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Liquor scam accused Anil Tuteja : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (6 दिसंबर) को छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से जुड़े मनी लांड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा की गिरफ्तारी की प्रक्रिया पर कड़ी आपत्ति जताई। जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा कि ईडी ने गिरफ्तारी की प्रक्रिया में न्यायिक मानदंडों का उल्लंघन किया। पीठ ने विशेष रूप से टुटेजा की रातभर की पूछताछ और सुबह तड़के गिरफ्तारी दिखाने की प्रक्रिया को 'अत्यधिक परेशान करने वाला' बताया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ईडी की जांच के तरीके पर गंभीर सवाल खड़े किए।
रातभर पूछताछ और सुबह गिरफ्तारी दिखाने पर कोर्ट ने की आलोचना
सुप्रीम कोर्ट ने टुटेजा की गिरफ्तारी के संदर्भ में घटना क्रम का जिक्र करते हुए ईडी की कार्यप्रणाली पर गहरी आपत्ति जताई। न्यायालय ने कहा कि 20 अप्रैल 2024 को शाम 4:30 बजे अनिल टुटेजा रायपुर स्थित एसीबी कार्यालय में उपस्थित थे। उसी दौरान, ईडी ने उन्हें एक समन भेजा जिसमें 12:00 बजे पेश होने का निर्देश दिया गया था। इसके तुरंत बाद, उन्हें 5:30 बजे पेश होने के लिए एक और समन जारी कर दिया गया।
इसके बाद टुटेजा को एसीबी कार्यालय से ईडी की एक वैन में ले जाया गया और पूरी रात पूछताछ की गई। आखिरकार, सुबह 4:00 बजे उनकी गिरफ्तारी दर्ज की गई। न्यायालय ने इसे 'परेशान करने वाली प्रक्रिया' करार देते हुए कहा कि यह गिरफ्तारी, विधिसम्मत प्रक्रियाओं और अभियोजन की निष्पक्षता के मानदंडों का उल्लंघन है।
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ईडी की कार्यप्रणाली नहीं है माफ करने लायक
यह पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। अक्टूबर 2024 में भी जसटिस ओका ने ईडी द्वारा पूछताछ के लिए बार-बार समन भेजने और रातभर पूछताछ करने जैसी प्रथाओं पर नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि इस तरह की हरकतें माफ करने लायक नहीं हैं और इनसे न्यायिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता पर भी गलत असर पड़ता है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को यह भी याद दिलाया कि किसी भी जांच एजेंसी को अपनी शक्ति का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए और जांच के दौरान आरोपी व्यक्तियों के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए। न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि गिरफ्तारी और पूछताछ की प्रक्रिया में निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखना बेहद जरूरी है।
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ईडी ने ऐसे मामलों में सही कदम उठाने का किया दावा
ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने सुप्रीम कोर्ट को बताया किया कि ऐसी घटनाओं को दोबारा हिने से रोकने के लिए सुधार के उपाय किए गए हैं। उन्होंने कहा कि ईडी ने 29 अक्टूबर 2024 को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह सुनिश्चित किया कि पूछताछ और गिरफ्तारी की प्रक्रियाएं न्यायसंगत और पारदर्शी हों।
सुनवाई में बॉम्बे हाईकोर्ट के एक पूर्व निर्णय (राम कोटूमल इसरानी बनाम ईडी) का हवाला दिया गया, जिसमें अदालत ने ईडी को निर्देश दिया था कि पूछताछ के दौरान रातभर की प्रक्रियाओं की जगह बयान दर्ज करने का काम केवल कार्यालय समय में किया जाए। न्यायालय ने इस दिशा में ईडी द्वारा उठाए गए कदमों को सकारात्मक बताया, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि इस विशेष मामले में ईडी की कार्यप्रणाली पर सवाल बने रहेंगे।
पहले खारिज किए तथ्यों पर ही ईडी ने दर्ज कर ली नई रिपोर्ट
अनिल टुटेजा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि ईडी ने उन्हीं तथ्यों और सामग्रियों के आधार पर एक नई प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की, जिन्हें पहले खारिज कर दिया गया था। सिंघवी ने कहा कि इतने कम समय में ईडी के पास कोई नई जानकारी नहीं हो सकती थी।
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सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील पर सहमत होते हुए कहा कि पहली ईसीआईआर को रद्द करने के बाद कुछ ही समय में दोबारा क्र दर्ज करने पर सवाल खड़ा किया। जस्टिस ओका ने कहा कि इस इस मामले में इन्वेस्टिगेशन की प्रमाणिकता पर कोर्ट कुछ नहीं कह रहा पर यह जानना जरूरी है कि क्या गिरफ्तारी नियम अनुसार हुई थी या नहीं। इसके बाद, सिंघवी ने याचिका वापस लेने और जमानत के लिए आवेदन करने की अनुमति मांगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सहमति जताई और संबंधित अदालत को निर्देश दिया कि जमानत याचिका पर प्राथमिकता से सुनवाई की जाए।
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टुटेजा पर हैं शराब घोटाले सहित मनी लांड्रिंग के आरोप
अनिल टुटेजा पर छत्तीसगढ़ में शराब वितरण नीति के घोटाले में शामिल होने और डिस्टिलरी से अवैध कमीशन वसूलने का आरोप है। इस मामले में उनकी भूमिका पर 2020 से ही जांच चल रही थी और उन्हें उस समय अग्रिम जमानत भी मिल गई थी। हालांकि, ईडी ने 2024 में उनके खिलाफ पीएमएलए के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच शुरू कर दी। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 20 अगस्त 2024 को उनकी गिरफ्तारी को रद्द करने की याचिका खारिज कर दी थी।
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