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होरी का जीवन एक छोटे से सपने पर टिका है— अपने जीवनकाल में एक गाय खरीद कर उसका दान करना, जो उसके लिए धार्मिक और सामाजिक सम्मान का प्रतीक है। गरीबी, कर्ज और सामाजिक बाधाओं के कारण वह इस सपने को पूरा नहीं कर पाता, और मृत्यु के समय भी वह इसका बंधन छोड़ कर जाता है। मुंंशी प्रेमचंद का यह उपन्यास आजाद भारत के पहले की वह तस्वीर बयां करता है, जिसमें गरीबी है। अपमान है। जातिवाद है और संघर्ष तो है ही…
गोदान उपन्यास किस बारे में है?
मुंंशी प्रेमचंद का प्रसिद्ध उपन्यास गोदान 1936 में प्रकाशित हुआ था। यह उपन्यास भारतीय किसानों के संघर्ष, उनकी सामाजिक स्थिति और उनकी जीवनशैली की कड़ी सच्चाई को सामने लाता है। गोदान में न केवल ग्रामीण भारत के जीवन की जटिलताओं को चित्रित किया गया है, बल्कि यह भारतीय समाज की आर्थिक असमानताओं, उत्पीड़न और गरीबी के चित्रण के माध्यम से मानवीय संवेदनाओं का भी गहरा अध्ययन प्रस्तुत करता है।
यह उपन्यास एक किसान, होरी महतो की कहानी है, जो अपने जीवन को बेहतर बनाने और भगवान के प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभाने के लिए एक गाय खरीदने का सपना देखता है। यह कहानी होरी और उसके परिवार के संघर्षों की है, जो लगातार कर्ज और सामाजिक दबाव के कारण तंगहाल होते जा रहे हैं।
होरी अपने सपने को पूरा करने के लिए किसी तरह गाय खरीदता है, लेकिन इसके बाद वह जिन समस्याओं का सामना करता है, वह उसे न केवल तंगहाल कर देती हैं, बल्कि उसे और उसके परिवार को सामाजिक अपमान का शिकार भी बना देती है। यह उपन्यास उस समय के भारत की ग्रामीण जीवन की असलियत का पर्दाफाश करता है और उस समय की सामाजिक संरचना की आलोचना करता है।
लेखक मुंंशी प्रेमचंद के बारे में जानकारी
मुंंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी जिले के लमही गांव में हुआ था। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, मगर साहित्य की दुनिया में उन्होंने प्रेमचंद के नाम से प्रसिद्धि पाई। प्रेमचंद भारतीय साहित्य के महानतम लेखकों में गिने जाते हैं। उनके लेखन का प्रमुख विषय भारतीय समाज की कुरीतियों, असमानताओं और सामाजिक मुद्दों को उजागर करना था। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से गरीबों, किसानों और मजदूरों की पीड़ा को बयान किया। प्रेमचंद का साहित्य न केवल समाज के अवलोकन का एक दर्पण था, बल्कि यह समाज के सुधार के लिए एक प्रेरणा भी था। उनके प्रमुख कार्यों में गोदान, निर्मला, सेवासदन और रंगभूमि शामिल हैं।
![]() गोदान उपन्यास के मेन कैरेक्टर
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गोदान को सीधे तौर पर कोई पुरस्कार नहीं मिला है, क्योंकि यह उस समय की एक जबर्दस्त सामाजिक आलोचना थी और साहित्यिक दृष्टि से तत्कालीन समाज के लिए एक जागरुकता थी। हालांकि, इसे भारतीय साहित्य में एक शास्त्रीय कृति के रूप में सम्मान प्राप्त है। यह भारतीय साहित्य के इतिहास में एक मील का पत्थर माना जाता है। मुंंशी प्रेमचंद की कृतियों को हमेशा एक समृद्ध साहित्यिक धरोहर के रूप में देखा जाता है, और गोदान उनकी सबसे बड़ी रचनाओं में से एक है।
किताब का रोचक अंश
गोदान का एक बेहद दिलचस्प और विचारशील अंश है, जिसमें होरी अपनी गाय को देखता है और उसे विश्वास होता है कि यही गाय उसके दुखों का समाधान है। प्रेमचंद ने एक स्थल पर लिखा:
"गाय को देख कर होरी की आँखों में एक नमी आ गई। उसे लगा जैसे उसकी सारी दुखों का हल अब गाय में समाया हो। लेकिन वह यह भी जानता था कि यह समाधान तात्कालिक है, और उससे भी बड़ी चुनौतियां उसके सामने हैं।"
यह अंश उपन्यास की केंद्रीय सोच को बहुत सुंदरता से प्रस्तुत करता है, जहां एक साधारण किसान को अपने सपनों के इतने नजदीक पहुंचने के बावजूद यह एहसास होता है कि उसके संघर्ष का समाधान केवल बाहरी चीजों में नहीं, बल्कि समाज के सुधार में है।
गोदान को पहले 'भारतीय प्रकाशन गृह' द्वारा प्रकाशित किया गया था, और इसके बाद विभिन्न प्रकाशकों ने इसे विभिन्न संस्करणों में प्रकाशित किया है। यह किताब आज भी कई प्रमुख प्रकाशकों द्वारा उपलब्ध है, और इसे पढ़ने के लिए हिंदी साहित्य के पाठक वर्ग द्वारा विशेष रुचि दिखाई जाती है।
निष्कर्ष: इस प्रकार, गोदान एक साहित्यिक रचना है जो समाज, मानवता और संघर्षों को दर्शाती है और आज भी हमारे समाज के लिए प्रासंगिक है।
FAQ
मुंशी प्रेमचंद | गोदान उपन्यास की समीक्षा | पुस्तक समीक्षा
thesootr की साहित्य डेस्क की ओर से इस किताब को मिलते हैं- ⭐⭐⭐⭐⭐
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