शराब में ओवररेटिंग, बिना रेट लिस्ट और बिल नदारद, प्रशासन की गोपनीय कार्रवाई से हुआ बड़ा खुलासा

जबलपुर शहर में शराब दुकानों की अनियमितताओं को लेकर लंबे समय से लोग आवाज उठा रहे थे। शहर के विभिन्न इलाकों में शराब की दुकानों पर एमआरपी से अधिक दामों पर शराब बेचे जाने की शिकायतें आम हो गई थीं।

author-image
Neel Tiwari
New Update
Overrating Liquor
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

MP News: जबलपुर शहर में शराब दुकानों की अनियमितताओं को लेकर लंबे समय से लोग आवाज उठा रहे थे। कई बार मीडिया के माध्यम से और सामाजिक संगठनों द्वारा वर्तमान आबकारी आयुक्त तक शिकायतें पहुंचाई गईं। लोगों का कहना था कि शराब की दुकानों पर ग्राहकों से एमआरपी से ज्यादा पैसा वसूला जा रहा है, शराब का अवैध कारोबार चल रहा है और किसी भी दुकान में नियमों के अनुसार रेट लिस्ट या बिल नहीं दिया जा रहा है। लेकिन इन तमाम शिकायतों के बावजूद आबकारी विभाग की ओर से कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया, जिससे लोगों में असंतोष गहराता जा रहा था।

जिला प्रशासन ने किया गोपनीय ऑपरेशन

स्थिति को गंभीरता से लेते हुए जबलपुर के जिला प्रशासन ने खुद इस मामले में हस्तक्षेप करने का निर्णय लिया। प्रशासन ने एक ऐसी योजना बनाई, जिससे दुकानों की असलियत बिना कोई पूर्व सूचना दिए सामने लाई जा सके। इस कार्रवाई के तहत शहर के अलग-अलग अनुभागों में पदस्थ पटवारियों को आम ग्राहकों की तरह शराब दुकानों में भेजा गया। उन्हें स्पष्ट निर्देश दिए गए कि वे अलग-अलग ब्रांड की शराब खरीदें, ऑनलाइन पेमेंट करें और हर खरीद का पूरी तरह दस्तावेजीकरण करें।

ये खबर भी पढ़िए... केन्द्र ने DGP के लिए 2 अफसरों के नाम पर जताई सहमति, अरुण देव रेस में सबसे आगे

ऑनलाइन पेमेंट से जुटाए सबूत

इस जांच के दौरान पटवारियों ने जिस तरह से ग्राहक बनकर दुकानों में शराब खरीदी, वह पूरी तरह पेशेवर तरीके से किया गया। उन्होंने खरीदी गई हर शराब की बोतल की एमआरपी को नोट किया और फिर दुकान से मांगी गई कीमत को ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के माध्यम से पूरा किया। इसके बाद उस ट्रांजैक्शन की रसीद, शराब की बोतल और दुकान के नाम के साथ विस्तृत पंचनामा तैयार किया गया। सभी प्रमाणों को बोतलों पर पर्ची लगाकर सुरक्षित रखा गया और अंत में एसडीएम कार्यालय में जमा किया गया।

ये खबर भी पढ़िए... लव जिहादी मोहसिन पर पीड़िता का खुलासा- जय श्रीराम बोलने पर रोक थी, धर्म बदलने का था दबाव

एमआरपी से 100 रुपए तक की वसूली

जांच के बाद जो तथ्य सामने आए, उन्होंने सभी को चौंका दिया। कुछ शराब दुकानों में 200 रुपए एमआरपी की बोतल के लिए 280 से 300 रुपए तक की राशि ली गई। यानी प्रति बोतल 80 से 100 रुपए की अवैध वसूली की गई। इसका मतलब है कि सिर्फ एक दिन में हजारों-लाखों रुपए का अवैध मुनाफा कुछ दुकानों द्वारा किया जा रहा है, जो कानून और नीति दोनों का घोर उल्लंघन है।

ये खबर भी पढ़िए... इंदौर में चोरों के पास मिली दो लाख की राडो की घड़ी, कार से करते थे चोरी, 25 लाख के गहने मिले

न रेट लिस्ट, न बिल, ग्राहक को अंधेरे में रखकर कमाई

इस कार्रवाई के दौरान यह बात भी स्पष्ट हुई कि अधिकांश दुकानों में न तो शराब की रेट लिस्ट प्रदर्शित की गई थी और न ही ग्राहक को कोई बिल दिया गया। नतीजतन, ग्राहक को यह भी पता नहीं होता कि वह जो बोतल खरीद रहा है, उसकी असली कीमत क्या है। दुकान कर्मचारी मनमानी वसूली करते हैं और ग्राहक मजबूरी में बिना सवाल किए पैसा चुका देता है।

ये खबर भी पढ़िए... मध्य प्रदेश में तबादलों का मौसम : मनपसंद जगह पाने नेताओं के चक्कर काट रहे कर्मचारी

आबकारी विभाग की चुप्पी पर उठे तीखे सवाल

शहर में इतने लंबे समय से यह अनियमितताएं जारी थीं, लेकिन आबकारी विभाग की ओर से कभी भी इस तरह की छानबीन या कार्रवाई नहीं की गई। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या विभाग ने जानबूझकर आंखें मूंद ली थीं? क्या कहीं न कहीं भ्रष्टाचार या मिलीभगत की भूमिका तो नहीं रही? इस पूरी स्थिति ने आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं।

पूर्व सहायक आयुक्त भी हो चुके हैं निलंबित

गौरतलब है कि जबलपुर में शराब ठेकों की नीलामी से जुड़े मामलों में पूर्व सहायक आयुक्त रविंद्र मानिकपुरी को पहले ही 900 करोड़ की नीलामी समय पर न कर पाने के कारण निलंबित किया जा चुका है। रविंद्र मानिकपुरी पर यह भी आरोप लगे थे कि उन्होंने अवैध शराब माफिया के सांठगांठ की थी।  अब जिला प्रशासन की यह सीधी और गोपनीय कार्रवाई यह साबित करती है कि अब सरकार इस पूरे सिस्टम की सफाई के मूड में है।

भविष्य में और भी कड़ी कार्रवाई की संभावना

सूत्रों के अनुसार जिन दुकानों में नियमों का गंभीर उल्लंघन पाया गया है, उनकी रिपोर्ट अब शासन को भेजी जाएगी। यदि शिकायतें प्रमाणित पाई जाती हैं, तो संबंधित दुकानों के खिलाफ लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई भी संभव है। इसके अलावा दुकानों को भविष्य में ब्लैकलिस्ट भी किया जा सकता है।

जनता की भी जिम्मेदारी-बिल मांगें, शिकायत करें

प्रशासन ने कार्रवाई की शुरुआत कर दी है, लेकिन इस लड़ाई में जनता की भागीदारी भी आवश्यक है। यदि कोई ग्राहक देखता है कि दुकान पर रेट लिस्ट नहीं है, बिल नहीं दिया जा रहा या एमआरपी से अधिक राशि ली जा रही है, तो वह तत्काल आबकारी सहित जिला कलेक्टर कार्यालय में शिकायत दर्ज कर सकता है।

 

शराब जबलपुर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन जिला प्रशासन MP News आबकारी विभाग