बिहार में भाजपा-JDU ने चुनाव को किया हाईजैक, आयोग ने भी मदद की, इनसे मिलकर लड़ना होगा

बिहार चुनाव में महागठबंधन की करारी हार पर राजस्थान के पूर्व सीएम और बिहार कांग्रेस के सीनियर ऑब्जर्वर अशोक गहलोत का आरोप। भाजपा ने पैसे के दम पर भी वोट चोरी करके बिहार चुनाव जीता। ये बिना गड़बड़ के चुनाव नहीं जीत सकते।

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Rakesh Kumar Sharma
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Photograph: (the sootr)

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Jaipur. बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की शानदार जीत और महागठबंधन की करारी हार को कांग्रेस समेत महागठबंधन में शामिल दल पचा नहीं पा रहे हैं। महागठबंधन को मिली हार को साजिश बताते हुए आरोप लगा रहे हैं कि चुनाव आयोग की मिलीभगत, धनबल और सत्ता के दुरुपयोग से बिहार चुनाव को हाईजैक कर लिया। 

मजबूर होकर हारा महागठबंधन

बिहार चुनाव में कांग्रेस के सीनियर ऑब्जर्वर और राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने भी महागठबंधन की करारी हार के सवाल पर कहा कि बिहार चुनाव धनबल और सत्ता के दुरुपयोग से लोकतंत्र की लूट है। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव में हार-जीत चलती रहती है, लेकिन इस चुनाव को भाजपा, जेडीयू और चुनाव आयोग ने मिलकर हाईजैक कर लिया। इससे महागठबंधन को हारने के लिए मजबूर होना पड़ा।

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कैश फॉर वोट का आरोप लगाया

गहलोत ने जयपुर में मीडिया से बातचीत में कहा कि बिहार चुनाव में धन और बल का बोलबाला रहा। आदर्श आचार संहिता कहीं दिखाई नहीं दी। आचार संहिता लगने के बाद बिहार सरकार ने एक करोड़ से अधिक महिलाओं के खातों में 10-10 हजार रुपए डाल दिए। यह एक तरह से कैश फॉर वोट यानी वोट की खरीदी होना है।

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निष्पक्ष नहीं रहा चुनाव आयोग 

गहलोत ने कहा कि विपक्ष के तमाम आरोपों के बाद भी चुनाव आयोग मौन होकर देखता रहा। यह चुनाव में पैसे बांटकर वोट खरीदने के समान है, जो गैरकानूनी है। यह वोट चोरी का ही एक नया संस्करण है। चुनाव आयोग भाजपा के साथ मिलकर काम कर रहा है और उसे जिताने में पूरी मदद कर रहा है। पूरा देश इस बात को देख रहा है। अब चुनाव आयोग निष्पक्ष नहीं रह गया है।

आचार संहिता में खुलेआम पैसे बांटे

गहलोत ने आरोप लगाया कि 2023 में राजस्थान के विधानसभा चुनाव के दौरान महिलाओं को स्मार्टफोन देने वाली हमारी सरकार की योजना पर रोक लगा दी गई थी, जबकि ये योजना फरवरी, 2022 में आए राज्य बजट की घोषणा के अनुसार चलाई जा रही थी। तब चुनाव आचार संहिता की कहकर सामाजिक सुरक्षा पेंशन, अन्नपूर्णा योजना तक को भी रोक दिया गया। 

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बिहार में खेला पैसों का खेल

इससे उलट बिहार में चुनाव आचार संहिता के दौरान महिलाओं के खाते में 10 हजार रुपए नई योजना के तहत डाले गए, जो आचार संहिता से महज कुछ दिन पहले शुरू की गई थी। महाराष्ट्र में भी चुनाव से पहले महिलाओं को 7500-7500 रुपए बांटे गए थे। यह आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन था, जो निर्वाचन आयोग को दिखाई नहीं दिया।

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एनडीए की जीत में आयोग सहभागी

गहलोत ने कहा कि चुनाव पूर्व मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम में साठ लाख से अधिक वोटर्स के नाम हटा दिए गए। चुनाव से ठीक पहले सभी राजनीतिक दलों को विश्वास में लिए बिना लाखों वोटर्स के नाम काटना या हटाना गलत है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। फिर भी 12 राज्यों में यह कार्यक्रम लागू किया जा रहा है। 

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हर आदमी को आगे आना होगा

एसआईआर जैसे कदमों से निर्वाचन आयोग भी एनडीए की जीत में सहभागी बन गया है। महाराष्ट्र के बाद बिहार में एकतरफा चुनाव परिणाम चिंता का विषय है। देशवासियों को लोकतंत्र बचाने के लिए संकल्प लेना पड़ेगा। अब हर व्यक्ति को देश बचाने के लिए आगे आना होगा। अगर वे नहीं आए, तो देश में लोकतंत्र नाम की चीज नहीं रह जाएगी।

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