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Photograph: (the sootr)
अयोध्या (Ayodhya) में बाबरी मस्जिद केस में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ ज़मीन आवंटित की गई थी। इस पर प्रस्तावित मस्जिद औरइंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन परिसर की निर्माण योजना को अयोध्या विकास प्राधिकरण (ADA) ने रद्द कर दिया है। एक RTI (Right to Information) के जवाब में यह बड़ा खुलासा हुआ है। ADA ने स्पष्ट किया है कि विभिन्न सरकारी विभागों से अनिवार्य अनापत्ति प्रमाण पत्र (No Objection Certificate - NOC) न मिलने के कारण मस्जिद ट्रस्ट का आवेदन खारिज किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला और आवंटित भूमि
9 नवंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। अदालत ने विवादित स्थल को अयोध्या का राम मंदिर निर्माण के लिए हिंदू पक्ष को सौंप दिया। उत्तरप्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में किसी प्रमुख स्थान पर मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन आवंटित करने का आदेश दिया।
जमीन का आवंटन: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में, उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या से लगभग 25 किलोमीटर दूर सोहावल तहसील के धन्नीपुर (Dhannipur) गाँव में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड (Sunni Central Waqf Board) को यह 5 एकड़ जमीन हस्तांतरित की।
आवेदन: इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट(IICF) ने इस ज़मीन पर एक मस्जिद, एक अस्पताल, एक रिसर्च सेंटर और एक कम्युनिटी किचन सहित अन्य सामाजिक सुविधाओं के निर्माण का प्रस्ताव रखा। ट्रस्ट ने जून 2021 में ADA के पास लेआउट प्लान की मंज़ूरी के लिए आवेदन किया और ₹4 लाख से अधिक का आवेदन और जांच शुल्क भी जमा कराया।
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ADA ने क्यों किया आवेदन खारिज?
अयोध्या विकास प्राधिकरण (ADA) ने 16 सितंबर, 2025 को एक RTI के जवाब में इस बात की पुष्टि की कि मस्जिद ट्रस्ट का आवेदन खारिज कर दिया गया है। मुख्य कारण यह बताया गया कि योजना की मंजूरी के लिए विभिन्न सरकारी विभागों से आवश्यक अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जमा नहीं किए गए थे।
इन प्रमुख विभागों की चाहिए NOC
योजना को मंज़ूरी देने के लिए कई विभागों से NOC की आवश्यकता थी, जिनमें मुख्य रूप से शामिल हैं:
लोक निर्माण विभाग (PWD)
प्रदूषण नियंत्रण विभाग (Pollution Control Department)
नागरिक उड्डयन विभाग (Civil Aviation Department)
सिंचाई विभाग (Irrigation Department)
राजस्व विभाग (Revenue Department)
नगर निगम (Municipal Corporation)
जिला मजिस्ट्रेट (District Magistrate)
अग्निशमन विभाग (Fire Brigade Department)
अग्निशमन विभाग की बड़ी आपत्ति
सूत्रों के अनुसार, अग्निशमन विभाग (Fire Brigade Department) की आपत्ति एक बड़ी बाधा बनी। स्थल निरीक्षण के दौरान, विभाग ने पाया कि प्रस्तावित मस्जिद (Ayodhya Mosque) और अस्पताल भवन की ऊँचाई के मद्देनज़र, पहुँच मार्ग (Access Road) की चौड़ाई कम से कम 12 मीटर होनी चाहिए।
मौजूदा स्थिति: मौके पर दोनों रास्ते 6 मीटर से ज़्यादा चौड़े नहीं थे, और मुख्य पहुँच मार्ग की चौड़ाई केवल 4 मीटर थी। सुरक्षा नियमों के अनुसार, इतनी कम चौड़ाई आपातकालीन वाहनों के आवागमन के लिए अपर्याप्त थी, जिसके कारण विभाग ने आवश्यक NOC जारी नहीं किया।
NOC की अनिवार्यता:
किसी भी बड़े निर्माण कार्य, विशेष रूप से सार्वजनिक उपयोग की इमारतों जैसे मस्जिद या अस्पताल, के लिए विभिन्न सरकारी विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) प्राप्त करना अनिवार्य होता है। ये प्रमाण पत्र सुनिश्चित करते हैं कि निर्माण योजनाएँ सुरक्षा, पर्यावरण और नागरिक मानदंडों का पालन करती हैं। अयोध्या मस्जिद निर्माण के मामले में, पहुँच मार्ग की चौड़ाई का मुद्दा सुरक्षा मानकों का उल्लंघन था।
अयोध्या में निर्माणाधीन मस्जिद निर्माण में आ रही बाधाओंको ऐसे समझेंअयोध्या मस्जिद निर्माण योजना खारिज: अयोध्या विकास प्राधिकरण (ADA) ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर धन्नीपुर गाँव में मुस्लिम पक्ष को आवंटित 5 एकड़ जमीन पर प्रस्तावित मस्जिद निर्माण योजना के लेआउट प्लान को आधिकारिक तौर पर खारिज कर दिया है। NOC न मिलना मुख्य कारण: योजना खारिज होने का मुख्य कारण विभिन्न सरकारी विभागों से अनिवार्य अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) प्राप्त न होना है, जिसका खुलासा एक RTI (सूचना का अधिकार) के जवाब में हुआ है। अग्निशमन विभाग की बड़ी आपत्ति: अग्निशमन विभाग ने मुख्य रूप से आपत्ति जताई, क्योंकि प्रस्तावित मस्जिद और अस्पताल की ऊँचाई के लिए आवश्यक 12 मीटर के मुकाबले पहुँच मार्ग की चौड़ाई केवल 4 से 6 मीटर थी, जो सुरक्षा मानकों का उल्लंघन है। ट्रस्ट की प्रतिक्रिया और जमा शुल्क: मस्जिद ट्रस्ट ने योजना खारिज होने पर हैरानी जताई है। ट्रस्ट ने आवेदन और जांच शुल्क के रूप में 4 लाख रुपये से अधिक का भुगतान किया था, लेकिन उसे विभागों से NOC न मिलने की कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई थी। भविष्य की योजना: ट्रस्ट अब NOC संबंधी आपत्तियों को दूर करने और पहुँच मार्ग की चौड़ाई की समस्या को हल करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। साथ ही, पुराने डिजाइन पर आपत्ति के बाद अब अवधी स्थापत्य शैली से प्रेरित नया लेआउट प्लान तैयार किया जा रहा है, जिसे जल्द ही ADA के समक्ष पेश किया जाएगा। |
मस्जिद ट्रस्ट की प्रतिक्रिया और आगे की योजना
इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) ट्रस्ट के सचिव, अतहर हुसैन (Athar Hussain), ने इस बात पर हैरानी जताई है कि सरकारी विभागों ने NOC क्यों नहीं दी और ADA ने लेआउट प्लान क्यों खारिज किया। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जमीन आवंटित होने के बावजूद, उन्हें आधिकारिक तौर पर अस्वीकृति या विभागों की आपत्तियों के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई थी।
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नए डिज़ाइन पर हो रहा है विचार
पुराना नक्शा अस्वीकार: कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मस्जिद ट्रस्ट ने स्वयं भी पुराने डिज़ाइन को आंतरिक रूप से खारिज कर दिया था। मुस्लिम समुदाय के एक वर्ग में इस डिज़ाइन को लेकर असंतोष था, क्योंकि यह आधुनिक विदेशी वास्तुकला पर आधारित था, जबकि स्थानीय समुदाय अवधी स्थापत्य शैली से प्रेरित एक डिज़ाइन चाहता था।
अवधी स्थापत्य: ट्रस्ट अब अवधी स्थापत्य (Awadhi Architecture) शैली से प्रेरित एक नया डिज़ाइन तैयार कर रहा है। मस्जिद का ऊपरी हिस्सा गुंबदाकार होगा और विदेशी मस्जिदों की तरह शीशे का इस्तेमाल कम किया जाएगा।
आगे की राह: ट्रस्ट ने कहा है कि RTI के जवाब से स्थिति स्पष्ट होने के बाद, वे अब NOC से जुड़ी आपत्तियों को दूर करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे, विशेष रूप से पहुँच मार्ग की चौड़ाई के मुद्दे को हल करने पर। नए लेआउट प्लान को जल्द ही ADA के सामने पेश किया जाएगा।