मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के तबादलों का दौर चरम पर है। नई तबादला नीति के तहत, 30 मई 2025 तक सभी ट्रांसफर प्रक्रियाएं पूरी की जानी हैं। इस प्रक्रिया में, कर्मचारी अपनी पसंदीदा पोस्टिंग के लिए नेताओं से संपर्क कर रहे हैं। श्योपुर, ग्वालियर, और भोपाल जैसे शहरों में यह गतिविधि विशेष रूप से देखी जा रही है।
तबादलों में नेताओं की भूमिका
तबादलों में नेताओं की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। कई नेता अपने समर्थकों को मनचाही जगह पोस्टिंग दिलाने के लिए प्रयासरत हैं। श्योपुर से भोपाल तक, नेताओं के कार्यालयों में कर्मचारियों की भीड़ देखी जा रही है। यह राजनीतिक हस्तक्षेप तबादला प्रक्रिया को प्रभावित कर रहा है।
ये खबरें भी पढ़ें...
Weather Forecast : देशभर में भारी बारिश और तूफान का अलर्ट, केरल में जल्दी पहुंचेगा मानसून
QR कोड स्कैन कर दें पुलिस के व्यवहार का फीडबैक, इसी आधार पर होंगे तबादले
भाजपा की बैठक में तबादलों पर चर्चा
हाल ही में भोपाल में भाजपा की कोर कमेटी की बैठक हुई, जिसमें प्रभारी मंत्री राकेश शुक्ला की उपस्थिति रही। इस बैठक में, अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादलों पर चर्चा की गई। जिला संगठन द्वारा तैयार की गई एक सूची प्रभारी मंत्री को सौंपी गई, जिसमें खाली पदों पर नियुक्तियों की मांग की गई।
30 मई: तबादलों की आखिरी तारीख
सरकारी आदेशों के अनुसार, सभी तबादलों की प्रक्रिया 30 मई 2025 तक पूरी की जानी है। इस समयसीमा के चलते, कर्मचारी और अधिकारी तेजी से अपने तबादलों के लिए प्रयास कर रहे हैं। शिक्षक, पटवारी, पंचायत सचिव जैसे मैदानी स्तर के कर्मचारी विशेष रूप से सक्रिय हैं।
ये खबरें भी पढ़ें...
EPFO ने बदला PF ट्रांसफर नियम : नौकरी बदलते ही होगा पैसा आसानी से ट्रांसफर
असदुद्दीन ओवैसी ने दिया विधायक आरिफ मसूद को जवाब, 'दुनिया में ऐसा कोई माई का लाल नहीं...'
तबादला नीति और इसके असर
नई तबादला नीति का उद्देश्य कर्मचारियों को उनकी पसंदीदा जगह पर पोस्टिंग देना है, जिससे कार्यक्षमता बढ़े। हालांकि, राजनीतिक हस्तक्षेप और नेताओं की सिफारिशों के कारण, यह प्रक्रिया जटिल हो गई है। कई बार, योग्य कर्मचारियों को उनकी पसंदीदा जगह नहीं मिल पाती, जबकि कुछ को राजनीतिक समर्थन के आधार पर लाभ मिलता है।
मध्यप्रदेश तबादला नीति | सरकारी कर्मचारी, कर्मचारी ट्रांसफर