आम्रपाली प्रोजेक्ट: पजेशन नहीं लेने वालों के फ्लैट दोबारा बेचें : SC

सुप्रीम कोर्ट ने नोयडा के आम्रपाली प्रोजेक्ट में फ्लैट पजेशन न लेने वाले खरीदारों की बुकिंग रद्द कर अन्य खरीदारों को बेचने के निर्देश दिए हैं। एनबीसीसी को प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए 500 करोड़ की जरूरत है।

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नोएडा के आम्रपाली प्रोजेक्ट (Amrapali Project) में फ्लैट का कब्जा न लेने वाले खरीदारों पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने कहा है कि जो लोग बार- बार अपील के बावजूद कब्जा लेने नहीं आ रहे, उनकी बुकिंग रद्द कर दी जाएगी और फ्लैट्स को अन्य खरीदारों को बेच दिया जाएगा। इस प्रोजेक्ट का निर्माण नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन (NBCC) द्वारा किया जा रहा है।

कोर्ट रिसीवर से रिपोर्ट की मांग

न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कोर्ट रिसीवर आर वेंकटरमणि को निर्देश दिया है कि वे उन संपत्तियों की रिपोर्ट पेश करें, जो अब तक नहीं बिकी हैं। साथ ही उन घर खरीदारों की जानकारी दें, जो संपर्क के बावजूद पजेशन लेने नहीं आए। अदालत ने कहा, हम कोर्ट रिसीवर से हालिया रिपोर्ट दाखिल करने का अनुरोध करेंगे।

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अतिरिक्त फ्लैट के निर्माण को मंजूरी

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण (Greater Noida Authority) ने गोल्ड होम प्रोजेक्ट में अतिरिक्त फ्लैट के निर्माण को मंजूरी दे दी है। एनबीसीसी द्वारा अन्य पांच परियोजनाओं के लिए अनुपालन की जरूरत बताई गई है।

500 करोड़ की जरूरत

एनबीसीसी के वकील सिद्धार्थ दवे ने अदालत को बताया कि सेंचुरियन पार्क, लेजर वैली, लेजर पार्क, और ड्रीम वैली प्रोजेक्ट के नक्शे अपलोड कर दिए गए हैं। इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से मंजूरी मांगी गई है। एनबीसीसी को 343 करोड़ का कार्य पूरा करने के लिए कुल 500 करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी।

नीतिगत निर्णय और खरीदारों का रवैया

रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 3,000-4,000 खरीदार ऐसे हैं जो लगातार अपील के बावजूद फ्लैट का पजेशन लेने नहीं आए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इन खरीदारों की बुकिंग रद्द कर अन्य इच्छुक खरीदारों को फ्लैट बेचने का रास्ता खोला जाएगा।

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जानें प्रोजेक्ट के बारे में सबकुछ

आम्रपाली प्रोजेक्ट नोएडा और ग्रेटर नोएडा में स्थित एक हाउसिंग प्रोजेक्ट है, जिसे पहले आम्रपाली ग्रुप द्वारा विकसित किया जा रहा था। यह परियोजना घर खरीदारों के लिए एक बड़े सपने के रूप में शुरू हुई थी, लेकिन समय के साथ यह विवादों और कानूनी पचड़ों में फंस गई। परियोजना में घर खरीदारों के पैसे का दुरुपयोग, निर्माण में देरी, और ग्राहकों को समय पर पजेशन न देने जैसे कई गंभीर आरोप लगे।

आम्रपाली प्रोजेक्ट की शुरुआत

आम्रपाली ग्रुप ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में मध्यम और उच्च वर्ग के लोगों के लिए कई आवासीय परियोजनाएं शुरू की थीं। इनमें सेंचुरियन पार्क, लेजर वैली, ड्रीम वैली और सिलिकॉन सिटी जैसी परियोजनाएं शामिल हैं। कंपनी ने बड़े- बड़े वादे किए थे, जैसे कि समय पर फ्लैट का पजेशन देना, विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराना, और ग्राहकों की हर जरूरत का ध्यान रखना।

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ऐसे हुई विवादों की शुरुआत

निर्माण में देरी:
आम्रपाली ग्रुप ने हजारों खरीदारों को समय पर फ्लैट का पजेशन नहीं दिया। इसके कारण ग्राहकों को लंबे समय तक किराए और ईएमआई दोनों का बोझ उठाना पड़ा।

पैसे का दुरुपयोग:
आम्रपाली ग्रुप पर आरोप लगे कि उन्होंने ग्राहकों के पैसे को दूसरी जगहों पर निवेश कर दिया और निर्माण कार्य को अधूरा छोड़ दिया।

कानूनी कार्रवाई:
आम्रपाली ग्रुप के खिलाफ ग्राहकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी की संपत्तियों को जब्त कर लिया और प्रोजेक्ट का जिम्मा एनबीसीसी (NBCC) को सौंप दिया गया।

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एनबीसीसी का हस्तक्षेप

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर, एनबीसीसी को आम्रपाली की अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी दी गई। एनबीसीसी ने निर्माण कार्य शुरू किया और ग्राहकों को फ्लैट का पजेशन देने का प्रयास किया।

क्या है मौजूदा स्थिति

खरीदारों का पजेशन न लेना:
एनबीसीसी ने पजेशन के लिए कई बार अपील की, लेकिन अब भी लगभग 3,000-4,000 खरीदार ऐसे हैं, जिन्होंने फ्लैट का पजेशन नहीं लिया। सुप्रीम कोर्ट ने इन खरीदारों की बुकिंग रद्द कर फ्लैट्स अन्य खरीदारों को बेचने का आदेश दिया है।

अतिरिक्त फ्लैट निर्माण:
ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने गोल्ड होम और सिलिकॉन सिटी प्रोजेक्ट में अतिरिक्त फ्लैट के निर्माण को मंजूरी दी है।

फंड की आवश्यकता:
एनबीसीसी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 500 करोड़ रुपये की जरूरत है।

आम्रपाली प्रोजेक्ट का महत्व

आम्रपाली प्रोजेक्ट भारत के रियल एस्टेट सेक्टर में खरीदारों के अधिकारों और डेवलपर्स की जवाबदेही को लेकर एक मिसाल बन गया है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता और ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

FAQ

आम्रपाली प्रोजेक्ट क्या है?
आम्रपाली प्रोजेक्ट नोएडा और ग्रेटर नोएडा में स्थित एक हाउसिंग प्रोजेक्ट है, जिसे एनबीसीसी द्वारा पूरा किया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने फ्लैट पजेशन न लेने वालों के खिलाफ क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो खरीदार कब्जा नहीं ले रहे, उनकी बुकिंग रद्द कर फ्लैट्स अन्य खरीदारों को बेचे जाएंगे।
एनबीसीसी को प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए कितनी धनराशि की जरूरत है?
एनबीसीसी को प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए 500 करोड़ रुपये की आवश्यकता है।
अतिरिक्त फ्लैट के निर्माण को किसने मंजूरी दी?
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने गोल्ड होम प्रोजेक्ट में अतिरिक्त फ्लैट के निर्माण को मंजूरी दी है।
कोर्ट रिसीवर का क्या कार्य है?
कोर्ट रिसीवर का कार्य संपत्तियों की स्थिति पर रिपोर्ट प्रस्तुत करना और खरीदारों से संपर्क करना है।

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