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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राष्ट्रगीत वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने पर राजस्थान में भाजपा, कांग्रेस समेत कई संस्थाओं ने कार्यक्रम किए। वंदे मातरम् गीत के कार्यक्रम को लेकर कांग्रेस और भाजपा के नेताओं के बीच सियासी बयानबाजी भी हुई और एक-दूसरे पर पलटवार भी किए।
भाजपा के कार्यक्रमों को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों में सबकी भागीदारी होनी चाहिए थी, लेकिन यह ऐसा लगता है जैसे सरकार के खर्चे पर भाजपा का कार्यक्रम हो।
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आरोप-प्रत्यारोप का दौर
शुरुआत से ही राष्ट्रगीत वंदे मातरम् कांग्रेस की परंपरा रहा है, लेकिन अब भाजपा और आरएसएस कांग्रेस की यह पारंपरिक विरासत छीनना चाहते हैं। उधर, गहलोत के इस बयान को लेकर भाजपा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने पलटवार करते हुए कहा कि वंदे मातरम् गीत सभी का है। किसी की बपौती नहीं है। गहलोत यह क्यों नहीं बता रहे हैं कि गीत का कांग्रेस अधिवेशन में विरोध हुआ था। इस गीत को लेकर दोनों नेताओं ने तीखे सवाल किए हैं।
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भाजपा का अपराध बोध
गहलोत ने अपने आवास पर मीडिया से बातचीत में कहा कि वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर आयोजन हो रहे हैं, यह अच्छी बात है। इस फैसले में देश की भागीदारी होनी चाहिए। एक समिति बनती, जो इसकी रूपरेखा तय करती। पहले भी कई आयोजनों पर ऐसा होता रहा है, लेकिन भाजपा ने ऐसा नहीं किया। इससे उनका अपराध बोध झलकता है। इनका संविधान में कभी विश्वास ही नहीं रहा।
छीनना चाहते हैं कांग्रेस की विरासत
गहलोत ने कहा कि आजादी से पहले से ही कांग्रेस में यह गीत गाया जाता रहा है। आज भी हर अधिवेशन और कार्यक्रम में गीत गाया जाता है। अब भाजपा और आरएसएस कांग्रेस से यह विरासत छीनना चाहते हैं। आजादी की लड़ाई में आरएसएस के लोगों ने अंग्रेजों का साथ दिया। आजादी के बाद इन्होंने कभी संविधान को नहीं माना। इन्होंने डॉ. अंबेडकर और महात्मा गांधी के पुतले जलाए। सरदार पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया था।
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धर्म के नाम पर सत्ता में आए
अब इन्हें धर्म के नाम पर सत्ता में आने का मौका मिला है और ये कांग्रेस की विरासत खत्म करना चाहते हैं। गहलोत ने कहा कि क्या आरएसएस ने अपनी शाखाओं में यह गीत गाया है। इनके दिल में सरदार पटेल, महात्मा गांधी और वंदे मातरम् नहीं हैं। यह गीत सीधे तौर पर भारतीय राष्ट्रवाद से जुड़ा है। यह किसी पर थोपा नहीं जा सकता। आज भी देश को कांग्रेस और कांग्रेस की विचारधारा की जरूरत है। कांग्रेस राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान पर गर्व करती है। भाजपा खतरनाक रूप से धनबल की राजनीति कर रही है।
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वंदे मातरम् पर भ्रम फैला रहे गहलोत
गहलोत के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् को कांग्रेस की विरासत बताने के बाद सियासी बवाल खड़ा हो गया है। गहलोत के इस बयान पर भाजपा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस के अधिवेशन में इनके नेताओं ने वंदे मातरम् गीत का विरोध किया था। गहलोत कैसे इस गीत को कांग्रेस की विरासत बता रहे हैं। गहलोत वंदे मातरम् के इतिहास पर भ्रम फैला रहे हैं। तिवाड़ी ने कहा कि वंदे मातरम् किसी दल की नहीं, बल्कि देश की राष्ट्रभावना का प्रतीक है।
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कांग्रेस के अधिवेशन में हुआ था विरोध
तिवाड़ी ने कहा कि गहलोत इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं और राष्ट्रगीत को भी राजनीति के दायरे में घसीट रहे हैं। वंदे मातरम् गीत देश के स्वतंत्रता सेनानियों में आजादी की चेतना जगा रहा था। यह गीत तभी से भारत के क्रांतिकारियों के लिए एक मंत्र और प्रेरणा का स्रोत बन गया। कांग्रेस के अधिवेशन में मौलाना अली, शौकत अली जैसे नेताओं ने इसका विरोध किया था। इसके बाद में वंदे मातरम् को धर्म से जोड़ने की कोशिश की गई, जो कि पूरी तरह गलत और दुर्भाग्यपूर्ण था।
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गहलोत को इतिहास पता होना चाहिए
तिवाड़ी ने कहा कि 1875 में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने वंदे मातरम् गीत की रचना की थी। 1882 में आनंद मठ में प्रकाशित हुआ, जिसमें इस गीत को प्रमुख स्थान मिला। 1905 के बंग-भंग आंदोलन के समय यह गीत स्वदेशी आंदोलन का प्रेरणास्रोत बन गया। गहलोत गलत बयानबाजी कर भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे। जिस वंदे मातरम् गीत का कांग्रेस अधिवेशन में विरोध हुआ, उसे गहलोत कैसे अपनी विरासत बता रहे हैं।
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