CJI बीआर गवई ने प्रोटोकॉल उल्लंघन याचिका की खारिज, वकील पर जुर्माना भी लगाया

सुप्रीम कोर्ट ने CJI बीआर गवई के प्रोटोकॉल उल्लंघन पर याचिका 7 हजार रुपये जुर्माने के साथ खारिज कर दी; मामला पब्लिसिटी पाने का प्रयास माना गया।

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Jitendra Shrivastava
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Photograph: (THESOOTR)

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हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें CJI बीआर गवई के महाराष्ट्र दौरे के दौरान प्रोटोकॉल का उल्लंघन किए जाने की जांच की मांग की गई थी। चीफ जस्टिस बीआर गवई ने स्वयं सुनाया और तुरंत याचिका खारिज कर दी। याचिकाकर्ता वकील पर 7 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया। CJI ने स्पष्ट किया कि यह याचिका केवल पब्लिसिटी हासिल करने और मीडिया में नाम छपवाने के मकसद से दायर की गई थी।

प्रोटोकॉल उल्लंघन से न्यायपालिका की गरिमा पर असर

CJI बीआर गवई ने महाराष्ट्र दौरे के दौरान अपने स्वागत में मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, और मुंबई पुलिस कमिश्नर जैसे वरिष्ठ अधिकारियों के उपस्थित न होने पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि इस प्रकार के प्रोटोकॉल उल्लंघन से न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचती है।
लेकिन जब इस मुद्दे को लेकर याचिका सुप्रीम कोर्ट में आई, तो CJI ने कहा कि इसे राई का पहाड़ बनाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने वकील से कहा कि अगर वे वकील हैं तो उन्हें पता होना चाहिए कि इस मामूली मुद्दे को लेकर पहले ही सार्वजनिक बयान जारी कर इसे तूल नहीं देने को कहा गया था।

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CJI का निर्देश: मामले को समाप्त करें, और राजनीति न करें

CJI बीआर गवई ने कहा कि लोकतंत्र के इस अंग की गरिमा बनी रहे, इसके लिए इस मामले को आगे बढ़ाने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने बताया कि यह मामला व्यक्तिगत तौर पर उनकी चिंता का विषय नहीं था, बल्कि न्यायपालिका के प्रमुख पद की गरिमा का सवाल था।
उन्होंने स्पष्ट किया कि याचिका के जरिए मामले को अनावश्यक रूप से बढ़ावा दिया जा रहा है, जो न्यायपालिका की परंपराओं के खिलाफ है। इसलिए इस याचिका को खारिज कर जुर्माना लगाया गया।

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वकील पर जुर्माना और उसके पीछे कारण

7 वर्षों से प्रैक्टिस कर रहे वकील पर 7 हजार रुपये का जुर्माना इसलिए लगाया गया क्योंकि कोर्ट ने माना कि उन्होंने बिना किसी ठोस आधार के सिर्फ मीडिया में नाम छपवाने के लिए यह याचिका दायर की। CJI ने कहा कि यह न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है।

 

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