गौतम अडानी पर लगे आरोपों पर आखिरी क्यों चुप हैं चंद्रबाबू नायडू?

गौतम अडानी पर अमेरिका में रिश्वतखोरी के आरोपों ने आंध्र प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस मुद्दे पर बीजेपी और टीडीपी पर सवाल उठा रहे हैं, जबकि टीडीपी ने इस पर चुप्पी साध रखी है।

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Dr Rameshwar Dayal
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क्या अमेरिका में भारत के नामी कारोबारी गौतम अडानी पर रिश्वतखोरी के लगे आरोपों का असर भारत के दक्षिण भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश पर भी पड़ेगा? अडानी पर आरोप लगा है कि उन्होंने महंगी सौर एनर्जी खरीदने के लिए भारतीय अधिकारियों को करीब 2 हजार करोड़ रुपये की रिश्वत दी। इनमें से करीब 85 प्रतिशत रिश्वत की राशि आंध्र प्रदेश के एक आला अधिकारी को दी गई थी। वैसे यह लेन-देन राज्य की पूर्व कांग्रेस सरकार के दौरान हुआ था। अब सवाल यह है कि आंध्र की सत्तारूढ़ तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) क्या इस मसले पर कांग्रेस को टारगेट पर लेगी।

 जानकारी के लिए बता दें कि आंध्र की वर्तमान सरकार की पार्टी टीडीपी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में सहयोगी है। अगर वह चाहे तो रिश्वतखोरी के इस आरोप पर वह कांग्रेस और उनके बड़े नेताओं को घेर सकती है। मसला यह भी है कि अडानी पर लगे आरोपों की आड़ मे कांग्रेस पार्टी और उसके नेता राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी सवालों के घेरे में ले रहे हैं। फिलहाल टीडीपी ने चुप्पी साध रखी है। इंडियन एक्सप्रेस समाचार पत्र को राज्य सरकार के मंत्री नारा लोकेश नायडू ने जानकारी दी है कि इस मसले पर हमने विधानसभा में कोई चर्चा नहीं की है। हम इस पर एक-दो दिन में चर्चा करेंगे। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के पत्ताभि राम ने भी कहा है कि हमें अमेरिकी अदालत के मामले के बारे में पता चला है। हम इसे एक-दो दिन में देखेंगे। यानी टीडीपी की इस मसले पर प्रतिक्रिया सीमित ही नजर आ रही है।

 सवाल यह उठ रहा है कि देश के इतने ‘ज्वलंत’ मुद्दे पर टीडीपी, उसके मुखिया एन चंद्रबाबू नायडू व अन्य आला नेता चुप्पी क्यों साधे हुए हैं। सूत्र बताते हैं कि इस रुख को लेकर तीन संभावित कारण हो सकते हैं।

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प्रतिक्रिया में इसलिए हो रही देरी

पार्टी देखना चाहती है कि आने वाले दिनों में स्थिति कैसे विकसित होती है। सूत्रों ने कहा कि आरोप यह है कि रिश्वत का लेन-देन राज्य की पूर्व वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के प्रमुख वाईएस जगन मोहन रेड्डी के मुख्यमंत्री रहने के दौरान हुआ था। यह आरोप सोलर पावर ठेके हासिल करने से जुड़ा है, लेकिन टीडीपी इस विवाद में उलझने से बचना चाहती है। एक टीडीपी नेता का कहना है कि किसी भी कदम से पहले हमें फायदे और नुकसान का आकलन करना होगा। यानी पार्टी इस इस मामले में सतर्कता बरत रही है।

राज्य को निवेश की जरूरत है

एक मंत्री ने बताया, "मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू स्वयं अडानी समूह से निवेश की उम्मीद कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड लिमिटेड के प्रबंध निदेशक से मुलाकात की थी। राज्य को सौर ऊर्जा की आवश्यकता है और हम अडानी सोलर के साथ बिजली खरीद समझौतों को रद्द करने की स्थिति में नहीं हैं। गौरतलब है कि जब वर्ष 2019 में जगन सत्ता में आए, तो उन्होंने टीडीपी सरकार द्वारा किए गए कई समझौते रद्द कर दिए थे, जिससे राज्य में बिजली संकट पैदा हो गया था। टीडीपी ऐसी स्थिति से बचना चाहती है। 

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बीजेपी के साथ पॉजिटिव संबंध

टीडीपी केंद्र की एनडीए सरकार की एक प्रमुख सहयोगी है, इसलिए नायडू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के साथ अपने संबंधों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते। टीडीपी सांसद के राम मोहन नायडू केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हैं, जबकि गुंटूर के सांसद डॉ. चंद्र शेखर पेम्मासानी ग्रामीण विकास और संचार राज्य मंत्री हैं। वैसे लोकसभा चुनाव से पहले तक बीजेपी और टीडीपी के संबंध बहुत पॉजिटिव नहीं थे, लेकिन आखिरी दौर में दोनों पार्टियों ने एक दूसरे का हाथ थाम लिया, जिसका नतीजा यह हुआ कि आंध्र प्रदेश में पार्टी की स्थिति बेहद मजबूत हुई और वह केंद्र में साझेदार बनी। 

दूसरी ओर राज्य के विपक्षी दलों कांग्रेस, सीपीआई और सीपीआई (एम) ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है। सीपीआई ने दावा किया है कि उन्होंने इस ‘घोटाले’ को तीन साल पहले उजागर करने की कोशिश की थी। सीपीआई के राज्य सचिव के रामकृष्ण ने कहा ने कहा है कि हमारा मानना है कि यह आरोप हमारे साल 2021 के रुख को सही साबित करता है। हम चाहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी और राज्य सरकार इस पर प्रतिक्रिया दें। उन्होंने इस घोटाले की न्यायिक जांच की मांग की है।

FAQ

अडानी पर रिश्वतखोरी के आरोप क्या हैं?
गौतम अडानी पर आरोप है कि उन्होंने भारतीय अधिकारियों को 2,000 करोड़ रुपये की रिश्वत दी, जिसमें 85% राशि आंध्र प्रदेश के एक अधिकारी को गई।
टीडीपी की इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया क्यों धीमी है?
टीडीपी ने सतर्कता बरतते हुए अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है, क्योंकि यह मामला वाईएसआर कांग्रेस सरकार के दौरान हुआ था।
क्या कांग्रेस इस मुद्दे पर बीजेपी और टीडीपी को घेर रही है?
हां, कांग्रेस इस मामले में प्रधानमंत्री मोदी और टीडीपी को सवालों के घेरे में ला रही है।
क्या आंध्र प्रदेश सरकार अडानी ग्रुप के साथ समझौते रद्द करेगी?
नहीं, राज्य सरकार सौर ऊर्जा की जरूरतों को देखते हुए अडानी ग्रुप के साथ बिजली खरीद समझौते रद्द नहीं करना चाहती।
इस मुद्दे पर विपक्षी दलों का क्या कहना है?
विपक्षी दल कांग्रेस, सीपीआई, और सीपीआई (एम) ने इस घोटाले की न्यायिक जांच की मांग की है।

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