चीफ जस्टिस गवई पर हमले की कोशिश, शख्स ने जूता फेंककर मारना चाहा, लगाए नारे- सनातन का अपमान नहीं सहेंगे

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक वकील ने चीफ जस्टिस (CJI) बीआर गवई पर हमला करने की कोशिश की। यह घटना उस समय हुई जब CJI की अध्यक्षता में एक बेंच मामलों की सुनवाई कर रही थी।

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Dablu Kumar
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Delhi. सुप्रीम कोर्ट में एक शख्स ने चीफ जस्टिस (CJI) बीआर गवई पर सोमवार (6 अक्टूबर) को हमला करने की कोशिश की। यह घटना उस वक्त हुई जब CJI की अध्यक्षता में एक बेंच मामलों की सुनवाई कर रही थी। सूत्रों के अनुसार, एक व्यक्ति डेस्क के पास गया और एक वस्तु सीजेआई पर फेंकने की कोशिश की, लेकिन कोर्ट के सुरक्षाकर्मियों ने उसे तुरंत पकड़ लिया और बाहर ले गए।

कुछ प्रत्यक्षदर्शी ने दावा किया कि शख्स ने जूता फेंकने की कोशिश की, जबकि अन्य ने कहा कि वह कागज का एक रोल फेंक रहा था। बताया जा रहा है कि उस व्यक्ति ने वकील की पोशाक पहन रखी थी।

 बाहर ले जाते वक्त शख्स ने नारे लगाए- सनातन का अपमान नहीं सहेंगे। इस घटना के बाद CJI गवई ने अदालत में मौजूद वकीलों से अपनी दलीलें जारी रखने को कहा और यह भी कहा कि इस घटनाक्रम से परेशान होने की कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा- मैं भी परेशान नहीं हूं, इन चीजों से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। हालांकि, अभी व्यक्ति के नाम के बारे में पता नहीं चला है। 

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CJI गवई ने भगवान को लेकर कही ये बाते

यह माना जा रहा है कि व्यक्ति CJI गवई की मध्य प्रदेश के खजुराहो में भगवान विष्णु की 7 फीट ऊंची खंडित मूर्ति की बहाली पर की गई टिप्पणियों से नाराज था। CJI गवई ने इस मामले को खारिज करते हुए कहा था- जाओ और भगवान से खुद मदद मांगो। तुम कहते हो कि तुम भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हो, तो उनसे प्रार्थना करो।

जानें पूरा मामला

मध्यप्रदेश के खजुराहो स्थित जवारी (वामन) मंदिर में भगवान विष्णु की 7 फीट ऊंची खंडित मूर्ति की बहाली के लिए दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि यह मूर्ति मुगलों के आक्रमणों के दौरान खंडित हुई थी और तब से यही स्थिति बनी हुई है। उनका कहना था कि मूर्ति की स्थिति सुधारने और मंदिर की पवित्रता को वापस लाने के लिए श्रद्धालुओं के पूजा करने के अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए और सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए।

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याचिकाकर्ता राकेश दलाल ने इस फैसले पर नाराजगी जताई और इसे अपनी धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि मूर्ति की जो स्थिति है, वही बनी रहेगी, और अगर भक्तों को पूजा करनी है तो वे अन्य मंदिरों में जा सकते हैं।

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