कोचिंग हब में नहीं आए कोचिंग संस्थान, गहलोत सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट सत्ता बदलते ही ठंडे बस्ते में

राजस्थान के जयपुर के प्रताप नगर में देश के पहले कोचिंग हब को कोचिंग संस्थानों के बजाय आईआईटी व दूसरे विभागों को देने की कवायद। सरकार बदलते ही सभी कोचिंग संस्थान को एक छत के नीचे लाने की योजना पर लगा विराम।

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Rakesh Kumar Sharma
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राजस्थान के जयपुर में कोचिंग संस्थानों को एक छत के नीचे लाने का सपना अब पूरा नहीं होगा। पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार का कोचिंग हब के रूप में यह ड्रीम प्रोजेक्ट था।

इसे लेकर दावा किया गया था कि यह देश का पहला ऐसा हब होगा, जिसमें तीन सौ से अधिक कोचिंग सेंटर एकसाथ चल सकेंगे। इनमें 70 हजार स्टूडेंट पढ़ाई कर सकेंगे।

ड्रीम प्रोजेक्ट कोचिंग हब संकट में

कांग्रेस सरकार ने इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर करीब 300 करोड़ रुपए खर्च किए। तब कोचिंग संस्थानों को लाने की कवायद भी की गई। कुछ संस्थानों ने टोकन राशि भी जमा करवाई, लेकिन पौने दो साल पहले राज बदलते ही कोचिंग हब परियोजना पर ग्रहण सा लग गया।

इस अवधि में राजस्थान हाउसिंग बोर्ड की तरफ से कोचिंग संस्थानों को शिफ्ट करने का प्रयास नहीं किया गया और ना ही कोचिंग सेंटर संचालकों ने हब में जगह लेने की रुचि दिखाई। जिन सेंटर संचालकों ने टोकन राशि जमा करवाई थी, उनमें से भी अधिकतर भाग छूटे। कुल मिलाकर पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट कोचिंग हब संकट में है। 

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शिफ्ट नहीं हो सकेंगे कोचिंग सेंटर

अब जयपुर शहर के गोपालपुरा बायपास, बरकत नगर, महेश नगर, राजापार्क आदि इलाकों में संचालित करीब चार-पांच सौ कोचिंग सेंटर शिफ्ट नहीं हो सकेंगे। सरकार भी अब कोचिंग सेंटरों को एक ही जगह पर शिफ्ट करने को लेकर गंभीर नहीं है। करीब तीन साल पहले निर्मित कोचिंग हब की बड़ी-बड़ी इमारतें सूनी पड़ी हैं।

खाली पड़ी इमारतों को देख कई सरकारी विभाग, शिक्षण संस्थान और दूसरी संस्थानों ने जगह लेने की अर्जी सरकार को लगा रखी है। कोचिंग हब को बनाने वाली स्वायत्तशासी संस्था राजस्थान हाउसिंग बोर्ड भी कोचिंग हब में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। ऐसे में इस प्रोजेक्ट की इमारत खंडहर ना हो जाए, इसके लिए नगरीय विकास विभाग इन्हें दूसरे कार्यों में दिए जाने की कवायद में लग चुका है।

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आईआईटी जोधपुर को दिए तीन ब्लॉक

कोचिंग हब के तीन ब्लॉक (टावर) को राज्य सरकार भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जोधपुर को सौंपने का निर्णय किया है। सरकार ने यह जमीन निशुल्क दी है। साथ ही हॉस्टल एवं अन्य सुविधाओं के लिए पास ही बीस हजार वर्गमीटर अतिरिक्त भूमि दिए जाने का फैसला किया है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यहां पर आईआईटी जोधपुर का विस्तार परिसर विकसित करेगा। तीन टावर के बाद आईआईटी जोधपुर को ओर भी जगह की जरूरत पड़ेगी तो अन्य टावर भी दे दिए जाएंगे। नगरीय विकास विभाग ने संस्थान निदेशक को जगह दिए जाने का पत्र भी जारी कर दिया है। 

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आठ में से चार टावर बुक

एक टावर में केन्द्रीय फॉरेंसिक एजेंसी का कार्यालय है। यहां आठ बड़े टावर हैं। प्रत्येक टावर सात मंजिला है। यहां पर नारकोटिक्स विभाग, एफएसएल विंग व अन्य विभाग भी कार्यालय के लिए टावर लेने की कवायद में है, लेकिन सरकार से मंजूरी नहीं मिल पाई।

वहीं हाउसिंग बोर्ड टावर के बदले में मोटी रकम भी ले रहा है, जो सरकारी विभागों के पास नहीं है। आठ में से चार टावर बुक हो चुके हैं। ऐसे में अब कोचिंग हब प्रोजेक्ट का वास्तविक रूप साकार नहीं हो पाएगा।  

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ट्रैफिक व पार्किंग समस्या से परेशान

जयपुर के गोपालपुरा बायपास, महेश नगर, बापू नगर, गांधी नगर, मालवीय नगर, वैशाली नगर, लाल कोठी, सोडाला आदि क्षेत्रों में सैकड़ों कोचिंग सेंटर संचालित हैं, जहां पर करीब एक लाख से अधिक छात्र पढ़ते हैं।

इन कोचिंग सेंटरों में न तो भवन विनियमों का ध्यान रखा जा रहा है और ना ही छात्रों के लिए पर्याप्त बैठने की जगह है। तंग गलियों और कमरों में छात्र पढ़ाई को मजबूर हैं। बेसमेंट में भी कोचिंग सेंटर व लाइब्रेरी संचालित हो रहे हैं। इससे ट्रैफिक व पार्किंग समस्या से लोग परेशान हैं।

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विधानसभा में हुई हब की घोषणा

करीब चार साल पहले दिल्ली में बेसमेंट में चलाई जा लाइब्रेरी व कोचिंग सेंटर में पानी भरने से तीन छात्रों की मौत के बाद चेती सरकार के बाद बिना अनुमति चल रहे कोचिंग सेंटर व लाइब्रेरी के खिलाफ कार्रवाई की थी। तब पचास से अधिक सेंटरों पर कार्रवाई करते हुए सील किया गया।

कोचिंग सेंटरों से आ रही इन समस्याओं को देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान विधानसभा में कोचिंग हब खोलने की घोषणा की थी, ताकि सभी छोटे-बड़े कोचिंग संस्थान एक ही जगह आ सकें और छात्रों की सुरक्षित माहौल में पढ़ाई हो सके। घोषणा से पहले विधानसभा में कांग्रेस विधायक इंदिरा मीणा समेत अन्य विधायकों ने आवासीय क्षेत्र में बिना अनुमति बेसमेंट व तंग कमरों में चल रहे कोचिंग सेंटरों और छात्रों की जान के साथ खिलवाड़ के मुद्दे को उठाया था।

हाउसिंग बोर्ड ने बनाया कोचिंग हब

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ड्रीम प्रोजेक्ट कोचिंग हब को बनाने की जिम्मेदारी राजस्थान आवासन मंडल को दी गई थी। प्रताप नगर सेक्टर 16 में हल्दीघाटी मार्ग पर लगभग 67 हजार वर्गमीटर जमीन पर कोचिंग हब विकसित किया गया। करीब 40 प्रतिशत क्षेत्र में निर्माण हैं और 60 प्रतिशत खुला रखा गया है। मंडल के तत्कालीन कमिश्नर पवन अरोड़ा की अगुवाई में कोचिंग हब में आठ संस्थानिक टावर बनाए गए। हर संस्थानिक भवन के हर फ्लोर पर 1100 वर्गफीट से लेकर 14 हजार वर्गफीट का कारपेट क्षेत्र रखा गया। 

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एक से बढ़कर एक सुविधाएं

हर टावर 7 मंजिल का है और करीब एक लाख वर्गफीट क्षेत्रफल का निर्मित है। भवनों के नीचे पार्किंग है। छात्रों की सुविधा के लिए लाइब्रेरी और पार्क की सुविधा दी गई है। यहां जॉगिंग ट्रेक, वॉकिंग ट्रेक, साइक्लिंग ट्रेक, ओपन एयर जिम, इनडोर जिम, हेल्थ चेकअप सेंटर, बास्केटबॉल एवं टेनिस बॉल कोर्ट, योगा और मेडिटेशन सेंटर हैं।

32,325 वर्गफीट में सेंट्रल लाइब्रेरी एवं 34,280 वर्गफीट में सभागार भी बनाया है, जिसमें 1200 लोगों के बैठने की क्षमता है। इस पूरे प्रोजेक्ट पर करीब सात सौ करोड़ रुपये की लागत आई।

100 करोड़ की कमाई के बजाय घाटा

हाउसिंग बोर्ड ने तब कोचिंग हब से सौ करोड़ से अधिक की कमाई का अनुमान लगाया था। टावरों को कोचिंग सेंटर को बेचने, कोचिंग हब के बाहर 90 बड़े शोरूमों की बिक्री से कमाई करने का अनुमान लगाया था। परियोजना की वित्तीय फिजिबिलिटी का एमएनआईटी से परीक्षण भी कराया गया, जिसमें इस प्रोजेक्ट को पूरी तरह उपयोगी माना था।

हालांकि प्रोजेक्ट के बाद बहुत ही कम कोचिंग सेंटर ने जगह लेने में दिलचस्पी दिखाई। तब 68 कोचिंग संस्थान संचालकों ने जगह लेने के लिए अर्जी लगाई। इनमें से आधे ने टोकन मनी भी जमा करवा दी थी। हालांकि बाद में सिर्फ 14 संस्थान संचालकों ने ही पूरी राशि देकर कब्जा लिया है। शेष टोकन राशि भी ले जा चुके हैं। 

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बोर्ड को काफी नुकसान झेलना पड़ा

बताया जाता है कि एक तो शहर से प्रताप नगर की दूरी अधिक होने के कारण कोचिंग संस्थान मालिक वहां आना नहीं चाहते हैं। स्थानीय छात्रों के भी काफी समय लगेगा। इसके अलावा कोचिंग हब की जगह महंगी होने के कारण कोचिंग संचालक खरीदारी से बच रहे हैं। बड़े कोचिंग संस्थानों ने जगह लेने में दिलचस्पी नहीं दिखाई।

बड़े व दिग्गज महारथी सरकार के दबाव में नहीं आए। इनकी देखादेखी दूसरे कोचिंग सेंटर भी आगे नहीं आए। महंगी दरें होने के कारण मध्यम व छोटे स्तर के कोचिंग सेंटर भी जगह नहीं ले पाए। बोर्ड ने साढ़े चार हजार से सवा पांच हजार वर्गफीट की दर रखी है, जो कोचिंग संचालकों को काफी अधिक लगी। कोचिंग सेंटर नहीं आने और ना ही शोरूमों की बिक्री होने से बोर्ड को काफी नुकसान झेलना पड़ा है।

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राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की दिलचस्पी

करीब 25 बीघा भूमि में निर्मित कोचिंग हब एवं बिल्डिंगों को लेने के लिए केंद्र और राज्य सरकार के कई विभाग लालायित हैं। जयपुर के जोरावर सिंह गेट स्थित केंद्रीय आयुर्वेद संस्थान ने भी कोचिंग हब को लेने को लेकर राजस्थान सरकार और बोर्ड को पत्र लिखा था।

वर्तमान जगह कम पड़ने के कारण आयुर्वेद संस्थान यह जगह लेने का इच्छुक है। संस्थान ने इसे लेने के लिए करीब 625 करोड़ रुपए का प्रस्ताव भी दिया था। आयुर्वेद संस्थान के प्रस्ताव पर बोर्ड राजी भी था, लेकिन सरकार ने मंजूरी नहीं दी। इतनी बड़ी रकम आने से बोर्ड को आर्थिक संबल मिलता और प्रोजेक्ट राशि की भरपाई के साथ मुनाफा भी हो जाता।

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