चारधाम यात्रा के शुरुआती चार दिनों में ही व्यवस्था बनाने में प्रशासन की सांसें फूल गईं। गंगोत्री और यमुनोत्री में रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु आने से व्यवस्था चरमरा गई है। इन दोनों धामों पर जाने वाले रास्ते में 45 किलोमीटर का लंबा जाम लगा है। जाम में फंसे होने के कारण अब तक 10 लोगों की मौत हो गई है। इनमें से 4 मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं।
ना खाने का ठिकाना, ना रुकने की व्यवस्था
गंगोत्री की ओर जाने वाले रस्ते में जहां जाम में लोग फंसे है, वहां किसी तरह की सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। लोगों के पास न कहीं ठहरने की सुविधा है, न ही खाने पीने का कोई ठिकाना है। एक पानी की बोतल के लिए लोगों को 30 से 50 रुपए तक चुकाने पड़ रहे हैं। आस पास के गांव वाले शौचालय उपयोग करने के लिए भी यात्रियों से 100 रुपए तक वसूल रहे हैं।
170 किलोमीटर दूर रुकी गाड़ियां
गंगोत्री और यमुनोत्री धामों में जाने वाली गाड़ियां 170 किलोमीटर दूर हरिद्वार के बरकोट से आगे नहीं जा पा रही है। यहां से उत्तरकाशी तक का रास्ता सुविधा के लिए वन वे किया गया है। वन वे रूट से मंदिर से वापस आने वाली गाड़ियां निकल रही हैं। ऐसे में मंदिर की तरफ जाने के लिए गाड़ियों को 20 से 25 घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है। इस लंबे जाम में लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कुल 10 मृतकों में से 5 की जानें मंगलवार को गई। सभी मृतकों की उम्र 50 वर्ष से अधिक थी। 4 मरीज डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के मरीज भी थे।
4 दिन में 130 लाख श्रद्धालु पहुंचे
उत्तराखंड की चार धाम यात्रा 10 और 12 मई से शुरू हुई। गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट 10 मई को खुले जबकि बदरीनाथ धाम के कपाट 12 मई को खोले गए। यात्रा शुरू होने के महज 4 दिनों में ही 1.30 लाख लोग दर्शन करने पहुंचे। पिछले साल पहले 5 दिनों में 52 हजार यात्री पहुंचे थे। इस बार चार दिन में ही यह आंकड़ा दोगुना हो गया है। अब तक चार धाम यात्रा के लिए कुल 26 लाख रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं।
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