नील तिवारी, JABALPUR. जबलपुर में सामने आए धान खरीदी फर्जीवाड़े में जांच और FIR के बाद भी लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। जबलपुर कि मझोली तहसील के अंतर्गत तलाड़ सहकारी समिति में धान खरीदी का फर्जीवाड़ा सामने आया था। इस फर्जीवाड़े की महीने भर चली जांच के बाद आखिरकार 1647 क्विंटल धान का घोटाला साबित हुआ और 3 लोगों के खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया था। साथ ही इस मामले में 1 आरोपी की गिरफ्तारी भी हो गई है। अब इस समिति के प्रबंधक राधेलाल यादव के पुराने पाप भी खुलकर सामने या रहे हैं जो प्रशासन कि कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर रहा है।
क्या है धान घोटाला मामला
मझोली तहसील में तलाड़ सेवा समिति के महादेव वेयरहाउस में समर्थन मूल्य पर ऑनलाइन खरीदी गई जिसमें 36 लाख कीमत की 1647 क्विंटल धान का स्टॉक उपार्जन केंद्र के वेयरहाउस से गायब मिला था। जबलपुर के जिला कलेक्टर के आदेश के बाद कनिष्क आपूर्ति अधिकारी पल्लवी जैन ने धान घोटाले कि जांच के बाद तलाड़ सहकारी समिति की केंद्र प्रभारी सरस्वती काछी, कंप्यूटर ऑपरेटर वीरेंद्र पटेल और प्रबंधक राधेलाल यादव के खिलाफ पुलिस अधीक्षक को शिकायत देकर लगभग 36 लाख रुपए के फर्जीवाड़े की FIR दर्ज कराई गई।
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पहले भी हो चुका है जांच, FIR और सेटलमेंट का खेल
इस प्रकरण में आरोपी बना राधेलाल यादव पहले भी इस तरह के घोटाले कर चुका है। राधेलाल यादव तलाड़ में ही शासकीय उचित मूल्य की दुकान भी संचालित करता है जिसमे वर्ष 2022 उसने गरीबों के राशन का लगभग 14 हजार किलो का घोटाला किया था। यह मामला सिहोरा के ही पत्रकारों और आमजनों की लगातार शिकायतों और दबाव के बाद खुला था। इस मामले में आरोपी के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 3 और 7 के तहत FIR क्र. 622/2022 दर्ज हुई थी और कुल 7 लाख 34 हजार 462 रुपए की इस मामले में वसूली भी की गई थी। हैरानी की बात यह है कि पिछले मामले में भी जांच कनिष्क आपूर्ति अधिकारी पल्लवी जैन ने ही की थी, अब इस जांच को लेकर कई सवाल मुंह बाए खड़े हैं।
क्या बिल्ली के हाथ में है दूध की रखवाली
जब वर्ष 2022 में पल्लवी जैन कि जांच के बाद ही आरोपी राधेलाल पर राशन घोटाले के आरोपों में FIR हो चुकी थी, तो आखिर क्यों एक घोटालेबाज को समिति प्रबंधक के पद पर जमे रहने दिया गया? क्यों किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने इस भ्रष्टाचारी के मात्र 1 वर्ष पुराने मामले को अनदेखा कर दिया और क्यों एक कनिष्क आपूर्ति अधिकारी के अधिकार क्षेत्र में बार-बार घोटाले होने के बाद भी जांच का दायर अधिकारियों तक बढ़ नहीं पा रहा। अब जिस अधिकारी के क्षेत्र में घोटाले हों और उसकी जांच भी वही अधिकारी कर रहा हो इसे देखकर तो ऐसा लगता है जैसे बिल्ली के हाथ में ही दूध की रखवाली दे दी गई है।