ब्रिटिश काल की धूप घड़ी आज भी बताती है सही टाइम, जानें कहां है यह अनमोल धरोहर

बिहार में स्थित 150 साल पुरानी धूप घड़ी आज भी सही समय बताती है। यह घड़ी ब्रिटिश शासन काल में बनाई गई थी और तब से अब तक स्थानीय लोग इसका इस्तेमाल समय देखने के लिए करते आ रहे हैं। जानें इसकी खासियत

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Vikram Jain
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bihar rohtas ancient sun dial 150 years old

बिहार के डेहरी-ऑन-सोन स्थित धूप घड़ी।

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आज के डिजिटल युग में लोग टाइम देखने के लिए मोबाइल और ब्रांडेड घड़ियों का इस्तेलाल करते हैं, वहीं बिहार के रोहतास जिले के डेहरी-ऑन-सोन में 150 साल पुरानी धूप घड़ी से लोग आज भी समय पता करते हैं। यह धूप घड़ी सही समय भी बताती है। डेहरी-ऑन-सोन स्थित यह अद्भुत धरोहर धूप घड़ी आज भी काम करती है और समय बताती है। यह घड़ी ब्रिटिश काल में बनाई गई थी, जब इसे श्रमिकों को समय का ज्ञान देने के लिए तैयार किया गया था। आज भी यह घड़ी सूर्य के प्रकाश से समय बताती है और इसका इस्तेमाल स्थानीय लोग करते हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर है, जिसे संरक्षित किए जाने की आवश्यकता है।

जानें 150 साल पुरानी घड़ी की विशेषताएं

दरसअल, रोहतास के डेहरी-ऑन-सोन में स्थित 150 साल पुरानी धूप घड़ी अब भी सूर्य की रोशनी से समय बता देती है। यह घड़ी ब्रिटिश काल में 1871 में बनाई गई थी और तब से आज तक इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। यह धूप घड़ी सिंचाई विभाग में काम करने वाले श्रमिकों को समय का देखने के लिए स्थापित की गई थी। घड़ी में रोमन और हिंदी के अंक अंकित हैं, और इसे सूर्य के प्रकाश से समय जानने के लिए डिजाइन किया गया है। सिंचाई यांत्रिक प्रमंडल स्थित धूप घड़ी आज भी स्थानीय लोगों के समय देखने के काम आती है।

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आज भी सूर्य की छाया से बताती है समय

शोध अन्वेषक के अनुसार यह धूप घड़ी सूर्य की गति के आधार पर काम करती है, जैसे-जैसे सूर्य पूर्व से पश्चिम की ओर जाता है, घड़ी पर उसकी छाया भी उसी दिशा में चलती है। इसे "नोमोन" कहा जाता है, जो दिन में समय की गणना करने का यंत्र होता है। इस यंत्र से दिन के समय घंटों का पता चलता है। इस घड़ी के मध्य में एक मेटल की तिकोनी प्लेट लगी है, जो समय को सही ढंग से दर्शाती है। इस घड़ी को एक चबूतरे पर स्थापित किया गया है। इसमें सूर्य की रोशनी से समय ज्ञात होता है, जो इसके अद्भुत डिजाइन और कार्यप्रणाली को दर्शाता है।

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धूप घड़ी को संरक्षित करने की आवश्यकता

शोध अन्वेषक डॉ. श्याम सुंदर तिवारी (केपी जायसवाल शोध संस्थान पटना) ने इस घड़ी के बारे में बताया कि जब यह घड़ी आम लोगों की पहुंच से बाहर थी, तब इसका बहुत महत्व था। वे कहते हैं कि अब इस घड़ी को संरक्षित करने की आवश्यकता है, क्योंकि अगर इसे संरक्षित नहीं किया गया, तो यह धरोहर नष्ट हो सकती है और आने वाली पीढ़ी को इस ऐतिहासिक यंत्र को देखने का मौका नहीं मिल पाएगा।

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समय का ज्ञान कराने के लिए बनाई थी घड़ी

उन्होंने आगे बताया कि अंग्रेजों ने सिंचाई विभाग के यांत्रिक कार्यशाला में काम करने वाले श्रमिकों को समय का ज्ञान कराने के लिए यह घड़ी बनाई थी। अंग्रेजों के शासनकाल में पूरा कामकाज इस घड़ी के समय के आधार पर होता था। यह ऐसा यंत्र है, जिससे दिन में समय पता किया जाता है। इसे नोमोन कहा जाता है।

5 मुख्य बिंदुओं से समझें पूरा मामला 

✅150 साल पुरानी धूप घड़ी: डेहरी-ऑन-सोन में स्थित यह घड़ी आज भी सूर्य की रोशनी से समय बताती है।

✅ब्रिटिश काल की धरोहर: 1871 में स्थापित यह घड़ी ब्रिटिश शासन काल में बनी थी, ताकि श्रमिकों को समय का ज्ञान दिया जा सके।

✅सूर्य से समय बताने का तरीका: घड़ी सूर्य की गति से छाया के आधार पर समय की गणना करती है, जिसे 'नोमोन' यंत्र कहा जाता है।

✅संरक्षण की आवश्यकता: इस घड़ी को संरक्षित किया जाना चाहिए, ताकि यह ऐतिहासिक धरोहर नष्ट न हो जाए और आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचे।

✅घड़ी का महत्व: यह घड़ी समय बताने के एक अद्भुत तरीके के रूप में एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर बन चुकी है।

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