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बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि किसी लड़की का एक बार पीछा करना भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354(डी) के तहत स्टॉकिंग नहीं माना जा सकता, जो कि अपराध की श्रेणी में आता है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अगर कोई व्यक्ति बार-बार लड़की का पीछा करता है, तो उसके आचरण के आधार पर इसे अपराध की श्रेणी में शामिल किया जा सकता है।
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मामला जनवरी 2020 का है
यह मामला जनवरी 2020 का है जब मुख्य आरोपी ने एक 14 वर्षीय लड़की का पीछा किया और उससे शादी करने की इच्छा जताई। लड़की ने इनकार किया और उसकी मां ने हस्तक्षेप किया, बावजूद इसके आरोपी ने लड़की को परेशान करना जारी रखा। बाद में 26 अगस्त, 2020 को आरोपी ने लड़की के घर में घुसकर उसे गला दबाया और अनुचित तरीके से छुआ। दूसरे आरोपी पर आरोप था कि वह घटना के समय घर के बाहर खड़ा था और कोई सक्रिय भूमिका नहीं निभाई थी।
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स्टॉकिंग पर कोर्ट का रुख
हाईकोर्ट ने इस मामले की समीक्षा के बाद पाया कि पीछा करने का आरोप केवल एक घटना पर आधारित था, जिसमें आरोपी ने लड़की का नदी तक पीछा किया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि धारा 354(डी) के तहत पीछा करने के लिए सबूत महत्वपूर्ण हैं और बार-बार पीछा करना ही इसे अपराध बना सकता है।
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आरोपी की सजा और राहत
कोर्ट ने दूसरे आरोपी को सभी आरोपों से बरी कर दिया क्योंकि उसकी घटना में कोई सक्रिय भूमिका नहीं थी। वहीं, मुख्य आरोपी के खिलाफ यौन उत्पीड़न और पॉक्सो एक्ट के तहत आरोपों को बरकरार रखा। हालांकि, कोर्ट ने मुख्य आरोपी की सजा को संशोधित किया और उसे राहत दी, क्योंकि उसकी युवा उम्र और पहले से दो-ढाई साल की हिरासत को ध्यान में रखा गया था।
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कोर्ट का निर्णय और समाज के लिए संदेश
इस फैसले के माध्यम से बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि स्टॉकिंग या पीछा करना तब अपराध माना जाएगा जब यह लगातार किया जाए। एक बार पीछा करने को अपराध नहीं माना जा सकता है, लेकिन बार-बार पीछा करने के मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी।
क्या है स्टॉकिंग
न्याय विभाग के अनुसार, पीछा करना किसी विशिष्ट व्यक्ति पर बार-बार और अवांछित ध्यान, उत्पीड़न, संपर्क या किसी अन्य प्रकार का आचरण है, जिससे एक समझदार व्यक्ति में भय पैदा हो सकता है। इसे स्टॉकिंग की श्रेणी में रखा जाता है।