैसे ताजमहल के गुंबद। दो दर्जन से ज्यादा कटोरी। लोगों ने तुरंत पकड़ लिया, अरे भाई, ये तो छप्पन भोग नहीं, छप्पन कटोरी हैं। कुछ बोले, सम्मान का कार्यक्रम था या खाना महोत्सव? 

विपक्ष की भूमिका में सत्ता पक्ष के कुछ माननीय 

इन दिनों सत्ता पक्ष के नेताओं के कारनामे राष्ट्रीय मुद्दा बन रहे हैं। ऐसा लगता है, जैसे सत्ता पक्ष के माननीय ही विपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं। अपने बयानों और भाषणों में उलूल- जलूल बातें कर रहे हैं। सत्ता संगठन की नसीहत का उन पर कोई असर नहीं है। एक पखवाड़े में करीब आधा दर्जन माननीय अपने बयानों से सत्ता, संगठन की किरकिरी करा चुके हैं। भिंड वाले शर्मा जी ने पहले ही बयानबाजी की गेंद बाउंड्री के पार भेज दी थी, अब गुना वाले माननीय ने तो जैसे बयानबाजी की बैटिंग में सेंचुरी ठोक दी है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोले– गरीब की लुगाई, पूरे गांव की भोजाई होती है। अब बताइए, सार्वजनिक मंचों से ऐसी बातें शोभा देती हैं क्या? पार्टी बार-बार समझा रही है कि बोलना जरूरी न हो तो मत बोलो और कुछ समझ न आए तो जय हिंद बोल दो।  पर नेता जी मानें तो! उन्हें लगता है कि माइक हाथ में आते ही ऐतिहासिक बोल देना परम कर्तव्य है। 

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हाईवे, नेताजी और वो वीडियो! 

हाईवे कांड में एक नया खुलासा हुआ है। पता चला है कि धाकड़ नेता का वीडियो पुराना है, पैसों की सेटिंग नहीं हुई, इसलिए वीडियो वायरल कर दिया गया। जी हां, हम बात कर रहे हैं सत्ता पक्ष के उन नेताजी की, जिनका एक्सप्रेस वे पर रंगरलियां मनाते वीडियो वायरल हुआ है। दरअसल, ये वीडियो एनएचएई के सड़क किनारे लगे कैमरों में कैद हुआ था। उसी दिन कुछ कर्मचारी नेताजी के पास पहुंचे थे और वीडियो वायरल करने की धमकी देकर रुपए मांगे थे। बातचीत के बाद नेताजी रुपए देने के लिए तैयार भी हो गए, लेकिन कर्मचारियों ने रकम बढ़ा दी। लिहाजा, सौदा पटा नहीं और नेताजी बेनकाब हो गए। इस घटनाक्रम के बाद ऐसी हरकतें करने वाले बाकी नेता चिंता में डूबे हैं। 

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आईजी साहब की वसूली से कप्तान साहब परेशान

इन दिनों एक आईजी साहब भारी चर्चा में हैं। दरअसल, उन्होंने एसपी साहब से मंथली पैकेज की डिमांड कर दी है, जो खिलाड़ी हैं, वो तो खुश हैं कि आईजी साहब को 10 देकर 100 वसूलो, लेकिन कुछ एसपी चिंता में हैं, वो वसूली सिस्टम से पूरी तरह दूर हैं। उनका मानना है कि आईजी साहब की डिमांड पूरी करने के लिए टीआई से वसूली करना होगी। ऐसे में कानून व्यवस्था की बैंड बज जाएगी। अंदरखाने से खबर आ रही है कि कुछ एसपी इस मामले में डीजीपी से मुलाकात करने वाले हैं। अब आप जानना चाहेंगे कि ये आईजी साहब कौन हैं तो इतना बता सकता हूं कि ये साहब फूडी अफसर के नाम से मशहूर हैं। दिनभर बस खाते ही रहते हैं। अब तो आप समझ ही गए होंगे। 

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कलेक्टर को सवा लाख का टेंशन

महाकौशल ​के एक जिले के कलेक्टर साहब सवा लाख रुपए के टेंशन में हैं। दरअसल, उनके जिले के एक फाइव स्टार होटल में एक न्यायिक अधिकारी अपने मे​हमानों के साथ रुके थे। होटल में उनका सवा लाख का बिल बना, कलेक्टर साहब ने होटल को भुगतान करने के लिए जब जीएडी से जानकारी मांगी तो अफसरों ने मना कर दिया। उन्होंने कहा कि न्यायिक अधिकारी के प्रोटोकॉल का पैसा उन्हें मिलता है ऐसे में सरकार भुगतान नहीं करेगी। अब कलेक्टर को टेंशन इस बात की है कि उन्होंने ही होटल के कमरे बुक करवाए थे। ऐसे में भुगतान कैसे किया जाए। मामला छोटे मोटे होटल का होता तो किसी से नकद दिलवाकर मामला सुलझ जाता, लेकिन फाइव स्टार होटल में तो बैंक से ही भुगतान होगा। भैया! बड़ा संकट आन पड़ा है, देखते हैं साहब कैसे चुकता करते हैं। 

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न्यू एज्युकेशन स्टार्टअप मॉडल

टूरिज्म को प्रमोट करने के लिए एक स्लोगन चला था...एमपी अजब है, सबसे गजब है। लेकिन ये वन लाइनर अब सिस्टम पर कई जगह सटीक बैठता है। अब देखिए ना इन दिनों प्रदेश का निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग भारी चर्चा में है। छात्रों की जेब से पैसा निकालने की नई स्कीम लाई गई है, जिसमें एमपी Online को 50 परसेंट का पाटर्नर बनाकर रजिस्ट्रेशन के नाम पर 50 रुपए प्रति छात्र हर साल लिया जाएगा। प्रदेश में करीब 3 लाख बच्चे प्राइवेट कॉलेज में पढ़ते हैं, इसका मतलब बच्चों से हर साल डेढ़ करोड़ की वसूली की जाएगी। मजे की बात ये है कि छात्रों का रजिस्ट्रेशन प्राईवेट यूनिवर्सिटी में भी हो रहा है, यानी डबल मार। बड़ा सवाल यह है कि नया सेवा शुल्क आखिर किसलिए? ना कोई नया पोर्टल, ना कोई पारदर्शी प्रक्रिया, बस कागजों पर एक और लेयर, नतीजा सिर्फ एक है...छात्रों की जेब पर हमला। शिक्षा के नाम पर टैक्स, टेक्नोलॉजी के नाम पर ठगी और नियमन के नाम पर व्यापार, लोग कहने लगे हैं कि क्या यही है न्यू एज्युकेशन स्टार्टअप मॉडल।

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बस CMHO जैसा दोस्त चाहिए...

एक अदने से सीएमएचओ की दमदारी देखकर स्वास्थ्य महकमे के अधिकारी कहने लगे हैं कि बस पंडितजी जैसा दोस्त मिल जाए तो मामला सेट हो जाए। दरअसल, ये सीएमएचओ साहब सत्ता के कॉरिडोर में अपना रुतबा जमाना जानते हैं, अब देखिए न मंत्रालय में अपनी परिचित महिला को पदस्थ करवाने के लिए एक सीनियर डॉक्टर को चलता करवा दिया, जबकि डॉक्टर साहब तीन महीने में रिटायर्ड होने वाले थे। सीएमएचओ साहब का मानना है कि पोस्टिंग्स योग्यता से नहीं, योग से होती हैं और वो भी मिलन-योग। सीएमएएचओ की मानें तो जो सेटिंग में है, वो सेट है और जो सिस्टम में नहीं, वो अनफिट। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पंडितजी अपने आपको पूर्व मुख्यमंत्री का फैमिली डॉक्टर भी बताते हैं।

पूर्व सीएस हुए नाराज 

आईएएस ग्रुप में रिटायर्ड महिला आईएएस ने एक आर्टिकल को पोस्ट किया, जिसमें एनजीओ को अनैतिक, वकीलों को लालची और न्यायपालिका को तानाशाह बताया गया था। मैडम के इस आर्टिकल पर पूर्व मुख्य सचिव खासे नाराज हो गए। उन्होंने लिखा कि आप रिटायर्ड आईएएस होने के साथ जिम्मेदार नागरिक भी हैं, इस तरह की हल्की टिप्पणी और लंबे आर्टिकल पोस्ट करना बंद करें। इसके बाद उनके समर्थन में दूसरे आईएएस अफसर भी आ गए। बाद में मैडम ने माफी मांगकर मामला रफा दफा कर लिया। दरअसल, सोशल एमपी आईएएस व्हाट्सऐप ग्रुप में रिटायर्ड आईएएस अफसर दो खेमों में बंटे हुए हैं... एक ग्रुप राइट विंग का समर्थक है तो दूसरा लेफ्ट विंग का। इसी को लेकर आए दिन विवाद होता है।

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