बोल हरि बोल : मंत्रीजी की मीटिंग में ​बिजली गुल, किसने दी ठाकुर साहब की सुपारी और वो तोतला दलाल..!

सूबे की सियासत दिलचस्प है। कोई सत्ता बदलते ही सेटिंग बदल रहा है। किसी ने खुद के नाम की सुपारी दिए जाने की बात कहकर रहस्य बना दिया है। बोल हरि बोल में आज कई जोरदार किस्सों पर होगी बात…

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Harish Divekar
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bol hari bol 3 August 2025
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साहब, ये मध्यप्रदेश है...। यहां मीटिंग हो या बिजली, ड्रेस कोड हो या दलाली… हर चीज में ड्रामा है। स्थिति ऐसी है कि कलेक्टर छुट्टी पर रहकर भी जिला चला रहे हैं। कुछ अफसर एडीएम बनने के बाद भी एसडीएम का काम कर रहे हैं। वहीं, मीटिंग के बीच बिजली तीन बार झपककर मंत्रीजी का भरोसा डगमगा रही है। 

सूबे की सियासत दिलचस्प है। कोई सत्ता बदलते ही सेटिंग बदल रहा है। कोई ‘नंबर 2’ से मिलने भर से फिर चर्चा में आ गया है तो किसी ने खुद के नाम की सुपारी दिए जाने की बात कहकर रहस्य बना दिया है। 

...तो जनाब! देश प्रदेश में खबरें तो और भी बहुत हैं, आप तो सीधे नीचे उतर आईए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए। 

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बैठक और बिजली! 

मंत्रालय की मीटिंग और बिजली कटौती… क्या कॉम्बो था साहब। मंत्रीजी अफसरों से बिजली की सप्लाई पर बात कर ही रहे थे कि बिजली गुल हो गई। थोड़ी देर में लाइट आई तो मंत्रीजी ने कहा कि मुख्यमंत्री जी के क्षेत्र से बिजली कटौती की शिकायत आई है। अफसर बोले... साहब, प्रदेश में बिजली की कोई कमी नहीं। अफसर अपनी सफाई पूरी कर पाते, इससे पहले ही फिर से अंधेरा छा गया। इससे मंत्रीजी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। फिर जैसे ही मीटिंग दोबारा शुरू होने को हुई, तीसरी बार बिजली गुल हो गई। इस तरह 15 मिनट में तीन बार कटौती हुई और अफसरों के चेहरे वैसे ही गुल हो गए, जैसे बिजली गुल हो रही थी। 

हीरोगिरी नहीं चलेगी! 

डॉक्टर साहब की समाधान योजना की वीडियो कॉन्फ्रेंस क्या हुई, डीजीपी साहब ने पुलिस कप्तानों की क्लास लगा दी। दरअसल, बैठक में पुलिस अधिकारी ड्रेस में तो थे, लेकिन उनके सिर पर कैप नहीं थी। इस पर डीजीपी साहब ने कहा कि नंगे सिर बैठक में क्या हीरो बनकर आए हो? आगे से सबको कैप लगाकर ही बैठना होगा। ड्रेस कोड मतलब फुल यूनिफॉर्म... और फुल यूनिफॉर्म में कैप भी आती है, जनाब! इस तरह डीजीपी साहब की मंशा साफ थी कि ये कोई फिल्मी सेट नहीं, जहां स्टाइल मारी जाए... अब सलीके से काम करो, वरना समझ लो। 

ऑटो पायलट मोड पर जिला

अब ये सुनिए साहब! मध्यप्रदेश में नया ट्रेंड चल पड़ा है। अब बिना कलेक्टर के भी जिले फर्राटा भर रहे हैं। दतिया इसका उदाहरण था। वहां कलेक्टर रहे संदीप माकिन रिटायर हुए तो पूरे 12 दिन तक जिला बिना कलेक्टर के ही चलता रहा। अब बड़वानी जिला भी इस लिस्ट में शुमार हो गया है। कलेक्टर गुंचा सनोबर पहले 15 दिन की छुट्टी पर गईं, फिर छुट्टी और बढ़ा दी। कुल मिलाकर महीना पूरा होने जा रहा है और जिला ‘ऑटो पायलट मोड’ पर चल रहा है। चाय-चौपालों पर चर्चाएं गर्म हैं कि भैया, जब सब कुछ खुद ही चल रहा है तो फिर कलेक्टर की जरूरत क्या है? 

ऐसा प्रमोशन किस काम का...

साहब, ये तो हद ही हो गई। राज्य प्रशासनिक सेवा के 30 अफसर डेढ़ साल पहले एडीएम बन गए, लेकिन असली कुर्सी अब तक नसीब नहीं हुई है। शायद इनकी प्रमोशन की फाइल गुम सी गई है। अब हालत ये हैं कि ये कागजी एडीएम आज भी एसडीएम की कुर्सी पर बैठकर वही पुराने काम कर रहे हैं। समय ज्यादा हो जाने पर कई अफसरों ने तो इकट्ठे होकर सरकार को जगाया, कुछ ने व्यक्तिगत जुगाड़ लगाई, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात है। इनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है और अब चुपचाप एसडीएमगिरी कर रहे हैं। 

तोतला दलाल कौन है भाई?

अफसरशाही और बिल्डर लॉबी के गलियारों में इन दिनों एक नाम सबसे ज्यादा गूंज रहा है और वह है इंदौरी तोतला दलाल। अब मत समझिए कि ये साहब जुबान से तोतले हैं… असली बात ये है कि इनका गौत्र ही ‘तोतला’ है! पहले ये जनाब कांग्रेस समर्थित बिल्डरों के खासमखास माने जाते थे। अब सत्ता बदलने के साथ इनकी ‘वफादारी’ भी शिफ्ट हो गई है। आजकल ये खुद को सत्ता के शीर्ष नेताओं के बेहद करीबी बताकर विवादित जमीनों की सेटिंग में हाथ साफ कर रहे हैं। जमीन से जुड़े हर ‘जुगाड़’ में इनका नाम जुबान पर है। हर कोई जानना चाहता है कि तोतला दलाल आखिर चीज क्या है? 

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वही हुआ, जिसका डर था...

सत्तारूढ़ दल ने लाख कोशिश की कि विधानसभा में विपक्ष के सवालों पर सरकार की किरकिरी न हो, लेकिन सब तैयारी धरी रह गई। अ​फसरों ने विधायकों के सवालों के ऐसे जवाब बनाए कि माननीयों को जवाब देने में पसीना आ गया। अव्वल तो एक डिप्टी साहब ने अपने जवाब में यहां तक कह दिया कि अफसरों की मिलीभगत की वजह से शराब कारोबारियों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। वहीं, मालवा से आने वाले दूसरे माननीय विपक्ष के एक सदस्य के सवाल का दमदारी से जवाब नहीं दे पाए। यह स्थिति तब है, जब सत्र शुरू होने से पहले ही अधिकारियों और नेताओं को बीजेपी ने नसीहतों के डोज दिए थे। 

चुप बैठ गए सांसद जी! 

मध्यप्रदेश भाजपा इन दिनों समन्वय की राह पर है। नेताओं को कभी भोपाल में नसीहत मिलती है तो कभी दिल्ली में क्लास लगती है। अब दिल्ली में एक बार फिर सांसदों और विधायकों के बीच टकराव का मुद्दा उठा है। पार्टी के शीर्ष नेताओं के सामने ही नर्मदा किनारे वाले सांसद जी ने कहा कि सांसदों और विधायकों में समन्वय होना चाहिए। उन्होंने यहां एक मंत्रीजी की शिकायत भी कर डाली। इसके जवाब में शीर्ष नेताओं ने उन्हें अनुशासन का पाठ पढ़ा दिया। सांसद जी से कहा गया कि समस्याएं तो बहुत हैं, समाधान निकालना भी हमारा काम है। यह सुनकर सांसद जी चुपचाप बैठ गए। आपको बता दें कि इन नेताजी जी अपने क्षेत्र के एक मंत्री जी से बिल्कुल पटरी नहीं बैठ रही है। 

श्श्श्श्श्श कोई है वो...

जैसे ही विधानसभा सत्र आता है, बुंदेलखंड के ठाकुर साहब चर्चा में आ जाते हैं। विपक्ष के एक नेताजी उनकी रजिस्ट्री कुरदने लगते हैं। फिर जब मीडिया ठाकुर साहब से सवाल पूछती है तो वे बीजेपी की स्टाइल में जवाब दे देते हैं। रुकिए, इस बार मामला कुछ अलग है। ठाकुर साहब से जब मीडिया ने पूछा कि कांग्रेस वाले नेताजी आप पर आरोप लगा रहे हैं, क्या वजह है? इसके जवाब में ठाकुर साहब ने कहा, मुझे लगता है कि किसी ने उन्हें मेरे नाम की सुपारी दी है। सुपारी देने वाला कौन है...? इस पर ठाकुर साहब ने कहा कि उसे सब जानते हैं, मुझे कुछ कहने की जरूरत नहीं है। अब इस मामले को बुंदेलखंड के ही दूसरे ठाकुर साहब से जोड़कर देखा जा रहा है। 

पंडित जी और नंबर 2...

कार्यकाल पूरा होने के बाद पंडित जी कुछ दिन लाइम लाइट से दूर रहे थे। अब उनकी बीजेपी के नंबर 2 से मुलाकात हुई है और इस 'सौजन्य भेंट' के बाद एक बार फिर चर्चाएं तेज हो गई हैं। पंडित जी के समर्थकों का अनुमान है कि उन्हें कुछ बड़ा दायित्व मिलेगा, वहीं उनसे जलने वाले कह रहे हैं कि अब दिन ढल गए हैं। असल में पंडित जी की इस मुलाकात के कई सियासी मायने हैं। माना जा रहा है कि पंडित जी को आने वाले दिनों में कोई जिम्मेदारी मिल सकती है। इसके पीछे वजह उनका काम है। मेनस्ट्रीम में रहते उनकी झोली में कई उपलब्धियां आई हैं।

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