दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) देश के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में से एक है। यह न केवल चिकित्सा क्षेत्र में उत्कृष्टता का प्रतीक है, बल्कि यह मेडिकल शिक्षा और शोध का एक प्रमुख केंद्र भी है। लेकिन अब यह संस्थान एक गंभीर समस्या का सामना कर रहा है। एक सूचना के अधिकार (RTI) आवेदन के तहत यह सामने आया है कि एम्स दिल्ली में 35% फैकल्टी पद खाली हैं। यह संकट स्वास्थ्य सेवाओं और चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा रहा है।
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RTI में खुलासा: 35% फैकल्टी पद रिक्त
RTI के जवाब में AIIMS दिल्ली ने यह स्वीकार किया कि संस्थान में कुल 1,235 स्वीकृत फैकल्टी पदों में से 430 पद रिक्त हैं। इसका मतलब यह है कि संस्थान के एक तिहाई से अधिक फैकल्टी पद लंबे समय से खाली पड़े हुए हैं। यह स्थिति ना केवल मरीजों के इलाज को प्रभावित कर सकती है, बल्कि मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।
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नियुक्तियों की प्रोसेस में देरी
यह पता चला है कि 2019 में 172 सहायक प्रोफेसर के पदों का विज्ञापन जारी किया गया था, लेकिन केवल 110 नियुक्तियां हो पाई। इसके अलावा, 2021 और 2022 में 270 पदों के लिए आवेदन मंगाए गए थे, जिनमें से सिर्फ 173 सहायक प्रोफेसर और 3 एसोसिएट प्रोफेसर नियुक्त किए जा सके।
यहां तक कि 2020, 2023, 2024 और 2025 की पहली तिमाही में नियमित फैकल्टी पदों पर कोई नई भर्ती नहीं की गई। इससे यह साफ है कि एम्स दिल्ली में स्थायी नियुक्तियों की प्रक्रिया बेहद धीमी रही है।
दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं पर असर
इस संकट का असर केवल AIIMS दिल्ली तक सीमित नहीं है, बल्कि दिल्ली के अन्य सरकारी अस्पतालों में भी यही स्थिति है। हाल ही में एक अन्य RTI से यह पता चला है कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में भी मेडिकल ऑफिसर के 17%, नॉन-टीचिंग स्पेशलिस्ट के 38% और टीचिंग स्पेशलिस्ट के 22% पद रिक्त हैं।
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मेडिकल शिक्षा और स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव
मेडिकल एक्सपर्ट्स का मानना है कि इतनी बड़ी संख्या में रिक्त फैकल्टी पद स्वास्थ्य सेवाओं और मेडिकल शिक्षा को प्रभावित कर रहे हैं। AIIMS जैसे संस्थान पर इलाज और शिक्षा दोनों की बड़ी जिम्मेदारी होती है। ऐसे में इतने बड़े पैमाने पर पदों का रिक्त रहना चिंता का विषय है।