बिहार विधानसभा चुनाव 2025: आखिर क्यों कमजोर पड़ी महागठबंधन की रणनीति, जानें क्या रही NDA की जीत की वजह

बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत के पीछे कई कारण हैं, जबकि महागठबंधन की रणनीति कमजोर साबित हुई। कांग्रेस और अन्य महागठबंधन दलों की खींचतान के चलते, एनडीए ने 202 सीटें जीतीं। आइए जानते हैं इसकी वजह...

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Amresh Kushwaha
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणामों ने महागठबंधन की रणनीति को कमजोर कर दिया है। एनडीए (NDA) ने 243 में से 202 सीटें जीतीं, जबकि महागठबंधन (MGB) को मात्र 35 सीटों तक सीमित रहना पड़ा।

बीजेपी (BJP) ने 87 सीटों पर जीत दर्ज की, वहीं जेडीयू (JD(U)) ने 82 सीटें जीतीं। महागठबंधन के घटक दलों में आरजेडी (RJD) को 25 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस (Congress) की सीटों की संख्या महज 6 रही। जानें बिहार में NDA की जीत की वजह!

कांग्रेस की वोट चोरी की रणनीति फेल

चुनाव से पहले महागठबंधन ने भाजपा पर हर राज्य में वोट चोरी के आरोप लगाए थे। उन्होंने यह तक दावा किया कि बिहार में भी भाजपा और चुनाव आयोग मिलकर लोकतंत्र को नष्ट कर रहे हैं।

वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनावी नतीजों से पहले ही एग्जिट पोल के आधार पर वोट चोरी का आरोप लगाया था। वहीं, अब बिहार के रुझान ने साबित कर दिया कि यह आरोप केवल हवा-हवाई थे, क्योंकि महागठबंधन का वोट बैंक इस बार कमजोर दिखाई दिया।

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हाइड्रोजन बम हुआ फुस्स

राहुल गांधी के चुनावी बयान, जैसे हाइड्रोजन बम, जो उन्होंने कई सबुतो के साथ पेश किए थे, अब फुस्स हो गया हैं। एनडीए की जीत और महागठबंधन की कमजोर स्थिति ने साबित कर दिया कि जनता का मूड और चुनावी रुझान पूरी तरह से अलग दिशा में था।

बिहार के एक ईबीसी (EBC) बाहुल्य गांव में एक युवा मतदाता ने कहा, हम वही चुनाव चाहते हैं जो काम करता है, और नेता बदलने से काम रुकेंगे, इसलिए हम उसी को चुनेंगे जो विकास कर रहा है।

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एनडीए की जीत के कारण

बिहार चुनाव में एनडीए की जीत महज संयोग नहीं, बल्कि एक कुशल राजनीतिक रणनीति और जमीनी समीकरणों का परिणाम है। इसके विपरीत, महागठबंधन में आंतरिक खींचतान और कमजोर सियासी प्रबंधन ने एनडीए की जीत में योगदान दिया। अब जानते हैं उन 10 प्रमुख कारणों को, जिनकी वजह से एनडीए ने बिहार में जबरदस्त जीत हासिल की...

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1. ब्रांड मोदी का अभेद्य कवच और डबल इंजन की अपील

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता ने एनडीए को विरोधी लहर के दबाव से बचाया। उन्होंने चुनाव को केंद्र की गारंटी बनाम राज्य की अस्थिरता के फ्रेम में पेश किया। इस डबल इंजन की अपील ने वोटरों में यह विश्वास पैदा किया कि विकास और स्थिरता के लिए राज्य और केंद्र की सरकार का एक जैसा होना जरूरी है।

2. एनडीए के कुशल नेतृत्व पर मुहर

एनडीए ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का ऐलान बहुत पहले ही कर दिया था। पीएम मोदी ने अपनी शुरुआती सभाओं में नीतीश के नेतृत्व की तारीफ की। इससे एनडीए में एकजुटता का संदेश गया। महागठबंधन में डिप्टी सीएम पद को लेकर खींचतान ने मतदाताओं के मन में यह सवाल खड़ा किया कि क्या विपक्ष स्थिरता कायम रख पाएगा?

3. समय पर सीटों ऐलान

एनडीए ने समय पर टिकट बंटवारे की प्रक्रिया पूरी की थी। इससे कार्यकर्ताओं को प्रचार के लिए पर्याप्त समय मिला था। इससे जनता में भी सकारात्मक संदेश गया।

4. जीविका दीदी फैक्टर: महिलाओं का मौन समर्थन

एनडीए की जीत में महिलाओं का अहम योगदान था। खासकर जीविका दीदियों का, जो महिलाओं के सामाजिक सशक्तिकरण का प्रतीक हैं। राज्य सरकार ने चुनाव से पहले इन महिलाओं को प्रोत्साहन राशि दी। इससे उनका समर्थन एनडीए को मिला।

5. महागठबंधन में सीट बंटवारे की खींचतान और देरी

महागठबंधन में सीट बंटवारे की देरी ने कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ दिया। साथ ही यह संदेश दिया कि गठबंधन आंतरिक रूप से कमजोर है।

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6. अति-पिछड़ा और महादलितों का अटूट साथ

नीतीश कुमार और एनडीए की सोशल इंजीनियरिंग ने अति-पिछड़ा और महादलित वोट बैंक को अपने पक्ष में किया। इससे उनकी नींव मजबूत हुई।

7. जंगलराज बनाम सुशासन का नैरेटिव वॉर

एनडीए ने जंगलराज का डर दिखाकर अपने पक्ष में नैरेटिव तैयार किया। पीएम मोदी और अन्य नेताओं ने इस मुद्दे को कई बार उठाया, जिससे युवा मतदाता भी प्रभावित हुए।

8. बिहार के वोटिंग बिहेवियर में बदलाव

इस बार बिहार के वोटरों ने बुनियादी सुविधाओं (बिजली, सड़क, पानी) को ध्यान में रखते हुए वोट दिया। यह विकास-केंद्रित मतदान था, जिसने एनडीए की मदद की।

9. लाभार्थियों का विशाल वर्ग और सीधा फायदा

केंद्र और राज्य की कल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वित हुआ वर्ग भी एनडीए के पक्ष में था। यह वर्ग किसी भी विरोध से अप्रभावित रहा और अपने हितों की रक्षा के लिए एनडीए को चुना।

10. बीजेपी का मजबूत बूथ प्रबंधन और कैडर की सक्रियता

बीजेपी का संगठनात्मक कौशल और बूथ प्रबंधन ने सीटों के छोटे अंतर को निर्णायक जीत में बदल दिया।

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